Currentaffairs 23 December 2017 - Hindi / English / Marathi
Hindi
आईएमएफ, विश्व बैंक ने फाइनेंसियल सेक्टर असेसमेंट रिपोर्ट जारी की:
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक ने वित्तीय प्रणाली स्थिरता आकलन (फाइनेंसियल सिस्टम स्टेबिलिटी असेसमेंट) और वित्तीय क्षेत्र आकलन (फाइनेंसियल सेक्टर असेसमेंट) को जारी किया है।
भारत ने आईएमएफ-विश्व बैंक की संयुक्त टीम द्वारा उच्चतम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप किए गए भारतीय वित्तीय प्रणाली के आकलन का स्वागत किया है। दूसरा व्यापक फाइनेंसियल सेक्टर असेसमेंट प्रोग्राम वर्ष 2017 में भारत के लिए सफलतापूर्वक आयोजित किया गया है।
रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं:
एफएसएपी मूल्यांकन मानता है कि हाल के वर्षों में भारत ने आर्थिक गतिविधियों और वित्तीय परिसंपत्तियों दोनों में मजबूत विकास दर्ज किया है जोकि अपनी वित्तीय प्रणाली (फाइनेंसियल सिस्टम) के आकार के साथ सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के टर्म्स में 136% के बीच मोटे तौर पर स्थिर रहा है।
एफएसएपी रिपोर्ट ने भारतीय अधिकारियों द्वारा किये गए कई प्रयासों जैसे नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) से निपटने की कोशिशों को, हाल ही में बैंकों के लिए किये गए पुनर्पूंजीकरण उपायों, और स्पेशल रेजोल्यूशन रेजीम की स्थापना, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) का निर्दिष्टीकरण और पेंशन सेक्टर नियामक को वैधानिक बनाना आदि को सराहा है।
इसने वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) की स्थापना के बाद से बेहतर हुए अंतर-एजेंसी सहयोग का भी संज्ञान लिया है।
आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड का ‘भारत की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता के आकलन’ (एफ.एस.एस.ए.) पर विचार-विमर्श करने के बाद उसने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत के प्रमुख बैंक लचीले दिखते हैं लेकिन इस प्रणाली में कई विचारयोग्य कमजोरियां हैं।
मुद्रा कोष ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र के सामने कई चुनौतियां हैं और आर्थिक वृद्धि हाल में धीमी हुई है। एन.पी.ए. का उच्च स्तर, कारपोरेटों की बैलेंस शीट में धीमा सुधार बैंकों के लचीलेपन का परीक्षण कर रही हैं और देश में निवेश और वृद्धि की बाधक हैं। इससे पहले भारत के लिए आखिरी बार एफ.एस.एस.ए. को वर्ष 2011 में किया गया था।
फाइनेंसियल सेक्टर असेसमेंट प्रोग्राम:
वित्तीय क्षेत्र आकलन कार्यक्रम (एफएसएपी) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक का एक संयुक्त कार्यक्रम है। इसे वर्ष 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के मद्देनजर शुरू किया गया।
English
IMF, World Bank released Financial Sector Assessment report
IMF and WB today released the Financial System Stability Assessment (FSSA) and Financial Sector Assessment (FSA) respectively on their websites. India welcomes assessment of the Indian financial system undertaken by the joint IMF-World Bank team conforming to the highest international standards. The Second comprehensive FSAP has now been successfully conducted for India in 2017.
Highlights of the report:
- The FSAP assessment acknowledges that India has recorded strong growth in recent years in both economic activity and financial assets with size of the financial system remaining broadly stable in terms of GDP at about 136 per cent.
- The FSAP report acknowledges many efforts by Indian authorities like tackling Non-Performing Assets (NPAs), recent recapitalization measures for banks and introduction of special resolution regime, formalization of National Pension System (NPS) and making the pension sector regulator statutory etc.
- It also recognizes the improved inter-agency co-operation since the establishment of Financial Stability and Development Council (FSDC), supported by its Sub-Committee and four technical groups and progress in setting up of Financial Data Management Centre (FDMC).
- FSAP assessment acknowledges that RBI has made substantial progress in strengthening banking supervision by introduction of risk-based supervision in 2013 through a comprehensive and forward-looking Supervisory Program for Assessment of Risk.
- The FSAP also recommends that governance and financial operations of PSBs could be improved by developing a strategic plan for their consolidation, divestment, and privatization.
- The Report notes that risks in shadow banking sector in India were limited and that risks in non-bank financial subsectors appear contained but continue to warrant close monitoring.
The stress tests conducted by IMF FSAP experts covered the 15 largest banks, including 12 public sector banks (PSBs) which account for 71 per cent of the banking sector assets. The FSSA and FSA note that the largest banks appear sufficiently capitalized and profitable to withstand a deterioration in economic conditions. However, some PSBs have vulnerabilities and would be requiring additional capital.
