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    Wednesday, March 21, 2018

    वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय ने कृषि निर्यात नीति के मसौदे को जारी किया: हिंदी/ इंग्लिश/मराठी

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    करेंट अफेयर्स २१ मार्च २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी




    हिंदी

    वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय ने कृषि निर्यात नीति के मसौदे को जारी किया:
    प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के ‘किसानों की आय दोगुनी करने’ संबंधी विजन को साकार करने के उद्देश्‍य से वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने किसानों एवं कृषि निर्यात के व्‍यापक हित में एक ‘कृषि निर्यात नीति’ का मसौदा तैयार करने की पहल की है।
    वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय ने ‘कृषि निर्यात नीति’ का मसौदा पेश किया है, जिसका उद्देश्‍य कृषि निर्यात को दोगुना करना और भारत के किसानों एवं कृषि उत्‍पादों को वैश्विक मूल्‍य श्रृंखला से एकीकृत करना है।
    विभिन्‍न हितधारकों के साथ आरंभिक बैठक की गई थी, ताकि प्रस्‍तावित नीति पर उनकी प्रतिक्रिया (फीडबैक) प्राप्‍त हो सके। आरंभिक जानकारियों (इनपुट) के आधार पर एक नीतिगत दस्‍तावेज का मसौदा तैयार किया गया है।
    विभिन्‍न हितधारकों की ओर से आवश्‍यक परामर्श और फीडबैक/सुझाव प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से कृषि निर्यात नीति के मसौदे को सार्वजनिक तौर पर उपलब्‍ध कराया गया है, ताकि इस नीति को अंतिम रूप दिया जा सके। इस पर 05 अप्रैल 2018 तक सुझाव एवं आपत्ति दर्ज करायी जा सकती है।
    मसौदे के प्रमुख प्रस्ताव:
    मसौदा कृषि निर्यात नीति में कहा गया है कि स्थिर कारोबारी नीति का काल, एपीएमसी अधिनियम मेंं सुधार, मंडी शुल्क को व्यवस्थित करने और पट्टे पर जमीन देने के नियम उदार बनाए जाने की जरूरत है, जिससे कि 2022 तक निर्यात दोगुना कर 60 अरब डॉलर किया जा सके।
    मसौदा नीति में राज्यों की ज्यादा भागीदारी, बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स में सुधार और नए उत्पादोंं के विकास में शोध एवं विकास गतिविधियों को प्रोत्साहन पर जोर दिया गया है।
    इसमें कहा गया है कि 'राष्ट्रीय कृषि निर्यात नीति' किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य को लेकर बनाई गई है, जिससे कि कृषि निर्यात मौजूदा 30 अरब डॉलर से बढ़ाकर 2022 तक 60 अरब डॉलर किया जा सके।
    इसका यह भी मकसद है कि ज्यादा मूल्य और मूल्यवर्धित कृषि निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके। साथ ही खराब होने वाले सामान, बाजार पर नजर रखने के लिए संस्थात्मक व्यवस्था और साफ सफाई के मसले पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया गया है।
    मसौदे मेंं वैश्विक कृषि निर्यात में भारत की भागीदारी बढ़ाने और ऐसे 10 प्रमुख देशों मेंं शामिल होने का लक्ष्य रखा गया है। स्थिर कारोबारी नीति के काल को स्पष्ट करते हुए मसौदे में कहा गया है कि कुछ जिंसों के उत्पादन व घरेलू दाम में उतार चढ़ाव, महंगाई दर पर लगाम लगाने के लिए कम अवधि के लक्ष्योंं, किसानों को न्यूनतम मूल्य समर्थन मुहैया कराने और घरेलू उद्योग को संरक्षण देने की बात की गई है।
    देश से इस समय चावल और मसालों का बड़े पैमाने पर निर्यात होता है, इसके अलावा गेहूं और दलहन के निर्यात की भी अच्छी संभावना है। प्याज के साथ ही आलू और टमाटर तथा फलों में अंगूर, आम, केला व लीची आदि के निर्यात में बढ़ोतरी की अपार संभावना है।



