Announcement of 'Empowerment' scheme to tackle the problem of NPA
देश के सरकारी बैंकों के एनपीए अर्थात् नॉन परफॉरमिंग एसेट्स की समस्या को दूर करने के लिए एक समग्र नीति लागू किये जाने की घोषणा की गई है. यह समग्र नीति ‘प्रोजेक्ट सशक्त’ के नाम से लागू होगी जिसे सुनील मेहता की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया गया है.
Five-point formula will be implemented under 'Empowerment' scheme. Finance Minister Piyush Goyal said that there are 200 bank accounts of more than Rs. Crore in the country. Of these, loans worth about Rs 3 lakh crore are stranded.
• पचास करोड़ रुपये तक के फंसे कर्ज खातों के निपटारे के लिए हर बैंक में एक संचालन समिति का गठन किया जाएगा. इसका फायदा छोटी व मझोली कंपनियों को सबसे ज्यादा होगा कि उन पर ही 50 करोड़ रुपये तक का एनपीए है.
• A steering committee will be formed in every bank for disposal of stranded loan accounts up to fifty crores. The advantage will be to the small and medium companies that they have NPAs up to Rs 50 crore.
• समिति 90 दिनों के भीतर इन सभी खातों के बारे में फैसला करेगी कि इन्हें और ज्यादा कर्ज देने की जरुरत है या इनके खाते को बंद करने की जरुरत है.
• The committee will decide all these accounts within 90 days that they need to pay more or they need to close their accounts.
• 50 से 500 करोड़ रुपये तक के एनपीए खाता के लिए यह फैसला किया गया है कि उनके बारे में लीड बैंक की अगुवाई में फंसे कर्जे के निपटारे का फैसला किया जाएगा.
• An NPA account of upto 50 to 500 crores has been decided that a decision will be taken to settle the debts of Lead Bank headed by them.
• इस श्रेणी के खाताधारकों को एक से अधिक बैंक कर्ज देते हैं इसलिए एक कर्ज देने वाले बैंकों के बीच एक समझौता किया जायेगा.
• More than one bank loan is given to the account holders of this category, hence a settlement will be made between the lending banks.
• 500 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि के अन्य एनपीए खाते जिनका निपटारा एएमसी के जरिए भी नहीं हो सकेगा उन्हें दिवालिया कानून के तहत ही सुलझाया जाएगा.
• Other NPA accounts of more than Rs 500 crores, which will not be settled through AMC, will be settled only under Bankruptcy Act.
• इसे लागू करने के लिए इन बैंकों की एक स्क्रीनिंग समिति भी गठित होगी जो यह देखेगी कि तय नियमों का पालन पारदर्शी तरीके से किया जा रहा है या नहीं.
• To implement this, a screening committee of these banks will also be constituted which will see whether the rules are being followed in a transparent manner.
In June 2018, Finance Minister Piyush Goyal formed a committee headed by Punjab National Bank, which was headed by Sunil Mehta. This committee was asked to examine the practicality of the structure of 'bad bank' and recommend for the formation of property reconstruction company in two weeks.
इस समिति में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन रजनीश कुमार, बैंक ऑफ़ बड़ोदा के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी पी एस जयकुमार तथा एसबीआई के उप प्रबंध निदेशक सी वेंकट नागेश्वर शामिल थे.
The committee included State Bank of India Chairman Rajneesh Kumar, Managing Director and Chief Executive Officer of Bank of Baroda PS Jayakumar and SBI Deputy Managing Director C. Venkata Nageshwar.
Hindi| English|Marathi
एनपीए की समस्या से निपटने हेतु ‘सशक्त’ योजना की घोषणा
देश के सरकारी बैंकों के एनपीए अर्थात् नॉन परफॉरमिंग एसेट्स की समस्या को दूर करने के लिए एक समग्र नीति लागू किये जाने की घोषणा की गई है. यह समग्र नीति ‘प्रोजेक्ट सशक्त’ के नाम से लागू होगी जिसे सुनील मेहता की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया गया है.
A comprehensive policy has been announced to address the problem of NPAs of non-performing assets of government banks in the country. This entire policy will be implemented in the name of 'Project Shakt', which has been prepared on the basis of the report of the committee formed under the chairmanship of Sunil Mehta.
'सशक्त' योजना के तहत पांच सूत्री फॉर्मूला लागू किया जाएगा. वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि देश में करोड़ रुपये से ज्यादा राशि के 200 बैंक खाते हैं. इनमें तकरीबन तीन लाख करोड़ रुपये के कर्ज फंसे हैं.