FSAP:
The Financial Sector Assessment Program (FSAP) is a joint program of the International Monetary Fund and the World Bank. Launched in 1999 in the wake of the Asian financial crisis, the program brings together Bank and Fund expertise to help countries reduce the likelihood and severity of financial sector crises. The FSAP provides a comprehensive framework through which assessors and authorities in participating countries can identify financial system vulnerabilities and develop appropriate policy responses.
Marathi
IMF-जागतिक बँक FSAP अंतर्गत भारतीय वित्तीय व्यवस्थेचे मूल्यांकन जाहीर
अंतरराष्ट्रीय नाणेनिधी (IMF) यांनी वित्तीय व्यवस्था स्थिरता मुल्यांकन (FSSA) आणि जागतिक बँकेनी वित्तीय व्यवस्थामुल्यांकन (FSA) जाहीर केले आहेत.
तसेच IMF-जागतिक बँक यांनी संयुक्तपणे केलेल्या दुसर्या व्यापक वित्तीय व्यवस्था मूल्यांकन कार्यक्रम (FSAP)अंतर्गत भारतीय वित्तीय व्यवस्थेचे मूल्यांकन केले. FSAP मधून असे आढळून आले आहे की, भारताने वित्तीय परिस्थिती आणि वित्तीय क्षेत्रातील आर्थिक घडामोडींमुळे अलिकडच्या वर्षांत GDP च्या सुमारे 136% वाढीची नोंद केली आहे.
अहवालाच्या मुख्य बाबी आणि निष्कर्ष
- वाढीव वैविध्यपूर्णता, व्यावसायिक अभिमुखता आणि तंत्रज्ञानातील समावेशामुळे वित्तीय उद्योगाला वाढीचा आधार झाला आहे, तसेच सुधारित कायदेशीर, विनियमन आणि पर्यवेक्षी संरचनेचा वापर केला गेला आहे.
- भारतीय प्रशासनातर्फे बुडीत अकार्यक्षम संपदेच्या (NPA) समस्येला हाताळण्यासाठी नानाविध प्रयत्न चालविलेले आहेत, जसे की बँकांचे पुनर्पूंजीकरण आणि विशेष लवाद पद्धतीची अंमलबजावणी, राष्ट्रीय निवृत्तीवेतन प्रणालीचे सुसूत्रीकरण, भारतीय नादारी आणि दिवाळखोरी मंडळाची (IBBI) स्थापना आणि इतर.
- RBI ने थकीत मालमत्तेला ओळखण्याच्या बाबतीत सुधारणा करण्याच्या उद्देशाने बँकिंग पर्यवेक्षी संरचनेला बळकट करण्याच्या प्रयत्नांमध्ये विशेष प्रगती केलेली आहे.
- बेसेल-III कार्यचौकट आणि इतर आंतरराष्ट्रीय नियम लागू केले गेले आहेत किंवा त्यांस टप्प्याटप्प्याने लागू केले जात आहेत. RBI ने एक नवीन अंमलबजावणी विभाग स्थापन केला आहे आणि प्रॉम्प्ट करेक्टिव्ह अॅक्शन (PCA) कार्यचौकटीमध्ये सुधारणा केली आहे.
- भारतातील बँकिंग क्षेत्रातील जोखीम मर्यादित आहे तसेच गैर-बँक वित्तीय उप-क्षेत्रात जोखम दिसून येत आहे, परंतु सतत देखरेख करणे आवश्यक आहे.
- सर्वात मोठ्या बँका आर्थिक परिस्थितीमध्ये बिघडलेल्या स्थितीचा सामना करण्यासाठी पुरेश्या प्रमाणात संपन्न आणि फायदेशीर असल्याचे दिसते. तथापि, काही सार्वजनिक बँकांची स्थिती कमकुवत आहे आणि त्यांना अतिरिक्त भांडवलाची गरज आहे. हे गरजेचे भांडवल GDP च्या 0.75-1.5% या दरम्यान असल्याचे मूल्यांकीत केले गेले.
- SEBI ने 2013 साली प्रकाशित IOSCO (इंटरनॅशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ सिक्युरिटीज कमिशन) मूल्यांकनात समाविष्ट असलेल्या शिफारसींच्या आधारावर त्याच्या नियामक कार्यक्रम लक्षणीय बदल केले असल्याचे दिसून आले आहे.
- वित्तीय बाजारपेठ पायाभूत सुविधा (FMIs) बाबत, पैसे, जी-सेक रेपो आणि दुय्यम बाजारपेठ यांच्यामध्ये महत्त्वाची भूमिका बजावणार्या पात्र सेंट्रल काऊंटरपार्टी (CCP) ला RBI ने नियुक्त केले, जी उच्च कार्यक्षम विश्वसनीयता दर्शवते.
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