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    Sunday, April 1, 2018

    1 एप्रिल रोजी लागू ‘केंद्रीय अर्थसंकल्प 2018’ मधील मुख्य प्रस्ताव। Looking at Union Budget 2018 proposals coming into effect on April 1 केंद्रीय बजट 2018 के प्रस्ताव 1 अप्रैल से लागू:

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    1 एप्रिल रोजी लागू ‘केंद्रीय अर्थसंकल्प 2018’ मधील मुख्य प्रस्ताव

    1 एप्रिल 2018 रोजी वित्त वर्ष 2018-19 अस्तित्वात आले. या वित्त वर्षाच्या अर्थसंकल्पात जाहीर करण्यात आलेल्या सर्व प्रस्ताव 1 एप्रिलपासून प्रभावी झाले आहेत.
    अर्थसंकल्पात समाविष्ट काही प्रमुख तरतुदी पुढीलप्रमाणे आहेत -
    आर्थिक लेखाजोगा
    • भारतीय लेखा मानक 115 (Indian Accounting Standard - Ind AS) प्रभावी झाले. हे नवीन मानक विविध क्षेत्रातील कंपन्यांचा आर्थिक लेखाजोगा याविषयी गणना करण्यास, ओळख पाठविण्यास आणि उघड करण्याचा एक सुधारित मार्ग प्रदान करतो. यामुळे प्राप्त महसुलाविषयी पारदर्शकता वाढविण्यास मदत होते.
    • याशिवाय महसूल आणि बांधकाम करारांशी संबंधित इंड AS 18 आणि इंड AS 11 ही दोन मानके अस्तित्वात नसतील.
    ज्येष्ठ नागरिकांसाठी
    • व्याजापासून उत्पन्नावरील सूट असलेली मर्यादा वार्षिक 50,000 रुपयांसाठी पाच पटीने वाढविण्यात आली आहे.
    • आता ज्येष्ठ नागरिकांच्या व्याज उत्पन्नातून TDS (टॅक्स डिडक्टेड अॅट सोर्स) कापला जाणार नाही.
    • आरोग्य विम्याचे प्रीमियम आणि वैद्यकीय खर्चासाठी असलेली कपात मर्यादा 30,000 रूपयांवरून 50,000 रुपये करण्यात आली आहे. या 20,000 रुपयांच्या अतिरिक्त कपातीमुळे करदात्याचे वर्षाला 6,000 रुपये एवढी बचत होईल.
    • जेष्ठ आणि त्याहून ज्येष्ठ नागरिकांसाठी 1 एप्रिलपासून गंभीर आजारासाठी कर कपात मर्यादा 1 लाख रुपयांपर्यंत होईल, जी सध्या जेष्ठ नागरिकांसाठी रुपये आणि त्याहून ज्येष्ठ नागरिकांसाठी 80000 रूपये आहे.
    ई-वे बिल यंत्रणा
    • 1 एप्रिल 2018 पासून ‘ई-वे’ बिल यंत्रणेमधून 50,000 रुपयांहून अधिक किंमतीचा माल एका राज्यातून दूसर्‍या राज्यात पाठविण्याआधी त्याची ऑनलाइन नोंदणी करणे आवश्यक असणार आहे. ‘ई-वे’ बिल व्यवस्था कारखान्यातून निघालेले उत्पादन आणि आंतरराज्य वाणिज्य कार्यपद्धती यावर इलेक्ट्रॉनिकरीत्या पाळत ठेवण्याप्रमाणे काम करणार, ज्यामुळे मालाच्या खपासंबंधी माहितीमधून धोरण-निर्मात्यांना उपयुक्त मदत होणार.
    कामावरून काढल्यास किंवा रोजगारात बदल केल्यास भरपाई
    • सध्या, रोजगाराच्या संबंधात विशिष्ट नुकसान भरपाई करपात्रतेच्या अंतर्गत येत नाही, त्यामुळे आधारभूत तूट आणि महसूली तोटा होण्याची शक्यता असते. नव्या प्रस्तावानुसार, आता एखाद्या व्यक्तीला कामावरून बडतर्फ करताना किंवा व्यक्तीच्या रोजगाराशी संबंधित कोणत्याही करारनाम्याच्या अटी आणि नियमांमध्ये फेरबदल करतेवेळी दिली जाणारी किंवा प्राप्त झालेली कोणतीही भरपाई किंवा इतर कोणतीही देय रक्कम करपात्र असेल.
    भांडवली बंधवर दीर्घकालीन भांडवली लाभ
    • एक लाख रुपयांपेक्षा अधिकच्या दीर्घकालीन भांडवली लाभ (LTCG) यावर 10% कर प्रस्तावीत आहे. आतापर्यंत भांडवली समभाग (equity shares) किंवा कोणत्याही भांडवली म्युच्युअल फंड युनिट्सवर मिळणारा दीर्घकालीन नफा करमुक्त होता.
    मानक कपात
    • या वर्षी आयकर गटांमध्ये कोणताही बदल करण्यात आला नाही. मात्र पगारदार कर्मचार्‍यांसाठी वाहतुक आणि वैद्यकीय परतफेड करण्याच्या बदल्यात शासनाकडून 40,000 रुपयांचे एक मानक कपात सादर करण्यात आले आहे.
    • उत्पन्नावरील उपकर 3% वरून 4% एवढा वाढवला आहे.
    कॉर्पोरेट कर
    • 250 कोटी रुपयांपर्यंतच्या व्यवसायावर लादला जाणारा कॉर्पोरेट कर 30% वरून 25% वर आणला आहे.

