Current Affairs, Gk, Job Alerts, , School Info, Competitive exams ; History , Geography , Maths, History of the day, Biography, PDF, E-book ,

Youtube Channel

  • Videos click here
  • Breaking

    Sports

    Translate

    Friday, June 1, 2018

    PM Visit to East Asia and Act East Policy पूर्व आशियाला पंतप्रधानांची भेट आणि भारताचे ‘अॅक्ट ईस्ट’ धोरण प्रधानमंत्री मोदी की पूर्व एशिया की यात्रा और एक्ट ईस्ट नीति:

    Views
    Currentaffairs 1 June 2018 Hindi/English/Marathi

    करेंट अफेयर्स 1 जून 2018 हिंदी/ इंग्लिश/मराठी
    PM Visit to East Asia and Act East Policy

    पूर्व आशियाला पंतप्रधानांची भेट आणि भारताचे ‘अॅक्ट ईस्ट’ धोरण

    प्रधानमंत्री मोदी की पूर्व एशिया की यात्रा और एक्ट ईस्ट नीति:                 


    हिंदी


    प्रधानमंत्री मोदी की पूर्व एशिया की यात्रा और एक्ट ईस्ट नीति:
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 मई से दो जून तक इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर का दौरा करेंगे। यह दौरा एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत दक्षिणपूर्व एशिया के साथ संबंधों को बढ़ाने के लिए भारत के प्रयासों का हिस्सा है। पीएम मोदी ने कहा कि इन तीनों देशों के साथ भारत के मजबूत संबंध हैं और उनके दौरे से देश की एक्ट ईस्ट नीति को और बढ़ावा मिलेगा।
    सिंगापुर में वह वार्षिक सुरक्षा सम्मेलन शांगरी ला वार्ता को एक जून को संबोधित करेंगे। पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री इस सम्मेलन को संबोधित करेगा। क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर यह भारत के विचारों को व्यक्त करने का अवसर होगा।
    यात्रा के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो से जकार्ता स्थित मर्डे का पैलेस में मुलाकात की और अनौपचारिक बातचीत की। भारत और इंडोनेशिया ने अपने रक्षा सहयोग समझौते का नवीकरण करने के साथ ही अंतरिक्ष, रेलवे, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के 15 करारों पर हस्ताक्षर किये।
    इनमें छह समझौतें विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों के मध्य हुए हैं। इंडोनेशिया के बाली और भारत के उत्तराखंड राज्यों को सहोदर राज्य बनाने की भी घोषणा की गयी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो के बीच हुई द्विपक्षीय शिखर बैठक में इन करारों पर हस्ताक्षर किये गये। दोनों देशों ने इस मौके पर संयुक्त वक्तव्य और भारत इंडोनेशिया समुद्री सहयोग पर एक अलग साझा दृष्टिपत्र भी जारी किया।
    'एक्ट ईस्ट नीति':
    एक्ट ईस्ट नीति, 1990 के दशक में भारत सरकार द्वारा जारी लुक ईस्ट नीति का परिवर्तित रूप है। लुक ईस्ट नीति का मतलब पूर्वी देशों के साथ सांस्कृतिक संपर्क और दोनों देशों की जनता के बीच संपर्क बढ़ाना और सुरक्षा को देखना था।
    हालांकि बदलती दुनिया में पूर्व और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से बेहतर संबंध बनाने के लिए हम एक्ट ईस्ट नीति पर आ गए हैं। साल 2015 में ही सिंगापुर से एक्ट ईस्ट नीति की घोषणा हुई थी।
    विदित हो कि भारत की वर्तमान विदेश नीति के बारे में कहा जा रहा है कि भारत इस मोर्चे पर आज जितना मज़बूत है उतना कभी नहीं था। यूरोप, अमेरिका और खाड़ी देशों के साथ रिश्तों को मजबूत आधार देने के बाद भारत सरकार ने कूटनीति के अगले चरण में पूर्वी एशियाई देश में पहल करते हुए लुक ईस्ट नीति को एक्ट ईस्ट नीति में तब्दील कर दिया था।
    'एक्ट ईस्ट नीति' के कूटनीतिक लाभ:
    भारत ने अपने सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों के माध्यम से आसियान देशों के साथ आपसी सहयोग बढ़ाने पर बल दिया है। साथ ही, म्यांमार, थाईलैंड, भारत त्रिपक्षीय एक्सप्रेस-वे के द्वारा पूर्वोत्तर भारत के सभी राज्यों की राजधानियां आसियान देशों से जोड़ने पर भी ध्यान केन्द्रित किया है।
    इसके साथ ही भारत, नेपाल, बाग्लादेश, भूटान चारों को जोड़ने वाली सड़क के निर्माण का कार्य जारी है। इस सम्पूर्ण विकास से आसियान के साथ परिवहन की दृष्टि से एक नया गठजोड़ स्थापित होगा जो आने वाले समय में भारत और आसियान देशो के मध्य स्थापित संबंधों को एक नया आयाम प्रदान करेगा।
    यह कूटनीतिक पहल से कहीं अधिक विस्तृत है। इसे केवल अधिक व्‍यापार और निवेश के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। निश्चित रूप से ये सभी अपेक्षाएं भारत और हमारे सभी सहयोगी देशों की समृद्धि और भलाई के लिए काफी महत्‍वपूर्ण है।
    फिर भी एक्‍ट ईस्‍ट नीति का उद्देश्‍य केवल आर्थिक अवसरों को साझा करना नहीं है, बल्कि यह भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया में रह रहे करोड़ों लोगों के सपनों और उम्‍मीदों का एकीकरण है।
    एशिया के अन्‍य भागों में जहां धर्म-धम्‍म के पद चिन्‍ह हैं, हमारे अतीत का एक साझा स्रोत है। यह सम्‍मेलन और नया नालंदा विश्‍वविद्यालय उस विचारधारा का प्रतीक हैं, जिसका हम अनुकरण करते हैं। हमारे आर्थिक और कूटनीतिक प्रयासों का एक स्रोत होना चाहिए।



