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    Sunday, December 24, 2017

    Understanding RBI’s ‘Banks under Prompt Corrective Action’ आरबीआई की 'त्‍वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के तहत बैंक' की स्थिति को समझें: Currentaffairs 24 December 2017 - Hindi / English / Marathi

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    Currentaffairs 24 December 2017 - Hindi / English / Marathi

    Hindi

    आरबीआई की 'त्‍वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के तहत बैंक' की स्थिति को समझें:
    कई मध्य आकार के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को उनकी कमजोर बैलेंस शीट के कारण 'त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई' (पीसीए)' ढाँचे में रखे जाने के बाद, अब भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी नजर बड़े आकार के बैंकों की ओर की है।
    भारतीय रिज़र्व बैंक के संशोधित पीसीए फ्रेमवर्क के मुताबिक, नियामक को बैंकों पर कुछ विशेष प्रतिबंध लगाने की अनुमति मिल सकती है जैसे शाखा विस्तार को और लाभांश भुगतान रोकना, बैंक की ऋण सीमा को किसी एक इकाई या क्षेत्र में सीमित करना, एकीकरण, पुनर्निर्माण, बैंक को बंद करना या अनिवार्य कार्रवाई जैसे कि प्रबंधन मुआवजा और निदेशकों की फीस पर प्रतिबंध लगाना शामिल है।
    रिजर्व बैंक ने बीओआई को 'निगरानी' में डाला:
    शेयर बाजारों को भेजी सूचना में बैंक ऑफ इंडिया ने कहा कि मार्च, 2017 को समाप्त वर्ष के दौरान के लिए जोखिम आधारित निगरानी मॉडल के तहत ऑनसाइट निरीक्षण के बाद केंद्रीय बैंक ने उसे तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई व्यवस्था के अंतर्गत रख दिया है।
    इस कार्रवाई से जोखिम प्रबंधन, संपत्ति की गुणवत्ता, मुनाफा और दक्षता में सुधार होगा।  मार्च, 2017 के अंत तक बैंक का सकल एनपीए बढ़कर 13.22 फीसदी हो गया, जो एक साल पहले 13.07 फीसदी था।
    हालांकि बैंक का शुद्ध एनपीए सुधरकर 6.90 फीसदी हो गया , जो इससे पिछले साल 7.79 फीसदी था। चालू वित्त वर्ष की सितंबर में समाप्त तिमाही के दौरान बैंक की संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार हुआ और कुल एनपीए कुल कर्ज की तुलना में मामूली घटकर 12.62 फीसदी रहा, जो एक साल पहले 13.45 फीसदी पर था।
    आपको बता दें कि इससे पहले आरबीआई ने कुछ और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों जैसे आईडीबीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया, देना बैंक, ओरिएण्टल बैंक ऑफ़ कॉमर्स और बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई शुरू की है।
    पीसीए क्या है?
    पीसीए के नियमों से नियामक को कुछ प्रतिबंधों की अनुमति मिल सकती है जैसे शाखा विस्तार को और लाभांश भुगतान रोकना। यह बैंक की ऋण सीमा को किसी एक इकाई या क्षेत्र में सीमित भी कर सकता है। बैंकों पर लगाए जा सकने वाले अन्य सुधारात्मक कार्यों में विशेष लेखा परीक्षा, पुनर्गठन कार्य और वसूली योजना के सक्रियण शामिल हैं। बैंकों के प्रमोटरों को भी नए प्रबंधन को लाने के लिए कहा जा सकता है। भारतीय रिज़र्व बैंक पीसीए के तहत, बैंक के बोर्ड को स्थानांतरित कर सकता है।
    31 मार्च 2017 को समाप्त वर्ष के लिए बैंकों के वित्तीय परिणामों के आधार पर संशोधित त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई फ्रेमवर्क (PCA) के उपबंध 1 अप्रैल 2017 से लागू हुए। तीन वर्ष के बाद इस फ्रेमवर्क की समीक्षा की जाएगी। त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई फ्रेमवर्क (PCA) के होते हुए भी, यदि रिज़र्व बैंक उचित समझेगा तो उक्त फ्रेमवर्क के अतिरिक्त वह अन्य सुधारात्मक कार्रवाई भी कर सकेगा।
    बैंकों के लिए संशोधित त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (PCA) फ्रेमवर्क की प्रमुख विशेषताएँ:
    संशोधित फ्रेमवर्क में पूंजी, परिसंपत्ति गुणवत्ता और लाभप्रदता निगरानी के प्रमुख क्षेत्र बने रहेंगे।
    पूंजी, परिसंपत्ति गुणवत्ता और लाभप्रदता के लिए जिन इंडिकटरों को ट्रैक किया जाएगा वे क्रमशः सीआरएआर/ कॉमन ईक्विटी टियर I अनुपात, नेट एनपीए अनुपात और परिसंपत्तियों पर प्रतिलाभ (रिटर्न ऑन एसेट्स) होंगे।
    पीसीए फ्रेमवर्क के भाग के रूप में अतिरिक्त निगरानी के तौर पर लीवरेज की निगरानी की जाएगी।
    जोखिम संबंधी किसी प्रारम्भिक (threshold) सीमा के उल्लंघन पर त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई योजना/ फ्रेमवर्क को लागू किया जा सकेगा।

