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    Monday, July 16, 2018

    🔸The Fugitive Economic Offenders Bill 2018 🔸 पलायक (भगौड़ा) आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 🔹 फरार आर्थिक गुन्हेगार विधेयक 2018

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    Current Affairs 16 July 2018
    करेंट अफेयर्स 16 जुलै 2018 हिंदी/ इंग्लिश/मराठी
    The Fugitive Economic Offenders Bill 2018

    पलायक (भगौड़ा) आर्थिक अपराधी विधेयक 2018

    फरार आर्थिक गुन्हेगार विधेयक 2018

    Hindi | हिंदी

    पलायक (भगौड़ा) आर्थिक अपराधी विधेयक 2018

     जानें क्यों है चर्चा में
    • आर्थिक अपराध के सिलसिले में होने वाली गिरफ़्तारी से बचने के लिए विजय माल्या द्वारा भारत से फरार होने के बाद पिछले साल के केंद्रीय बजट में यह घोषणा की गयी थी की सरकार ऐसे आर्थिक अपराधियों की संपत्ति को अपने अधिकार में लेने के लिए जल्द ही कानून लाएगी ।
    • हाल ही में 12000 करोड़ रुपये से अधिक के नीरव मोदी पीएनबी घोटाले के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'पलायक आर्थिक अपराधी विधेयक 2018' को संसद के समक्ष रखने के वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव को अनुमति प्रदान कर दी है।
    • इस विधेयक के अंतर्गत 100 करोड़ रुपए अथवा अधिक मूल्‍य के पलायक (भगौड़ा) आर्थिक अपराधियों की संपत्‍ति जब्‍त की जाएगी।
    • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में मंत्रिमंडल ने संसद में पलायक आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 को रखने के वित्‍त मंत्रालय के प्रस्‍ताव को अनुमति प्रदान कर दी है।
    • इस विधेयक में भारतीय न्‍यायालयों के कार्यक्षेत्र से बाहर रहकर भारतीय कानूनी प्रक्रिया से बचने वाले आर्थिक अपराधियों की प्रवृत्‍ति को रोकने के लिए कड़े उपाय करने में मदद मिलेगी।
    क्या पड़ेगा प्रभाव
    • इस विधेयक से पलायक आर्थिक अपराधियों के संबंध में कानून के राज की पुनर्स्‍थापना होने की संभावना है, क्‍योंकि इससे उन्‍हें भारत वापस आने के लिए बाध्‍य किया जाएगा और वे सूचीबद्ध अपराधों का कानूनी सामना करने के लिए बाध्‍य होंगे।
    • इससे ऐसे पलायक आर्थिक अपराधियों द्वारा की गई वित्‍तीय चूकों में अंतर्विष्‍ट रकम की उच्‍चतर वसूल करने में बैकों व अन्‍य वित्‍तीय संस्‍थओं को भी मदद मिलेगी और ऐसी संस्‍थाओं की वित्तीय स्‍थिति में सुधार होगा।
    • यह आशा की जाती है कि पलायक अपराधियों द्वारा भारत और विदेशों में उनकी संपत्‍तियों को तेजी से जब्‍त करने के लिए उन्‍हें भारत लौटने और सूचीबद्ध अपराधों के संबंध में कानून का सामना करने के लिए भारतीय न्‍यायालयों के समक्ष पक्ष रखने के लिए एक विशेष तंत्र का सृजन हो सकेगा।
    विधेयक की मुख्‍य बातें
    • किसी व्‍यक्‍ति के भगौड़ा आर्थिक अपराधी घोषित होने पर विशेष न्‍यायालय के समक्ष आवेदन करना
    • अपराध के जरिए भगौड़ा आर्थिक के रूप में घोषित व्‍यक्‍ति की संपत्‍ति को जब्‍त करना
    • भगौड़ा आर्थिक अपराधी होने के आरोपित व्‍यक्‍ति को विशेष न्‍यायालय द्वारा नोटिस जारी करना
    • अपराध के फलस्‍वरूप व्‍युतपन्‍न संपत्‍ति के चलते भगौड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किए गए व्‍यक्‍ति की संपत्‍ति को जब्‍त करना
    • ऐसे अपराधी की बेनामी संपत्‍ति सहित भारत और विदेशों में अन्‍य संपत्‍ति को जब्‍त करना
    • भगौड़े आर्थिक अपराधी को किसी सिविल दावे का बचाव करने से अपात्र बनाना, और
    • अधिनियम के अंतर्गत जब्‍त की गई संपत्‍ति के प्रबंधन व निपटान के लिए एक प्रशासन की नियुक्‍ति की जाएगी।
     यह भी जानें
