Evening News 24 August 2018 Hindi/English/Marathi-Current Affairs
इवनिंग न्यूज़ 24 ऑगस्ट 2018 हिंदी/ इंग्लिश/मराठी_करंट अफेयर्स
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गगनयान क्या है
- 72वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले से अपने संबोधन में गगनयान मिशन 2022 का ऐलान करते हुए कहा था कि 2022 तक भारत की धरती से कोई भारतीय नागरिक अंतरिक्ष में तिरंगा फहराएगा।
- इस मिशन (ह्यूमन स्पेस फ्लाइट प्रोग्राम) का नेतृत्व करने के लिए वीआर ललितांबिका नाम की महिला वैज्ञानिक को चुना गया है। उन्होंने भारत के रॉकेट प्रोग्राम में अहम भूमिका निभाई है।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के चेयरमैन के शिवन ने लॉन्च वीइकल टेक्नॉलजी में ऐस्ट्रोनॉटिकल सोसायटी ऑफ इंडिया से अवॉर्ड ललितांबिका को इस मिशन के लिए चुना है। अंतरिक्ष में मानव को पहुंचाने वाला चौथा देश बनने की दिशा में चलाए जाने वाले इस प्रोग्राम की वह अगुआई करेंगी।
- वह रॉकेट के ऑटोपायलट का निर्माण करने वाली टीम में काम कर चुकी हैं। रॉकेट के डिजाइन का रिव्यू करने वाली टीम का नेतृत्व करने वाली ललितांबिका ह्यूमन स्पेस मिशन के तहत काम में लाए जाने वाले जिओसिन्क्रोनस सैटलाइट लॉन्च वीइकल (GSLV-Mk-3) के डिजाइन से जुड़े वैज्ञानिकों में शामिल रही हैं।
- ललितांबिका को इस मिशन के तहत इन तकनीकों का परीक्षण के बाद सिस्टम के रूप में निर्माण सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है।
- इसके साथ ही उन्हें प्राइवेट इंटस्ट्री, शिक्षाविदों, भारतीय वायुसेना, डीआरडीओ और विदेशी संस्थानों को मिशन से जोड़ने का काम दिया गया है।
- इस मिशन में सबसे खास क्रू मॉड्यूल है, यह एक ऐसा स्पेस कैपसूल है, जिसके अंदर इंसानों को ले जाने की क्षमता है।
- इसरो ने एक प्रोटॉटाइप के जरिए पृथ्वी के वातावरण में दोबारा प्रवेश करते हुए घर्षण के बीच थर्मल हीट के साथ इसका सफल प्रदर्शन किया था।
आयुष्मान भारत क्या है
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से एलान किया था कि योजना की शुरुआत पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती यानी 25 सितम्बर 2018 को होगी।
- भारत सरकार की एक प्रस्तावित योजना हैं, जिसे 1 अप्रैल, 2018 को पूरे भारत मे लागू किया गया था।
- 2018 के बजट सत्र में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने इस योजना की घोषणा की।
- इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर लोगों (बीपीएल धारक) को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराना है।
- इसके अन्तर्गत आने वाले प्रत्येक परिवार को 5 लाख तक का कैशरहित स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जायेगा।
पार्कर सोलर प्रोब मिशन क्या है
- अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सूरज को छूने (टच द सन) के अनोखे मिशन पर पहली बार एक छोटी कारनुमा यान 'पार्कर सोलर प्रोब' लॉन्च किया।
- यह यान सूर्य के वातावरण या कोरोना में जाने के लिए डिजाइन किया गया है।
- बता दें, इतिहास में अब तक कोई भी अंतरिक्ष यान सूर्य के इतने करीब भेजने के लिए लांच नहीं किया गया।
- इस प्रोब का नाम सौर वैज्ञानिक यूजीन पार्कर के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 1958 में पहली बार अनुमान लगाया था कि सौर हवाएं होती हैं, ये कणों और चुंबकीय क्षेत्रों की धारा होती हैं, जो सूर्य से लगातार निकलती रहती हैं।
- सबसे बड़े ऑपरेशनल लॉन्च व्हीकल का इस्तेमाल होने के अलावा डेल्टा-4 हेवी, पार्कर सोलर प्रोब सूर्य के करीब पहुंचने के लिए जरूरी तीसरे चरण के रॉकेट का उपयोग करेगा।
- इसमें मंगल ग्रह पर जाने में खपत होने वाली ऊर्जा की तुलना में 55 गुना ज्यादा ऊर्जा की खपत होगी।
संसदीय विशेषाधिकार क्या है?
