करेंट अफेयर्स ४ एप्रिल २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी
हिंदी
अंतरराष्ट्रीय माईन जागरुकता दिवस: 04 अप्रैल 2018
पूरे विश्व में 4 अप्रैल 2018 को 'इंटरनेशनल माईन अवेयरनेस डे एंड असिस्टेंस इन माइन एक्शन' मनाया गया। 8 दिसंबर 2005 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 4 अप्रैल को प्रत्येक वर्ष अंतरराष्ट्रीय खदान जागरुकता और खनन कार्य सहायता दिवस के तौर पर मनाए जाने की घोषणा की थी।
वर्ष 2018 के लिए थीम:
अंतरराष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय माईन जागरुकता दिवस की वर्ष 2018 के लिए थीम "एडवांसिंग प्रोटेक्शन, पीस एंड डेवलपमेंट"है।
महत्त्व:
इस दिवस के जरिये पूरी दुनिया के लोगों को खदानों और युद्ध के विस्फोटक अवशेष के खतरे से विश्व को मुक्त करने के लक्ष्य की दिशा में मिल कर काम करने के लिए एक मंच पर लाने का प्रयास किया गया है। खनन कार्य यह सुनिश्चित करता है कि युद्धग्रस्त क्षेत्रों में बारूदी सुरंगों और विस्फोटक खतरे को खोजा और नष्ट किया जाए, मानवीय सहायता पहुंचाना संभव किया जाए ताकि जरुरतमंदों तक मदद पहुंचाई जा सके।
सड़कों और विस्फोटकों के रनवे को साफ करने, हथियार बंद क्षेत्रों को ब्लॉक करने और स्थानीय लोगों को बारुदी सुरंगों एवं विस्फोटकों को नष्ट करने के लिए यूनाइटेड नेशंस माइन एक्शन सर्विस (UNMAS) की टीमें समन्वय करती हैं।
यह उन देशों में जहां बारूदी सुरंग और युद्ध के विस्फोटकों के अवशेष आम जनता की सुरक्षा, स्वास्थ्य और जीवन के लिए गंभीर खतरे पैदा करते हैं या राष्ट्रीय एवं स्थानीय स्तरों पर सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए बाधा सिद्ध होते हैं, वहां राष्ट्रीय खनन– कार्य क्षमताओं की स्थापना और विकास को बढ़ावा देना था।
एंटी-पर्स्नल माइन बैन कन्वेंशन 1997:
इस संधि को नार्वे की राजधानी ओस्लो में 18 सितंबर, 1997 को अपनाया गया था। इसमें बारूदी सुरंग के उत्पादन, भंडारण और हस्तांतरण को प्रतिबंधित किया गया है। हाल ही में श्रीलंका ने बारूदी सुरंग प्रतिबंध संधि को स्वीकार कर लिया है। वह इसे मानने वाला दुनिया का 163वां देश बन गया है।
इस संधि से जुड़ने वाले देश बारूदी सुरंग का उत्पादन, भंडारण नहीं कर सकेंगे। इसे ओटावा संधि के नाम से जाना जाता है। ओटावा संधि से जुड़ने वाले देशों को बारूदी सुरंग और एंटीपर्सनल माइंस के अपने जखीरे को चार साल के भीतर खत्म करना होगा।
पूरे विश्व में 4 अप्रैल 2018 को 'इंटरनेशनल माईन अवेयरनेस डे एंड असिस्टेंस इन माइन एक्शन' मनाया गया। 8 दिसंबर 2005 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 4 अप्रैल को प्रत्येक वर्ष अंतरराष्ट्रीय खदान जागरुकता और खनन कार्य सहायता दिवस के तौर पर मनाए जाने की घोषणा की थी।
वर्ष 2018 के लिए थीम:
अंतरराष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय माईन जागरुकता दिवस की वर्ष 2018 के लिए थीम "एडवांसिंग प्रोटेक्शन, पीस एंड डेवलपमेंट"है।
महत्त्व:
इस दिवस के जरिये पूरी दुनिया के लोगों को खदानों और युद्ध के विस्फोटक अवशेष के खतरे से विश्व को मुक्त करने के लक्ष्य की दिशा में मिल कर काम करने के लिए एक मंच पर लाने का प्रयास किया गया है। खनन कार्य यह सुनिश्चित करता है कि युद्धग्रस्त क्षेत्रों में बारूदी सुरंगों और विस्फोटक खतरे को खोजा और नष्ट किया जाए, मानवीय सहायता पहुंचाना संभव किया जाए ताकि जरुरतमंदों तक मदद पहुंचाई जा सके।