    इंग्लिश

    Ministry of Commerce releases Draft Agriculture Export Policy
    The Commerce Ministry has circulated a draft on Agri Draft Policy on 19 March. The Commerce Ministry has sought to consultation among stakeholders and Ministries will be initiated to identify commodities which are essential from food security perspective. Barring these, the effort would be to ensure that no other produce is brought under any kind of export restrictions. The draft policy has been put for public comment till April 5, 2018, following which final policy would be drafted.
    Proposals in the draft:
    • The new Agricultural Export Policy has been formulated in line with doubling the income of farmers. The government has put an ambitious target to double the agricultural exports from $30 billion to $60 billion by 2022.
    • The proposal also sought to create an agency like US Food and Drug Administration to have an integrated approach to both agricultural production and trade.
    • Currently, India’s domestic agricultural policies are largely aimed at food security and price stabilization and often put export restrictions to control food inflation. For example, the three-year (2008-11) ban on non-basmati rice exports to control retail inflation despite sufficient stocks led to a notional loss of $5.6 billion to the industry and forex losses to the government.
    • The draft policy also advocated promoting export-oriented clusters and agriculture export zones (AEZs) in partnership with private exporters who will have a natural incentive to promote such clusters.
    • The commerce ministry has provisionally identified 50 unique product-district clusters for export promotion.
    • It has also shortlisted 10 commodities as focus items for specific farm, infrastructure and market intervention. They are shrimps, meat, basmati rice, bananas, pomegranate, vegetables including potatoes, cashew, plant parts/medicinal herbs in value added forms including herbal medicines, nutraceuticals, aromatics, spices (cumin, turmeric, pepper) and organic food.
    Current Agricultural Export commodities of India:
    • The current export basket consists of mainly marine products ($5.8 billion); meat ($4 billion) and rice (6 billion).
    • India’s share in global exports of agriculture products has increased from 1% a few years ago to 2.2 % in 2016.