- देश में विधानसभा, विधानपरिषद और संसद के सदस्यों के पास कुछ विशेष अधिकार होते हैं, ताकि वे प्रभावी ढंग से अपने कर्तव्यों को पूरा कर सके. जब सदन में इन विशेषाधिकारों का हनन होता है या इन अधिकारों के खिलाफ कोई कार्य किया जाता है, तो उसे विशेषाधिकार हनन कहते हैं. इसकी स्पीकर को की गई लिखित शिकायत को विशेषाधिकार हनन नोटिस कहते हैं।
- संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 में क्रमशः संसद एवं राज्य विधानमंडल के सदनों, सदस्यों तथा समितियों को प्राप्त विशेषाधिकार उन्मुक्तियों का उल्लेख किया गया है।
- विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव संसद के किसी सदस्य द्वारा पेश किया जाता है, जब उसे लगता है कि सदन में झूठे तथ्य पेश करके सदन के विशेषाधिकार का उल्लंघन किया गया है या किया जा रहा है।
- आईपीसी की धारा 377 के मुताबिक जो कोई भी किसी पुरुष, महिला या पशु के साथ प्रकृति की व्यवस्था के खिलाफ सेक्स करता है तो इस अपराध के लिए उसे 10 वर्ष की सजा या आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा। उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा।
- यह अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है और यह गैर जमानती है।
- सबसे पहले साल 1290 में इंग्लैंड के फ्लेटा में अप्राकृतिक संबंध बनाने का मामला सामने आया, जिसके बाद पहली बार कानून बनाकर इसे अपराध की श्रेणी में रखा गया।
- बाद में ब्रिटेन और इंग्लैंड में 1533 में बगरी (अप्राकृतिक संबंध) एक्ट बनाया गया और इसके तहत फांसी का प्रावधान किया गया। 1563 में क्वीन एलिजाबेथ-1 ने इसे फिर से लागू कराया।
- 1817 में बगरी एक्ट से ओरल सेक्स को हटा दिया गया और 1861 में डेथ पेनाल्टी का प्रावधान भी हटा दिया गया। 1861 में ही लॉर्ड मेकाले ने इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) ड्राफ्ट किया और उसी के तहत धारा-377 का प्रावधान किया गया।
कौन थे कोफी अन्नान
- संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कोफी अन्नान का स्विटज़रलैंड के एक अस्पताल में निधन हो गया है। वे 80 वर्ष के थे और कुछ समय से बीमार थे।
- कोफी अन्नान, संयुक्त राष्ट्र में शीर्ष पद तक पहुंचने वाले पहले अफ्रीकी थे। वे वर्ष 1997 से साल 2006 के बीच दो कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र के महासचिव रहे।
- बता दें, मौजूदा महासचिव एंटोनियो गुटरेश हैं।
- कोफी अन्नान सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते थे, जिसमें ग़रीबी और बाल-मृत्यु दर जैसी समस्याओं को ख़त्म करने के लिए पहली बार वैश्विक लक्ष्य निर्धारित किए गए थे।
- वह कोफी अन्नान फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष थे, साथ ही नेल्सन मंडेला द्वारा स्थापित अंतरराष्ट्रीय संगठन 'द एल्डर' के अध्यक्ष थे।
- कुमासी में पैदा हुए अन्नान ने मैकलेस्टर कॉलेज में अर्थशास्त्र का अध्ययन किया।
- स्नातक संस्थान जिनेवा से इंटरनेशनल रिलेशंस और एमआईटी में मैनेजमेंट किया।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के जिनेवा कार्यालय के लिए काम करते हुए अन्नान 1962 में संयुक्त राष्ट्र में शामिल हुए।
- वह संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में मार्च 1992 और दिसंबर 1996 के बीच शांति-कार्य के लिए अंडर-सेक्रेटरी जनरल के रूप में कार्यरत थे।
UAE ने केरल को 700 करोड़ रुपये दिए या नहीं
- केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने जानकारी दी थी कि बाढ़ से उबारने के लिए संयुक्त अरब अमीरात की सरकार ने 700 करोड़ रुपये की मदद देने की घोषणा की है, लेकिन भारत सरकार ने केरल में बाढ़ पीड़ितों को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) समेत विदेशों से मिलने वाली मदद को लेने से इनकार कर दिया है।
- इस मामले में पहली बार भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से किसी भी तरह की विदेशी मदद लेने से इनकार किया है। सरकार ने पहले से ही चली आ रही उस नीति पर चलने का फ़ैसला किया है जिसके तहत आपदा के वक्त विदेशी सरकार से मदद नहीं ली जाएगी।
- वहीं भारत द्वारा विदेशी सहायता स्वीकार करने से मना कर देने पर राज्य के राजनीतिक दलों के नेता नाखुश हैं।
- यूएई के राष्ट्रपति शेख ख़लीफ़ा बिन ज़ायद अल नाह्यान ने केरल की बाढ़ को लेकर एक आपातकालीन समिति बनाने का आदेश दिया था।
- इस समिति के प्रमुख शेख़ मोहम्मद हैं और इन्हीं की ज़िम्मेदारी थी कि वो बाढ़ पीड़ितों को मदद की राशि की घोषणा करें।
- सेंटर फोर डिवेलपमेंट स्टडीज के एक अध्ययन के अनुसार भारत से यूएई जाने वाले सबसे ज़्यादा लोग केरल के होते हैं। 2014 में भारत से जितने प्रवासी संयुक्त अरब अमीरात गए उनमें से 38 फ़ीसदी लोग केरल से थे।
क्या है वेनेज़ुएला संकट
- किसी सामान या सुविधा के बदले दूसरा सामान देने की व्यवस्था आज भी वेनेजुएला में चल रही है। दरअसल इसकी वजह है कि वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था इस वक्त बहुत खराब दौर से गुजर रही है।
- वेनेजुएला के बैंकों से इस वक्त करंसी निकालना उतना ही मुश्किल काम है जितना किसी दुर्लभ दवाई को हासिल करना। मुद्रा की कमी के कारण बड़े तौर पर अर्थव्यवस्था बार्टर सिस्टम पर आधारित है।
- बता दे, कभी लातिन अमेरिकी देशों में वेनेजुएला की गिनती सबसे समृद्ध मुल्क के तौर पर होती थी। वेनेजुएला के पास पर्याप्त तेल के भंडार हैं, लेकिन तब भी वहां की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है।
