मराठी
‘एक्ससायटोनियम’ हे पदार्थाचे नवे स्वरूप शोधले गेले
‘एक्ससायटोनियम’ चा सिद्धांत मांडल्यानंतर जवळजवळ 50 वर्षानंतर शास्त्रज्ञांना याप्रकारचे पदार्थाचे नवे स्वरूप अस्तित्वात असल्याचे सिद्ध करता आले आहे.
‘एक्ससायटोनियम’ हे मॅक्रोस्कोपीक क्वांटम स्वरूपाचा स्वभाव दर्शवते, म्हणजेच एखाद्या सुपरकंडक्टर प्रमाणे आपले गुणधर्म दर्शवते आणि हे ‘एक्ससायटन्स’ पासून बनलेले असते. ‘एक्ससायटन्स’ म्हणजे असे कण जे अगदी विचित्र क्वांटम मेकॅनिकल पेयरींगमधून बनलेले असतात.
शोध कसा घेतला गेला?
1960 च्या दशकात हार्वर्डचे सैद्धांतिक भौतिकशास्त्रज्ञ बर्ट हॅल्पएरिन यांनी सर्वप्रथम ‘एक्ससायटोनियम’ ही संज्ञा जगापुढे मांडली होती. तेव्हापासून शास्त्रज्ञ त्याचे अस्तित्व शोधण्यास मागे लागले होते.
कॅलिफोर्निया विद्यापीठ आणि इलिनॉय विद्यापीठ येथील संशोधकांनी एका ट्रांजिशन धातूच्या ‘डायकॅल्कोजेनाईड टिटॅनियम डायसेलेनाईड (1T-TiSe2)’ नामक नॉन-डोप्ड क्रिस्टलचा अभ्यास केला.
संशोधकांनी अभ्यासासाठी ‘मोमेंटम रिजोलव्ह इलेक्ट्रॉन एनर्जी-लॉस स्पेक्ट्रोस्कोपी (M-EELS) नावाचे अभिनव तंत्र वापरले. या नवीन तंत्रामुळे, कमी ऊर्जा असलेले बोसोनिक कण (इलेक्ट्रॉन आणि होल्स यांची जोडी) च्या सामूहिक उत्तेजनाला मोजण्यासाठी संशोधक सक्षम झालेत.
या शोधामुळे पुढील क्वांटम मेकॅनिक्स संबंधीची रहस्ये जाणून घेण्यास मदत होणार आहे.
English
New form of matter ‘excitonium’ discovered
The researchers from University of Illinois at Urbana-Champaign have discovered a new form of matter called Excitonium. The matter was discovered by a team led by Physics Professor Peter Abbamonte.
The discovery provides detailed understanding of another mystery of quantum mechanics; the practical applications of excitonium are currently in a speculative stage.
How they discovered excitonium?
During their experiments on non-doped crystals of the transition metal dichalcogenide titanium diselenide (1T-TiSe2), the researchers were able to observe the material and its precursor soft plasmon phase called “the smoking gun” that proves excitonium’s existence. The precursor phase emerges as the material approaches its critical temperature.
The scientists reproduced their results 5 times on different cleaved crystals during the testing, adding more confidence to the study.
Development of M-EELS technique
During their course of experiment the researchers also developed new technique called momentum-resolved electron energy-loss spectroscopy (M-EELS) that is sensitive enough to distinguish the new material from Peierls phase, an unrelated substance that has the same symmetry.
What is Excitonium?
Excitonium is a rather exotic condensate that exhibits macroscopic quantum phenomena like a superconductor or a superfluid. It was first theorized almost in the 1960s by Harvard theoretical physicist Bert Halperin.
It consists of excitons, particles formed from an unlikely pairing of an escaped electron and the hole it leaves behind. The hole actually behaves like a positively-charged particle itself. It attracts an electron and together they form the composite particle known as the exciton.
Why discovery is significant?
Since the coining of excitonium almost 50 years ago, the theorists have debated whether it would be an insulator, a perfect conductor, or a superfluid—with some convincing arguments on all sides.
Since the 1970s, many experimentalists have published evidence of the existence of excitonium, but their findings were not definitive proof and could equally have been explained by a conventional structural phase transition. The present discovery is of cosmic significance.
हिन्दी
पदार्थ (मैटर) का एक नया रूप 'एक्सीटोनियम' खोजा गया:
वैज्ञानिकों ने 'एक्सीटोनियम' नामक पदार्थ के नए रूप का अस्तित्व सिद्ध किया है, जिसकी कल्पना 50 वर्ष पहले गयी थी। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ोर्निया और यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस के शोधकर्ताओं ने एक ट्रांज़िशन मेटल - डाइक्लकोजीनाइड टाइटेनियम डिसेलनेइड [(1टी-टीआईएसई2) (1T-TiSe2)] के नॉन-डोप्ड क्रिस्टल्स का अध्ययन किया।
एक्सीटोनियम एक सुपरकंडक्टर की तरह मैक्रोस्कोपिक क्वांटम घटना को दर्शाता है, और एक्साईटोन्स जोकि एक बहुत ही अजीब क्वांटम मैकेनिकल युग्मन (पेयरिंग) में बनते हैं, से निर्मित होता है।
प्रमुख तथ्य:
शोधकर्ताओं की टीम ने अध्ययन के लिए मोमेंटम-रेसोल्वेड इलेक्ट्रान एनर्जी-लॉस स्पेक्ट्रोस्कोपी (एम-ईईएलएस) तकनीक का उपयोग किया।
अपनी इस नई तकनीक के साथ, शोधकर्ताओं का समूह लो-एनर्जी बोसोनिक पार्टिकल्स, पेयर्ड इलेक्ट्रॉन और होल्स की सामूहिक एक्साइटेशन को सही ढंग से मापने में सक्षम था।
1960 के दशक में 'एक्सीटोनियम' शब्द को सबसे पहले हार्वर्ड थ्योरेटिकल फिजिसिस्ट बर्ट हाल्परिन ने गढ़ा था, इसके बाद से ही भौतिकविदों ने इसके अस्तित्व को खोजने के प्रयास शुरू कर दिए थे।
कई फिजिसिस्ट ने कुछ ठोस तर्कों के साथ इस विषय पर बहस की है कि क्या एक्सीटोनियम एक इन्सुलेटर, एक सुपर कंडक्टर या एक सुपरफ्लुइड है। इस शोध के परिणाम जर्नल "साइंस" में प्रकाशित हुए थे। शोधकर्ताओं ने कहा है कि यह खोज क्वांटम मैकेनिकल रहस्यों को खोलने के लिए एक प्रकार से वचन प्रदान करती है।
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