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    Wednesday, December 20, 2017

    CAG for reorientation of budget formulation process. / अर्थसंकल्प तयार करण्याच्या प्रक्रियेच्या अभिमुखतेसंबंधी CAG चा प्रस्ताव. / बजट प्रक्रिया में आवंटित राशि नए सिरे से व्यवस्थित हो: कैग. Currentaffairs 20December 2017 - Hindi / English / Marathi

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    Currentaffairs 20December 2017 - Hindi / English / Marathi

    Hindi

    बजट प्रक्रिया में आवंटित राशि नए सिरे से व्यवस्थित हो: कैग
    देश के शीर्ष लेखापरीक्षक कैग ने विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए आवंटित राशि में से काफी राशि बिना खर्च के रह जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इस तरह की योजनाओं के लिए बजट तैयार करने की प्रक्रिया को नए सिरे से व्यवस्थित करने की जरूरत है।
    भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की संसद में पेश रिपोर्ट में इस बात पर गौर किया गया है कि विभिन्न योजनाओं के लिए आवंटित राशि में से संबद्ध मंत्रालयों ने काफी राशि लौटाई है जो कि खर्च नहीं हो पाई।
    इस तरह की योजनाओं में निर्भया कोष, मेक इन इंडिया, राष्ट्रीय निवेश एवं अवसंरचना कोष, वरिष्ठ नागिरक कल्याण कोष और प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम जैसी कई योजनाएं हैं जिनके लिए आवंटित राशि पूरी तरह खर्च नहीं हो पाई और उसे लौटा दिया गया।
    प्रमुख तथ्य:
    यह रिपोर्ट सरकार के 2016-17 खातों के विश्लेषण पर आधारित है। रिपोर्ट सरकार के विनियोग खातों और उनकी लेखापरीक्षा निष्कर्षों को लेकर है।
    रिपोर्ट में कहा गया है कि कैग ने इस पर गौर किया कि विभिन्न मंत्रालयों, विभागों के अनुदान, विनियोग के 12 विभिन्न मामलों में 1,90,270 करोड़ रुपये का जरूरत से ज्यादा आवंटन किया गया। यह आवंटन वर्ष 2016-17 के विनियोग अधिनियम में आवंटित राशि से अधिक किया गया।
    रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए आवंटित राशि में से काफी अधिक राशि (100 करोड़ रुपये से अधिक) को लौटाया गया।
    विभिन्न प्रकार के अनुदानों, विनियोग के तहत दी गई इस प्रकार की 2,28,640 करोड़ रुपये की राशि, इसमें वर्ष के दौरान अतिरिक्त अनुदान भी लिया गया जो कि अंतत: इस्तेमाल नहीं हुआ और वित्त वर्ष के आखिरी दिन उसे लौटा दिया गया।
    कैग ने कहा है कि इस विसंगति को दूर करने के लिए शुरुआत में ही बजट तैयार करने की प्रक्रिया को बेहतर ढंग से व्यवस्थित करने की जरूरत है। इसके साथ ही बजट क्रियान्वयन की निगरानी प्रणाली को भी मजबूत किया जाना चाहिए।
    रिपोर्ट के अनुसार निर्भया योजना के तहत महिला और बाल विकास मंत्रालय को आवंटित 286.27 करोड़ रुपये की राशि में से केवल 41.09 करोड़ रुपये ही वितरित किए गए। इसमें 245.18 करोड़ रुपये बिना खर्च के ही रह गए। कई अन्य योजनाओं में भी पूरी राशि खर्च नहीं हो पाई।
    लोक लेखा समिति की सिफारिशों के बावजूद, आवश्यक विनियोगों (एप्प्रोप्रिएशन्स) के माध्यम से संसद की मंजूरी प्राप्त किए बिना ही पिछले नौ वर्षों में ब्याज भुगतान (इंटरेस्ट पेमेंट्स) पर 58,537 करोड़ रुपये का कुल खर्च किया गया था।
    कैग के बारे में:
    भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक भारतीय संविधान के अध्याय 5 द्वारा स्थापित एक प्राधिकारी है जो भारत सरकार तथा सभी प्रादेशिक सरकारों के आय-व्यय का लेखांकन करता है। वह सरकार के स्वामित्व वाली कम्पनियों का भी लेखांकन करता है।
    उसकी रिपोर्ट पर सार्वजनिक लेखा समितियाँ ध्यान देती है। नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक ही भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा का भी मुखिया होता है। इस समय पूरे भारत की इस सार्वजनिक संस्था में 58 हजार से अधिक कर्मचारी काम करते हैं।
    भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक का कार्यालय 10 बहादुर शाह जफर मार्ग पर नई दिल्ली में स्थित है। महालेखापरीक्षक का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की उम्र, जो भी पहले होगा, की अवधि के लिए राष्टपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।