- तेल संपदा से भरपूर इस देश में जनता पैसे, खाना और मूलभूत जरूरतों को भी पूरा कर पाने में असमर्थ है। खराब आर्थिक हालात के कारण 2015 से 2017 के बीच देश की कुल आबादी के 3 फीसदी लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा। कैश नहीं होने के कारण लोग बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए बार्टर सिस्टम पर आश्रित हैं।
- अमेरिका के साथ चल रहे ट्रेड वॉर जैसे हालात के कारण भी वेनेजुएला को मुश्किल हालात झेलने पड़ रहे हैं।
- वेनेजुएला के आर्थिक संकट पर विशेषज्ञों की राय है कि महंगाई बेहिसाब बढ़ी, लेकिन देश में उसेक अनुपात में कैश का इंतजाम नहीं हो सका। राष्ट्रीय बैंक कैश की किल्लत को दूर नहीं कर पाए जिसके कारण आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियां लगातार बढ़ती चली गईं।
- हालाँकि अभी 23 अगस्त को देश को आर्थिक मुश्किल से निकालने के लिए वेनेज़ुएला की सरकार ने पुराने नोट की जगह नए नोट जारी कर दिए हैं। मगर ये क़दम कारगर होगा, इसे लेकर अनिश्चय बना हुआ है. सरकार उत्साहित है, तो विपक्ष हड़ताल की तैयारी कर रहा है।
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What is Gaganyaan? : Explained
Prime Minister Narendra Modi in his Independence Day 2018 speech from Red Fort announced that India will send an astronaut to space in 2022.If India does launch the Gaganyaan mission, it will be the fourth nation to do so after the United States, Russia and China.
ISRO Preparedness
- Probably for the Gaganyaan mission, ISRO last month conduced its first ‘pad abort’ test that was successful.
- The ‘pad abort’ test or Crew Escape System is an emergency escape measure that helps pull the crew away from the launch vehicle when a mission has to be aborted. The test was conducted at the Satish Dhawan Space Centre, Sriharikota.
- Chandrayaan-1 was India’s first lunar probe. It was launched by the Indian Space Research Organisation in October 2008 and operated until August 2009.
What is Ayushman Bharat or National Health Protection Scheme? : Explained
Prime Minister Narendra Modi announced his flagship project, Ayushman Bharat or National Health Protection Scheme on Independence Day.A brief about the Ayushman Bharat:
- The ambitious Ayushman Bharat or National Health Protection Scheme aims to cover over 10 crore vulnerable families (approximately 50 crore beneficiaries) and provide health cover up to Rs 5 lakh per family per year.
- The programme is being touted as the world’s largest health protection scheme.
- The benefits of the scheme are portable across the country and a beneficiary covered under the scheme will be allowed to take cashless benefits from any public/private empanelled hospitals across the country.
- The scheme will aim to target over 10 crore families based on SECC (Socio-Economic Caste Census) database.
- To ensure that nobody from the vulnerable group is left out of the benefit cover, there will be no cap on family size and age in ‘Ayushman Bharat’ scheme.
- The insurance scheme will cover pre and post-hospitalisation expenses.
- The expenditure incurred in premium payment will be shared between Central and State Governments in a specified ratio.
- The funding for the scheme will be shared – 60:40 for all states and UTs with their own legislature, 90:10 in Northeast states and the three Himalayan states of Jammu and Kashmir, Himachal and Uttarakhand and 100% Central funding for UTs without legislature.
- The states are also free to continue with their own health programmes.
- So far, 14 states have finalised their memoranda of understanding with the Centre.
What is NASA’s Parker Solar Probe?: Explained
The Parker Solar Probe, about the size of a car, will fly through the Sun’s atmosphere and will come as close as 3.8 million miles to the star’s surface, well within the orbit of Mercury and more than seven times closer than any spacecraft has come before.The spacecraft is named after 91-year old solar physicist Eugene Parker, 91, who was the first scientist to describe solar wind in 1958.
The probe was launched from Cape Canaveral, Florida, on a United Launch Alliance Delta IV Heavy rocket, one of the world’s most powerful rockets.
How it will survive the heat?
- During the journey, the spacecraft will fly by Venus at speeds of 4,30,000 mph, the equivalent of flying from New York to Tokyo in one minute.
- In order to reach an orbit around the sun, the Parker Solar Probe will take seven flybys of Venus that will essentially give a gravity assist, shrinking its orbit over the course of nearly seven years.
- The specially shielded Parker Solar Probe will have to endure temperatures up to 2,500 degrees Fahrenheit (1,370 degrees Celsius) and solar radiation intensities 475 times higher than we’re used to here on Earth.
