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    Friday, April 27, 2018

    मंत्रिमंडल ने पुर्नगठित राष्ट्रीय बांस मिशन को स्वीकृति दी: Restructured National Bamboo Mission approved केंद्र पुरस्कृत पुनर्रचित राष्ट्रीय बांबू अभियानाला मंत्रिमंडळाची मंजूरी

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    करेंट अफेयर्स २७ एप्रिल २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी
    मंत्रिमंडल ने पुर्नगठित राष्ट्रीय बांस मिशन को स्वीकृति दी:
    Restructured National Bamboo Mission approved

    केंद्र पुरस्कृत पुनर्रचित राष्ट्रीय बांबू अभियानाला मंत्रिमंडळाची मंजूरी



    हिंदी

    मंत्रिमंडल ने पुर्नगठित राष्ट्रीय बांस मिशन को स्वीकृति दी:
    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने 25 अप्रैल 2018 को 14वें वित्त आयोग (2018-19 तथा 2019-20) की शेष अवधि के दौरान सतत कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमएसए) के अंतर्गत केन्द्र प्रायोजित राष्ट्रीय बांस मिशन (एनबीएम) को स्वीकृति दे दी है।
    मिशन सम्पूर्ण मूल्य श्रृंखला बनाकर और उत्पादकों (किसानों) का उद्योग के साथ कारगर संपर्क स्थापित करके बांस क्षेत्र का सम्पूर्ण विकास सुनिश्चित करेगा।
    मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने एनबीएम के दिशा-निर्देशों को तैयार करने तथा दिशा-निर्देशों में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की स्वीकृति के साथ राज्यों की विशेष सिफारिशों के अनुसार समय-समय पर उठाए गए कदमों के लिए लागत के तौर-तरीकों सहित अन्य परिवर्तन करने के लिए कार्यकारी समिति को शक्तियां प्रदान करने को भी अपनी मंजूरी दे दी।
    प्रमुख तथ्य:
    14वें वित्त आयोग (2018-19 तथा 2019-20) की शेष अवधि के दौरान मिशन लागू करने के लिए 1290 करोड़ रुपये का (केन्द्रीय हिस्से के रूप में 950 करोड़ रुपये के साथ) प्रावधान किया गया है।
    इस योजना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से किसानों, स्थानीय दस्तकारों और बांस क्षेत्र में काम कर रहे अन्य लोगों को लाभ होगा। पौधरोपण के अंतर्गत लगभग एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र को लाने का प्रस्ताव किया गया है।
    मिशन उन सीमित राज्यों में जहां बांस के सामाजिक, वाणिज्यिक और आर्थिक लाभ हैं वहां बांस के विकास पर फोकस करेगा, विशेषकर पूर्वोत्तर क्षेत्र में और मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओड़िशा, कर्नाटक, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रेदश, तेलंगाना, गुजरात, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में। आशा है कि यह मिशन 4,000 शोधन/उत्पाद विकास इकाईयां स्थापित करेगा और 1,00,000 हेक्टेयर क्षेत्र पौधरोपण के अंतर्गत लाएगा।
    बांस पौधरोपण से कृषि उत्पादकता और आय बढ़ेगी और परिणामस्वरूप भूमिहीनों सहित छोटे और मझौले किसानों तथा महिलाओं की आजीविका अवसर में वृद्धि होगी और उद्योग को गुणवत्ता सम्पन्न सामग्री मिलेगी।
    इस तरह यह मिशन न केवल किसानों की आय बढ़ाने के लिए संभावित उपाय के रूप में काम करेगा, बल्कि जलवायु को सुदृढ़ बनाने और पर्यावरण लाभों में भी योगदान करेगा। मिशन कुशल और अकुशल दोनों क्षेत्र में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन में सहायक होगा।
    पृष्ठभूमिः
    राष्ट्रीय बांस मिशन (एनबीएम) केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में 2006-07 में प्रारंभ किया गया। मिशन का बल मुख्य रूप से बांस के प्रचार और उत्पादन पर था और प्रसंस्करण, उत्पाद विकास तथा मूल्यवर्धन पर सीमित प्रयास किए गए थे। उत्पादकों (किसानों) तथा उद्योग के बीच सम्पर्क की कड़ी कमजोर थी।
    पुर्नगठित प्रस्ताव गुणवत्ता सम्पन्न पौधारोपण के प्रचार, उत्पाद विकास तथा मूल्यवर्धन पर एक साथ बल देता है। इसमें प्राथमिक प्रसंस्करण और शोधन, सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम, उच्च मूल्य के उत्पाद, बाजार और कौशल विकास शामिल है। इस तरह इसमें बांस क्षेत्र के विकास के लिए सम्पूर्ण मूल्य श्रृंखला बनाने पर बल दिया गया है।
    राष्ट्रीय बांस मिशन (एनबीएम) प्रारंभ में 2006-07 में केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया था। 2014-15 में इसे बागवानी के एकीकृत विकास के लिए मिशन (एमआईडीएच) के अंतर्गत शामिल कर लिया गया। ऐसा 2015-16 तक चला।
    आईबीएम के अंतर्गत पहले किए गए बांस रोपण के रख-रखाव के लिए धन जारी किए गए थे और कोई नया कार्य नहीं शुरू किया गया था और वार्षिक कार्य योजना भी नहीं शुरू की गई थी। 2006-07 से बांस पौधरोपण के अंतर्गत 3.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया और बांस के 39 थोक बाजार, 40 बांस बाजार स्थापित किए गए और 29 खुदरा दुकानें खोली गई।



