करेंट अफेयर्स ९ मार्च २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी
हिंदी
राष्ट्रीय ई-मोबिलिटी कार्यक्रम की शुरुआत हुई:
ऊर्जा, नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर. के. सिंह ने 07 मार्च 2018 को राष्ट्रीय ई-मोबिलिटी कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस मौके पर उन्होंने उद्योग से इलेक्ट्रॉनिक वाहन व बैटरी बनाने के क्षेत्र में निवेश करने की अपील की। उन्होंने कहा कि भविष्य बिजली के इस्तेमाल पर निर्भर है। इससे हमें महंगे पेट्रोलियम के आयात से निजात दिलाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने उद्योग से क्षेत्र में निवेश और विनिर्माण के लिए आह्वान करते हुए कहा कि भारत एक बड़ा बजार है। जो भी पहले क्षेत्र में आएगा, उसे लाभ होगा। उद्योग को जो भी सहायता की जरूरत होगी, सरकार उपलब्ध कराएगी।
ऊर्जा मंत्री सिंह ने देश की दो ऑटोमोबाइल कंपनियों टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा की इलेक्ट्रिक कारों को इस अवसर पर लॉन्च किया। उन्होंने बताया कि बिजली चालित कार को चलाने की लागत 85 पैसे प्रति किलोमीटर आती है जबकि एक सामान्य पेट्रोल से चलने वाली कार की लागत 6.5 रुपये प्रति लीटर आती है।
सरकार इलेक्ट्रिक कारों को इसलिए भी बढ़ावा देना चाहती है कि इससे आयातित कच्चे तेल पर देश की निर्भरता कम होगी। राष्ट्रीय ई-मोबिलिटी कार्यक्रम का शुभारंभ देश में स्वच्छ, हरित और भविष्योन्मुख तकनीक हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण एक कदम है।
कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के तहत सरकार ने 2030 तक सभी वाहनों को बिजली से चलाने का लक्ष्य रखा है। बिजली मंत्रालय के अधीन आने वाली एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) ने इससे पहले पिछले साल 10,000 वाहनों की ई-निविदा जारी की थी।
कुछ महीनों के भीतर सरकारी विभागों में 20 हजार इलेक्ट्रिक कारें इस्तेमाल होने से देश भर में इनके प्रति आकर्षण बढ़ेगा। दस हजार नई कारों के लिए निविदा 08 मार्च 2018 को जारी की जाएगी।
इन 20,000 इलेक्ट्रिक कारों के साथ, भारत हर साल 5 करोड़ लीटर ईंधन बचाने की उम्मीद करता है जिससे कि 5.6 लाख टन से अधिक वार्षिक CO2 उत्सर्जन कम हो जायेगा।
इलेक्ट्रिक कारों की चार्जिंग के लिए नीति:
सरकार के लिए अभी सबसे बड़ी चुनौती पूरे देश में इलेक्ट्रिक कारों के लिए चार्जिग सुविधा लगाने की है। इसके लिए सरकार एक समग्र नीति बना रही है, इसे अगले 20 दिनों के भीतर अंतिम रूप दिया जाएगा। देश की कार कंपनियां भी इस नीति का इंतजार कर रही हैं। इससे बिजली से चलने वाली कारों के लिए चार्जिग स्टेशन लगाने का रोडमैप बन जाएगा।
कई सरकारी व निजी कंपनियां इस नये क्षेत्र में उतरने की तैयारी में हैं। सरकारी पेट्रोलियम कंपनियां भी चार्जिग कारोबार में उतरने की सोच रही हैं। इस बारे में सरकार व कंपनियों के बीच जो बातचीत हुई है उसमें यह आश्वासन दिया गया है कि जो कंपनियां चार्जिग स्टेशन लगाएंगी, उन्हें बिजली किफायती दरों पर मिलेगी।
ईईएसएल सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है जो विभिन्न सरकारी विभागों के लिए थोक में बिजली से चलने वाली कारों की खरीद कर रही है। थोक में इन कारों की खरीद करने से इनकी लागत कम करने में मदद मिलती है।