Five-point formula will be implemented under 'Empowerment' scheme. Finance Minister Piyush Goyal said that there are 200 bank accounts of more than Rs. Crore in the country. Of these, loans worth about Rs 3 lakh crore are stranded.प्रोजेक्ट योजना सम्बंधित प्रमुख तथ्य | Key facts related to project planning
• पचास करोड़ रुपये तक के फंसे कर्ज खातों के निपटारे के लिए हर बैंक में एक संचालन समिति का गठन किया जाएगा. इसका फायदा छोटी व मझोली कंपनियों को सबसे ज्यादा होगा कि उन पर ही 50 करोड़ रुपये तक का एनपीए है.
• A steering committee will be formed in every bank for disposal of stranded loan accounts up to fifty crores. The advantage will be to the small and medium companies that they have NPAs up to Rs 50 crore.
• समिति 90 दिनों के भीतर इन सभी खातों के बारे में फैसला करेगी कि इन्हें और ज्यादा कर्ज देने की जरुरत है या इनके खाते को बंद करने की जरुरत है.
• The committee will decide all these accounts within 90 days that they need to pay more or they need to close their accounts.
• 50 से 500 करोड़ रुपये तक के एनपीए खाता के लिए यह फैसला किया गया है कि उनके बारे में लीड बैंक की अगुवाई में फंसे कर्जे के निपटारे का फैसला किया जाएगा.
• An NPA account of upto 50 to 500 crores has been decided that a decision will be taken to settle the debts of Lead Bank headed by them.
• इस श्रेणी के खाताधारकों को एक से अधिक बैंक कर्ज देते हैं इसलिए एक कर्ज देने वाले बैंकों के बीच एक समझौता किया जायेगा.
• More than one bank loan is given to the account holders of this category, hence a settlement will be made between the lending banks.
• 500 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि के अन्य एनपीए खाते जिनका निपटारा एएमसी के जरिए भी नहीं हो सकेगा उन्हें दिवालिया कानून के तहत ही सुलझाया जाएगा.
• Other NPA accounts of more than Rs 500 crores, which will not be settled through AMC, will be settled only under Bankruptcy Act.
• इसे लागू करने के लिए इन बैंकों की एक स्क्रीनिंग समिति भी गठित होगी जो यह देखेगी कि तय नियमों का पालन पारदर्शी तरीके से किया जा रहा है या नहीं.
• To implement this, a screening committee of these banks will also be constituted which will see whether the rules are being followed in a transparent manner.
सुनील मेहता समिति का गठन
Constitution of Sunil Mehta Committee
जून 2018 में वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने पंजाब नेशनल बैंक की अगुवाई में समिति का गठन किया गया जिसकी अध्यक्षता सुनील मेहता को सौंपी गई. इस समिति को ‘बैड बैंक’ जैसी संरचना की व्यावहारिकता परखने एवं दो सप्ताह में संपत्ति पुनर्निर्माण कम्पनी के गठन के लिए सिफारिश देने के लिए कहा गया.In June 2018, Finance Minister Piyush Goyal formed a committee headed by Punjab National Bank, which was headed by Sunil Mehta. This committee was asked to examine the practicality of the structure of 'bad bank' and recommend for the formation of property reconstruction company in two weeks.
इस समिति में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन रजनीश कुमार, बैंक ऑफ़ बड़ोदा के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी पी एस जयकुमार तथा एसबीआई के उप प्रबंध निदेशक सी वेंकट नागेश्वर शामिल थे.
The committee included State Bank of India Chairman Rajneesh Kumar, Managing Director and Chief Executive Officer of Bank of Baroda PS Jayakumar and SBI Deputy Managing Director C. Venkata Nageshwar.
लाभ |Profit
इस योजना का लाभ यह होगा कि इन ग्राहकों से ऋण वसूलने का झंझट बैंकों पर नहीं रहेगा. गोयल ने बताया कि एएमसी पूरी तरह से बाजार आधारित होंगे और देश में एक से ज्यादा एएमसी का गठन हो सकता है. इसमें देसी-विदेशी कंपनियां भी शामिल हो सकती हैं. यह प्रावधान किया जा रहा है कि एएमसी 60 दिनों के भीतर एनपीए का निपटारा करेंगे.