    • तथापि, ऐसे मामले में जहां किसी व्‍यक्‍ति के पलायक (भगौड़ा) घोषित होने के पूर्व किसी भी समय कार्यवाही की प्रक्रिया के समानांतर भगौड़ा आर्थिक अपराधी भारत लौट आता है और सक्षम न्‍यायालय के समक्ष पेश होता है, तो उस स्‍थिति में प्रस्‍तावित अधिनियम के अंतर्गत कनूनन कार्यवाही रोक दी जाएगी।
    • सभी आवश्‍यक संवैधानिक रक्षा उपाय जैसे अधिवक्‍ता के माध्यम से व्‍यक्‍ति को सुनवाई का अवसर, उत्‍तर दाखिल करने के लिए समय प्रदान करना, उसे भारत अथवा विदेश में समन भिजवाना तथा उच्‍च न्‍यायालय में अपील करने जैसे प्रावधान किए गए हैं।
    • इसके अलावा, कानूनी प्रावधानों के अनुपालन में संपत्‍ति के प्रबंधन व निपटान के लिए प्रशासन की नियुक्‍ति का भी प्रावधान किया गया है।
    नीति का लक्ष्‍य
    • वर्तमान कानूनों में व्‍याप्‍त कमियों के परिहार व भारतीय न्‍यायलों के कार्यक्षेत्र से बाहर रहकर भारतीय कानूनों की प्रक्रिया से बचने वाले आर्थिक अपराधियों की प्रवृत्‍ति के निरोधात्‍मक तय करने के दृष्‍टिगत, यह विधेयक प्रस्‍तावित किया जा रहा है।
    • इस विधेयक में किसी व्‍यक्‍ति को भगौड़ा आर्थिक अपराधी के रूप में घोषित करने के लिए इस विधेयक में एक न्‍यायालय (धन-शोधन रोकथाम अधिनियम, 2002 के अंतर्गत विशेष न्‍यायालय) का प्रावधान किया गया है।
    • भगौड़ा आर्थिक अपराधी से एक ऐसा व्‍यक्‍ति अभिप्रेत है, जिसके विरूद्ध किसी सूचीबद्ध अपराध के संबंध में गिरफ्तारी का वारंट जारी किया जा चुका है और जिसने आपराधिक कार्यवाही से बचने के लिए भारत छोड़ दिया है अथवा विदेश में रह रहा है और आपराधिक अभियोजन का समाना करने के लिए भारत लौटने से इंकार कर रहा है।
    • आर्थिक अपराधों की सूची को इस विधेयक की तालिका में अंतर्विष्‍ट किया गया है। इसके अलावा, यह सुनिश्‍चित करने के लिए कि ऐसे मामले में न्‍यायालयों पर कार्य का ज्‍यादा भार न पड़े, केवल उन्‍हीं मामलों की इस विधेयक की परिसीमा में लाया गया है, जहां ऐसे अपराधों में कुल 100 करोड़ रुपए या अधिक की राशि अन्‍तर्विष्‍ट हो।
    पृष्‍ठभूमि
    • आर्थिक अपराधियों के ऐसे अनेक मामले घटित हुए हैं जहां भारतीय न्‍यायालयों को न्‍याय क्षेत्र से भागने, आपराधिक मामलों के शुरूआत की प्रत्‍याशा अथवा मामले अथवा आपराधिक कार्यवाही को लंबित करने के दौरान आर्थक अपराधी भाग निकला है।
    • भारतीय न्‍यायालयों के ऐसे अपराधियों की अनुपस्‍थिति का कारण अनेक विषय परिस्‍थितियां उत्‍पन्‍न हुई हो, जैसे प्रथमत: इससे आपराधिक मामलों में जांच रूक सी जाती है, दूसरे, इससे न्‍यायालयों का मूल्‍यवान समय बर्बाद होता है, तीसरे, इससे भारत में कानून के राज का अवमूल्‍यन होता है।
    • इसके अलावा, आर्थिक अपराध के अधिकांश ऐसे मामलों में बैंक ऋणों की गैर-अदायगी शामिल होती है, जिससे भारत के बैंकिंग क्षेत्र की वित्तीय स्‍थिति बदतर हो जाती है।
    • इस समस्‍या की गंभीरता से निपटने के लिए कानून के वर्तमान सिविल और आपराधिक प्रावधान पूर्णत: पर्याप्‍त नहीं हैं। अतएव, ऐसी कार्यवाहियों की रोकथाम सुनश्‍चित करने के लिए प्रभावी, तीव्रतम और संवैधानिक दृष्‍टि में मान्‍य प्रावधान किया जाना आवश्‍यक समझा गया है।
    • यहां उल्‍लेखनीय है कि भ्रष्‍टाचार से संबंधित मामलों में गैर-दोषसिद्धि-आधारित संपत्‍ति के जब्‍त करने की प्रवृत्‍ति अपराध के प्रति यूनाइटेड नेशन्‍स कन्‍वेंशन (भारत द्वारा 2011 में मान्‍य) से अनुसमर्थित है।
    • विधेयक में इसी सिद्धांत को अंगीकार किया गया है। उपरोक्‍त संदर्भ के मद्देनजर, सरकार द्वारा बजट 2017-18 में यह घोषणा की गई थी कि सरकार विधायी संशोधन लाने अथवा जब तक ऐसे अपराधी समुचित विधि न्‍यायालय मंच के समक्ष समर्पण नहीं करता, ऐसे अपराधियों की संपत्‍ति को जब्‍त करने के लिए नया कानून तक लाया जाएगा।





