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    Saturday, June 23, 2018

    Lateral Entry in Civil Services. नागरी सेवांमध्ये लॅटरल एंट्री योजना लवकरच लागू केली जाणार सिविल सेवा में लैटरल एंट्री

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    Current Affairs 23 June 2018
    करेंट अफेयर्स 23 जून 2018 हिंदी/ इंग्लिश/मराठी
    Lateral Entry in Civil Services. 

    नागरी सेवांमध्ये लॅटरल एंट्री योजना लवकरच लागू केली जाणार

    सिविल सेवा में लैटरल एंट्री

    Hindi | हिंदी

    सिविल सेवा में लैटरल एंट्री:
    केंद्र सरकार देश की सबसे प्रतिष्ठित मानी जाने वाली सिविल सेवाओं में सीधी भर्ती की जगह लैटरल एंट्री का भी प्रावधान करने जा रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को इसके लिए प्रस्ताव तैयार करने को कहा है।
    सरकार की मंशा है कि निजी क्षेत्र के एक्जीक्यूटिव को विभिन्न विभागों में उप सचिव, निदेशक और संयुक्त सचिव रैंक के पदों पर नियुक्त किया जाए। यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के स्टाफिंग नीति पत्र के जवाब में बनाया गया है जहां कार्मिक एव प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने मध्य प्रबंधन स्तर में अधिकारियों की भारी कमी का संकेत दिया था।
    तकनीकी और शैक्षणिक मंत्रालयों, विशेष रूप से अर्थव्यवस्था और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में थिंक-टैंकों की आवश्यकता के प्रकाश में यह निर्देश दिया गया है। सचिवों की समिति ने अर्थव्यवस्था और वित्त जैसे मध्यम स्तर के मंत्रालयों में उपयोग किए जाने वाले विशेष और बौद्धिक वर्ग के पार्श्व प्रवेश का समर्थन किया है।
    प्रमुख तथ्य:
    इस निर्देश को भारत सरकार के एक बहुत प्रभाविक कदम के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे मुश्किल परीक्षा है और आईएएस परीक्षा के माध्यम से देश की कार्यप्रणाली में प्रवेश करने वाले सिविल सेवकों को देश के सबसे बुद्धिमान एवम प्रतिभाशाली लोगो के रूप में देखा जाता है।
    भारत सरकार ने एक पायलट परियोजना के तहत ज्वाइंट सेक्रेटरी के दस पदों के लिए रिक्तियां निकाली हैं। ये भर्तियां तीन साल के कॉन्ट्रैक्ट पर होंगी, जिसे प्रदर्शन को देखते हुए बढ़ाकर 5 साल भी किया जा सकता है। इसके लिए उम्मीदवारों की उम्र 40 साल से ज्यादा होना चाहिए और उनके पास कम से कम पीएचडी की डिग्री होनी चाहिए। ये भर्तियां कैबिनेट सेक्रेटरी के नेतृत्व वाली एक कमेटी के द्वारा अगले दो महीनों में की जाएंगी।
    लेटरल एंट्री का यह विचार नया नहीं है। इसकी सिफारिश द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने भी की थी। की गई थी। हालांकि, रिपोर्ट्स में कहा गया है कि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली एक समिति चयन की प्रक्रिया को लागू कराने के लिए जिम्मेदार होगी।
    बासवन समिति (2016) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में 75 से अधिक आईएएस अधिकारियों की कमी है और राज्य प्रतिनियुक्ति के तौर पर अधिकारियों को केंद्र में भेजे जाने के इच्छुक नहीं हैं और ऐसे में लेटरल एंट्री पर गौर किए जाने की जरूरत है।





    English | इंग्लिश

    Lateral Entry in Civil Services. 
    Why part of Daily News Analysis?
    -       Recent a notification, the Department of Personnel and Training, Government of India, said the lateral entry scheme for appointing joint secretaries has been started to “invite talented and motivated Indian nationals willing to contribute towards nation building to join the Government.”
    -       The proposal of lateral entry is aimed at bringing in fresh ideas and new approaches to governance and also to augment manpower.
    -       In a bid to rope in the expertise of private sector professionals, Union government has notified 10 positions of joint secretaries through ‘lateral entry’ scheme.
    -       Generally, senior bureaucrats are appointed as joint secretaries in several government departments. Any private sector professional with 15 years of work experience in any of the 10 fields like civil aviation, commerce, economic affairs can apply for the posts. The age of the candidate should not be less than 40 years.
    Rationale behind the promotion of Lateral Entry:
    1. Subject Specific Domain Expert
    2. Absolute peculiarity- Almost all I.A.S officers are promoted to Joint Secretary Level.
    Practices in other countries:
    U.K- Short term lateral entrants allowed to come and work for government and leave.
    U.S.A- Spoil System in which new President elected will bring its own Executives .