    English

    Understanding RBI’s ‘Banks under Prompt Corrective Action’
    After placing a host of mid-sized public sector banks under the ‘prompt corrective action’ (PCA) framework due to their weak balance sheets, the Reserve Bank of India now seems to have turned its gaze on large banks. The fallout of the RBI action would be an increase in the cost of funds when the bank taps the market for resources and a dent in its market perception.
    According to the RBI’s revised PCA framework, banks with weak balance sheets may be subject to, among other things, resolution processes such as amalgamation, reconstruction, winding up, or mandatory actions such as restriction on management compensation and directors’ fees.
     BOI Placed under PCA:
    • The Bank of India (BoI), in a stock exchange notice, was placed under the PCA framework by RBI, following an on-site inspection under the Risk Based Supervision Model carried out for year ended March 2017, and the report issued thereof.
    • “This (action) is in view of high net NPA, insufficient CET1 Capital and negative ROA for two consequent years. This action will contribute to the overall improvement in risk management, asset quality, profitability, efficiency, etc of the bank.
    • As of March-end 2017, BoI had net non-performing assets (NNPA) of 6.90 per cent; common equity tier (CET) - tier I capital of 7.17 per cent; and return on average assets (RoAA) of -0.24 per cent (in FY17) and -0.94 per cent (in FY16).
    • However, since then, there has been improvement in two of the aforementioned parameters — the NNPA position has improved to 6.47 per cent and CET-I nudged up to 7.21 per cent as of September-end 2017. Information on RoAA was not readily available.
    Other PSBs placed under PCA so far include Indian Overseas Bank, Dena Bank, Corporation Bank, Central Bank of India, IDBI Bank, UCO Bank, United Bank of India, Bank of Maharashtra and Oriental Bank of Commerce. Fitch Ratings has said that more than half the country’s state-owned banks would breach at least one of the four thresholds specified by the RBI’s PCA framework, mainly owing to high NNPAs. The credit rating agency felt that the RBI may use the PCA framework to identify weak banks as candidates for mergers.
    What is Prompt Corrective Action:
    The Reserve Bank has clarified what PCA framework is: it is not intended to constrain normal operations of the banks for the general public.
    It is further clarified that the Reserve Bank, under its supervisory framework, uses various measures/tools to maintain sound financial health of banks. PCA framework is one of such supervisory tools, which involves monitoring of certain performance indicators of the banks as an early warning exercise and is initiated once such thresholds as relating to capital, asset quality etc. are breached. Its objective is to facilitate the banks to take corrective measures including those prescribed by the Reserve Bank, in a timely manner, in order to restore their financial health. The framework also provides an opportunity to the Reserve Bank to pay focussed attention on such banks by engaging with the management more closely in those areas. The PCA framework is, thus, intended to encourage banks to eschew certain riskier activities and focus on conserving capital so that their balance sheets can become stronger. The Reserve Bank has emphasized that the PCA framework has been in operation since December 2002 and the guidelines issued on April 13, 2017 is only a revised version of the earlier framework.”

    Marathi

    RBI ची ‘बँकांसाठीची त्वरित सुधारात्मक कार्यवाही (PCA)’