- The mission, which hopes to uncover the Sun’s mysteries, will accumulate a gamut of data about its structure and magnetic and electric fields, as well as the energetic particles cruising near and away from Earth’s star.
- These events can affect satellites and astronauts as well as the Earth — including power grids and radiation exposure on airline flights.
- The information will help researchers and scientists solve two longstanding mysteries:
- How the solar wind is accelerated
- Why the sun’s outer atmosphere, or corona, is so much hotter than the solar surface
- Explore mechanisms that accelerate and transport energy particles.
- The mission is scheduled to end in June 2025.
- The first data download from the Parker Solar Probe is expected in early December after the probe reaches its first close approach of the sun in November.
What is a Privilege Motion in Parliament?
Parliamentary privileges are certain rights and immunities enjoyed by members of Parliament, individually and collectively, so that they can effectively discharge their functions.When any of these rights and immunities are disregarded, the offence is called a breach of privilege and is punishable under law of Parliament.
A notice is moved in the form of a motion by any member of either House against those being held guilty of breach of privilege.
Each House also claims the right to punish as contempt actions which, while not breach of any specific privilege, are offences against its authority and dignity.
Rules:
- Rule No 222 in Chapter 20 of the Lok Sabha Rule Book and correspondingly Rule 187 in Chapter 16 of the Rajya Sabha rulebook governs privilege.
- It says that a member may, with the consent of the Speaker or the Chairperson, raise a question involving a breach of privilege either of a member or of the House or of a committee thereof.
- The rules however mandate that any notice should be relating to an incident of recent occurrence and should need the intervention of the House.
- Notices have to be given before 10 am to the Speaker or the Chairperson.
- The Speaker/RS chairperson is the first level of scrutiny of a privilege motion.
- The Speaker can decide on the privilege motion himself or herself or refer it to the privileges committee of Parliament.
- If the Speaker gives consent under Rule 222, the member concerned is given an opportunity to make a short statement.
- In the Lok Sabha, the Speaker nominates a committee of privileges consisting of 15 members as per respective party strengths.
- A report is then presented to the House for its consideration.
- The Speaker may permit a half-hour debate while considering the report.
- The Speaker may then pass final orders or direct that the report be tabled before the House.
- A resolution may then be moved relating to the breach of privilege that has to be unanimously passed.
- Currently, Congress member P C Chacko is the chairperson of the privileges committee.
- In the Rajya Sabha, the deputy chairperson heads the committee of privileges that consists of 10 members.
What is Section 377? : Explained
Section 377 of the IPC states: “Whoever voluntarily has carnal intercourse against the order of nature with any man, woman or animal, shall be punished with 1[imprisonment for life], or with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine.”This archaic British law dates back to 1861 and criminalises sexual activities against the order of nature and the ambit of this law extends to any sexual union involving penile insertion.
Supreme Court Rulings:
- In 2009, in a landmark judgment, the Delhi High Court described Section 377 as a violation of the fundamental rights guaranteed by the Constitution.
- Following this, religious groups moved the Supreme Court for a direction against the verdict.
- The Supreme Court in 2013 overruled the Delhi High Court’s order and reinforced criminalisation of homosexuality stating that Parliament’s job was to scrap laws.
- This judgment by the apex court was highly criticised by the LGBTQ community in India and was seen as a setback for human rights.
- In January 2018, the Supreme Court said a larger group of judges would re-consider the previous judgment and examine Section 377’s constitutional validity.
- Revisiting their 2013 verdict, the top court added that it will decide on the petition by five persons living in fear of being prosecuted.
- The Supreme Court had then said: “The section of people who exercise their choice should never remain in a state of fear.”
Who was Kofi Annan?
Kofi Annan, who passed away on August 18, at the age of 80, was a Ghanaian diplomat who served as the seventh Secretary-General of the intergovernmental organisation for two terms reigning from 1997 till 2006.Born on 8 April 1938, Annan was the co-recipient of the 2001 Nobel peace prize along with the United Nations. He was also the founder and chairman of the Kofi Annan Foundation and chairman of an International organisation founded by Nelson Mandela called ‘The Elders.’
Career:
- Annan began his stint at the UN as a Budget officer for the World Health Organization in 1962.
- He went on to work in various capacities at the UN, which included serving as the Under-Secretary-General for peacekeeping between 1992-96.
- He was then appointed as the Secretary-General, making him the first black African to assume the office of world’s top diplomat and also the first to be elected from the UN staff itself.
- A passionate advocate of human rights, he had a major role in the formation of two new intergovernmental bodies in 2005 within the UN: the peacebuilding commission and the Human Rights Council.
- Annan played a pivotal role in the creation of the Global Fund to fight AIDS, malaria, tuberculosis during his term at the UN. In 1999, he launched his ‘Global Compact’ initiative became the world’s largest effort to promote corporate social responsibility.
- He was re-elected for a second term in 2001 and was later succeeded by South Korean diplomat Ban Ki-moon in 2007.
- Kofi Annan is survived by his wife Nane and two children.
UAE offering Kerala Rs. 700 Crore: Why?
- Since the floods began in Kerala, donations from the Middle East — by governments as well as individuals — have thrown the spotlight on the large number of people from Kerala living in those countries, and the bond that has resulted because of it.
- Kerala Migration Survey 2016 puts the number of migrant workers from Kerala at 2.2 million, 90% of them in Gulf Cooperation Council countries.
