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    Thursday, June 21, 2018

    National Health Profile 2018 नेशनल हेल्थ प्रोफाइल (एनएचपी), 2018 जारी: आरोग्य मंत्रालयाचे ‘नॅशनल हेल्थ प्रोफाइल (NHP)-2018’ दस्तऐवज प्रसिद्ध

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    National Health Profile 2018

    नेशनल हेल्थ प्रोफाइल (एनएचपी), 2018 जारी:

    आरोग्य मंत्रालयाचे ‘नॅशनल हेल्थ प्रोफाइल (NHP)-2018’ दस्तऐवज प्रसिद्ध

    Hindi | हिंदी

    नेशनल हेल्थ प्रोफाइल (एनएचपी), 2018 जारी:
    केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा ने सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलिजेंस (सीबीएचआई) द्वारा तैयार की गयी नेशनल हेल्थ प्रोफाइल (एनएचपी) 2018 जारी की।
    नेशनल हेल्थ प्रोफाइल में स्वास्थ्य क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों पर व्यापक जानकारी के साथ-साथ जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक, स्वास्थ्य स्थिति और स्वास्थ्य वित्त संकेतकों को शामिल किया गया है।
    प्रमुख तथ्य:
    रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 11,082 की जनसंख्या पर एक सरकारी एलोपैथी डॉक्टर है। सामान्य तौर पर 1000 लोगों पर एक डॉक्टर का औसत होना चाहिए लेकिन यह दस गुना ज्यादा है।
    इसमें यह भी बात सामने आई है कि कई राज्यों में डॉक्टर और लोगों का औसत बहुत ज्यादा है। बिहार में 28,391 की जनसंख्या पर एक डॉक्टर है। दिल्ली में 2,203 लोगों पर एक डॉक्टर है।
    इसके अनुसार, सबसे ज्यादा औसत वाले राज्य यूपी (19,962), झारखंड (18,518), मध्य प्रदेश (16,996), छत्तीसगढ़ (15,916), कर्नाटक (13,556) हैं। कम औसत वाले राज्यों में दिल्ली (2,203), नॉर्थ-ईस्ट राज्य, अरुणाचल प्रदेश (2,417), मणिपुर (2,358) और सिक्किम (2,437) शामिल हैं।
    2016 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में केवल 25,282 डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन हुआ जबकि 2017 में यह संख्या घटकर 17,982 हो गई।
    पश्चिम बंगाल में मलेरिया से सबसे ज्यादा मौत मलेरिया (29) और चिकन पॉक्स (53) से हुईं। बिहार में 70 फीसदी केस काला अजर बीमारी के पाए गए। भारत ने इस बीमारी को 2017 में खत्म करने का लक्ष्य रखा था लेकिन सफलता नहीं मिली।
    डेंगू के मामलों में भी बढ़ोत्तरी हुई है। 2016 में डेंगू के 1,29,166 मामले सामने आए, जो 2017 में बढ़कर 1,57,996 हो गए। 2016 में डायरिया की वजह से 1,555 लोग मारे गए जबकि 2017 में 1,331 लोग इसका शिकार बने।
    बीमा के तहत कवर किए गए 4,37,457 व्यक्तियों में से 79 प्रतिशत सार्वजनिक बीमा कंपनियों द्वारा कवर किए गए थे और बाकि निजी बीमा कंपनियों द्वारा कवर किए गए थे। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में उपचार की लागत बढ़ रही है और इससे स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक पहुंचने में असमानता आई है।
    रिपोर्ट में कहा गया है कि मामूली शर्तों में स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति सार्वजनिक खर्च 2009-10 में 621 रुपये से बढ़कर 2015-16 में 1,112 रुपये हो गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015-16 में स्वास्थ्य पर कुल सार्वजनिक खर्च में केंद्र-राज्य का हिस्सा 31:69 था।
    2017-18 को छोड़कर बाकि के वर्षों में स्वास्थ्य पर कुल सार्वजनिक खर्च में केंद्र के हिस्से में लगातार गिरावट आई है। सरकार द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों ने पिछले दो दशकों में कई गंभीर स्वास्थ्य चिंताओं, संक्रमणीय और गैर-संक्रमणीय बीमारियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    मलेरिया सदियों से भारत में एक समस्या रही है और पिछले कुछ समय से मलेरिया के मामले और मलेरिया से होने वाली मौतों में गिरावट आई है।





