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Current affairs 7 February 2019 Hindi | 7 फरवरी 2019 करंट अफेयर्स हिंदी मे
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कैबिनेट ने राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की स्थापना को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गायों के संरक्षण, संरक्षण और विकास और उनकी संतान के लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
इससे देश में मवेशियों की आबादी का विकास होगा, जिसमें देशी नस्लों का विकास और संरक्षण भी शामिल है।
यह पशुधन क्षेत्र के विकास में परिणाम देगा जो अधिक समावेशी है, महिलाओं को लाभान्वित करता है, और छोटे और सीमांत किसानों को।
आयोग पशु चिकित्सा, पशु विज्ञान या कृषि विश्वविद्यालय या केंद्र या राज्य सरकार के विभागों या संगठनों के साथ मिलकर गाय के प्रजनन और पालन के क्षेत्र में काम करेगा, जैविक खाद, बायोगैस इत्यादि।
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की स्थापना के सम्बन्ध में फ़रवरी 1, 2019 को वित्त मंत्री पियुष गोयल ने अपने पहले अंतरिम बजट में घोषणा की थी।
आयकर शिकायत जांच संस्था और अप्रत्यक्ष कर शिकायत जांच संस्था को समाप्त करने की मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आयकर शिकायत जांच संस्था और अप्रत्यक्ष कर शिकायत जांच संस्था को समाप्त करने की मंजूरी दे दी है।
यह मंजूरी लोगों द्वारा शिकायत दूर करने की वैकल्पिक व्यवस्था के को चुनने के संदर्भ में दी गई है।
वर्तमान में उपलब्ध शिकायत दूर करने की व्यवस्था, शिकायत जांच संस्था से अधिक प्रभावी है। आयकर शिकायत जांच संस्था और अप्रत्यक्ष कर शिकायत जांच संस्था को समाप्त कर दिया गया है।
क्यों किया जा रहा हैं समाप्त?
आयकर शिकायत जांच संस्था की स्थापना 2003 में आयकर शिकायतों को सुलझाने के उद्देश्य से की गई थी। लेकिन यह संस्था अपने उद्देश्यों को पूरा करने में असफल रही। नये शिकायतों की संख्या कम होकर एक अंक में रह गई।
इसके अतिरिक्त आयकर प्रदाता शिकायत दूर करने के लिए वैकल्पिक प्रक्रियाओं को अपनाने लगे, जैसे सीपीजीआरएएमएस (केन्द्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली), आयकर सेवा केन्द्र आदि।
2011 में यह निर्णय लिया गया था कि अप्रत्यक्ष शिकायत जांच संस्था के खाली कार्यालयों को बंद कर दिया जाए।
‘’प्रसारण बुनियादी ढांचा और नेटवर्क विकास’’ योजना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने प्रसार भारती की ‘’प्रसारण बुनियादी ढांचा और नेटवर्क विकास’’ योजना को मंजूरी दे दी।
यह योजना 2017-18 से 2019-20 तक, तीन वर्ष की अवधि की होगी। योजना के लिए मंजूर 1054.52 करोड़ रुपये में से 435.04 करोड़ रुपये की राशि आकाशवाणी की वर्तमान में चल रही योजनाओं के लिए मंजूर की गई तथा 619.48 करोड़ रुपये की राशि को दूरदर्शन की योजनाओं के लिए मंजूरी दी गई है।
स्टूडियो में वर्तमान उपकरणों/सुविधाओं के आधुनिकीकरण के लिए प्रावधान किए गए हैं जो वर्तमान गतिविधियों को जारी रखने और दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई और कोलकाता में हाई डेफिनेशन टेलीविजन (एचडी टीवी) ट्रांसमीटरों के लिए आवश्यक है।
19 स्थानों पर डिजिटल टेरेस्ट्रियल ट्रांसमीटरों (डीटीटी) को स्थापित करने और 39 स्थानों पर स्टूडियो का डिजिटलीकरण करने, 15 स्थानों पर डीएसएनजी (डिजिटल सेटलाइट न्यूज गैदरिंग) वैनों और 12 स्थानों पर अर्थ स्टेशनों के आधुनिकीकरण को भी मंजूरी दे दी गई है।
योजना में आकाशवाणी के लिए 206 स्थानों पर एफएम के विस्तार, 127 स्थानों पर स्टूडियो के डिजिटलीकरण की व्यवस्था की गई है। एफएम के विस्तार कार्यक्रम से देश की 13 प्रतिशत अतिरिक्त आबादी को आकाशवाणी के कार्यक्रम सुनने का लाभ मिलेगा।