    English | इंग्लिश



    The Fugitive Economic Offenders Bill 2018
    Why a Part of D.N.A ?
    -       The government is all set to introduce the Fugitive Economic Offenders Bill in the Parliament which has been termed as a strong deterrent to people fleeing the country after committing financial crimes in the country.
    -       The bill was first announced by the Finance Minister in his Union Budget 2017 speech and now it has been approved by the Union Cabinet on 1 March 2018.

    What is this Bill?
    -       The proposed Bill aims to crack down on economic offenders who plan to flee the country to avoid criminal prosecution or refuses to return to India to face criminal prosecution. In the bill, offences involving amounts of ₹100 crore or more will fall under the ambit of this law.
    -       Economic offences are those that are defined under the Indian Penal Code, the Prevention of Corruption Act, the SEBI Act, the Customs Act, the Companies Act, Limited Liability Partnership Act, and the Insolvency and Bankruptcy Code.
    Who is a ‘fugitive economic offender’?
    According to Section 4 of the law, a ‘fugitive economic offender’ is any individual, against whom a warrant for arrest in relation to a scheduled offence has been issued by any court in India, who:
    (i) Leaves or has left India so as to avoid criminal prosecution; or
    (ii) Refuses to return to India to face criminal prosecution.
    How a person is declared an offender?
    A Director, appointed by the central government, will have to file an application to a Special Court to declare a person as a ‘fugitive economic offender’.
    Under Clause (2) of Section 6, the application must contain:
    (a) reason/s for the belief that an individual is a fugitive economic offender;
    (b) any information available as to the whereabouts of the fugitive economic offender;
    (c) a list of properties or the value of such properties believed to be the proceeds of crime, including any such property outside India for which confiscation is sought;
    (d) a list of properties owned by the person in India for which confiscation is sought;
    (e) a list of persons who may have an interest in any of the properties listed under sub-clauses.
    Applicability of the Bill
    The Court will issue a notice to the person named a ‘fugitive economic offender’. Within six weeks from the date of the notice, the person will have to present themselves at “a specified place at a specified time”. If the offender fails to do so, they will be declared a ‘fugitive economic offender’ and their properties as listed in the Director’s application will be confiscated.
    The Special court will appoint an ‘administrator’ to oversee the confiscated property. This person will be responsible for disposing of the property as well, and the property will be used to satisfy creditors’ claims.
    Challenges
    In the cases where the offence is for amounts above Rs100 crore, the government can confiscate the “proceeds of the crime”, even if it is not owned by the fugitive offender and any other properties they own as well.
    The law-makers should clarify and made more reasonable the blanket disentitlement from pursuing or defending any civil claim under the law which is contrary to the basic tenets of natural justice and fair play and also being in violation of the Indian Constitution.
    Another challenge before the law is to sell the property before trial. In the bill, it has been proposed that once the economic offender declared fugitive, the government will become the custodian of the property belong to the fugitive.







