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    Wednesday, May 30, 2018

    India-Bangladesh relations: A relation Beyond Borders. भारत-बांग्लादेश संबंध

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    भारत-बांग्लादेश संबंध

    बांग्लादेशच्या पंतप्रधान शेख हसीना या भारत भेटीवर आल्या आहेत. चर्चेसाठी बांग्लादेशाचे 153 प्रतिनिधी भारतात आले आहेत.
    या दरम्यान दोन्ही देशांच्या संबंधांचे प्रतीक म्हणून 25 मे 2018 रोजी पंतप्रधानांनी कोलकातापासून 160 किलोमीटर अंतरावर असलेल्या शांतिनिकेतन येथे विश्व भारती विद्यापीठाच्या परिसरात बांग्लादेश भवनाचे उद्घाटन करण्यात आले. ‘बांग्लादेश भवन’ हे भारत आणि बांग्लादेशामधील सांस्कृतिक भावबंधाचे प्रतीक आहे.
    संबंध
    शेजारी देश आणि प्राचीन इतिहास अश्या दोन्ही बाबतीत भारत आणि बांग्लादेश मित्र राष्ट्र असल्याने दिवसेंदिवस मैत्रीसंबंध वाढत आहेत. भारत आणि बांग्लादेश हे दोन देश स्वतंत्र असले तरीही परस्पर सहकार्य आणि समन्वयाच्या माध्यमातून ते परस्परांशी जोडलेले आहेत.
    अलीकडेच घडलेल्या घडामोडींबाबत या भेटीदरम्यान काही चर्चित मुद्दे पुढीलप्रमाणे आहेत -
    • दोन्ही देश क्रौर्य आणि दहशतवादाविरोधात लढा यापुढेही कायम चालू ठेवण्यास मान्य केले आहे.
    • दोन्ही देशांमधील संबंधांच्या दृष्टीने गेल्या 4 वर्षांमध्ये भू-सीमा मुद्दा तसेच विविध जोडणी प्रकल्पांना राबवले जात आहे.
    • भारत-बांगलादेश संबंधांमधून 2015 सालच्या भू-सीमा कराराची यशस्वीरीत्या अंमलबजावणी झाल्याचे मान्य केले गेले. दोन्ही देशांनी 1974 साली या संदर्भात एक करार केला होता. मात्र त्यानंतरच्या राजकीय वादामुळे त्याच्या अंमलबजावणीला विलंब झाला. 
    • बांग्लादेशात जवळजवळ 11 लाख रोहिंग्या लोकांना आश्रय देण्यात आला आहे, परंतु त्यामुळे देशातील गरजा भागविण्यामध्ये अतिरिक्त भार पडत असल्याने त्यांनी भारताकडे मदत करण्यास विनंती केली.

    India-Bangladesh relations: A relation Beyond Borders
    On March 26, 1971 Pakistan army lost to Indian side which led the creation of Bangladesh. In 1972, India and Bangladesh signed Treaty of Friendship. India supported Bangladesh in gaining their independence and in more than 4 decades of their relationship; it can’t be said that both countries have smooth and cordial relation.
    What are the major issues between India and Bangladesh?
    1. Farakka Barrage
    A major area of contention has been the construction and operation of the Farakka Barrage by India to increase water supply in the river Hoogly. Bangladesh insists that it does not receive a fair share of the Ganges waters during the drier seasons, and gets flooded during the monsoons when India releases excess waters.
    2. Terrorism
    Terrorist activities carried out by outfits based in both countries, like Banga Sena and Harkat-ul-Jihad-al-Islami. Recently India and Bangladesh had agreed jointly to fight terrorism.
    3. Transit Facility
    Bangladesh has consistently denied India transit facility to the landlocked North Eastern Regions of India. Although India has a narrow land link to this North Eastern region, which is famously known as the Siliguri Corridor or "India's Chicken Neck".
    4. Illegal Migrants
    Illegal Bangladeshi immigration into India. The border is porous and migrants are able to cross illegally, though sometimes only in return for financial or other incentives to border security personnel. Bangladeshi officials have denied the existence of Bangladeshis living in India.
    It is highly unlikely that two countries will have always cordial relations. India and Bangladesh both countries have mutual understanding that they are part of same neighbourhood and both various initiatives taken by Indian side seems working well.
    Bangladesh is an important conduit for India’s Act East Policy, and there have even been some proposals of a strong trilateral between India-Bangladesh and Myanmar, such as a gas pipeline (although the current security situation may not permit it).
    Both countries are also part of a number of groupings that seek to expand South Asia’s connectivity with Southeast Asia and China; these include the Mekong Ganga Cooperation Initiative, BIMSTEC, and the BCIM (Bangladesh-China-India-Myanmar) economic corridor project.