The benefit of this scheme will be that the hassles of collecting the loans from these customers will not remain on the banks. Goyal said that AMC will be fully market based and more than one AMC can be formed in the country. It can also include foreign-foreign companies. It is being made that the AMC will settle the NPA within 60 days.
Marathi
एनपीएच्या समस्या सोडविण्यासाठी 'सशक्त' योजनेची घोषणा
देशातील सरकारी बँकांच्या गैर-परवाना असलेल्या मालमत्तेच्या एनपीएच्या समस्या सोडविण्यासाठी एक सर्वसमावेशक धोरण जाहीर करण्यात आले आहे. या संपूर्ण धोरणाची अंमलबजावणी 'प्रकल्प शक्ती' च्या नावावर केली जाईल जे सुनील मेहता यांच्या अध्यक्षतेखाली स्थापन करण्यात आलेल्या समितीच्या अहवालावर आधारित तयार करण्यात आली आहे.
'सशक्तीकरण' योजने अंतर्गत पाच सूत्रीचा सूत्र लागू करण्यात येईल. अर्थमंत्री पीयूष गोयल म्हणाले की देशातील 200 कोटी रुपयांपेक्षा जास्त बँक खाती आहेत. यापैकी सुमारे 3 लाख कोटी रुपयांचे कर्ज अडकले आहे.
प्रकल्प नियोजनाची प्रमुख वैशिष्ट्ये
• प्रत्येक बँकेमध्ये फंसे कर्ज असलेल्या खात्यांची संख्या पन्नास कोटी पर्यंत निकाली काढण्यासाठी एक सुकाणू समिती स्थापन केली जाईल. याचा लाभ लघु व मध्यम कंपन्यांकडे असेल ज्यांची एनपीए 50 कोटी रुपयांपर्यंत आहे.
• समिती ही सर्व खात्यांची 90 दिवसांच्या आत निर्णय घेईल जेणेकरुन त्यांना अधिक पैसे द्यावे लागतील किंवा त्यांचे अकाउंट बंद करणे आवश्यक आहे.
• 50 ते 500 कोटींच्या एनपीए खात्याचा निर्णय घेण्यात आला आहे की त्यांच्या नेतृत्वातील लीड बँकेच्या कर्जाची परतफेड करण्यासाठी निर्णय घेतला जाईल.
• या वर्गातील खातेधारकांना एकापेक्षा अधिक बँक कर्ज दिले आहे, म्हणून कर्ज देणार्या बँकांदरम्यान एक सेटलमेंट केले जाईल.
500 कोटी रुपयांपेक्षा अधिक इतर एनपीए खाते, जे एएमसीच्या माध्यमातून बसवले जाणार नाही, हे केवळ दिवाळखोरी अधिनियमांतूनच केले जातील.
• हे अंमलबजावणी करण्यासाठी, या बँकांच्या स्क्रीनिंग कमिटीची स्थापना केली जाईल जे पारदर्शक पद्धतीने नियमांचे पालन करीत आहे किंवा नाही हे पाहतील.
सुनील मेहता कमिटीची स्थापना
जून 2018 मध्ये, अर्थमंत्री पीयूष गोयल यांनी पंजाब नॅशनल बँकेच्या अध्यक्षतेखाली एक समिती स्थापन केली, ज्याचे अध्यक्ष सुनील मेहता होते. या समितीला 'वाईट बँकेच्या' संरचनेची कार्यपद्धती जाणून घेण्यासाठी आणि दोन आठवड्यात मालमत्ता पुनर्रचना कंपनीची स्थापना करण्याची शिफारस करण्यात आली.
समितीमध्ये स्टेट बँक ऑफ इंडियाचे चेअरमन रजनीश कुमार, व्यवस्थापकीय संचालक आणि बँक ऑफ बडोदाचे मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीए जयकुमार आणि एसबीआयचे उपव्यवस्थापक सी. वेंकट नागेश्वर यांचा समावेश आहे.
नफा
या योजनेचा लाभ म्हणजे या ग्राहकांकडून कर्ज मिळविण्याच्या अडचणी बॅंकांवर राहणार नाहीत. गोयल म्हणाले की एएमसी पूर्णपणे मार्केट आधारित असेल आणि देशात एएमसीपेक्षा एकापेक्षा जास्त एएमसी तयार करता येतील. यामध्ये परदेशी-परदेशी कंपन्या देखील समाविष्ट होऊ शकतात. असे म्हटले जात आहे की एएमसी 60 दिवसांच्या आत एनपीएचे निराकरण करेल.
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