    English | इंग्लिश

    National Health Profile 2018


    Union Minister of Health and Family Welfare J P Nadda launched the National Health Resource Repository (NHRR) on June 19, 2018 in New Delhi. The repository is India’s first ever national healthcare facility registry of authentic, standardised and updated geo-spatial data of all public and private healthcare establishments.
    The Minister also released the National Health Profile (NHP)-2018 prepared by the Central Bureau of Health Intelligence (CBHI) on the occasion. The E-book of the annual document was also released. The National Health Profile covers demographic, socio-economic, health status and health finance indicators, along with comprehensive information on health infrastructure and human resources in health.

    Significance
    The National Health Profile is a very important tool as it has helped in designing various programmes such as free drugs and diagnostics and Mission Parivar Vikas.
    In recent years, India has shown substantial progress on several indicators. India’s national health indicators like Infant Mortality Rate (IMR), Maternal Maternity Rate (MMR) and Total Fertility Rate (TFR) are declining faster than the world’s pace.

    The vision of NHRR Project
    The project envisions strengthening of evidence-based decision making and developing a platform for citizen and provider-centric services by creating a robust, standardised and secured IT-enabled repository of India’s healthcare resources.
    NHRR will be the ultimate platform for comprehensive information of both, private and public healthcare establishments including Railways, ESIC, defence and petroleum healthcare establishments.
    Under the Collection of Statistics Act 2008, over 20 lakh healthcare establishments such as hospitals, doctors, clinics, diagnostic labs, pharmacies and nursing homes would be enumerated under this census capturing data on over 1,400 variables.

    Key Highlights
    1. The Central Bureau of Health Intelligence (CBHI) has actively engaged with key stakeholders including leading Associations, Allied Ministries and several private healthcare service providers.

    2. Approximately 4,000 trained professionals are dedicatedly working to approach every healthcare establishment for information collection.

    3. The Indian Space Research Organisation (ISRO) is the project technology partner adhering to paramount data security.

    The expected outcomes include:
    •  Providing comprehensive data on all health resources including private doctors, health facilities, chemists, and diagnostics labs.
    •  Establishing a National Health Resource Repository for evidence-based decision making, in line with digital India mission.
    •  Enhancing the coordination between central and state government for optimisation of health resources.
    • Improving data accessibility at all levels including State Head of Departments, thus, decentralising the decision making at district and state level.







