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    Monday, June 18, 2018

    175 GW from Renewable Energy by 2022: Is India too ambitious? 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा संस्‍थापित क्षमता का लक्ष्‍य: क्या भारत अतिमहत्वाकांक्षी है?

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    Current Affairs 18 June 2018
    करेंट अफेयर्स 18 जून 2018 हिंदी/ इंग्लिश/मराठी
    175 GW from Renewable Energy by 2022: Is India too ambitious?


    2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा संस्‍थापित क्षमता का लक्ष्‍य: क्या भारत अतिमहत्वाकांक्षी है?

    Hindi | हिंदी

    2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा संस्‍थापित क्षमता का लक्ष्‍य: क्या भारत अतिमहत्वाकांक्षी है?
    भारत सरकार ने 2022 के आखिर तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा संस्‍थापित क्षमता का लक्ष्‍य निर्धारित किया है। इसमें से 60 गीगावाट पवन ऊर्जा से, 100 गीगावाट सौर ऊर्जा से, 10 गीगावाट बायोमास ऊर्जा से तथा पांच गीगावाट लघु पनबिजली से शामिल है।
    भारत सरकार के प्रयास:
    वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए पिछले दो वर्षों के दौरान सोलर पार्क, सोलर रूफटॉप योजना, सौर रक्षा योजना, नहर के बांधों तथा नहरों के ऊपर सीपीयू सोलर पीवी पॉवर प्‍लांट के लिए सौर योजना, सोलर पंप, सोलर रूफटॉप आदि के क्रियान्‍वयन के लिए बड़े कार्यक्रम/योजनाएं आरंभ की गई हैं।
    नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्‍न योजनाओं को वित्‍तीय समर्थन उपलब्‍ध कराने के अतिरिक्‍त विभिन्‍न नीतिगत उपाय आरंभ किये जा रहे हैं तथा विशेष कदम उठाए जा रहे हैं।
    इनमें नवीकरणीय खरीद बाध्‍यता (आरपीओ) के मजबूत क्रियान्‍वयन और नवीकरणीय सृजन बाध्‍यता (आरजीओ) के लिए बिजली अधिनियम एवं टैरिफ नीति में अनुकूल संशोधन करना; हरित ऊर्जा गलियार परियोजना के माध्‍यम से बिजली पारेषण नेटवर्क का विकास; टैरिफ आधारित प्रतिस्‍पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्‍यम से सौर एवं पवन ऊर्जा की खरीद के लिए दिशा-निर्देश, राष्‍ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति को अधिसूचित किया जाना प्रमुख हैं।
    ग्रामीण क्षेत्रों में सौर ऊर्जा की सुविधा के लिए किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (कुसुम) योजना का शुभारंभ जुलाई 2018 में किया जाएगा।
    समस्याएं:
    नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम (रेन्यूबल एनर्जी प्रोग्राम) पैदावार क्षमता में कमी और कम ध्यान देने की वजह से अपने तय लक्ष्य से बहुत पीछे है। भारत में वर्तमान समय में कुल स्थापित क्षमता 69 गीगावाट है। जबकि अगले 4 वर्षों में देश को 106 गीगावाट की आवश्यकता है।
    छतों पर लगने वाली सौर परियोजनाओं की गति अच्छी नहीं होने से सरकार के लिए छतों के ऊपर लगी परियोजनाओं के जरिए 2022 तक 40,000 मेगावाट सौर बिजली उत्पादन की क्षमता सृजित करने का लक्ष्य हासिल करना कठिन हो सकता है। सरकार ने 2022 तक 1,00,000 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। इसमें 40,000 मेगावाट की क्षमता छतों पर लगने वाली सौर परियोजनाओं से आनी है।
    नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार हालांकि वित्त वर्ष 2017-18 के लिए छतों पर 5,000 मेगावाट सौर ऊर्जा की स्थापना का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन अबतक 2,000 मेगावाट से अधिक की सौर ऊर्जा क्षमता ही स्थापित हो पायी है।
    भारत को अपने महात्वाकांक्षी प्लान में रेन्यूबल एनर्जी के शेयर को बढ़ाने के लिए पावर ग्रिडों में 125 मिलियन डॉलर खर्च करने होंगे। साल 2015 में भारत सरकार ने कहा था कि 7 सालों में इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए $100 बिलियन के निवेश की जरूरत होगी।





