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    Tuesday, February 6, 2018

    इंटरनेशनल डे ऑफ़ जीरो टॉलरेंस फॉर फ़ीमेल जेनाइटल म्युटिलेशन: 06 फरवरी। International Day of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation: 6 February। हिंदी/ इंग्लिश/मराठी

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    करेंट अफेयर्स ६ फरवरी २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी


    हिंदी

    इंटरनेशनल डे ऑफ़ जीरो टॉलरेंस फॉर फ़ीमेल जेनाइटल म्युटिलेशन: 06 फरवरी
    महिला जननांग विकृति, पूर्ण असहिष्णुता उन्मूलन हेतु अंतर्राष्ट्रीय दिवस (इंटरनेशनल डे ऑफ़ जीरो टॉलरेंस फॉर फ़ीमेल जेनाइटल म्युटिलेशन) लड़कियों और महिलाओं के लिए जननांग विकृति पर जागरूकता पैदा करने तथा उन्मूलन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष 06 फ़रवरी को मनाया जाता है।
    विश्व स्तर पर, यह अनुमान लगाया गया है कि वर्तमान में कम से कम 200 मिलियन लड़कियां और महिलाओं को एफजीएम से गुजरना पड़ा है। 14 वर्ष से कम आयु की लड़कियां उन 44 मिलियन लोगों को दर्शाती हैं जिन्हें इस परिस्थिति से गुजरना पड़ा है। गाम्बिया में इस उम्र की 56 प्रतिशत लड़कियों को इसका सामना करना पड़ा है, जोकि विश्व स्तर पर सर्वाधिक है।
    लिंग समानता पर लक्ष्य 5 के तहत 2015 में बनाये गए सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स वर्ष 2030 तक एफजीएम को समाप्त करने की मांग करते हैं।
    क्या है फ़ीमेल जेनाइटल म्युटिलेशन?
    इसे 'खफ़्द' या 'फ़ीमेल जेनाइटल म्युटिलेशन' (एफ़जीएम) भी कहते हैं। संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के मुताबिक, "एफ़जीएम की प्रक्रिया में लड़की के जननांग के बाहरी हिस्से को काट दिया जाता है या इसकी बाहरी त्वचा निकाल दी जाती है।"
    यूएन इसे 'मानवाधिकारों का उल्लंघन' मानता है। दिसंबर 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें एफ़जीएम को दुनिया भर से ख़त्म करने का संकल्प लिया गया था। एफ़जीएम के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसे रोकने के मकसद से यूएन ने साल की 6 फ़रवरी तारीख़ को 'इंटरनेशनल डे ऑफ़ ज़ीरो टॉलरेंस फ़ॉर एफ़जीएम' घोषित किया है।
    'सहियो' और 'वी स्पीक आउट' जैसी संस्थाएं भारत में एफ़जीएम को अपराध घोषित करने और इस पर बैन लगाने की मांग कर रही हैं। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, बेल्जियम, यूके, अमरीका, स्वीडन, डेनमार्क और स्पेन जैसे कई देश इसे पहले ही अपराध घोषित कर चुके हैं।
    भारत में रोक क्यों नहीं?
    हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक एफ़जीएम पर रोक लगाने की मांग करने वाली एक याचिका पर संज्ञान लेते हुए महिला और बाल कल्याण मंत्रालय से जवाब मांगा था। मंत्रालय ने अपने जवाब कहा था कि भारत में एनसीआआरबी (नैशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो) में एफ़जीएम से सम्बन्धित कोई आधिकारिक आंकड़ा है ही नहीं। इसलिए सरकार इस बारे में कोई फ़ैसला नहीं ले सकती।
    क्यों है एफ़जीएम का प्रचलन?
    इस कृत्य का अभ्यास मुख्य रूप से अफ्रीका और मध्य पूर्व के उनतीस देशों में अधिक किया जाता हैं। इस कृत्य को मुख्यत: परिवारों और समुदायों के भीतर सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक कारणों के फलस्वरूप बचपन (जन्म के बाद) और यौवन अवस्था के बीच संपन्न किया जाता है। वैश्विक स्तर पर इस जघन्य प्रथा को लड़कियों और महिलाओं के मानवाधिकार के उल्लंघन के रूप में पहचाना गया हैं। यह कृत्य लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ़ गंभीर लिंग असमानता और हिंसा को प्रदर्शित करता है।