    English


    CAG for reorientation of budget formulation process
    Apex auditor CAG, expressed concern over large unspent funds in different government schemes and underlined the need for reorienting the budget formulation process.
    The Comptroller and Auditor General (CAG), in a report tabled in Parliament, observed that ministries concerned have surrendered large portion of money allocated towards schemes like Nirbhaya, Make in India, National Investment and Infrastructure Fund, Senior Citizen Welfare Fund, and Prime Minister's Employment Generation Programme.
    Points Highlighted by the CAG are:
    • In the report, the CAG observed that excess disbursements aggregating Rs 1,90,270 crore in 12 segments of Grants, were made by the various ministries/ departments, over and above the authorisation made in the Appropriation Act in 2016-17.
    • The report has also noted "other deficiencies" like unspent funds of large amount (over Rs 100 crore) in different segments of Grants/ Appropriations aggregating Rs 2,28,640 crore, and obtaining supplementary grants of large amount during the course of the year, which eventually remained unutilized, surrender of savings on the last day of the financial year.
    • The report also noted an expenditure on interest on refunds amounting to Rs 2,598 crore was incurred by the Central Board of Direct Taxes, without the authorisation of Parliament during the year 2016-17.
    • A total expenditure of Rs 58,537 crore on interest payments had been incurred over the last nine years without obtaining approval of Parliament through necessary appropriations despite the recommendations of the Public Accounts Committee.
    • The CAG further said various departments/ministries incorrectly classified revenue expenditure as capital expenditure and vice versa.
    • The misclassifications resulted in under-statement of revenue expenditure by Rs 2,229.40 crore and over-statement of revenue expenditure by Rs 752.18 crore.
    About CAG:
    • The Comptroller and Auditor General (C&AG) of India is an authority, established by the Constitution under Constitution of India/Part V - Chapter V/Sub-part 7B/Article 148, which audits all receipts and expenditure of the Government of India and the state governments, including those of bodies and authorities substantially financed by the government.
    • The reports of the CAG are taken into consideration by the Public Accounts Committees (PACs) and Committees on Public Undertakings (COPUs), which are special committees in the Parliament of India and the state legislatures. The CAG is also the head of the Indian Audit and Accounts Department, the affairs of which are managed by officers of Indian Audit and Accounts Service, and has over 58,000 employees across the country.

    Marathi

    अर्थसंकल्प तयार करण्याच्या प्रक्रियेच्या अभिमुखतेसंबंधी CAG चा प्रस्ताव

    नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General -CAG) या भारत सरकारच्या सर्वोच्च निरीक्षकाने राजतंत्राच्या असमरूप योजनांमध्ये खर्च होणार्‍या प्रचंड आणि अनियंत्रित निधीबद्दल चिंता व्यक्त केली आहे आणि अर्थसंकल्प तयार करण्याच्या प्रक्रियेच्या अभिमुखतेसंदर्भात गरजेवर भर दिला आहे.
    2016-17 या सालासाठी CAG ने केलेल्या वित्तीय तपासणीत असे आढळून आले की, भारत सरकारच्या निर्भया, मेक इन इंडिया, राष्ट्रीय वित्त व चलन, राष्ट्रीय मदत रक्कम आणि प्रथम मंत्र्यांच्या घोषणा अश्या अनेक योजनांमध्ये प्रचंड प्रमाणात पैश्यांची तरतूद करण्यात आलेली आहे.
    आढळून आलेल्या बाबी
    • 2016-17 सालात मदत/पैश्याच्या 12 भागांमध्ये विविध हितचिंतक/विभागांकडून केला गेलेला 1,90,270 कोटी रूपयांचा अनावश्यक खर्च दिसून आला आहे, जो पैश्यासंदर्भात कायद्यात प्राधिकृत केलेल्या मर्यादेपेक्षा जास्त आहे.
    • 2,28,640 कोटी रुपये इतक्या प्रचंड रकमेचा निधी मदतीच्या असमरूप भागामध्ये दिसून आला आहे.
    • निर्भया योजनेसाठी तरतूद केलेल्या 286,27 कोटी रुपयांपैकी, महिला व पौगंडावस्थेतील मुलींच्या सुधारणेच्या दिशेने हितचिंतकाकडून झालेला खर्च फक्त 41,09 रुपये इतका आहे.
    • 2016-17 या वर्षात विधीमंडळाच्या अधिकृततेशिवाय प्रत्यक्ष करांच्या महत्त्वाच्या समितीद्वारे 2,598 कोटी रुपयांच्या देयकांवरील व्याजावर खर्च केला गेला.
    • व्याजापोटी झालेला 58,537 कोटी रुपयांचा संपूर्ण खर्च सार्वजनिक नोंदणी समितीच्या सल्ल्याला न जुमानता आवश्यक पैश्याच्या माध्यमातून विधीमंडळाचे समर्थन प्राप्त न करता गेल्या नऊ वर्षांत केला गेला.
    • चुकीच्या वर्गीकरणामुळे परिणामस्वरूप महसुली खर्चात 2,229.40 कोटी रुपयांची तूट तर महसुली खर्चात 752.18 कोटी रुपयांची वाढ झालेली आहे.
    भारतीय नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (CAG) बाबत
    भारतीय नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (CAG) हे भारतीय राज्यघटनेच्या कलम 148-151 अन्वये स्थापन केलेले एक प्राधिकार आहे, जो शासनाकडून मोठ्या प्रमाणात अर्थसहाय्य मिळणारी विभागे व प्राधिकरण यांच्या समावेशासह भारत सरकार आणि राज्य शासन यांच्या सर्व जमा व खर्चाचे लेखापरिक्षण करतो. याशिवाय, CAG सरकारी मालकीच्या कंपन्यांचे बाह्य लेखापरिक्षक आहेत आणि सरकारी कंपन्यांचे पूरक लेखापरीक्षण करतात.
    भारतीय शासन पदावलीमध्ये CAG 9 व्या स्थानी आहे आणि त्यांचा भारतीय सर्वोच्च न्यायालयाच्या न्यायाधीशा समान दर्जा प्राप्त आहे. पंतप्रधानांच्या शिफारशीनंतर CAG ची नेमणूक भारतीय राष्ट्रपतींकडून केली जाते. राजीव मेहरिशी हे भारताचे वर्तमान CAG आहेत आणि ते भारताचे 13 वे CAG आहेत.

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