    Looking at Union Budget 2018 proposals coming into effect on April 1
    Union Budget 2018 proposals has come into effect from April 1 2018. It was presented by Union Finance Minister Arun Jaitley on February 1.
    As per the Budget 2018, new Indian Accounting Standard (ASI) 115 would also come into effect from new financial year. The new accounting standard will significantly enhance the transparency of financial statements, as per the experts. Previously valid ASI 18 and ASI 11 will cease to exist from April 1.
    Here are the following changes which will come into effect from April 1:
    E-way bill
    The businesses which transport goods of over Rs 50,000 in worth from one state to other will have to now carry an e-way bill from April 1. This measure is expected to clamp down on the trade that presently occurs on cash basis. The e-way bill provision of the Goods and Services Tax (GST) was introduced on February 1, 2018.
    LTCG on equities
    The Union Budget proposed 10 per cent tax on long-term capital gains (LTCG) over Rs 1 lakh. Till now, any long-term gains made on equity shares or any equity mutual fund units were exempt from tax. The government, however, extended indexation benefit for computing tax liability on the sale of shares listed after January 31.
    Standard Deduction 
    There has been no change in the Income Tax slabs this year but for salaried employees, a standard deduction of Rs 40,000 is introduced by the government in lieu of transport and medical reimbursements. Budget 2018 has also increased the cess on incomes from 3 per cent to 4 per cent, which can increase the tax bill for common people.
    It is expected that several items for common people will become costlier. Here are the list of some of the items which will become costlier:
    • Imported mobile handsets
    • Imported LCD/ LED/ OLED TV panels and other parts of TVs
    • Wrist, pocket, smart watches, wearable devices and sunglasses
    • Imported gold items, including gold plated with platinum
    • Refined edible vegetable oils, ground nut oil
    Items which will become cheaper includes solar tempered glass for manufacture of solar cells/panels/modules, Raw cashew nuts, etc. 


    केंद्रीय बजट 2018 के प्रस्ताव 1 अप्रैल से लागू:
    1 अप्रैल 2018 को नए वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ ही बजट में घोषित लॉन्ग टर्म कैपिटेल गेन टैक्स सहित कई प्रस्ताव लागू हो जाएंगे। इसके अलावा 250 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली कंपनियों पर कॉर्पोरेट टैक्स कम कर 25 प्रतिशत करने और ट्रांसपोर्ट अलाउंस-मेडिकल रीइंबर्समेंट के एवज में 40 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन समेत अन्य टैक्स प्रपोजल भी अमल में आ जाएंगे।
    प्रमुख तथ्य:
    साथ ही वरिष्ठ नागरिकों के लिए टैक्स से मुक्त ब्याज इनकम की सीमा पांच गुना बढ़ाकर 50, 000 रुपये सालाना कर दी गई है।
    इसी तरह इनकम टैक्स कानून की धारा 80 डी के तहत स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर किए गए भुगतान और मेडिकल खर्च पर टैक्स कटौती की सीमा भी 30,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी गई है।
    वरिष्ठ नागरिक और अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए गंभीर बीमारी के मामले में टैक्स छूट 1 अप्रैल से 1 लाख रुपये की गई है, जबकि अब तक यह क्रमश: 60,000 रुपये और 80,000 रुपये थी।
    वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अति धनाढ्यों पर 10 से 15 प्रतिशत तक सेस को बरकरार रखा। साथ ही टैक्स योग्य इनकम पर लगने वाले स्वास्थ्य और शिक्षा सेस 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया गया है। यह प्रस्ताव भी रविवार से प्रभाव में आ जाएगा।
    ई-वे बिल:
    देशभर में 01 अप्रैल से राज्यों के बीच 50 हजार से अधिक कीमत के माल की आवाजाही के लिए ई-वे बिल व्यवस्था लागू हो जाएगी। जीएसटी के तहत माल को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने को सुगम बनाने के लिए ई-वे बिल का प्रावधान किया जा रहा है।
    लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन:
    वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में 14 साल के अंतराल के बाद शेयरों की बिक्री से 1 लाख रुपये से अधिक के कैपिटल गेन पर 10 प्रतिशत टैक्स (एलटीसीजी) लगाने का प्रस्ताव किया गया। फिलहाल एक साल के भीतर शेयर बिक्री से होने वाले कैपिटल गेन पर 15 प्रतिशत टैक्स लगता है। हालांकि खरीद के एक साल बाद बेचे जाने से होने वाले पूंजी लाभ पर कोई कर नहीं देना होता है।
    इनकम टैक्स, स्टैंडर्ड डिडक्शन:
    इनकम टैक्स और स्लैब को जस का तस रखते हुए बजट में वेतनभोगियों और पेंशनभोगियों के लिए 40,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्सन की व्यवस्था की गई है। यह कटौती ट्रांसपोर्ट और मेडिकल खर्च के मामले में मौजूदा छूट के बदले दी गई है। स्टैंडर्ड डिडक्शन की व्यवस्था को 2006-07 से समाप्त कर दिया गया था।
    फिलहाल 19,200 रुपये ट्रांसपोर्ट अलाउंस और 15,000 रुपये तक के मेडिकल खर्च पर कोई टैक्स नहीं लगता। इसे अब स्टैंडर्ड डिडक्शन में ही समाहित कर दिया गया है। स्वास्थ्य और शिक्षा सेस में वृद्धि को देखते हुए स्टैंडर्ड डिडक्शन से टैक्स बचत काफी कम होने का अनुमान है।
    कॉर्पोरेट टैक्स:
    कॉर्पोरेट टैक्स के संदर्भ में बजट में 250 करोड़ रुपये सालाना कारोबार वाली कंपनियों के लिए टैक्स की दर कम कर 25 प्रतिशत किया गया है। इस बदलाव से पूरे सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों को लाभ होगा। वर्ष 2015 में जेटली ने चार साल में कंपनी कर को मौजूदा 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने का वादा किया था।

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