इसके अलावा, 10 किलोवाट क्षमता वाले एफएम ट्रांसमीटरों को भारत-नेपाल सीमा तथा जम्मू-कश्मीर सीमा पर स्थापित किया जाएगा। इससे सीमावर्ती इलाकों पर रेडियो और दूरदर्शन की कवरेज में महत्वपूर्ण सुधार होगा।
पूर्वोत्तर के लिए दूरदर्शन का अरुण प्रभा चैनल
मंत्रिमंडल ने ईटानगर, अरुणाचल प्रदेश से दूरदर्शन का अरुण प्रभा चैनल शुरू करने की भी मंजूरी दे दी ताकि पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके।
इसके अलावा, देश के विभिन्न राज्यों में वितरण के लिए 1,50,000 डीटीएच सैटों की भी मंजूरी दी गई है जिससे सीमा पर, सुदूरवर्ती, जनजातीय और वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित इलाकों में लोगों को दूरदर्शन के डीटीएच कार्यक्रम देखने में मदद मिलेगी।
सिनेमेटोग्राफ अधिनियम, 1952 में संशोधन को मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सिनेमेटोग्राफ अधिनियम, 1952 में संशोधन के लिए सिनेमेटोग्राफ संशोधन विधेयक, 2019 को प्रस्तुत करने से संबंधित सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
विधेयक का उद्देश्य
विधेयक का उद्देश्य फिल्म पायरेसी को रोकना है और इसमें गैर-अधिकृत कैम्कॉर्डिंग और फिल्मों की कॉपी बनाने के खिलाफ दंडात्मक प्रावधानों को शामिल करना है।
क्या होगा संसोधित?
- फिल्म पायरेसी को रोकने के लिए संशोधन में निम्न को शामिल किया गया है :
- गैर-अधिकृत रिकॉर्डिंग को रोकने के लिए नई धारा 6एए को जोड़ना
- सिनेमेटोग्राफ अधिनियम, 1952 की धारा 6ए के बाद निम्न धारा जोड़ी जाएगी
- 6एए : ‘अन्य कोई लागू कानून के बावजूद किसी व्यक्ति को लेखक की लिखित अनुमति के बिना किसी ऑडियो विजुअल रिकॉर्ड उपकरण के उपयोग करके किसी फिल्म या उसके किसी हिस्से को प्रसारित करने या प्रसारित करने का प्रयास करने या प्रसारित करने में सहायता पहुंचाने की अनुमति नहीं होगी।‘
- लेखक का अर्थ सिनेमेटोग्राफ अधिनियम, 1957 की धारा 2 उपधारा-डी में दी गई व्याख्या के समान है।
- धारा-7 में संशोधन का उद्देश्य धारा-6एए के प्रावधानों के उल्लंघन के मामले में दंडात्मक प्रावधानों को पेश करना है : मुख्य अधिनियम की धारा’-7 में उपधारा-1 के बाद निम्न उपधारा-1ए जोड़ी जाएगी।
- ‘यदि कोई व्यक्ति धारा-6एए के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, तो उसे 3 साल तक का कारावास या 10 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है।’
प्रस्तावित संशोधनों से उद्योग के राजस्व में वृद्धि होगी, रोजगार का सृजन होगा, भारत के राष्ट्रीय आईपी नीति के प्रमुख उद्देश्यों की पूर्ति होगी और पायरेसी तथा ऑनलाइन विषय वस्तु की कॉपी राइट उल्लंघन के मामले में राहत मिलेगी।
पृष्ठभूमि
फिल्म उद्योग की लम्बे समय से मांग रही है कि सरकार कैमकोर्डिंग और पायरेसी रोकने के लिए कानून संशोधन पर विचार करे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 जनवरी, 2019 को राष्ट्रीय भारतीय सिनेमा म्यूजियम के उद्धाटन अवसर पर घोषण की थी कि कैमकोर्डिंग और पायरेसी निषेध की व्यवस्था की जाएगी। सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने तीन हफ्तों के अंदर केन्द्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष विचार के लिए प्रस्ताव रखा है।
राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान विधेयक, 2019
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान विधेयक, 2019 को पेश किये जाने की मंजूरी दे दी है।
इस विधेयक का उद्देश्य राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान (एनआईएफटीईएम) कुंडली (हरियाणा) और भारतीय खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएफपीटी), तंजावुर (तमिलनाडु) को ‘राष्ट्रीय महत्व के संस्थान’ का दर्जा प्रदान करना है।
क्या होगा लाभ?