- This is down from 2.4 million migrants in the 2014 survey, conducted by the Centre for Development Studies (CDS). Of these, 86% — 5 of every 6 — were living in the Middle East in 2014, including 37% in the UAE alone, and another 22% in Saudi Arabia.
- The UAE’s past, present and future are linked to Kerala. Unskilled labourers from Kerala… contributed immensely to building the UAE in its present form. Now, it’s not just for manpower, but that country looks up to Kerala for other sectors including tourism
- Another CDS survey found that Keralites abroad sent home Rs 71,000 crore in 2014; and these reached 16.6% — 1 of every 6 — of all households in the state.
Venezuela Crisis: Explained
Recently, Venezuelan President Nicolás Maduro has been elected to a second six-year term in office amid allegations by the international community and Venezuela's opposition that the polls were neither free nor fair.Main reason for the Venezuelan Economic Crisis:
- Venezuela is rich in oil. It has the largest proven oil reserves in the world.
- But it is arguably precisely this wealth that is also at the root of many of its economic problems.
- Venezuela's oil revenues account for about 95% of its export earnings. This means that when oil prices were high, a lot of money was flowing into the Venezuelan government account.
- When socialist President Hugo Chávez was in power, from February 1999 until his death in March 2013, he used some of that money to finance generous social programmes to reduce inequality and poverty.
- Two million homes have been created through a socialist government programme called Misión Vivienda (Housing Mission), according to official figures.
- But when oil prices dropped sharply in 2014, the government was suddenly faced with a gaping hole in its finances and had to cut back on some of its most popular programmes.
- In order to make basic goods more affordable to the poor, his administration introduced price controls - capping the money people pay for such staples as flour, cooking oil and toiletries.
- But this meant that many companies no longer found it profitable to produce these items, driving them out of business. This, combined with a lack of foreign currency to import the staples, led to shortages.
- The Chávez administration had decided in 2003 to take control of the foreign currency exchange.
- Since then, Venezuelans wanting to exchange the local currency, the bolívar, for dollars have had to apply to a government-run currency agency.
- Only those deemed to have valid reasons to buy dollars, for example to import goods, have been allowed to change their bolivares at a fixed rate set by the government.
- With many Venezuelans unable to freely buy dollars, the black market flourished and inflation rose.
- Venezuela's Central Bank has not published inflation figures since 2015 but economist Steve Hanke from Johns Hopkins University calculated it rose to almost 18,000% in April.
- Hyperinflation has been driven up by the government's willingness to print extra money and its readiness to regularly increase the minimum wage in an effort to regain some of its popularity with Venezuela's poor.
- The government is also increasingly struggling to get credit after it defaulted on some of its government bonds. With creditors less likely to take the risk of investing in Venezuela, the government has again taken to printing more money, further undermining its value and stoking inflation.
Marathi | मराठी
भारताची ‘गगनयान’ मोहीम
15 ऑगस्टला भाषणात पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी 2022 साली भारताचे अंतराळवीर अंतराळात पाठविणार असल्याची भारताची योजना जाहीर केली. या योजनेला ‘गगनयान’ मोहीम हे नाव देण्यात आले आहे.मोहिमेविषयी -
- मोहिमेचाच एक भाग म्हणून श्रीहरिकोटा येथून ISROने त्याची पहिली ‘क्रू एस्केप सिस्टीम’ चाचणी 5 जुलैला यशस्वीपणे पार पाडली. ‘क्रू एस्केप सिस्टीम’ ही आपातकालीन उपाययोजनांशी संबंधित आहे.
- ही प्रणाली प्रक्षेपण रद्द करण्याच्या प्रसंगी अंतराळवीरांसह क्रूच्या मॉड्यूलला लवकर प्रक्षेपकापासून सुरक्षित अंतरापर्यंत घेऊन जाण्यासाठी तयार करण्यात आले आहे.
- भारताच्या भारतीय अंतराळ संशोधन संस्थेने (ISRO) ‘गगनयान’ मोहीम राबविल्यास, भारत अमेरिका, रशिया आणि चीननंतर तसे करणारा चौथा राष्ट्र असेल.
भारत सरकारची ‘आयुषमान भारत - राष्ट्रीय आरोग्य सुरक्षा योजना’
पंतप्रधान नरेंद्र मोदींनी स्वातंत्र्यदिनी त्यांच्या भाषणात भारत सरकारच्या महत्त्वाकांक्षी ‘आयुषमान भारत - राष्ट्रीय आरोग्य सुरक्षा योजने’ची घोषणा केली होती.भारत सरकारच्या महत्त्वाकांक्षी ‘आयुषमान भारत’ योजनेंतर्गत देशामधील 10 कोटी गरीब कुटुंबांना (अंदाजे 50 कोटी लाभार्थी) 5 लाख रुपयांपर्यंतचे उपचार घेण्यासाठी सुविधा प्रदान करण्याची योजना आहे.
योजनेविषयी –
- 'आयुषमान भारत' या राष्ट्रीय आरोग्य संरक्षण योजनेतून दुसर्या आणि तिसर्या श्रेणीतील वैद्यकीय उपचार घेण्यासाठी वर्षाला प्रत्येक कुटुंबाला 5 लाख रुपये याप्रमाणे 10 कोटी गरीब व वंचित कुटुंबांसाठी अनुदान देण्याचा प्रस्ताव मांडण्यात आला होता.