    Challenges can be faced by the practice of Lateral Entry:
    -       High corrupt system, particularly in states. So to allow private people for short term of 2-3 years where they can leave without responsibility, there cannot be any disciplinary control over them or the actions taken.
    -       The fairness of the selection process.
    -       Chief Secretary’s post has become highly political post.
    Conclusion:
    - UPSC has had an excellent record over years. The careers of the service officers is selected from the best in India. He/she has seen cross sectoral experience of 10-15 sectors. Thus they has certain advantage. The man at the top has a broad vision rather than having domain expertise. Hence, the top positions in critical areas should be reserved for within the government.
    - For the sectors that require more of technical and domain knowledge, lateral entry can be considered a good option. In principle it is a good idea. But the private sector should be involved only when there is a required gap to be filled.
    -Along with recruitment, they should be also made accountable for the actions and decisions taken in capacity of a government officer.









    Marathi | मराठी

    नागरी सेवांमध्ये लॅटरल एंट्री योजना लवकरच लागू केली जाणार

    देशातील सर्वोच्च नागरी सेवा परीक्षा ही सर्वात कठीण समजली जाते आणि याच्या माध्यमातून देशातले सर्वात बुद्धिमान व प्रतिभाशाली लोकांना ‘अ’ श्रेणीचे अधिकारी म्हणून सेवेत घेतले जाते.
    मात्र देशात अधिकार्‍यांची कमतरता लक्षात घेता, केंद्र शासनाने शासकीय नागरी सेवांमध्ये थेट भरती करण्याच्या जागी लॅटरल एंट्री म्हणजेच समरूप पर्यायी प्रवेशप्रक्रिया योजना राबविण्याची घोषणा केली आहे. पंतप्रधान कार्यालयाने कार्मिक व प्रशिक्षण विभागाला यासाठी प्रस्ताव तयार करण्याचे आदेश दिले आहेत.
    एका प्रायोगिक योजनेंतर्गत केंद्र शासनाने संयुक्त सचिव पदासाठी दहा जागा काढल्या. ही पदे 3 वर्षांच्या करारावर भरली जाईल, जे पुढे 5 वर्ष देखील केले जाऊ शकते. या पदासाठी उमेदवाराचे वय 40 वर्षाहून अधिक असावे आणि त्यांच्याकडे कमीतकमी PHD असायला हवी. नागरी विमान उड्डयन, वाणिज्य आणि आर्थिक बाबी यासारख्या 10 क्षेत्रांपैकी एकामध्ये कमीतकमी 15 वर्ष अनुभव असलेला कोणताही खाजगी क्षेत्रातील व्यावसायिक या पदाकरिता अर्ज करू शकतात. या भरत्या कॅबिनेट सचिवांच्या नेतृत्वात असलेल्या एका समितीद्वारे पुढील दोन महिन्यात केल्या जाणार. 
    योजना का आणली जात आहे?
    बासवन समितीच्या (2016) अहवालानुसार, बिहार, मध्यप्रदेश आणि राजस्थान यासारख्या राज्यांमध्ये 75 हून अधिक IAS अधिकारी कमी आहेत. प्रशासनिक सुव्यवस्था लक्षात घेता लॅटरल एंट्री या विषयावर भर देणे गरजेचे ठरते.
    शिवाय सरकारचा हेतू हा आहे की खाजगी क्षेत्राच्या कार्यकारीला विविध विभागांमध्ये उपसचिव, संचालक आणि संयुक्त सचिव श्रेणीच्या पदांवर नियुक्त केले जावे. हा प्रस्ताव केंद्र शासनाच्या स्टाफिंग धोरण पत्रासंदर्भात मांडला गेला आहे, ज्यामध्ये कार्मिक व प्रशिक्षण विभागाने (DOPT) मध्य व्यवस्थापन पातळीमध्ये अधिकार्‍यांच्या कमी संख्येचे संकेत दिले होते.
    त्यामुळे तांत्रिक आणि शैक्षणिक मंत्रालये, विशेषताः अर्थव्यवस्था आणि पायाभूत सुविधा सारख्या क्षेत्रांमध्ये वैचारिक संस्थांच्या आवश्यकतेला ओळखून हे निर्देश दिले गेले आहेत.




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