    भारतीय रिजर्व बँकेने (RBI) अधिक कर्जामुळे बँकिंग क्षेत्रातल्या वाढत्या अकार्यक्षम संपत्तीमुळे (NPA) देशातील मोठ्या बँकांचा जमा-खर्च नकारात्मक दिसून येत आहे.
    त्यामुळे RBI ने आतापर्यंत सार्वजनिक क्षेत्रातील 10 बँकांविरुद्ध ‘त्वरित सुधारात्मक कार्यवाही (Prompt Corrective Action)’ संचालित केली आहे. त्यामध्ये – ओरिएंटल बँक ऑफ कॉमर्स (OBC), IDBI बँक, इंडियन ओवरसीज बँक, UCO बँक, सेंट्रल बँक ऑफ इंडिया, देना बँक, बँक ऑफ महाराष्ट्र, कॉरपोरेशन बँक, यूनायटेड बँक ऑफ इंडिया आणि बँक ऑफ इंडिया – या बँकांचा समावेश आहे.
    बँकांच्या निव्वळ NPA मध्ये 10% ची वृद्धी झालेली आहे आणि वर्ष 2017 च्या शेवटी दुसर्‍या तिमाहीत 1035 कोटी रुपयांचे नुकसान झाले. वर्तमानात बँकांची भांडवली पुरेसा प्रमाण 10.23% आहे आणि मार्च 2018 पर्यंत बँकांना हे 10.875% इतके राखणे आवश्यक आहे.
    ‘त्वरित सुधारात्मक कार्यवाही’ म्हणजे काय?
    ‘त्वरित सुधारात्मक कार्यवाही (PCA)’ हे RBI द्वारा प्रस्तुत केले गेलेले एक गुणात्मक साधन आहे, ज्याअंतर्गत बँकांचे वित्तीय आरोग्य कायम चांगले राखण्यासाठी कमकुवत बँकांवर प्रत्यक्ष कार्यवाही केली जाते आणि त्यांना अत्याधिक नुकसानीपासून वाचविण्यात येते.
    नियामक कार्यवाहीमधून बँकांची कार्यक्षमतेवर “कोणत्याही प्रकारे भौतिक प्रभाव” पडत नाही आणि ही कार्यवाही आपत्ती व्यवस्थापन, संपत्तीची गुणवत्ता, लाभ आणि दक्षता यामध्ये समग्र सुधारणा आणण्यास योगदान देते.
    एकदा का PCA लागू केले गेले तर बँकांना शाखा खोलणे, कर्मचार्‍यांची भर्ती आणि कर्मचार्‍यांची वेतन वृद्धी अश्या खर्चांवर प्रतिबंध लडला जाऊ शकतो. आता बँका फक्त त्याच कंपन्यांना कर्ज देऊ शकतात, ज्यांचे कर्ज इन्वेस्टमेंट ग्रेडच्या अधिकची आहे.
    PCA चे मापदंड
    RBI ने मूल्यांकनासाठी चार मापदंड प्रस्तुत केले आहेत, ज्यामधून हे ओळखले जाते की बँकेला त्वरित सुधारात्मक कार्यवाहीच्या कक्षेत आणले जावे का?
    • कॅपिटल टू रिस्क वेटेड रेशि (CRAR) – हे प्रमाण 9% च्या खाली असल्यास बँक आपत्ती परिस्थितीत असल्याचे घोषित होणार.
    • NPA (अकार्यक्षम संपत्ती) – जर NPA 6% -9% हून अधिक झाल्यास बँक आपत्ती परिस्थितीत असल्याचे घोषित होणार.
    • मालमत्तेवरील लाभ (ROA एकूण उत्पन्न / एकूण संपत्ती) – जर मालमत्तेवरील परतावा 0.25% पेक्षा खाली असल्यास बँक आपत्ती परिस्थितीत असल्याचे घोषित होणार.
    • पत प्रमाण (Leverage ratio) –  जर लाभ संपत्तीच्या 25% हून अधिक असल्यास बँकेच्या प्रथम मर्यादेंतर्गत पत प्रमाण 3.5-4.0% दरम्यान असल्यास बँक आपत्ती परिस्थितीत असल्याचे घोषित होणार.
    या मापदंडांमध्ये प्रत्येकाला स्थितीच्या गंभीरतेनुसार वर्गीकृत केले गेले आहे आणि प्रत्येक श्रेणी RBI द्वारा एक वेगळ्या संचाची कार्यवाही केली जाते.
    सोबतच प्रत्येक मापदंडासाठी तीन आपत्ती मर्यादा निश्चित केली आहे आणि प्रत्येक मर्यादेसाठी विशिष्ट सुधारक उपायांनाही जोडले आहे. सुधारात्मक कार्य बँकांवरील आपत्तीवर निर्भर करणार. कोणत्याही आपत्ती मर्यादेच्या उल्लंघनाच्या परिणामस्वरूप PCA ला आमंत्रित केले जाते. आपत्ती अधिक असल्यास बँकांसाठी सुधारात्मक कार्यवाही अधिक हे कठीण होईल.
    पार्श्वभूमी
    1980 आणि 1990 दशकाच्या सुरूवातीला जगभरात कित्येक बँका आणि वित्तीय संस्थांनी वित्तीय संकटाच्या दरम्यान मौद्रिक नुकसानीचा सामना केला होता. 1600 हून अधिक वाणिज्यिक बँका आणि बचत बँका एकतर बंद झाल्या किंवा अमेरिकेकडून त्यांना वित्तीय सहकार्य प्राप्त झाले. त्यांना झालेले नुकसान USD 100 अब्जहून अधिक होते.
    बँका आणि वित्तीय संस्थांना अश्या परिस्थितीमधून बाहेर काढण्यासाठी योग्य निरीक्षणात्मक धोरणाची (म्हणजेच त्वरित सुधारात्मक कार्यवाही) आवश्यकता निर्माण झाली.
    भारतात प्रथम वर्ष 2002 मध्ये RBI गव्हर्नर बिमल जलान यांच्या कार्यकाळात PCA प्रस्तुत केले गेले आणि एप्रिल 2017 मध्ये RBI गवर्नर उर्जित पटेल यांनी या नियमांना आणखी कडक केले. ही प्रक्रिया ग्रामीण प्रादेशिक बँका (RRB) यांना वगळता सर्व अनुसूचित वाणिज्यिक बँकांसाठी (SCB) लागू होते. याच्या कार्यकक्षेत पेमेंट बँक, NBFC आणि मुद्रा बँका येत नाहीत.

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