सड़कों और विस्फोटकों के रनवे को साफ करने, हथियार बंद क्षेत्रों को ब्लॉक करने और स्थानीय लोगों को बारुदी सुरंगों एवं विस्फोटकों को नष्ट करने के लिए यूनाइटेड नेशंस माइन एक्शन सर्विस (UNMAS) की टीमें समन्वय करती हैं।
यह उन देशों में जहां बारूदी सुरंग और युद्ध के विस्फोटकों के अवशेष आम जनता की सुरक्षा, स्वास्थ्य और जीवन के लिए गंभीर खतरे पैदा करते हैं या राष्ट्रीय एवं स्थानीय स्तरों पर सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए बाधा सिद्ध होते हैं, वहां राष्ट्रीय खनन– कार्य क्षमताओं की स्थापना और विकास को बढ़ावा देना था।
एंटी-पर्स्नल माइन बैन कन्वेंशन 1997:
इस संधि को नार्वे की राजधानी ओस्लो में 18 सितंबर, 1997 को अपनाया गया था। इसमें बारूदी सुरंग के उत्पादन, भंडारण और हस्तांतरण को प्रतिबंधित किया गया है। हाल ही में श्रीलंका ने बारूदी सुरंग प्रतिबंध संधि को स्वीकार कर लिया है। वह इसे मानने वाला दुनिया का 163वां देश बन गया है।
इस संधि से जुड़ने वाले देश बारूदी सुरंग का उत्पादन, भंडारण नहीं कर सकेंगे। इसे ओटावा संधि के नाम से जाना जाता है। ओटावा संधि से जुड़ने वाले देशों को बारूदी सुरंग और एंटीपर्सनल माइंस के अपने जखीरे को चार साल के भीतर खत्म करना होगा।
इंग्लिश
International Mine Awareness Day: April 4
On 8 December 2005, the General Assembly declared that 4 April of each year shall be observed as the International Day for Mine Awareness and Assistance in Mine Action.
Theme 2018: Advancing Protection, Peace, and Development
Importance
Thousands of people around the world continue to be killed or maimed every year by mines and other explosive remnants of war. More than 40 countries and territories are affected by these weapons. In addition to the terrible suffering they inflict upon their victims, these weapons are a major obstacle to socio-economic development as they block the use of land, maintaining a climate of fear long after the end of conflict.
Anti-Personnel Mine Ban Convention 1997
The Anti-Personnel Mine Ban Convention opened for signature in 1997, 156 countries have ratified or acceded to it. More than 41 million stockpiled anti-personnel mines have been destroyed, and their production, sale and transfer have in essence stopped.
India has still not ratified the Convention.
On 8 December 2005, the General Assembly declared that 4 April of each year shall be observed as the International Day for Mine Awareness and Assistance in Mine Action.
Theme 2018: Advancing Protection, Peace, and Development
Importance
Thousands of people around the world continue to be killed or maimed every year by mines and other explosive remnants of war. More than 40 countries and territories are affected by these weapons. In addition to the terrible suffering they inflict upon their victims, these weapons are a major obstacle to socio-economic development as they block the use of land, maintaining a climate of fear long after the end of conflict.
Anti-Personnel Mine Ban Convention 1997
The Anti-Personnel Mine Ban Convention opened for signature in 1997, 156 countries have ratified or acceded to it. More than 41 million stockpiled anti-personnel mines have been destroyed, and their production, sale and transfer have in essence stopped.