    इंग्लिश


    Restructured National Bamboo Mission approved
    Cabinet Committee on Economic Affairs has approved the continuation of centrally sponsored scheme National Bamboo Mission under the National Mission for Sustainable Agriculture. It will continue till 2020.
    An outlay of Rs. 1290 Cr has been provisioned for implementation of the mission during the remaining period of 14th Finance Commission (2018-19 and 2019-20).
    Who will benefit under the scheme:
    • The scheme will directly or indirectly benefit the farmers.
    • Local artisans and allied industries will also benefit from that.
    • The mission envisions to bring 1 lakh hectare under the bamboo cultivation. Thus, it is expected that directly 1 lakh farmers will benefit from the bamboo cultivation.
    States covered under it:
    Northeast states will be at the central focus apart from states including Madhya Pradesh, Maharashtra, Chhattisgarh, Odisha, Karnataka, Uttarakhand, Bihar, Jharkhand, Andhra Pradesh, Telangana, Gujarat, Tamil Nadu and Kerala.
    Restructured National Bamboo Mission:
    (i) To increase the area under bamboo plantation in non-forest Government and private lands to supplement farm income and contribute towards resilience to climate change.
    (ii) To improve post harvest management  through establishment of innovative primary processing units, treatment and seasoning plants, primary treatment and seasoning plants, preservation technologies and market infrastructure.
    (iii) To promote product development at micro, small and medium levels and feed bigger industry.
    (iv)To rejuvenate the under developed bamboo industry in India.
    (v) To promote skill development, capacity building, awareness generation for development of bamboo sector.
    National Bamboo Mission background:
    • National Bamboo Mission (NBM) started as a Centrally Sponsored Scheme in 2006-07, was mainly emphasizing on propagation and cultivation of bamboo, with limited efforts on processing, product development and value addition.
    • There, was weak linkage between the producers (farmers) and the industry. The restructured proposal gives simultaneous emphasis to propagation of quality plantations of bamboo, product development and value addition including primary processing and treatment; micro, small & medium enterprises as well as high value products; markets and skill development, thus addressing the complete value chain for growth of the bamboo sector.