- केंद्राच्या आरोग्य योजनेसाठी लागणार्या निधीपैकी 40% राज्यांमधून येणार आहे.
- केंद्र सरकार या आरोग्य योजनेसाठी दरवर्षी 5,500 ते 6,000 कोटी रुपये खर्च करणार.
- सर्वसाधारण अर्थसंकल्पात 'आयुषमान भारत' अंतर्गत 1.5 कोटी आरोग्य केंद्रे उघडण्याची देखील घोषणा करण्यात आली होती, जेणेकरून सामान्य जनतेच्या आसपासच वैद्यकीय सुविधा उपलब्ध व्हावेत.
- आरोग्य केंद्रांवर सामान्य आजारांसाठी मोफत औषधी उपलब्ध करून दिली जाणार. या केंद्रांवर देशी वैद्यकीय पद्धतींवर भर दिला जाणार आहे. या केंद्रांवर योग संबंधी प्रशिक्षणासोबतच युनानी, आयुर्वेद आणि सिद्ध पद्धती संबंधी उपचार उपलब्ध असतील.
NASAचे ‘पार्कर सोलर प्रोब’
12 ऑगस्ट 2018 रोजी NASA ने सूर्याचा वेध घेण्यासाठी आणि त्याचे जवळून निरीक्षण करण्यासाठी आपली ‘पार्कर सोलर प्रोब’ मोहीम अंतराळात पाठवली. NASA ने ‘पार्कर सोलर प्रोब’ मोहीम सूर्याच्या बाह्य वातावरणाचा अभ्यास करण्यासाठी तयार केली आहे.ही पहिलीच अशी मोहीम ठरणार, जेव्हा मनुष्याने थेट सूर्याच्या वातावरणात म्हणजेच त्याच्या कोरोना क्षेत्रात, जे सूर्याच्या पृष्ठभागापासून अगदी जवळचे क्षेत्र असते, तेथे आपले एखादे यान पाठवत आहे.
मोहिमेबाबत -
- ‘पार्कर सोलर प्रोब’ 7 वर्षांच्या कालखंडात सात वेळा सूर्याच्या कक्षेच्या जवळ जाऊन त्याची तपासणी करणार. सूर्याच्या जवळ जाण्यासाठी शुक्र ग्रहाच्या गुरुत्वाकर्षण शक्तीचा वापर केला जाणार. यान सूर्याच्या वातावरण सीमेच्या 62 लक्ष किलोमीटर इतक्या जवळ जाणार. अशी मोहीम पहिल्यांदाच चालवली जाणार आहे.
- नियोजित सात वर्ष चालणार्या या मोहिमेमधील सर्वात कठिण भाग असलेल्या सूर्याच्या उष्णतेपासून संरक्षण करणाऱ्या प्रणालीला यानात बसवले जाईल. या यंत्रणेला ‘थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टिम (TPS)’ असे नाव देण्यात आले आहे. ही यंत्रणा यानाला सुर्याच्या जवळ जाताना उष्णतेपासून बचाव करण्यास मदत करेल. हे यान सुर्यापासून 98 लक्ष किलोमीटर एवढ्या अंतरावर जाणार आहे. यानावर कार्बन-संमिश्र 4.5 इंच जाड आच्छादन असेल.
- मोहिमेमध्ये यान 6.3 दशलक्ष कि.मी. सूर्याच्या पृष्ठभागाचे निरीक्षण करणार. अभ्यासादरम्यान, सूर्याच्या प्रखर उष्णता आणि सौर विकिरणांच्या धोकादायक भागामध्ये वैज्ञानिक शोध चालवले जाणार. सूर्याच्या बाह्य आवरणात कोणत्या प्रकारची ऊर्जा आणि ताप प्रवाहीत होत आहे तसेच सूर्यापासून बाहेर पडणारी हवा आणि ऊर्जा यांच्या कणांची गती कशी वाढते यासंबंधी समजून घेण्याचा प्रयत्न केला जाणार.
भारतातली ‘संसदीय विशेषाधिकार’ चळवळ
भारतात ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary privileges) हे विशेष अधिकार आणि स्वातंत्र्य आहेत, जे संसदेचे सभासद वैयक्तिक आणि एकत्रितपणे वापरू शकतात, जेणेकरून ते त्यांचा कार्यभार प्रभावीपणे सोडू शकतात.जेव्हा यापैकी कोणतेही अधिकार आणि स्वातंत्र्य दुर्लक्षित केले जातात, तेव्हा अश्या गुन्ह्याला ‘विशेषाधिकाराचा भंग’ म्हणून संबोधतात आणि ते संसद कायद्याच्या अंतर्गत शिक्षेस पात्र ठरते. कोणत्याही सभासद सदस्याकडून अश्या विशेषाधिकाराचा भंग करणार्याच्या विरोधात कार्यवाही करण्याच्या सूचना दिल्या गेल्या आहेत.