    Marathi | मराठी


    फरार आर्थिक गुन्हेगार विधेयक 2018

    भारतीय न्यायालयांच्या अधिकार क्षेत्राबाहेर राहून भारतीय कायदेशीर प्रक्रिया टाळण्याची आर्थिक गुन्हेगारांची प्रवृत्ती रोखण्यासाठी  कठोर  उपाययोजना आखण्यात मदत म्हणून देशात ‘फरार आर्थिक गुन्हेगार विधेयक 2018’ (Fugitive Economic Offenders Bill) लागू करण्यात आला आहे. एप्रिल 2018 मध्ये राष्ट्रपती राम नाथ कोविंद यांनी यासंबंधी अध्यादेश काढण्यासाठी परवानगी दिली.
    फरार आर्थिक गुन्हेगार याचा अभिप्रेत अर्थ - असा गुन्हेगार ज्याच्याविरोधात अटक वॉरंट काढण्यात आला आहे आणि ज्याने फौजदारी कारवाई टाळण्यासाठी भारत सोडला आहे किंवा परदेशात राहत आहे किंवा भारतात परत येण्यास नकार दिला आहे. अशा प्रकरणात न्यायालयावर अधिक भार येऊ नये यासाठी 100 कोटी किंवा त्याहून अधिक रक्कम असलेले गुन्हेच या विधेयकाच्या चौकटीत आणण्यात आले आहेत.
    ठळक बाबी
    • कॉर्पोरेट क्षेत्रात आर्थिक अपराधांमध्ये एकूण 100 कोटी रुपये अथवा त्याहून अधिक रकमेसंबंधित गुन्हे या विधेयकाच्या कार्यक्षेत्रात आणले जातील.
    • विधेयकात एका विशेष न्‍यायालयाची (आर्थिक फसवणूक प्रतिबंधक अधिनियम-2002 अन्वये विशेष न्‍यायालय) स्थापना करण्याची तरतूद आहे.
    • कायद्याच्या अंतर्गत जप्त केलेल्या संपत्तीचे व्यवस्थापन व निवारणासाठी एक प्रशासन व्यवस्था नियुक्‍त केली जाईल.
    कायद्याच्या अंतर्गत केली जाणारी कार्ये
    • कोणतीही व्यक्ती फरार आर्थिक गुन्हेगार म्हणून घोषित झाल्यानंतर विशेष न्‍यायालयापुढे अर्ज करणे.
    • गुन्ह्यात फरारी आर्थिक गुन्हेगार म्हणून घोषित झालेल्या व्यक्तीची संपत्ती जप्त करणे.
    • फरारी आर्थिक गुन्हेगार म्हणून घोषित झालेल्या व्यक्तीला विशेष न्‍यायालयाकडून सूचनापत्र देणे.
    • गुन्ह्याच्या परिणामस्‍वरूप उद्भवलेल्या अकार्यक्षम मालमत्तेमुळे फरारी आर्थिक गुन्हेगार म्हणून घोषित झालेल्या व्यक्तीची संपत्ती जप्त करणे.
    • अश्या गुन्हेगारांची बेनामी संपत्ती सोबतच भारत आणि परदेशात असलेली अन्‍य संपत्ती जप्त करणे.
    • फरारी आर्थिक गुन्हेगाराला कोणत्याही नागरी दाव्यासंबंधी बचाव करण्यापासून अपात्र ठरवणे.
    स्वत:हून कारवाईस सामोरे गेल्यास दोषीला दिल्या जाणार्‍या सवलती
    मात्र अश्या प्रकरणात एखादी व्यक्ती फरार घोषित होण्याआधीच कोणत्याही वेळी भारतात परत आली आणि सक्षम न्‍यायालयापुढे हजर होत असेल, तर त्या परिस्थितीत प्रस्‍तावित कायद्याच्या अंतर्गत कायदेशीर कारवाई थांबविण्यात येईल.
    विधेयकात अधिवक्‍ताच्या माध्यमातून व्यक्तीला सुनावणीची संधी, उत्‍तर मांडण्यासाठी वेळ देणे, त्या व्यक्तीला भारत वा परदेशात बोलावणे पाठवणे आणि उच्‍च न्‍यायालयात याचिका दाखल करणे यासारख्या सर्व आवश्‍यक संवैधानिक संरक्षण उपाय तरतुदी आहेत. तसेच कायदेशीर तरतुदींच्या अनुपालनात संपत्तीचे व्यवस्थापन व निवारणासाठी प्रशासनाची नियुक्ती करण्यासंबंधी तरतूद आहे.
    विधेयकाचे परिणाम
    • विधेयकामुळे भारतीय न्‍यायालयांच्या कार्यक्षेत्रा बाहेर असणार्‍या भारतीय न्याय प्रक्रियेपासून बचावणार्‍या आर्थिक गुन्हेगारी प्रवृत्तीला प्रतिबंध करण्यासाठी कडक उपाययोजना करण्यामध्ये मदत मिळणार.
    • देश सोडून फरार झालेल्या अश्या गुन्हेगारांना देशात परत आणण्याकरिता प्रयत्न केले जाणार आणि ते निर्दिष्ट गुन्ह्यांसाठी असणार्‍या न्याय कारवाईला सामोरे जाण्यास बाध्‍य होतील.
    विधेयकामुळे अश्या गुन्हेगाराकडून केलेल्या वित्‍तीय चुकांमध्ये समाविष्ट रक्कम वसूल करण्यामध्ये बँका व अन्‍य वित्‍तीय संस्थांना मदत होणार.




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