इस विधान से इन संस्थानों को अपने शैक्षिक पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने और विकसित करने, अपने शैक्षिक क्रियाकलापों में अनुसंधान की गतिविधियां और उसका दर्जा बढ़ाने के लिए संचालनात्मक स्वायतता मिलेगी। इससे ये विश्वस्तरीय संस्थान बन सकेंगे।
ये संस्थान सरकार की आरक्षण नीति लागू करेंगे और संबंधित हितधारकों के लाभ के लिए विशेष गतिविधियां भी चलायेंगे।
इसके बल पर ये संस्थान विश्वस्तरीय शिक्षण प्रदान करने और नवाचारों के इस्तेमाल से अनुसंधान का अनुभव प्रदान करने में समर्थ होंगे।
अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक, 2018
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने वित्त पर गठित स्थायी समिति (एससीएफ) की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक, 2018 में आधिकारिक संशोधन करने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है।
आधिकारिक संशोधनों से यह विधेयक देश में अवैध रूप से जमा राशि जुटाने के खतरे से कारगर ढंग से निपटने और इस तरह की योजनाओं के जरिये गरीबों एवं भोले-भाले लोगों की गाढ़ी कमाई हड़प लेने पर रोक लगाने की दृष्टि से और मजबूत हो जाएगा।
मुख्य विशेषताएं
- इस विधेयक में प्रतिबंध लगाने का एक व्यापक अनुच्छेद है, जो जमा राशि जुटाने वालों को किसी भी अनियमित जमा योजना का प्रचार-प्रसार करने, संचालन करने, विज्ञापन जारी करने अथवा जमा राशि जुटाने से प्रतिबंधित करता है।
- इसका उद्देश्य यह है कि यह विधेयक अनियमित जमा जुटाने से जुड़ी गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगा देगा।
- इसके तहत इस तरह की गतिविधियों को प्रत्याशित अपराध माना जाएगा, जबकि मौजूदा विधायी-सह-नियामकीय फ्रेमवर्क केवल व्यापक समय अंतराल के बाद ही यथार्थ या अप्रत्याशित रूप से प्रभावी होता है।
- विधेयक में अपराधों के तीन प्रकार निर्दिष्ट किये गये हैं, जिनमें अनियमित जमा योजनाएं चलाना, नियमित जमा योजनाओं में धोखाधड़ी के उद्देश्य से डिफॉल्ट करना और अनियमित जमा योजनाओं के संबंध में गलत इरादे से प्रलोभन देना शामिल हैं।
- विधेयक में कठोर दंड देने और भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है, ताकि लोग इस तरह की गतिविधियों से बाज आ सकें।
- विधेयक में उन मामलों में जमा राशि को वापस लौटाने या पुनर्भुगतान करने के पर्याप्त प्रावधान किये गये हैं, जिनके तहत ये योजनाएं किसी भी तरह से अवैध तौर पर जमा राशि जुटाने में सफल हो जाती हैं।
- विधेयक में सक्षम प्राधिकरण द्वारा सम्पत्तियों/परिसम्पत्तियों को जब्त करने और जमाकर्ताओं को पुनर्भुगतान करने के उद्देश्य से इन परिसम्पत्तियों को हासिल करने का प्रावधान किया गया है।
- सम्पत्ति को जब्त करने और जमाकर्ताओं को धनराशि वापस करने के लिए स्पष्ट समय-सीमा तय की गई है।
- विधेयक में एक ऑनलाइन केन्द्रीय डेटाबेस बनाने का प्रावधान किया गया है, ताकि देश भर में जमा राशि जुटाने की गतिविधियों से जुड़ी सूचनाओं का संग्रह करने के साथ-साथ उन्हें साझा भी किया जा सके।
- विधेयक में ‘जमा राशि जुटाने वाले’ और ‘जमा राशि या डिपॉजिट’ को व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है।
- ‘जमा राशि जुटाने वालों’ में ऐसे सभी संभावित निकाय (लोगों सहित) शामिल हैं, जो जमा राशियां जुटाते रहे हैं। इनमें ऐसे विशिष्ट निकाय शामिल नहीं हैं, जिनका गठन विधान के जरिये किया गया है।
- ‘जमा राशि या डिपॉजिट’ को कुछ इस तरह से परिभाषित किया गया है कि जमा राशि जुटाने वालों को प्राप्तियों के रूप में छलपूर्वक आम जनता से धनराशि जुटाने पर प्रतिबंधित कर दिया गया है और इसके साथ ही किसी प्रतिष्ठान द्वारा अपने व्यवसाय के तहत सामान्य ढंग से धनराशि स्वीकार करने पर कोई अंकुश नहीं लगाया गया है या इसे बाधित नहीं किया गया है।
- व्यापक केन्द्रीय कानून होने के नाते इस विधेयक में सरकारी कानूनों से सर्वोत्तम तौर-तरीकों को अपनाया गया है और इसके साथ ही विधान के प्रावधानों पर अमल की मुख्य जिम्मेदारी राज्य सरकारों को सौंपी गई है।
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