चौधरी चरण सिंह (जन्म: 23 दिसम्बर, 1902 मेरठ - मृत्यु- 29 मई, 1987)
”अभी तक सो रहे हैं जो उन्हें आवाज़ तो दे दूँ ,
बिलखते बादलों को मैं कड़कती गाज़ तो दे दूँ .
जनम भर जो गए जोते ,जनम भर जो गए पीसे ,
उन्हें मैं तख़्त तो दे दूँ,उन्हें मैं ताज तो दे दूँ .”
कृषकों के क़र्ज मुक्ति विधेयक को पारित कराने में चौधरी चरण सिंह जी की निर्णायक भूमिका थी।
चौधरी साहब ग्राम्य विकास के लिए कुटीर एवं लघु उद्योगों को अत्यंत महत्वपूर्ण मानते थे और अर्थव्यवस्था के विकेंद्रीकरण की बात कहते थे I
जुलाई 1979 में प्रधानमंत्री का पद ग्रहण करने के बाद चौधरी साहब ने कहा था
”इस देश के राजनेताओं को याद रखना चाहिए कि …उनके लिए इससे अधिक देशभक्तिपूर्ण उद्देश्य और नहीं हो सकता कि वे यह सुनिश्चित करें कि कोई भी बच्चा भूखे पेट नहीं सोयेगा ,किसी भी परिवार को अपने अगले दिन की रोटी की चिंता नहीं होगी तथा कुपोषण के कारण किसी भी भारतीय के भविष्य और उसकी क्षमताओं के विकास को अवरुद्ध नहीं होने दिया जायेगा .”
चौधरी साहब ने एक बार बिजनौर की सभा में कहा था कि मनुष्य में त्याग की भावना जब तक नहीं होगी तब तक राष्ट्र आगे नहीं बढ़ सकता
देश का विघटन उसी दिन मान लेना जब किसान धर्म जाति के नाम पर बट जाये l
चौधरी चरण सिंह जी की विचारधारा को नमन l
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