    इंग्लिश


    PM Visit to East Asia and Act East Policy
    Why part of D.N.A: Prime Minister Narendra Modi embarked on his five-day, the three-nation visit to Singapore, Indonesia, and Malaysia to boost the Act East Policy.
    Background: Act east policy is the extension of India’s Look East policy. Initiated in 1991, India's Look East policy is an effort to cultivate extensive economic and strategic relations with the nations of Southeast Asia in order to bolster its standing as a regional power and a counterweight to the strategic influence of the People's Republic of China.
    Importance of Act East Policy:
    To counter Chinese influence in South-East Asia.
    -Development of North-Indian States through trade
    -Help in the formation of large grouping at International Stage
    -Infrastructure
    -Manufacturing
    -Trade
    -Skills
    -Urban renewal
    -Smart cities
    -Make in India
    -Connectivity projects
    -Cooperation in space
    -People-to-people exchanges could become a springboard for regional integration and prosperity.
    India has upgraded its relations to the strategic partnership with Indonesia, Vietnam, Malaysia, Japan, Republic of Korea (ROK), Australia, Singapore and Association of Southeast Asian Nations (ASEAN) and forged close ties with all countries in the Asia-Pacific region.
    Further, apart from ASEAN, ASEAN Regional Forum (ARF) and East Asia Summit (EAS), India has also been actively engaged in regional forum such as Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation (BIMSTEC), Asia Cooperation Dialogue (ACD), Mekong Ganga Cooperation (MGC) and Indian Ocean Rim Association (IORA).
     India has also invited ASEAN member states to participate in the International Solar Alliance which it has co-launched with France on 30 November 2015 at COP-21.
    Some of the major projects include Kaladan Multi-modal Transit Transport Project, the India-Myanmar-Thailand Trilateral Highway Project, Rhi-Tiddim Road Project, Border Haats, etc.
    The ASEAN-India Plan of Action for the period 2016-20 has been adopted in August 2015 which identifies concrete initiatives and areas of cooperation among the three pillars of political-security, economic and socio-cultural.
    On the Civilizational front, Buddhist and Hindu links could be energized to develop new contacts and connectivity between people.
    On Connectivity, special efforts are being made to develop a coherent strategy, particularly for linking ASEAN with our North East.
    Measures, including building transport infrastructure, encouraging airlines to enhance connectivity in the region, contacts between academic and cultural institutions are underway.
    Our economic engagement with ASEAN has been stepped up – regional integration and implementation of projects are priorities.