    Marathi | मराठी

    आरोग्य मंत्रालयाचे ‘नॅशनल हेल्थ प्रोफाइल (NHP)-2018’ दस्तऐवज प्रसिद्ध

    केंद्रीय आरोग्य गुप्तचर खात्याकडून (Central Bureau of Health Intelligence -CBHI) तयार करण्यात आलेला ‘नॅशनल हेल्थ प्रोफाइल (NHP)-2018’ या वार्षिक दस्तऐवजाला केंद्रीय आरोग्य व कुटुंब कल्याण मंत्रालयाने प्रसिद्ध केले आहे.
    आकडेवारीनुसार, “भारत सध्या सकल स्थानिक उत्पन्नाच्या (GDP) केवळ 1% आरोग्यावर खर्च करतो.” हे प्रमाण सिंगापूरच्या 2.2% हून खूपच खाली आहे, जेव्हा की 2.2% हे प्रमाण आरोग्यावरील सार्वजानिक खर्चामधील सर्वात कमी समजले गेले आहे.
    NHP-2018 हे भारतात राष्ट्रपातळीवर केली गेलेली आरोग्यसेवा आस्थापनांची पहिली-वहिली गणना असून यामध्ये वैद्यकीय पायाभूत सुविधा आणि आरोग्यासंबंधी मनुष्यबळ याविषयी व्यापक माहितीसह लोकसंख्याशास्त्रीय, सामाजिक-आर्थिक, आरोग्य स्थिती आणि आरोग्यासंबंधी वित्त निर्देशके अश्या विषयांचा समावेश करण्यात आला आहे.
    अन्य ठळक बाबी
    • भारताने अलिकडच्या काही वर्षांमध्ये आरोग्याविषयक अनेक निर्देशकांवर खूप प्रगती केली आहे. उदाहरणार्थ बाल मृत्यूदर (IMR), माता प्रसूती दर (MMR) आणि एकूण जन्मदर (TFR) यांसारखे घटक जागतिक दरापेक्षा वेगाने घसरत आहे. 2013 सालापासून भारतात माता मृत्युदरामध्ये 22% ची घट झाली असून याबाबतीत उत्तरप्रदेशात लक्षणीय 30% घसरण झाली आहे. 
    • भारतात 11,082 लोकांमागे एक शासकीय MBBS डॉक्टर आहे. सर्वसाधारणपणे हे प्रमाण 1000 लोकांसाठी असावे, परंतु ही तफावत दसपट अधिक आहे. कित्येक राज्यांमध्ये चिकित्सक आणि लोक यांच्या प्रमाणामधील तफावत याहून अधिक आहे. बिहारमध्ये 28,391 लोकांमागे एक चिकित्सक आहे. दिल्लीत हे प्रमाण 2,203 लोकांसाठी आहे.
    • उत्तरप्रदेश (19,962), झारखंड (18,518), मध्यप्रदेश (16,996), छत्तीसगड (15,916), कर्नाटक (13,556) ही याबाबतीत सर्वाधिक तफावत असणारी राज्ये आहेत. सर्वात कमी तफावत असणार्‍या राज्यांमध्ये दिल्ली (2,203), अरुणाचल प्रदेश (2,417), मणिपूर (2,358) आणि सिक्किम (2,437) यांचा समावेश आहे.
    • 2016 साली भारतीय वैद्यकीय परिषदेत (MCI) केवळ 25,282 चिकित्सकांची नोंदणी झाली, जेव्हा की 2017 साली ही संख्या घटून 17,982 इतकी झाली.
    • 2017 साली पश्चिम बंगालमध्ये सर्वाधिक मृत्यू मलेरिया (29) आणि कांजण्या (53) या आजारांमुळे झाले. बिहारमध्ये एकूणपैकी 70% प्रकरणे काला अजार आजाराची आढळून आली. भारताने या आजाराला 2017 साली बाद करण्याचे लक्ष्य ठेवले होते, मात्र यात यश आले नाही.
    • 2017 साली डेंग्यू प्रकरणांमध्ये वाढ झाली. 2016 साली डेंग्यूची 1,29,166 प्रकरणे समोर आली, ज्यांची संख्या 2017 साली वाढून 1,57,996 एवढी झाली. 2016 साली हगवणीमुळे 1,555 लोकांचा मृत्यू झाला, जेव्हा की 2017 साली हे प्रमाण 1,331 इतके होते.
    • आतापर्यंत 4,37,457 व्यक्तींना आरोग्य विमाचे संरक्षण देण्यात आले आहे, ज्यापैकी 79% सार्वजनिक विमा कंपन्यांकडून प्रदान करण्यात आले आहेत. भारतात उपचारामधील खर्च वाढलेला असून त्यामुळे आरोग्य सेवा घेण्यामध्ये असमानता आलेली आहे.
    • आरोग्यावर दरडोई सार्वजनिक खर्च सन 2009-10 मध्ये 621 रुपये इतका होता, जो सन 2015-16 मध्ये वाढून 1,112 रुपये झाला. सन 2015-16 मध्ये याबाबतीत झालेल्या सार्वजनिक खर्चात केंद्र-राज्य यांचे वाटा 31:69 असा होता.
    भारत सरकारच्या राष्ट्रीय आरोग्य कार्यक्रमाने मागील दोन दशकांमध्ये कित्येक गंभीर आरोग्याविषयक चिंता, संक्रामक आणि असंक्रामक आजारांशी लढा देण्यामध्ये महत्त्वाची भूमिका वठविलेली आहे.




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