ऊर्जा, नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर. के. सिंह ने 07 मार्च 2018 को राष्ट्रीय ई-मोबिलिटी कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस मौके पर उन्होंने उद्योग से इलेक्ट्रॉनिक वाहन व बैटरी बनाने के क्षेत्र में निवेश करने की अपील की। उन्होंने कहा कि भविष्य बिजली के इस्तेमाल पर निर्भर है। इससे हमें महंगे पेट्रोलियम के आयात से निजात दिलाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने उद्योग से क्षेत्र में निवेश और विनिर्माण के लिए आह्वान करते हुए कहा कि भारत एक बड़ा बजार है। जो भी पहले क्षेत्र में आएगा, उसे लाभ होगा। उद्योग को जो भी सहायता की जरूरत होगी, सरकार उपलब्ध कराएगी।
ऊर्जा मंत्री सिंह ने देश की दो ऑटोमोबाइल कंपनियों टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा की इलेक्ट्रिक कारों को इस अवसर पर लॉन्च किया। उन्होंने बताया कि बिजली चालित कार को चलाने की लागत 85 पैसे प्रति किलोमीटर आती है जबकि एक सामान्य पेट्रोल से चलने वाली कार की लागत 6.5 रुपये प्रति लीटर आती है।
सरकार इलेक्ट्रिक कारों को इसलिए भी बढ़ावा देना चाहती है कि इससे आयातित कच्चे तेल पर देश की निर्भरता कम होगी। राष्ट्रीय ई-मोबिलिटी कार्यक्रम का शुभारंभ देश में स्वच्छ, हरित और भविष्योन्मुख तकनीक हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण एक कदम है।
कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के तहत सरकार ने 2030 तक सभी वाहनों को बिजली से चलाने का लक्ष्य रखा है। बिजली मंत्रालय के अधीन आने वाली एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) ने इससे पहले पिछले साल 10,000 वाहनों की ई-निविदा जारी की थी।
कुछ महीनों के भीतर सरकारी विभागों में 20 हजार इलेक्ट्रिक कारें इस्तेमाल होने से देश भर में इनके प्रति आकर्षण बढ़ेगा। दस हजार नई कारों के लिए निविदा 08 मार्च 2018 को जारी की जाएगी।
इन 20,000 इलेक्ट्रिक कारों के साथ, भारत हर साल 5 करोड़ लीटर ईंधन बचाने की उम्मीद करता है जिससे कि 5.6 लाख टन से अधिक वार्षिक CO2 उत्सर्जन कम हो जायेगा।
इलेक्ट्रिक कारों की चार्जिंग के लिए नीति:
सरकार के लिए अभी सबसे बड़ी चुनौती पूरे देश में इलेक्ट्रिक कारों के लिए चार्जिग सुविधा लगाने की है। इसके लिए सरकार एक समग्र नीति बना रही है, इसे अगले 20 दिनों के भीतर अंतिम रूप दिया जाएगा। देश की कार कंपनियां भी इस नीति का इंतजार कर रही हैं। इससे बिजली से चलने वाली कारों के लिए चार्जिग स्टेशन लगाने का रोडमैप बन जाएगा।
कई सरकारी व निजी कंपनियां इस नये क्षेत्र में उतरने की तैयारी में हैं। सरकारी पेट्रोलियम कंपनियां भी चार्जिग कारोबार में उतरने की सोच रही हैं। इस बारे में सरकार व कंपनियों के बीच जो बातचीत हुई है उसमें यह आश्वासन दिया गया है कि जो कंपनियां चार्जिग स्टेशन लगाएंगी, उन्हें बिजली किफायती दरों पर मिलेगी।
ईईएसएल सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है जो विभिन्न सरकारी विभागों के लिए थोक में बिजली से चलने वाली कारों की खरीद कर रही है। थोक में इन कारों की खरीद करने से इनकी लागत कम करने में मदद मिलती है।
इंग्लिश
National E-Mobility Programme in India launched
Minister of Power, New and Renewable Energy, R K Singh on Wednesday flagged off the National E-Mobility Programme in India.