    मराठी


    पूर्व आशियाला पंतप्रधानांची भेट आणि भारताचे ‘अॅक्ट ईस्ट’ धोरण

    आग्नेय आशियातल्या इंडोनेशिया, सिंगापूर आणि मलेशिया या तीन देशांचा दौरा पंतप्रधान नरेंद्र मोदी करीत आहेत. 29 मे 2018 रोजी प्रथम त्यांनी इंडोनेशियाला भेट दिली.
    इंडोनेशियाचे राष्ट्रपती जोको विडोडो यांच्या निमंत्रणावरून पंतप्रधानांची इंडोनेशियाची ही पहिलीच भेट आहे. या भेटीत भारताच्या ‘अॅक्ट ईस्ट’ धोरणाला चालना मिळणार अशी आशा व्यक्त केली जात आहे.
    ‘अॅक्ट ईस्ट’ धोरणाबाबत
    भौगोलिकदृष्ट्या दूर असल्यामुळे ईशान्येमधील सर्व राज्ये भारताच्या मुख्य प्रवाहापासून दुर्लक्षित राहिली आहेत. चीन, म्यानमार, भूटान, बांग्लादेश आणि नेपाळ यांनी वेढलेल्या ईशान्य भारतीय राज्यांना जवळपास 5436 किलोमीटर एवढी आंतरराष्ट्रीय सीमा आहे. भारतासाठी म्यानमार हे आग्नेय आशियाचे प्रवेशद्वार आहे, तर ईशान्येतील राज्ये म्यानमारला जोडणारा दुवा आहेत. त्यामुळेच ईशान्य भारत भू-राजकीयदृष्ट्या महत्त्वपूर्ण आहे.
    1992 साली तत्कालीन भारतीय पंतप्रधान पी. व्ही. नरसिंह राव यांनी ASIAN देशांशी संबंध दृढ करण्यासाठी ‘लुक ईस्ट’ धोरण आखले. ‘अॅक्ट ईस्ट’ हा त्याचाच पुढला टप्पा आहे. ‘लुक ईस्ट’पासून रुंदावत गेलेला हा ईशान्येकडील मार्ग आता पुढील वाटचालीसाठी सज्ज झाला आहे. ‘लुक ईस्ट’ धोरणाचा दुसरा महत्त्वाचा घटक म्हणजे भारत ASIAN सोबतच विस्तारित आशिया-प्रशांत क्षेत्रातील देशांशी राजकीय, सांस्कृतिक, आर्थिक आणि सामरिक संबंध दृढ करणे.
    ईशान्येमध्ये दळणवळणाच्या साधनांचा विकास ही ‘अॅक्ट ईस्ट’च्या यशस्वीतेसाठी पूर्वअट आहे. जमीन सीमा करारामुळे भारत आणि बांग्लादेश एकमेकांच्या जवळ येण्याच्या प्रक्रियेला चालना मिळाली आणि हिंद महासागर क्षेत्रात सहकार्याचा करार भारतासाठी सामरिकदृष्ट्या अत्यंत महत्त्वपूर्ण आहे.
    उप-प्रादेशिक पातळीवर मालवाहतुकीला चालना देण्यासाठी बांग्लादेश, भूटान, भारत आणि नेपाळ यांनी मोटार वाहन परिवहन करार केला. याशिवाय भारताने म्यानमार व थायलंडसह त्रिपक्षीय महामार्गाची उभारणी सुरू केली आहे. तसेच कोलकाता बंदर सागरीमार्गे म्यानमारमधील सिटवे बंदराला जोडले जात आहे. या सर्व घडामोडींचा सकारात्मक परिणाम म्हणजे ईशान्य भारतामध्ये व्यापाराला प्रोत्साहन मिळेल. याप्रमाणेच या देशांसोबत दळणवळण व्यवस्था वृद्धींगत करण्याच्या दृष्टीने भारताचे प्रयत्न सतत चालू आहेत, ज्यामुळे व्यापाराला चालना मिळणार आणि परिणामी रोजगारात वाढ होईल. 






    No comments:

    Post a Comment