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    Thursday, August 23, 2018

    ● Based on the figures obtained from Chandrayaan-1, confirm the snow on the moon: NASA ● चंद्रयान-1 से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर चांद पर बर्फ की पुष्टि: नासा ● चंद्रयान-1 से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर चांद पर बर्फ की पुष्टि: नासा

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    ● Based on the figures obtained from Chandrayaan-1, confirm the snow on the moon: NASA

    ● चंद्रयान-1 से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर चांद पर बर्फ की पुष्टि: नासा

    ● चंद्रयान-1 से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर चांद पर बर्फ की पुष्टि: नासा




    ● Based on the figures obtained from Chandrayaan-1, confirm the snow on the moon: NASA

    NASA scientists have confirmed the existence of ice in the frozen form of water at the most dark and cool places of the polar regions of the Moon based on the figures of Chandrayaan-1 spacecraft. India launched this spacecraft 10 years ago.

    NASA believes that due to the presence of sufficient ice on the surface of the Moon, there is a signal that water is available for further operations or on the moon.

    main point

    • The study published in the journal 'PNAS' states that the pieces of ice are scattered around here.

    • Most of the snow on the south pole is frozen with lunar craters and the ice of the North Pole is more widely spread. Scientists have used data from NASA's Moon Mineralogy Mapper (M3) to show that water ice is present on the surface of the Moon.

    • Scientists have used data from NASA's Moon Mineralogy Mapper (M3) to show that the water on the surface of the Moon is present on the Moon.

    • These water ice have been found at such a place, where the sun's light never gets due to the slight tilt of the rotating axis of the moon.

    • The maximum temperature here is never more than minus 156 degrees Celsius.

    • In earlier estimates, the possibility of presence of surface snow on the Lunar South Poll was indirectly expressed.

    Background

    Chandrayaan-1 was India's first moonlight. It stopped sending the signal on August 28, 2009. ISRO had announced the end of this mission as official as a few days later. This mission was prepared for two years. In the first year's journey, it had achieved 95 per cent of the target.




    ● चंद्रयान-1 से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर चांद पर बर्फ की पुष्टि: नासा


    नासा के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-1 अंतरिक्ष यान के आंकड़ों के आधार पर चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों के सबसे अंधेरे और ठंडे स्थानों पर पानी के जमे हुए स्वरूप में यानी बर्फ की मौजूदगी होने की पुष्टि की है. भारत ने 10 साल पहले इस अंतरिक्षयान का प्रक्षेपण किया था.

    नासा का मानना है कि चंद्रमा की सतह पर पर्याप्त मात्रा में बर्फ के मौजूद होने से इस बात के संकेत मिलते हैं कि आगे के अभियानों अथवा चंद्रमा पर रहने के लिए भी जल की उपलब्धता की संभावना है.

    मुख्य बिंदु


    •    ‘पीएनएएस’ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि बर्फ के टुकड़े इधर-उधर बिखरे हुए हैं.

    •    दक्षिणी ध्रुव पर अधिकतर बर्फ लूनार क्रेटर्स के पास जमी हुई है तथा उत्तरी ध्रुव की बर्फ अधिक व्यापक तौर पर फैली हुई है. वैज्ञानिकों ने नासा के मून मिनरेलॉजी मैपर (एम3) से प्राप्त आंकड़ों का इस्तेमाल कर यह दिखाया है कि चंद्रमा की सतह पर जल हिम मौजूद हैं.

    •    वैज्ञानिकों ने नासा के मून मिनरेलॉजी मैपर (एम3) से प्राप्त आंकड़ों का इस्तेमाल कर यह दिखाया है कि चंद्रमा की सतह पर जल हिम मौजूद हैं.

    •    ये जल हिम ऐसे स्थान पर पाये गए हैं, जहां चंद्रमा के घूर्णन अक्ष के थोड़ा झुके होने के कारण सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंच पाती.

    •    यहां का अधिकतम तापमान कभी माइनस 156 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं गया.

    •    इससे पहले के आकलनों में अप्रत्यक्ष रूप से लूनार साउथ पोल पर सतह हिम की मौजूदगी की संभावना जताई गई थी.

    पृष्ठभूमि


    चंद्रयान-1 भारत का पहला चंद्रमिशन था. इसने 28 अगस्त 2009 को सिग्नल भेजना बंद कर दिया था. इसरो ने इसके कुछ दिनों बाद ही आधिकारिक को रूप से इस मिशन के खत्म होने की घोषणा कर दी थी. इस मिशन को दो साल के लिए तैयार किया गया था. पहले ही साल की यात्रा में इसने 95 फीसदी लक्ष्यों को हासिल कर लिया था.




    ● चंद्रयान-1 से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर चांद पर बर्फ की पुष्टि: नासा


    नासाच्या शास्त्रज्ञांनी चंद्रायान -1 अंतराळांच्या आकडेवारीवर आधारित चंद्राच्या ध्रुवीय प्रदेशांच्या सर्वात गडद आणि थंड जागी पाणी असलेल्या गोठलेल्या स्वरूपात बर्फ अस्तित्त्वाची पुष्टी केली आहे. भारताने 10 वर्षांपूर्वी या अंतराळ यानाचा शुभारंभ केला.
    नासाचा असा विश्वास आहे की चंद्राच्या पृष्ठभागावर पुरेशा बर्फाचे अस्तित्व असल्यामुळे, पुढील कामकाज किंवा चंद्रावर पाणी उपलब्ध आहे असे संकेत मिळते.

    मुख्य बिंदू

    • 'पीएनएएस' जर्नलमध्ये प्रकाशित झालेल्या अहवालात असे म्हटले आहे की बर्फभरातील काही भाग विखुरलेले आहेत.

    • दक्षिण ध्रुवावरील बहुतांश बर्फाचे चंद्रावरील खड्ड्यांपासून गोठलेले असते आणि उत्तर ध्रुवातील बर्फ अधिक प्रमाणात पसरतात. चंद्राच्या पृष्ठभागावर बर्फ आहे असे दर्शविण्यासाठी शास्त्रज्ञांनी नासाच्या चंद्र मिनरॉलाई मॅपर (एम 3) च्या डेटाचा उपयोग केला आहे.

    • शास्त्रज्ञांनी नासाच्या चंद्र मिनरॉलाई मॅपर (एम 3) मधील डेटा वापरला आहे ते दर्शविण्यासाठी की चंद्राच्या पृष्ठभागावरील पाणी चंद्र येथे आहे.

    • हे पाणी बर्फ अशा ठिकाणी आढळून आले आहे, जेथे सूर्यप्रकाश चंद्राच्या फिरवत अक्षाच्या थोडा वळणामुळे कधीच मिळत नाही.

    • येथे कमाल तपमान शून्य ते 156 अंश सेल्सिअस पेक्षा अधिकच नसते.

    पूर्वीच्या अंदाजानुसार, चंद्राच्या दक्षिण निवडणुकांवरील पृष्ठभागावरील बर्फाची शक्यता अप्रत्यक्षरित्या व्यक्त होते.

    पार्श्वभूमी

    चंद्रयान -1 हा भारताचा पहिला चांदणी होता. त्यांनी 28 ऑगस्ट 200 9 रोजी सिग्नल पाठविणे थांबविले. या दिवसाच्या अखेरीस इस्त्रोची घोषणा झाली. हे मिशन दोन वर्षांकरिता तयार करण्यात आले होते. पहिल्या वर्षीच्या प्रवासात, हे लक्ष्य 9 5 टक्क्यांपर्यंत पोहोचले होते.

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