Aim:
The Program will be implemented by Energy Efficiency Services Limited (EESL) which will aggregate demand by procuring electric vehicles in bulk to get economies of scale. The Minster congratulated EESL for its new tender of 10,000 e-vehicles and said that it makes sense from point of view of environment and economy both.
The National E-Mobility Programme is a step towards ushering in an era of clean, green and future-oriented technologies in the country.
EESL plans to leverage efficiencies of scale and drive down costs through its innovative business model while supporting local manufacturing facilities, gaining technical competencies for the long-term growth of the EV industry and enabling Indian EV manufacturers to emerge as major global players.
Minister of Power, New and Renewable Energy, R K Singh on Wednesday flagged off the National E-Mobility Programme in India.
Aim:
- The Government of India aims for 100 per cent e-mobility by 2030.The programme further aims to provide an impetus to the entire e-mobility ecosystem including vehicle manufacturers, charging infrastructure companies, fleet operators, service providers, etc.
- The Government is focusing on creating charging infrastructure and policy framework so that by 2030 more than 30 per cent of vehicles are electricity vehicles.
The Program will be implemented by Energy Efficiency Services Limited (EESL) which will aggregate demand by procuring electric vehicles in bulk to get economies of scale. The Minster congratulated EESL for its new tender of 10,000 e-vehicles and said that it makes sense from point of view of environment and economy both.
The National E-Mobility Programme is a step towards ushering in an era of clean, green and future-oriented technologies in the country.
EESL plans to leverage efficiencies of scale and drive down costs through its innovative business model while supporting local manufacturing facilities, gaining technical competencies for the long-term growth of the EV industry and enabling Indian EV manufacturers to emerge as major global players.
मराठी
भारतात ‘राष्ट्रीय ई-गमनशीलता कार्यक्रम’चा शुभारंभ
केंद्रीय नवीन आणि अक्षय ऊर्जा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आर. के. सिंह यांच्या हस्ते 7 मार्च 2018 रोजी नवी दिल्लीत ‘राष्ट्रीय ई-गमनशीलता कार्यक्रम (National E-Mobility Program)’ सुरू करण्यात आला आहे.या कार्यक्रमाचा उद्देश्य म्हणजे वाहन उत्पादक, चार्जिंग पायाभूत कंपन्या, चलन कार्यरत संस्था, सेवा प्रदाता आदींसह संपूर्ण ई-गमनशीलता पर्यावरणाला प्रोत्साहन देणे हा आहे.
कार्यक्रमामधील ठळक बाबी
- कार्यक्रम ऊर्जा कार्यक्षमता सेवा मर्यादित (Energy Efficiency Services Limited -EESL) कडून राबविला जाईल, जे मोठ्या प्रमाणात वीजेवर चालणारी वाहने खरेदी करून देशात मागणी वाढविणार. या वाहनांना सध्या पेट्रोल व डिझेल वाहनांच्या वाहनांनी बदली करण्यात येईल.
- सरकार कार्यक्रमामधून चार्जिंग पायाभूत सुविधा आणि धोरणे, कार्यचौकट तयार करण्यावर लक्ष केंद्रीत करत आहे, जेणेकरुन 2030 सालापर्यंत 30% ई-वाहनांचा वापर होऊ शकणार.
- देशात चार्जिंगसाठी पायाभूत सुविधा स्थापन करण्यासाठी परवाना घेण्याची आवश्यकता नसणार आणि यासाठी दर 6 रुपयांपेक्षा कमी असेल.
ई-कारसाठी प्रति किलोमीटर खर्च फक्त 85 पैसे आहे, जेव्हा की सामान्य कारसाठी 6.5 रुपये मोजावे लागतात आणि त्यामुळे तेलाच्या आयतीला कमी करण्यास मदत होईल.
तसेच IIT संस्था वीजेवर चालणारी स्वयंपाक प्रणाली विकसित करीत आहे, ज्यामुळे स्वयंपाकाच्या गॅसमधून निर्माण होणार्या प्रदूषणास आळा घालण्यास मदत होईल.
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