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    Sunday, April 22, 2018

    Impeachment of Chief Justice of India: How? भारताच्या सरन्यायाधीश विरुद्ध महाभियोगाची प्रक्रिया

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    करेंट अफेयर्स २२ एप्रिल २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी




    हिंदी


    विपक्ष मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया:
    कांग्रेस की अगुवाई में सात विपक्षी दलों ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू से मुलाकात कर उन्हें मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाने का प्रस्ताव सौंपा है।
    इस प्रस्ताव में 71 सांसदों के हस्ताक्षर हैं, जिनमें से 7 सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इसमें मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ दुर्व्यवहार के पांच आरोपों की सूची है। अगर राज्य सभा के अध्यक्ष ने ये प्रस्ताव मंज़ूर कर लिया गया तो दीपक मिश्रा महाभियोग का सामना करने वाले देश के पहले चीफ़ जस्टिस होंगे।

    महाभियोग क्या है?
    महाभियोग वह प्रक्रिया है जिसका प्रयोग राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जजों को हटाने के लिए किया जाता है। इसका ज़िक्र संविधान के अनुच्छेद 61, 124 (4), (5), 217 और 218 में मिलता है।
    महाभियोग प्रस्ताव सिर्फ़ तब लाया जा सकता है जब संविधान का उल्लंघन, दुर्व्यवहार या अक्षमता साबित हो गयी हो। नियमों के मुताबिक़, महाभियोग प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है।
    लोकसभा में इसे प्रस्तुत करने के लिए कम से कम 100 सांसदों के हस्ताक्षर चाहिए होंगे जबकि राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर ज़रूरी होते हैं।
    तीन सदस्यीय समिति:
    यदि उस सदन के स्पीकर या अध्यक्ष उस प्रस्ताव को स्वीकार कर लें (वे इसे ख़ारिज भी कर सकते हैं) तो तीन सदस्यों की एक समिति बनाकर आरोपों की जांच करवाई जाती है। उस समिति में एक सुप्रीम कोर्ट के जज, एक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और एक ऐसे प्रख्यात व्यक्ति को शामिल किया जाता है जिन्हें स्पीकर या अध्यक्ष उस मामले के लिए सही मानें।
    अगर यह प्रस्ताव दोनों सदनों में लाया गया है तो दोनों सदनों के अध्यक्ष मिलकर एक संयुक्त जांच समिति बनाते हैं। जांच पूरी हो जाने के बाद समिति अपनी रिपोर्ट स्पीकर या अध्यक्ष को सौंप देती है जो उसे अपने सदन में पेश करते हैं।
    वोटिंग:
    प्रस्ताव पारित होने के लिए उसे सदन में स्पेशल मेजॉरिटी मिलना ज़रूरी है। अगर दोनों सदन में ये प्रस्ताव पारित हो जाए तो इसे मंज़ूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजा जाता है। किसी जज को हटाने का अधिकार सिर्फ़ राष्ट्रपति के पास है।
    सुप्रीम कोर्ट के जज वी. रामास्वामी को महाभियोग का सामना करने वाला पहला जज माना जाता है। उनके ख़िलाफ़ मई 1993 में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। यह प्रस्ताव लोकसभा में गिर गया क्योंकि उस वक़्त सत्ता में मौजूद कांग्रेस ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया और प्रस्ताव को दो-तिहाई बहुमत नहीं मिला।


    इंग्लिश

    Impeachment of Chief Justice of India: How?
    In an unprecedented move, seven opposition parties today submitted a notice to Rajya Sabha Chairman Venkaiah Naidu requesting impeachment proceedings against Chief Justice of India Dipak Misra. The petition has signatures of 71 lawmakers, 7 of whom have retired. It lists five allegations of misbehaviour against the Chief Justice.
    Here's the 5-Step procedure to impeach the Chief Justice of India:
     The Constitution lays down the procedure for the removal of a judge of Supreme Court, which is applicable in the case of the Chief Justice of India as well. The Chief Justice of India remains in the office until the age of 65 years, unless he or she is impeached on grounds of misbehavior or incapacity.
    • A notice of motion is issued by 100 MPs from the Lok Sabha or 50 MPs from the Rajya Sabha. This motion for removal can be moved in either House.
    • The motion can either be accepted or rejected by the Speaker/Chairman of the House. If the motion is admitted, the Speaker or the Chairman of the House forms a three-member committee comprising a senior judge of the Supreme Court, a judge of the High Court and a distinguished jurist to investigate the charges. This committee would look into the alleged charges levelled against the Chief Justice of India.
    • If the three-member committee decides to support the motion, it is taken up for discussion in the House, where it had been introduced and must be passed by a special majority - which means it has to be supported by a majority of the total membership of that House not less than two-thirds of the members of that House present and voting.
    • Once it is passed, it is taken up in the next House where again it needs to be passed by a special majority.
    • After the motion is passed through both the Houses with two-third majority, the President of India is approached to remove the Chief Justice of India