    मराठी

    वाणिज्य मंत्रालय ‘कृषी निर्यात’ धोरणासाठी मसुदा तयार करीत आहे

    ‘शेतकर्‍यांचे उत्पन्न दुप्पट करण्याच्या भारत सरकारच्या हेतुला पूर्ण करण्याच्या उद्देशाने वाणिज्‍य व उद्योग मंत्रालय शेतकरी व कृषी निर्यात बाबतीत व्‍यापक हितार्थ एक ‘कृषी निर्यात धोरण’ तयार करणार आहे आणि त्यासाठी मसुदा तयार करण्यास सुरुवात केली आहे.
    उद्देश्‍य - कृषी निर्यातीला दुप्पट करणे आणि भारतीय शेतकरी व कृषी उत्‍पादनांना वैश्विक मूल्‍य श्रृंखलेशी एकात्मिक करणे.
    प्रारंभिक माहितीच्या (इनपुट) आधारावर एक धोरणात्मक दस्‍ताऐवजचा मसुदा तयार केला गेला आहे. पुढे विविध हितधारकांकडून येणार्‍या शिफारसी नंतर याला अंतिम रूप दिले जाणार.
    मसुदा धोरणासंबंधी ठळक बाबी
    • राज्यांची अधिकची भागीदारी, पायाभूत सुविधा आणि लॉजिस्टिक्स बाबतीत दुरुस्त्या आणि नव्या उत्पादनांच्या विकासात शोध व विकास कार्यांना प्रोत्साहन देण्यावर भर दिला गेला आहे.
    • खराब होणार्‍या मालावर आणि बाजारपेठावर देखरेख ठेवण्यासाठी संस्थात्मक व्यवस्था आणि स्वच्छतेच्या मुद्द्यावर लक्ष्य केंद्रित करण्यावर भर दिला गेला आहे.
    • वैश्विक कृषि निर्यातीत भारताची भागीदारी वाढवणे आणि अश्या 10 प्रमुख देशांमध्ये समाविष्ट होण्याचे लक्ष्य ठेवण्यात आले आहे.
    • शाश्वत व्यापार धोरणाचा कालावधी संबंधी स्पष्ट करत, काही वस्तूंचे उत्पादन व स्थानिक किंमतीत चढउतार, महागाई दरावर नियंत्रित करण्यासाठी कमी कालावधीचे लक्ष्य, शेतकर्‍यांना मूल्य समर्थन देणे आणि स्थानिक उद्योगांना संरक्षण देण्याबाबतीत बाबी समाविष्ट आहेत.
    • शाश्वत व्यापार धोरणाचा कालावधी, APMC अधिनियमात दुरूस्ती, बाजारपेठ शुल्क (मंडी शुल्क) नियोजित करणे आणि भाडेतत्त्वावर जमीन देण्याचे नियम उदार बनविण्याची आवश्यकता आहे, ज्यामुळे 2022 सालापर्यंत निर्यात दुप्पट करून $60 अब्ज केले जाऊ शकणार.
    • 'राष्ट्रीय कृषी निर्यात धोरण' शेतकर्‍यांचे उत्पन्न दुप्पट करण्याच्या उद्देशाने तयार केले जात आहे, ज्यामधून कृषी निर्यात उपस्थित $30 अब्ज वरुण वाढवत 2022 सालापर्यंत $60 अब्ज केले जाऊ शकणार.
    • खाजगी निर्यातदारांसह भागीदारीत निर्यात-उन्मुख समूह आणि कृषी निर्यात क्षेत्र (AEZs) यांना प्रोत्साहन देण्यात आले आहे.  
    • FDI मध्ये येणार्‍या देशांसाठी पूर्ण परताव्यासह खरेदी करण्याची व्यवस्था उपलब्ध करून दिली जाणार, त्यामुळे भारतीय निर्यातीसाठी स्थिर बाजारपेठ उपलब्ध होत आहे.
    • कृषी-आधारित अन्न-प्रक्रिया उद्योग आणि सेंद्रिय उत्पादनांचे उत्पादन घेणार्‍या उत्पादकांना निर्यातीसंबंधी प्रतिबंधाखाली आणले नाही जाणार.
    अश्या धोरणाची का आवश्यकता भासावी?
    भारतातील देशांतर्गत शेतीविषयक धोरणे मुख्यत्वेकरून अन्न सुरक्षा आणि किंमती स्थिरतेला लक्ष्य करतात आणि अन्नधान्यासंबंधित महागाई नियंत्रित करण्यासाठी अनेकदा निर्यातीस प्रतिबंध करतात.
    उदाहरणार्थ, पुरेसा साठा असूनही किरकोळ महागाई रोखण्यासाठी तीन-वर्षांसाठी (2008-11) बिगर-बास्मती तांदळाच्या निर्यातीवर बंदी घालण्यात आली होती, ज्यामुळे $5.6 अब्जचे राष्ट्रीय नुकसान झाले. त्या काळात 14.6 दशलक्ष टन तांदूळाची निर्यात होऊ शकली असती.
    भारताची कृषी निर्यात ही सागरी उत्पादने ($5.8 अब्ज), मांस ($4 अब्ज) आणि तांदूळ ($6 अब्ज) यांच्या नेतृत्वाखालील एक वैविध्यपूर्ण मिश्रण आहे, जे एकूण कृषी निर्यातीत 52% वाटा ठेवते. कृषी उत्पादनांच्या जागतिक निर्यातीत भारताचा वाटा काही वर्षांपूर्वीच्या 1% वरून 2016 साली केवळ 2.2% पर्यंत वाढलेला आहे.

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