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    Saturday, June 16, 2018

    Can not adopt children the couple who live in, living in relationship: CARA लिव इन में रह रहे जोड़े बच्चे हो गोद नहीं ले सकते हैं: कारा लिव इन संबंधामध्ये राहणार्‍या जोडप्यांना मूल दत्तक घेता येणार नाही: CARA

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    Current Affairs 16 June 2018
    करेंट अफेयर्स 16 जून 2018 हिंदी/ इंग्लिश/मराठी

    Can not adopt children the couple who live in, living in relationship: CARA

    लिव इन में रह रहे जोड़े बच्चे हो गोद नहीं ले सकते हैं: कारा

    लिव इन संबंधामध्ये राहणार्‍या जोडप्यांना मूल दत्तक घेता येणार नाही: CARA

    Hindi | हिंदी

    लिव इन में रह रहे जोड़े बच्चे हो गोद नहीं ले सकते हैं: कारा
    देश की शीर्ष दत्तक ग्रहण संस्था ने लिव-इन संबंधों में रह रहे जोड़ों को बच्चे गोद लेने से प्रतिबंधित कर दिया है। इसके पीछे संस्था ने यह कारण दिया है कि भारत में बिना शादी के कोहेबिटेशन (सहवास) एक स्थिर परिवार नहीं माना जाता है।
    प्रमुख तथ्य:
    केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) किसी भी महिला को किसी भी लिंग के बच्चे को गोद लेने की अनुमति देता है, जबकि यह एकल पुरुषों को केवल लड़कों को ही गोद लेने की आज्ञा देता है।
    यदि कोई आवेदक विवाहित होता है, तो पति/पत्नी दोनों को गोद लेने के लिए अपनी सहमति देनी होती है और इसके अतिरिक्त यह आवश्यक है कि उन्हें कम से कम दो वर्षों तक स्थिर विवाह में होना चाहिए।
    दत्तक ग्रहण अधिनियम 2017 के अनुसार, आवेदकों को शारीरिक, वित्तीय रूप और मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए और बच्चे को गोद लेने के लिए अत्यधिक प्रेरित होना चाहिए।
    केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) के द्वारा हाल ही में जारी एक अधिसूचना के अनुसार, "यह निर्णय लिया गया है कि एक लिव-इन रिश्ते में एक साथी के साथ एकल पीएपी (प्रोस्पेक्टिव अडॉप्टिंग पैरेंट) को बच्चों को गोद लेने के योग्य नहीं माना जाएगा और एएफएए (अधिकृत विदेशी दत्तक ग्रहण एजेंसियों) के माध्यम से हुए उनके पंजीकरण को मंजूरी योग्य नहीं माना जाएगा।"
    लिव-इन संबंधों पर सुप्रीम कोर्ट:
    सुप्रीम कोर्ट ने कई मौकों पर कहा है कि एक लिव-इन रिश्ता न तो अपराध है और न ही पाप है। पिछले महीने, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वयस्क जोड़ों को एक साथ रहने का अधिकार है भले ही वे विवाहित नहीं हों।
    यहां तक कि विधायिका ने घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के माध्यम से लिव-इन रिश्तों को मान्यता दी है। इस अधिनियम के तहत, लिव-इन रिलेशनशिप में महिलाओं को ठीक उसी प्रकार सुरक्षा प्रदान की गई है जिस प्रकार की सुरक्षा विवाह पश्चात एक महिला को दी जाती है।
    केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा):
    केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त निकाय है। यह भारतीय बच्चों को गोद लेने और अनिवार्य निगरानी तथा देश और अंतरदेशीय में गोद देने को विनियमित करने के लिए नोडल निकाय के रूप में कार्य करता है।





    English | इंग्लिश

    Can not adopt children the couple who live in, living in relationship: CARA

    The Supreme Court has banned adoption of children on living couples living in live-in relationship to adopt child adoption. This organization believes that those who are not married in India are not considered to be a stable family.

    New rules

    The Central Adulterate Authority (CARA) allows a man and woman to adopt any gender-based child on a single person who is allowed to adopt a male child.
    If the applicant is married, then both the husband and wife must have agreed and in addition they have been living in stable marital life for at least two years.
    According to 'Adoption Regulation-2007', applicants must be physically, financially and mentally endowed and have a greater desire to adopt their child.
    In India, acceptance of live-in relations has been approved by 'Protection of Women from Women's Protection Act-2005'. From this there will also be protection for women living in these relation.

    Regarding the Central Adoption Resource Authority (CARA)

    Central Adoption Resource Authority (CARA) is a statutory body of the Ministry of Women and Child Development, Government of India. It functions in the form of a central body for adoption of Indian children, and it is also mandatory to monitor and control the domestic and inter-country adoption work. Under the provisions of the hedge agreement adopted in 1993, the Government of India has approved the approval of CARA as the central authority to adopt internal-country adoption in 1993.






    Marathi | मराठी

    लिव इन संबंधामध्ये राहणार्‍या जोडप्यांना मूल दत्तक घेता येणार नाही: CARA

    मूल दत्तक घेण्याबाबत देशातील सर्वोच्च नियामक मंडळाने लिव इन संबंधामध्ये राहणार्‍या जोडप्यांवर मुलांना दत्तक घेण्यासाठी बंदी घातली आहे. या संघटनेचे असे मानणे आहे की, भारतात लग्न न झालेल्यांना एक स्थिर कुटुंब मानले जात नाही.
    नवे नियम
    • केंद्रीय दत्तक स्त्रोत प्राधिकरण (CARA) एकट्या राहणार्‍या स्त्रीला पुरुष व स्त्री कोणतेही लिंग असलेले मूल दत्तक घेण्यास परवानगी देते, परंतु पुरुषाला केवळ पुरुष मूल दत्तक घेण्याची परवानगी दिली आहे.
    • जर अर्जदार विवाहित असेल, तर पती/पत्नी दोघांचीही सहमती असावी लागेल आणि या व्यतिरिक्त त्यांना कमीतकमी दोन वर्षांपर्यंत स्थिर वैवाहिक जीवनात जगलेले असावेत.
    • ‘दत्तक विनियम-2017’ अनुसार, अर्जदारांना शारीरिकदृष्ट्या, वित्तीय रूपाने आणि मानसिक रूपाने संपन्न असावे लागेल आणि त्यांची मूल दत्तक घेण्याची अत्याधिक इच्छा असावी.
    भारतात ‘घरगुती हिंसाचारापासून स्त्रीयांचे संरक्षण अधिनियम-2005’ मधून लिव-इन संबंधांना मान्यता दिली आहे. त्यामधून अश्या संबंधात राहणार्‍या स्त्रियांना देखील संरक्षण दिले जाईल.
    केंद्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण (CARA) बाबत
    केंद्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण (CARA) हे भारत सरकारच्या महिला व बालविकास मंत्रालयाचे एक वैधानिक मंडळ आहे. हे भारतीय मुलांना दत्तक घेण्याकरता केंद्रीय मंडळच्या स्वरुपात कार्य करते तसेच देशांतर्गत आणि आंतर-देशांतर्गत दत्तक घेण्याच्या कार्यावरही देखरेख आणि नियंत्रणास बंधनकारक आहे. 2003 साली भारत सरकारने मान्य केलेल्या, 1993 सालच्या आंतर-देशांतर्गत दत्तक घेण्याच्या हेग कराराच्या तरतुदीनुसार आंतर-देशांतर्गत दत्तक घेण्यासाठी केंद्रीय प्राधिकरण म्हणून CARA ला मान्यता मिळाली आहे.






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