    मराठी


    भारताच्या सरन्यायाधीश विरुद्ध महाभियोगाची प्रक्रिया

    राज्यसभेचे सभापती वेंकय्या नायडू यांच्याकडे सात विरोधी पक्षांनी एक प्रस्ताव दिला आहे, जो सर्वोच्च न्यायालयाचे भारताचे सरन्यायाधीश (CJI) न्यायमूर्ती दिपक मिश्रा यांच्याविरोधात महाभियोगाची कार्यवाही करण्याची मागणी करीत आहे. या याचिकेवर 71 खासदार आणि आणखी 7 (निवृत्त) लोकांच्या स्वाक्षर्‍या आहेत. त्यामध्ये सरन्यायाधीशांच्या विरूद्ध दुर्व्यवहाराचे पाच आरोप केले गेले आहेत.
    ही अशी पहिलीच वेळ आहे, जेव्हा पदावर असताना भारताच्या प्रधान न्यायाधीशांना महाभियोग प्रक्रियेला सामोरे जावे लागणार.
    महाभियोग म्हणजे काय?
    महाभियोग (Impeachment) याचा वापर देशाचे राष्‍ट्रपती, सर्वोच्च न्यायालय आणि उच्च न्यायालये यांच्या न्यायाधीशांना पदावरून हटविण्यासाठी केला जातो.
    महाभियोग प्रस्‍ताव तेव्हा तयार केला जाती, जेव्हा या सर्वोच्च पदांवर असलेले लोक भारताच्या घटनेचे उल्‍लघंन वा दुर्व्‍यवहार करीत असतात. महाभियोगाचा प्रस्‍ताव संसदेचा कोणत्याही सभागृहात मांडला जाऊ शकतो. अशी तरतूद राज्यघटनेच्या परिच्छेद 62, 124 (4), (5), 217 आणि 218 मध्ये आहे.
    मे 1993 मध्ये पहिल्यांदा सर्वोच्च न्यायालयाचे न्यायाधीश व्ही. रामास्वामी यांना महाभियोगाचा सामना करावा लागला होता. मात्र हा प्रस्‍ताव लोकसभेत मंजूर होऊ शकला नव्हता. त्यानंतर न्या. सौमित्र सेन (2011), न्या. पी. डी. दिनाकरन (2011), जे. बी. पार्दीवाला (2015), एस. के. गंगेल (2015), न्या. सी. व्ही. नागार्जुन रेड्डी (2016) यांनाही महाभि‍योग प्रक्रियेला अंशता सामोरे जावे लागले होते.
    महाभियोगाची प्रक्रिया
    महाभियोग प्रस्‍ताव प्रस्तुत करण्यासाठी लोकसभेत 100 आमदारांच्या स्वाक्षर्‍या तर राज्‍यसभेत 50 खासदारांच्या स्वाक्षर्‍या पाहिजे असतात. प्रस्ताव सादर केल्यानंतर सभागृहाचे सभापती त्यावर निर्णय घेतात. ते अश्या प्रस्तावाला मान्य अथवा अमान्य करू शकतात.
    सभापतींनी महाभि‍योग प्रस्‍तावाला मंजूरी दिल्यानंतर 3 सदस्यीय एक समिती केलेल्या आरोपांचा तपास करते. या समितीमध्ये सर्वोच्च न्यायालयाचा एक न्यायाधीश, उच्च न्यायालयाचा एक मुख्य न्यायाधीश आणि एक अन्‍य व्यक्ती असा समावेश असतो.
    समितीला आरोपांच्या सत्यतेची खात्री पटल्यास महाभियोग प्रस्तावार संसदेत चर्चा केली जाते. त्यानंतर संसदेच्या दोन्ही सभागृहात या प्रस्‍तावाला मंजूर होण्यासाठी दोन तृतीयांश असे बहुमत असणे आवश्यक आहे. दोन्ही सभागृहात प्रस्ताव मंजूर झाल्यानंतर अंतिम निर्णय घेण्यासाठी हा प्रस्ताव राष्ट्रपतींकडे पाठविण्यात येतो. त्यावर राष्ट्रपतींची स्वाक्षरी हा अंतिम निर्णय समजाला जातो.


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