    मराठी

    केंद्र पुरस्कृत पुनर्रचित राष्ट्रीय बांबू अभियानाला मंत्रिमंडळाची मंजूरी

    पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या अध्यक्षतेखाली आर्थिक व्यवहार विषयक मंत्रिमंडळ समितीकडून 14 व्या वित्त आयोगाच्या  (सन 2018-19 आणि सन 2019-20) उर्वरित कालावधीदरम्यान राष्ट्रीय शाश्वत कृषी अभियानांतर्गत केंद्र पुरस्कृत पुनर्रचित ‘राष्ट्रीय बांबू अभियाना’ला (NBM) मंजुरी मिळाली आहे.
    निर्धारित अंमलबजावणी दायित्वानुसार मंत्रालये / विभाग / संस्थांच्या एकत्रीकरणासाठी एक मंच म्हणून हे अभियान विकसित करण्यात आले आहे.
    हे अभियान संपूर्ण मूल्य साखळी तयार करून आणि उत्पादक (शेतकरी) आणि उद्योग यांच्यात प्रभावी संपर्क व्यवस्था निर्माण करून बांबू क्षेत्राचा सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करणार. शिवाय बांबू उत्पादन आणि उत्पादकता वाढवण्यासाठी संशोधन आणि विकासावर भर दिला जाईल.
    अभियानाबाबत
    • 14 व्या वित्त आयोगाच्या (सन 2018-19 आणि सन 2019-20) उर्वरित कालावधी दरम्यान अभियान राबवण्यासाठी 1290 कोटी रुपयांची तरतूद करण्यात आली आहे. यामध्ये केंद्राचा वाटा 950 कोटी रुपये एवढा आहे.
    • या अभियानाचा भर मर्यादित राज्यांमध्ये बांबूच्या विकासावर लक्ष केंद्रित करण्यावर आहे. त्यामध्ये विशेषत: ईशान्येकडील राज्ये आणि मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगड, ओडिशा, कर्नाटक, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, आंध्रप्रदेश, तेलंगणा, गुजरात, तामिळनाडू आणि केरळ या राज्यांचा समावेश आहे.
    • या अभियानामधून 4000 प्रक्रिया/उत्पादन विकास कारखाने स्थापन करणार आणि 1 लक्ष हेक्टरपेक्षा अधिक क्षेत्र लागवडीखाली आणेल जाणार.
    • NBM साठी मार्गदर्शक तत्त्वे तयार करण्यासाठी आणि केंद्रीय कृषी आणि शेतकरी कल्याण मंत्रालयाच्या मंजुरीस राज्यांच्या विशेष शिफारशीनुसार वेळोवेळी करण्यात आलेल्या हस्तक्षेपासाठी खर्चाच्या निकषांसह अन्य बदल करण्यासाठी कार्यकारी समितीला अधिकार प्रदान करण्यास देखील मंजुरी दिली गेली.
    पुनर्रचित योजनेचे लक्ष्य
    • कृषी उत्पन्नाला पूरक म्हणून बिगर वन शासकीय आणि खासगी जमिनीवर बांबू लागवड क्षेत्रात वाढ करणे.
    • नाविन्यपूर्ण प्राथमिक प्रक्रिया केंद्र स्थापन करणे, प्राथमिक प्रक्रिया करून संरक्षण तंत्रज्ञान आणि बाजारपेठ पायाभूत सुविधा निर्माण करून पीक व्यवस्थापनात सुधारणा करणे.
    • सूक्ष्म, लघु आणि मध्यम पातळीवर उत्पादन विकासाला प्रोत्साहन देणे आणि मोठ्या उद्योगांची पूर्ती करणे.
    • कौशल्य विकास, क्षमता निर्मिती आणि बांबू क्षेत्राच्या विकासाबाबत जागरूकता निर्माण करण्यास प्रोत्साहन देणे.
    या योजनेमुळे प्रत्यक्ष वा अप्रत्यक्ष स्वरूपात शेतकरी तसेच  स्थानिक कारागीर आणि बांबू क्षेत्राशी संलग्न उद्योगातील कामगारांना लाभ मिळणार. सुमारे एक लाख हेक्टर क्षेत्र बांबू लागवडीखाली आणण्याचा यावेळी प्रस्ताव आहे. लागवडीमुळे सुमारे एक लाख शेतकऱ्यांना लाभ होण्याची शक्यता आहे.
    बांबू लागवडीमुळे कृषी उत्पादकता आणि शेतकर्‍यांचे उत्पन्न वाढेल आणि उद्योगांना गुणवत्तापूर्ण सामुग्री मिळेल. यामुळे कुशल आणि अकुशल दोन्ही क्षेत्रात प्रत्यक्ष वा अप्रत्यक्ष रोजगाराच्या संधी निर्माण होण्यास मदत होईल.






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