याबाबत -
- संसदीय विशेषाधिकार आणि त्यांचे प्रशासन यांचा उल्लेख लोकसभा नियम पुस्तकाच्या 20 व्या अध्यायात नियम क्र-222 आणि राज्यसभा नियम पुस्तकाच्या 16 व्या अध्यायात नियम क्र-187 मध्ये आहे.
- अश्या प्रकरणात कार्यवाही करण्यापूर्वी सभागृहांच्या सभापतींना सकाळी 10 पर्यंत कळवावे लागते. सभापती हा विशेषाधिकार भंगतेची कार्यवाही चालवण्यास परवानगी मिळण्याचा प्रथम टप्पा आहे. ते त्याविषयी निर्णय घेऊ शकतात.
- लोकसभेत सभापती संबंधित पक्षांच्या ताकदीनुसार 15 सदस्य असलेली एक विशेषाधिकार समिती नामनिर्देशित करते. सध्या काँग्रेस खासदार पी. सी. चाकको हे लोकसभेत विशेषाधिकार समितीचे अध्यक्ष आहेत. राज्यसभेत उपसभापती 10 सदस्य असलेल्या विशेषाधिकार समितीचे प्रमुख असतात.
भारतीय दंड संहिता ‘कलम 377’
सर्वोच्च न्यायालयात समलैंगिक संबंधांना गुन्हा ठरविणारे कायद्यातले 377 वे कलम रद्द करावे अशी मागणी करणार्या याचिकेवर सुनावणी सुरू आहे. भारतीय दंड संहितेच्या कलम 377 याच्या विरोधात परस्पर सहमतीने दोन वयस्कांच्या समलैंगिक संबंधांना गुन्हा न मानण्याची मागणी करणारी याचिका दाखल करण्यात आली आहे. याचिकेनुसार IPC कलम 377 ही असंवैधानिक असल्याचे मानले जात आहे.158 वर्ष जुन्या भारतीय दंड संहितेच्या कलम 377 च्या कायदेशीर वैधते विरोधात याचिकेवर सुनावणी करताना खंडपीठाने ही स्पष्टता दिली की, समलैंगिक संबंध गुन्हेगारी म्हणून पाहिले न गेल्यास LGBTQ समुदायाशी संलग्न असलेला सामाजिक कलंक आणि भेदभाव दूर होईल आणि त्यातून भारतीय दंड संहितेच्या कलम 377 च्या कायदेशीर वैधतेबाबत अन्वेषण केले जाईल.
कलम 377 बाबत
- भारतीय दंड संहितेच्या कलम 377 अनुसार, अनैसर्गिक गुन्ह्यांचा हवाला देते असे म्हटले गेले आहे की कोणताही पुरुष, स्त्री वा पशुसोबत निसर्गाच्या विरुद्ध लैंगिक संबंध प्रस्थापित केल्यास, या गुन्ह्यादाखल त्या व्यक्तीस आजीवन कारावास दिला जाणार किंवा एक निश्चित कालावधी, जो 10 वर्षांपर्यंत वाढवला जाऊ शकतो आणि त्यावर रोख दंड देखील आकारला जाईल.
- यापूर्वी 2009 साली दिल्ली उच्च न्यायालयाने समलैंगिकतेला गुन्हाच्या श्रेणीमधून हटविण्याचा निर्णय दिला होता. या निर्णयाला बदलत 2013 साली सर्वोच्च न्यायालयाने वयस्क समलैंगिकांच्या संबंधांना अवैध ठरवले होते.
- मात्र, सर्वसाधारणपणे लैंगिक गुन्हे तेव्हाच गुन्हे मानले जातात जेव्हा शोषित व्यक्तीच्या सहमती शिवाय केले गेले असेल. मात्र कलम 377 च्या व्याख्येत कुठेही सहमती वा असहमती शब्दांचा वापर केला गेलेला नाही. यामुळे समलैंगिकांच्या सहमतीने प्रस्थापित केल्या गेलेल्या लैंगिक संबंधांना देखील गुन्ह्याच्या श्रेणीत मानल्या जाते.
- कलम 377 ला 1860 साली इंग्रजांकडून भारतीय दंड संहितेत समाविष्ट केले गेले होते. त्यावेळी ख्रिस्ती धर्मातही अश्या संबंधाना अनैतिक मानले जात होते. मात्र 1967 साली ब्रिटनने देखील समलैंगिक संबंधांना अधिकृत मान्यता दिली.
कोफी अन्नान: संयुक्त राष्ट्रसंघाच्या आमसभेचे माजी महासचिव
18 ऑगस्ट रोजी संयुक्त राष्ट्रसंघाच्या आमसभेचे माजी महासचिव कोफी अन्नान यांचे स्वित्झर्लंडमध्ये निधन झाले. ते 80 वर्षांचे होते. त्यांना 2001 साली शांततेचा नोबेल पुरस्कार दिला गेला होता.अन्नान यांची जीवनकार्ये
- घाना या आफ्रिकेच्या देशात जन्मलेले अन्नान सन 1962 ते सन 1974 आणि सन 1974 ते सन 2006 या काळात संयुक्त राष्ट्रसंघात कार्यरत होते.
- ते जगातल्या सर्वोच्च राजकीय कार्यालयाचा पदभार सांभाळणारे पहिले आफ्रिकावासी बनले तसेच संयुक्त राष्ट्रसंघाच्या कर्मचार्यांमधूनच निवडून येणारे प्रथम व्यक्ती ठरले.