India has still not ratified the Convention.
मराठी
आंतरराष्ट्रीय सुरूंग जागृती दिन: 4 एप्रिल
‘अॅडवांसींग प्रोटेक्शन, पीस अँड डेव्हलपमेंट’ या विषयाखाली जगभरात ‘आंतरराष्ट्रीय सुरूंग जागृती दिन 2018’ (International Mine Awareness Day) पाळला जात आहे.आज या दिनानिमित्त, आज युरोपीय संघाचे राजदूत आणि त्याची सदस्य राज्यांनी म्यानमार सरकारला विनंती केली, की म्यानमारमधील सुरुंगामुळे प्रदूषित झालेल्या क्षेत्रातील असंख्य नागरिकांना संरक्षण मिळू शकेल अश्या दृष्टीने पाऊल उचलावे.
म्यानमारमध्ये, 14 राज्य/प्रदेशांपैकी 9 भुसुरुंग व विस्फोटकांनी अजूनही दूषित असल्याचे मानले जात आहे. काचिन, शान आणि राखिने राज्यातील वादग्रस्त भागात 2017 साली भुसुरुंगांच्या नवीन वापराचे अहवाल चिंताजनक आहेत.
या दिनाचे महत्त्व
जगभरातील अनेक संघर्षग्रस्त भागातील लोकांना संघर्ष समाप्त झाल्यानंतरही दीर्घकाळापर्यंत भुसुरुंगामुळे हानी पोहोचत आहे आणि मृत्यू देखील होत आहेत. याचा सर्वाधिक प्रतिकूल प्रभाव बहुतेक करून लहान मुलं किंवा ग्रामीण भागातील शेतकऱ्यांना भोगावे लागतात, कारण जीविकेच्या शोधार्थ त्यांना अश्या क्षेत्रांमध्ये प्रवेश करावा लागतो.
याचा त्या क्षेत्रातील विकासावर, नागरिकांची सुरक्षितता, आरोग्य आणि जीवनशैलीवर प्रभाव होतो आणि परिणामी दारिद्र्य निर्मूलन आणि सामाजिक-आर्थिक विकासासाठी एक महत्त्वपूर्ण अडथळा ठरतो.
पार्श्वभूमी
8 डिसेंबर 2005 रोजी संयुक्त राष्ट्रसंघाच्या आमसभेने दरवर्षी 4 एप्रिलला ‘आंतरराष्ट्रीय सुरूंग जागृती दिन’ किंवा ‘आंतरराष्ट्रीय सुरूंग जागृती व सुरूंग कृतींमध्ये मदत दिन’ पाळण्याची घोषणा केली होती. या दिनाच्या माध्यमातून लोकांना सुरूंग आणि विस्फोटकांचे अवशेष यापासूनच्या धोक्यापासून जगाला मुक्त करण्याच्या प्रयत्नात मिळून एकत्र कार्य करण्यासाठी एक मंच प्रदान करण्याचा प्रयत्न करण्यात आला आहे.
रस्ते आणि विस्फोटकांचे क्षेत्र स्वच्छ करणे, बंदी असलेल्या क्षेत्रांना बंद करणे आणि स्थानिक लोकांना भुसुरुंग व विस्फोटकांना नष्ट करण्यासाठी यूनायटेड नेशन्स माइन अॅक्शन सर्व्हिस (UNMAS) च्या चमू सहकार्य करतात.
‘अॅंटी-पर्सनल माइन बॅन कन्व्हेंशन’ कराराला ओस्लो (नार्वे) मध्ये 18 सप्टेंबर 1997 रोजी स्वीकारण्यात आले. हा करारनामा भुसुरुंगाचे उत्पादन घेणे, साठवण आणि हस्तांतरण या कृतींना प्रतिबंधित करतो. आतापर्यंत या कराराला 163 देशांनी मान्य केले आहे.
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