    English | इंग्लिश

    175 GW from Renewable Energy by 2022: Is India too ambitious?
    What are the Questions ?
    -       India has missed several interim milestones since it announced its 175 GW target in 2015.
    -       Whether India will be able to meet its target of 40 percent of power from renewable energy (RE) by 2030.  
    Details :
    -       The break-up of India’s 2022 renewable energy target, as per public data, includes 100 GW from solar and 60 GW from wind power
    -       The country installed around 60 GW renewable power capacity by November 2017, of which 27 GW, or 43.5 percent, was installed over four years from May 2014.
    -       It has been observed that after 2 years of growth in implementing renewable projects, there has been a slowdown in new capacity additions – the reasons being diversion of a national clean-energy cess to subsidise GST-induced losses and a new import duty to protect domestic manufacturers of solar equipment.
    -       Those changes have not taken place in the policy yet and there is a slowdown.
    -       This is also due to issues such as power purchase agreements which have been signed but not executed.
    -       The break-up of India’s 2022 renewable energy target, as per public data, includes 100 GW from solar and 60 GW from wind power.
    -        The country installed around 60 GW renewable power capacity by November 2017, of which 27 GW, or 43.5 percent, was installed over four years from May 2014.
    -       It has been observed that after 2 years of growth in implementing renewable projects, there has been a slowdown in new capacity additions – the reasons being diversion of a national clean-energy cess to subsidise GST-induced losses and a new import duty to protect domestic manufacturers of solar equipment.
    Current Situation-
    Manufacturers of photovoltaic (PV) cells have demanded a 70% safeguard duty on Chinese PV imports, and the Directorate General of Trade Remedies will soon take a call on this. But any such duty will deal a body blow to solar-power suppliers, who rely heavily on Chinese hardware, threatening the growth of the sector.
    There is also the problem of the rooftop-solar segment. Of the current goal of 100 GW from solar energy by 2022, 40 GW is to come from rooftop installations, and 60 GW from large solar parks.
    Despite being the fastest-growing renewable-energy segment so far — rooftop solar clocked a compound annual growth rate of 117% between 2013 and 2017 — India only hit 3% of its goal by the end of 2017, according to a Bloomberg New Energy Finance report.







    Marathi | मराठी


    2022 पर्यंत अक्षय ऊर्जा क्षेत्रापासून 175 GW चे भारताचे लक्ष्य: भारत अधिकच महत्त्वाकांक्षी आहे का?

    केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर. के. सिंग म्हणाले की, भारत 2022 सालापर्यंत आपल्या अक्षय ऊर्जा क्षमतेला 175 गिगावाट (GW) पर्यंत वाढविण्याचे लक्ष्य ठेवणार आहे.
    मुद्दा हा आहे की, भारत याबाबतीत अधिकच महत्त्वाकांक्षी आहे का? या दृष्टीने भारत कुठे कमी पडत आहे? अश्या प्रश्नांची उत्तरे आज आपण येथे शोधणार आहेत. चला तर!
    भारताच्या अक्षय क्षमतेत वेगाने वाढ झाली असली तरी तांत्रिक आणि आर्थिक आव्हाने उभी आहेत. जसे की पवन आणि सौर ऊर्जा अनियमित वातावरणामुळे अनियमित असू शकते आणि अशा ऊर्जेचे कुशलतेने वितरण करण्यासाठी भारतातील पॉवर ग्रीडचे आधुनिकीकरण केले जाणे आवश्यक आहे. दरम्यान, पवन आणि सौर ऊर्जा दरांनी इतकी खालची पातळी गाठली आहे की पुरवठादार अगदी कमी मार्जिनसह काम करत आहेत. म्हणजेच एखाद्या प्रतिकूल परिस्थितीत या क्षेत्राचा विकास मंदावू शकतो.
    69 GW क्षमतेचे लक्ष्य साध्य करण्याची काळमर्यादा सन 2016 आणि सन 2017 यशस्वी करण्यात भारत अपयशी ठरला आहे. त्यात हे 175 GW चे लक्ष्य म्हणजे येत्या चार वर्षांत 106 GW क्षमता प्रस्थापित करावी लागणार, जी गेल्या चार वर्षांमधील प्रस्थापित क्षमतेच्या दुप्पट आहे.
    एकट्या सौर क्षेत्रात, धोरण अनिश्चितता मोठ्या प्रमाणात आहे. फोटोव्होल्टाइक (PV) सेल उत्पादकांनी चीनकडून आयात होणार्‍या PVवर 70% अतिरिक्त आयात शुल्क लावण्याची मागणी करत आहे. परंतु अशी कोणतेही शुल्क आकारल्यास पुरवठादार प्रभावित होतील जे चीनच्या हार्डवेअरवर अवलंबून असतात, यामुळे क्षेत्राच्या वाढीस धोका निर्माण होईल.
    छतावरील सौर तंत्रज्ञान क्षेत्रात, 2022 सालापर्यंत 100 GW चे सध्याचे लक्ष्य आहे. सन 2013 आणि सन 2017 या काळात या क्षेत्रात प्रस्थापित क्षमतेत 117% वार्षिक वृद्धीदर नोंदविला आहे. ब्लूमबर्ग न्यू एनर्जी फायनॅन्स अहवालानुसार 2017 सालच्या अखेरपर्यंत भारताने लक्ष्यित केलेल्यापैकी केवळ 3% क्षमता साध्य करण्यात यशस्वी ठरला. ग्रिडसोबत जोडलेले छतावरील सौर यंत्रणेला आवश्यक लागणार्‍या धोरणाची कमतरता राज्यांमध्ये असल्याने अडचण दिसून येत आहे.






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