- त्यांनी संयुक्त राष्ट्रसंघाच्या विविध संघटनांमध्ये ताळमेळ रहावा म्हणून 1997 साली संयुक्त राष्ट्रसंघ विकास समुहाची (UNDG) स्थापना केली होती.
- ते कोफी अन्नान फाऊंडेशनचे संस्थापक आणि अध्यक्ष देखील होते तसेच नेल्सन मंडेला यांची स्थापना केलेल्या ‘द एल्डर्स’ या आंतरराष्ट्रीय संस्थेचे अध्यक्ष होते.
- एड्स, मलेरिया, क्षयरोग या गंभीर आजारांशी लढा देण्यासाठी त्यांनी ‘ग्लोबल फंड’च्या निर्मितीमध्ये महत्वाची भूमिका बजावली. 1999 साली त्यांनी 'ग्लोबल कॉम्पॅक्ट' नावाचा पुढाकार सुरू केला, जो कॉरपोरेट सामाजिक जबाबदारीचे समर्थन करणारा जगातला सर्वात मोठा प्रयत्न ठरला.
UAEने केरळला 700 कोटी रूपयांची मदत देऊ केली
संयुक्त अरब अमिरातने (UAE) केरळमधील पूरग्रस्तांसाठी 700 कोटी रुपयांची मदत देऊ केली आहे. तेथील मानवता संघटनांच्या प्रतिनिधींचीही भेट घेऊन सरकार मदत जमा करण्यासाठी आवाहन करणार आहे. मात्र, काही कारणास्तव केंद्र सरकारने केरळ पूरग्रस्तांच्या मदतीसाठी विदेशातील आर्थिक निधीचा स्वीकार करण्यास नकार दिला आहे.याविषयी -
- केरळमधील अनेक नागरिक UAEमध्ये आहेत. UAEमध्ये सध्या सुमारे 2 लक्ष भारतीय आहेत. तेथील लोकसंख्येच्या 27% इतके हे प्रमाण आहे. एक सामाजिक जबाबदारी स्वीकारत तेथील भारतीयांनी मदत देण्यास पुढाकार देखील घेतला आहे.
- मात्र अश्या मदतीला नकार देण्यामागचे कारण म्हणजे, जर ‘विदेशी योगदान (नियंत्रण) अधिनियम-2010’च्या अंतर्गत नोंदणीकृत असलेल्या संस्था किंवा अशासकीय संघटनांकडून मदत येत असेल तर त्यावर कर लागत नाही. पण नोंदणीकृत नसलेल्या अशासकीय संघटनांकडून मदत मिळत असेल तर ते स्वयंसेवी संस्थेचे उत्पन्न समजले जाते आणि त्यावर कर लागू होतो. त्यामुळे मदत न स्वीकारण्यामागचे हे प्रमुख कारण असल्याचे सांगितले होते.
व्हेनेझुएलावरचे आर्थिक संकट
व्हेनेझुएला हा दक्षिण अमेरिका खंडाच्या उत्तर भागातला एक देश आहे. व्हेनेझुएला बर्याच वर्षांपासून अत्याधिक महागाई (hyperinflation), आर्थिक आणि राजकीय संकटाला तोंड देत आहे आणि देशात अन्न आणि औषधांचा तुटवडा पडलेला आहे.त्यामुळे, व्हेनेझुएलाचे राष्ट्राध्यक्ष निकोलस मॅडुरो यांनी पाच शून्य असलेले राष्ट्रीय चलन बाद करण्याची घोषणा केली होती. देशात महागाई आणि कर्ज अत्याधिक वाढण्याच्या पार्श्वभूमीवर "आर्थिक पुनर्प्राप्ती" कार्यक्रमाचा एक भाग म्हणून हा निर्णय घेण्यात आला आहे. हा निर्णय 20 ऑगस्ट 2018 पासून लागू केला गेला.
अश्या परिस्थितीमागचे कारण -
- तेल समृध्द हा देश अश्या परिस्थितीत पोहचण्याचे मुख्य कारण म्हणजे 2014 सालानंतर तेलाच्या किंमतीत झालेली सर्वाधिक घट. त्यापूर्वी किंमती सर्वाधिक होत्या आणि त्यातून झालेल्या उत्पन्नामुळे सरकारचे उत्पन्न अत्याधिक वाढले होते. अश्या परिस्थितीत कमकुवत नियोजनामुळे देशात असमानता आणि दारिद्र्याला वाव मिळाला. त्यानंतर किंमतीत झालेल्या अत्याधिक घटमुळे सरकारवर कर्जाचा भार वाढलेला आहे.
- आंतरराष्ट्रीय नाणेनिधीने (IMF) त्याच्या अंदाजपत्रकात या वर्षाच्या अखेरीपर्यंत देशाची महागाई एक दशलक्ष टक्के एवढी अंदाजित केली आहे. या परिस्थितीला हायपरइन्फ्लेमेशन असे म्हणतात.
- अश्या परिस्थितीत हजारो लोकांनी देश सोडण्याचा निर्णय घेतला आणि कोलंबिया, इक्वाडोर आणि ब्राझील सारख्या देशांमध्ये आश्रय घेत आहेत.
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