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    Thursday, June 14, 2018

    Scientists developed micro capsules made of spider web fibers:

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    Current Affairs 14 June 2018
    करेंट अफेयर्स 14 जून 2018 हिंदी/ इंग्लिश/मराठी



    Hindi | हिंदी

    वैज्ञानिकों ने मकड़ी के जाले के रेशे से बने माइक्रो कैप्सूल विकसित किए:
    कैंसर के क्षेत्र में शोध कर रहे वैज्ञानिकों ने मकड़ी के जाले के रेशे से बने ऐसे माइक्रो कैप्सूल विकसित किए हैं जो प्रतिरक्षा कोशिकाओं तक सीधे कैंसर वैक्सीन को पहुंचा सकते हैं। वैज्ञानिकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
    कैंसर से लड़ने के लिए शोधकर्ता इस प्रकार की वैक्सीन का इस्तेमाल करते हैं जो रोग प्रतिरोधक प्रणाली को सक्रिय कर सके और ट्यूमर कोशिकाओं की पहचान कर उन्हें नष्ट कर सके। हालांकि प्रतिरक्षा तंत्र से जैसी प्रतिक्रिया की उम्मीद होती है वैसी हमेशा मिल नहीं पाती है।
    प्रमुख तथ्य:
    कैंसर के उपचार के लिए शोधकर्ता जिस वैक्सीन का इस्तेमाल करते हैं वो इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) को सक्रिय करके और ट्यूमर कोशिकाओं की पहचान कर उन्हें नष्ट कर सकती है। लेकिन परिणाम हमेशा अनुकूल नहीं होते।
    प्रतिरक्षा प्रणाली, खासकर कैंसर कोशिकाओं की पहचान करने वाली टी-लिम्फोसाइट कोशिकाओं पर वैक्सीन के प्रभाव को बढ़ाने के लिए शोधकर्ताओं ने मकड़ी के जाले के रेशे से निर्मित माइक्रो कैप्सूल बनाए हैं जो प्रतिरक्षा कोशिकाओं के केंद्र तक सीधे वैक्सिन को पहुंचाने में सक्षम हैं।
    इस प्रकार के माइक्रो कैप्सूल यूनिवर्सिटी ऑफ फ्रीबर्ग और लुडविक मैक्जिमिलियान यूनिवर्सिटी, म्यूनिख के शोधकर्ताओं ने विकसित किए हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक़ हमारी रोग प्रतिरोधक प्रणाली में दो तरह की कोशिकाएं होती हैं, पहली बी-लिम्फोसाइट जो विभिन्न संक्रमणों से लड़ाई के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन करती हैं।
    दूसरी कोशिकाएं हैं टी-लिम्फोसाइट। कैंसर के अलावा टीबी जैसे कुछ संक्रामक रोगों के मामलों में टी-लिम्फोसाइट को सक्रिय करने की जरूरत होती है। मकड़ी के जाले के रेशे से बने ये माइक्रो कैप्सूल प्रतिरक्षा कोशिकाओं के केंद्र तक सीधे वैक्सिन को पहुंचाने में सक्षम हैं।
    इस शोध के परिणाम पत्रिका 'बायोमैटेरियल्स' में प्रकाशित हुए हैं।





    English | इंग्लिश

    Scientists developed micro capsules made of spider web fibers:


    Scientists researching in the field of cancer have developed micro capsules made of spider web fibers which can reach the immune cells directly to the cancer vaccine. This is an important achievement for scientists.

    Researchers use this type of vaccine to fight cancer, which can activate the immune system and identify and destroy tumor cells. Although the response from the immune system is expected, he can not always get it.

    Key facts:

    Researchers using the vaccine for the treatment of cancer can activate the immune system and identify and destroy tumor cells. But the results are not always favorable.

    In order to increase the effect of vaccine on the immune system, especially T-lymphocyte cells that identify cancer cells, researchers have created micro-capsules made of spider web fibers capable of reaching the vaccine directly to the center of the immune cells.

    These types of micro capsules have been developed by the University of Freiburg and Ludwik McGimilian University, Munich researchers. According to the researchers, there are two types of cells in our immune system, the first B-lymphocytes that produce antibodies to fight with various infections.

    The second cells are T-lymphocytes. In addition to cancer, in cases of some infectious diseases such as TB, T-lymphocytes need to be activated. These micro capsules made from spider web fibers are capable of reaching the vaccine directly to the center of the immune cells.

    The results of this research have been published in the journal 'Biomaterials'.






    Marathi | मराठी

    शास्त्रज्ञांनी कोळीच्या जाळ्याच्या धाग्यापासून मायक्रो कॅप्सुल विकसित केली

    युनिव्हर्सिटी ऑफ फ्रीबर्ग आणि लुडविक मॅक्जिमिलियन युनिव्हर्सिटी, म्यूनिख येथील कर्करोगाच्या क्षेत्रात शोध घेणार्‍या शास्त्रज्ञांनी कोळीच्या जाळ्याच्या धाग्यापासून एक असे मायक्रो कॅप्सुल विकसित केले आहे, जे रोगप्रतिकारक पेशींपर्यंत सरळ औषध/लस पोहचवू शकते.
    औषध थेट लक्ष्यित पेशींपर्यंत पोहचल्यास मानवाची रोगप्रतिकारक प्रणाली सक्रिय होऊन ट्यूमरसाठी कारक ठरणार्‍या पेशींवर हल्ला चढवून त्या नष्ट केल्या जाऊ शकतात.
    आपल्या रोगप्रतिकारक प्रणालीमध्ये दोन प्रकारच्या पेशी असतात – 1) बी-लिम्फोसाइट आणि 2) टी-लिम्फोसाइट.
    बी-लिम्फोसाइट विविध संक्रमनांपासून बचाव करण्यासाठी प्रतिजैविके तयार करते. तर टी-लिम्फोसाइट पेशींना कर्करोग, क्षयरोग सारख्या काही रोगांमध्ये सक्रिय करण्याची आवश्यकता असते.
    रोगप्रतिकारक प्रणाली, मुख्यताः कर्करोगाच्या पेशींची ओळख पटविणार्‍या टी-लिम्फोसाइट पेशींवर लसीचा प्रभाव वाढविण्यासाठी शास्त्रज्ञांनी हा शोध लावला आहे.







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