    भारत-बांग्लादेश संबंध: सीमाओं से परे एक रिश्ता
    25 मई 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने विश्र्व भारती विश्र्वविद्यालय, शांतिनिकेतन के परिसर में 'बांग्लादेश भवन' का उद्घाटन किया। 'बांग्लादेश भवन' भारत और बांग्लादेश के सांस्कृतिक बंधुत्व का प्रतीक है।
    यह भवन दोनों देशों के करोड़ों लोगों के बीच कला, भाषा, संस्कृति, शिक्षा, पारिवारिक रिश्तों और अत्याचार के खिलाफ साझा संघर्षों से मजबूत हुए रिश्तों का भी प्रतीक है।
    रिश्तों की शुरुआत:
    26 मार्च, 1971 को पाकिस्तानी सेना भारतीय सेना से युद्ध में पराजित हुई थी जिसके बाद पूर्वी पाकिस्तान के अलग देश 'बांग्लादेश' बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ था। वर्ष 1972 में, भारत और बांग्लादेश ने मैत्री संधि पर हस्ताक्षर किए थे।
    हालाँकि इन सबके बावजूद भी माना जाता है कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ अपना हित साध रहा है। नतीजतन दशकों पुराने भूमि, जल, अवैध प्रवास और सीमा सुरक्षा से संबंधित मुद्दे अब भी सुलझ नहीं पाए हैं, जबकि बांग्लादेश अपने परिधान उत्पादों के व्यापक निर्यात के लिए भारत के बाजारों में अनुकूल पहुंच चाहता है।
    भारत और बांग्लादेश के बीच प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
    फराक्का बैराज: हुगली नदी में पानी की आपूर्ति में वृद्धि के लिए भारत द्वारा फराक्का बैराज का निर्माण और संचालन विवाद का एक बड़ा मुद्दा रहा है। बांग्लादेश जोर देकर कहता है कि सूखे के मौसम के दौरान उन्हें गंगा के जल का उचित हिस्सा नहीं मिलता है, जबकि मानसून के दौरान जब भारत अतिरिक्त पानी जारी करता है तो वहां बाढ़ आ जाती है।
    आतंकवाद: बंग सेना और हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी जैसे दोनों देशों में स्थित संगठनों द्वारा की जाने वाली आतंकवादी गतिविधियां। हाल ही में भारत और बांग्लादेश आतंकवाद से लड़ने के लिए संयुक्त रूप से सहमत हुए थे।
    पारगमन सुविधा: बांग्लादेश ने लगातार भारत के लैंडलॉक्ड उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में पारगमन सुविधा को आसान बनाने की भारत सरकार की योजनाओं को ख़ारिज किया है। यद्यपि भारत के पास इस पूर्वी क्षेत्र के लिए एक संकीर्ण भूमि लिंक है, जिसे प्रसिद्ध रूप से सिलीगुड़ी कॉरिडोर या "भारत की चिकन नेक" के नाम से जाना जाता है।
    अवैध प्रवासी: भारत में अवैध बांग्लादेशी प्रवासन एक गंभीर मुद्दा है। दोनों देशों के बीच की सीमा बहुत अधिक सुरक्षित नहीं है और अप्रवासी व्यक्ति अवैध रूप से इसे पार करने में सक्षम हैं। इसके साथ ही बांग्लादेशी अधिकारियों ने भारत में रहने वाले बांग्लादेशियों के बांग्लादेशी अस्तित्व से इंकार कर दिया है।
    टिप्पणी:
    भारत-बांग्लादेश के मध्य द्विपक्षीय व्यापार में हाल के वर्षों में बढ़ोतरी के प्रयास किए गए हैं। इसके साथ ही भारत ने बांग्लादेश के विकास में भी अपनी साझेदारी बढ़ाई है। गौरतलब है कि भारत पड़ोसी देशों के साथ सम्पर्क तथा अन्त-क्रिया बढ़ाने व इन देशों व भारत की जनता के बीच संवाद व सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ाने पर बल दे रहा है।
    भारत द्वारा अपने सीमावर्ती क्षेत्रों व इन देशों के मध्य संचार व यातायात ढाँचे के विकास पर बल दिया गया है। हालाँकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत ने एलबीए का सामरिक लाभ समुचित ढ़ंग से नहीं उठाया है।
    भारत-बांग्लादेश संबंधों को सही मायने में सफल करने के लिए भारत को बांग्लादेश के लोगों का दिल जीतना होगा और एक अमित्र पड़ोसी की धारणा को खत्म करने के उपाय तलाशने होंगे। भूमि सीमा समझौता इस दिशा में एक अच्छी पहल है।

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