    इंग्लिश




    International Day of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation: 6 February
    The United Nations observed the International Day of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation (FGM) on February 6, 2018 with the campaign #EndFGM.
    What is FGM?
    Female genital mutilation (FGM) comprises all procedures that involve altering or injuring the female genitalia for non-medical reasons and is recognized internationally as a violation of the human rights of girls and women.
    It reflects deep-rooted inequality between the sexes, and constitutes an extreme form of discrimination against women and girls.
    UN Efforts
    UNFPA, jointly with UNICEF, leads the largest global programme to accelerate the abandonment of FGM. The programme currently focuses on 17 African countries and also supports regional and global initiatives.
    This Day also falls under the ongoing Spotlight Initiative, a joint project of the European Union and the United Nations to eliminate all forms of violence against women and girls. One of the specific threads of the Spotlight Initiative targets sexual and gender-based violence, and harmful practices in Sub-Saharan Africa, which include female genital mutilation.
    Key Facts related to FGM
    • Globally, it is estimated that at least 200 million girls and women alive today have undergone some form of FGM.
    • Girls 14 and younger represent 44 million of those who have been cut, with the highest prevalence of FGM among this age in Gambia at 56 per cent, Mauritania 54 per cent and Indonesia where around half of girls aged 11 and younger have undergone the practice.
    • Countries with the highest prevalence among girls and women aged 15 to 49 are Somalia 98 per cent, Guinea 97 per cent and Djibouti 93 per cent.
    • FGM is mostly carried out on young girls sometime between infancy and age 15.
    The Sustainable Development Goals in 2015 calls for an end to FGM by 2030 under Goal 5 on Gender Equality, Target 5.3 Eliminate all harmful practices, such as child, early and forced marriage and female genital mutilation.


    मराठी


    6 फेब्रुवारी - स्त्री जननेंद्रिय विकृती विरोधात शून्य सहिष्णुतेचा आंतरराष्ट्रीय दिवस

    जगभरात दरवर्षीप्रमाणे 6 फेब्रुवारी रोजी ‘स्त्री जननेंद्रिय विकृती विरोधात शून्य सहिष्णुतेचा आंतरराष्ट्रीय दिवस’ (International Day of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation) साजरा करण्यात आला.
    स्त्री जननेंद्रिय विकृती (FGM) अश्या सर्व प्रक्रियांचा समावेश आहे, ज्यामध्ये कोणतेही वैद्यकीय कारण नसताना स्त्रीच्या जननेंद्रियाला मान्यतेशिवाय जखम दिली जाते. अश्या अनैसर्गिक पद्धतीला आंतरराष्ट्रीय स्तरावर स्त्रियांच्या मानवाधिकारांचे उल्लंघन म्हणून मान्यता दिले गेले आहे.
    अश्या रूढी स्त्रियांच्या आरोग्य, सुरक्षितता आणि भौतिक एकात्मतेच्या अधिकारांचे आणि अत्याचार किंवा अमानुष वागणूकीपासून मुक्त असण्याचा त्यांच्या अधिकारांचे उल्लंघन करीत आहे.
    UNICEF सह 2008 मध्ये स्थापन करण्यात आलेल्या संयुक्त राष्ट्रसंघ लोकसंख्या कोष (United Nations Population Fund -UNFPA) या संघटनेनी FGM विरोधात आणि या पद्धतीच्या निर्मूलनासाठी सर्वात मोठा जागतिक कार्यक्रम हाती घेतला आहे. हा कार्यक्रम सध्या 17 आफ्रिकेतील देशांवर केंद्रित आहे आणि प्रादेशिक व जागतिक पुढाकारांना देखील मदत करतो.
    जागतिक स्वरूप
    जागतिक पातळीवर, सध्या किमान 200 दशलक्ष मुली आणि स्त्रियांना FGM संबंधी कोणत्यातरी स्वरुपात व्याधी असल्याचा अंदाज आहे.
    स्त्री जननेंद्रिय विकृती (FGM) ने प्रभावित असलेल्या 14 वर्ष आणि त्याखालील वयोगटातील 44 दशलक्ष मुली या सर्वाधिक प्रमाणात गॅम्बिया मध्ये (56%), त्यानंतर मॉरिटानिया (54%) राहतात. यासंबंधित 11 वर्ष आणि त्याखालील वयोगटातील मुलींमधील अर्धी लोकसंख्या इंडोनेशिया मध्ये आढळते. 15 ते 49 वर्षे वयोगटातील मुली आणि महिला यांच्यामध्ये सर्वाधिक प्रभावीत असलेले देश म्हणजे सोमालिया (98%), गिनी (97%) आणि जिबूती (93%) हे आहेत.
    सर्व संयुक्त राष्ट्रसंघ सदस्यीय देशांनी स्त्री जननेंद्रिय विकृती (FGM) संबंधी प्रथांचे निर्मूलन तसेच बाल आणि सक्तीचे विवाह यासारख्या इतर हानीकारक प्रथांचे निर्मूलन हे वर्ष 2030 पर्यंतच्या शाश्वत विकास उद्दिष्ट (SDG) ठेवलेले आहे.
    पार्श्वभूमी
    20 डिसेंबर 2012 रोजी संयुक्त राष्ट्रसंघाच्या आमसभेने ठराव पारित करून दरवर्षी 6 फेब्रुवारी हा दिवस ‘स्त्री जननेंद्रिय विकृती विरोधात शून्य सहिष्णुतेचा आंतरराष्ट्रीय दिवस’ म्हणून पाळण्याचे मान्य केले. या दिवशी अश्या रूढी विरोधात नागरी समाजात जागरुकता वाढविण्याच्या मोहिमा वाढविण्यासाठी कार्य केले जाते.
    डिसेंबर 2014 मध्ये, संयुक्त राष्ट्रसंघाच्या आमसभेने ‘स्त्री जननेंद्रिय विकृती (FGM) च्या निर्मूलनासाठी तीव्र वैश्विक प्रयत्न’ यासंबंधी ठराव मंजूर करण्यात आला.


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