करेंट अफेयर्स ७ फरवरी २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी
हिंदी
विश्व के सबसे गरीब देशों के लिए डेवलपमेंट इंडिकेटर्स नीचे की ओर जा रहे हैं: अंकटाड
संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (अंकटाड) ने 5 फरवरी, 2018 को जिनेवा, स्विट्जरलैंड में अपने शासी निकाय की बैठक में अपने सदस्य देशों के समक्ष अल्प विकसित देशों (एलडीसी) के संबंध में एक विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया है।
विश्लेषण के अनुसार, एलडीसीज (LDCs) राष्ट्रों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से विशेष ध्यान प्राप्त करने की आवश्यकता के अनुसार वर्गीकृत किया गया है। यह एलडीसी देश सस्टेनेबल डेवलपमेंट 2030 के लिए तय किये एजेंडे के लक्ष्यों को पूरा करने में समर्थ नहीं होंगे, जब तक कि इन पर विशेष ध्यान न दिया जाय।
विश्लेषण में यह भी पता चला है कि 2017 में एलडीसी की वृद्धि दर पांच फीसदी रही और 2018 में 5.4 फीसदी तक पहुंच जाएगी। यह निरंतर, समावेशी और सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने पर बने सतत विकास लक्ष्य 8 के टारगेट 1 द्वारा परिकल्पित 7 प्रतिशत वृद्धि से कम है।
2017 में, केवल पांच एलडीसी ने सात प्रतिशत या उससे अधिक की आर्थिक वृद्धि हासिल की: इथियोपिया 8.5 प्रतिशत, नेपाल 7.5 प्रतिशत, म्यांमार 7.2 प्रतिशत, बांग्लादेश में 7.1 प्रतिशत और जिबूती 7 प्रतिशत पर हैं।
प्रमुख तथ्य:
विश्लेषण का तर्क है कि बहुत सारे एलडीसी प्राथमिक वस्तु (कमोडिटी) निर्यात पर निर्भर रहते हैं। वर्ष 2017 में, एक समूह के रूप में एलडीसी देशों का चालू खाता घाटा 50 अरब डॉलर दर्ज करने का अनुमान लगाया गया था। जोकि नॉमिनल टर्म्स में अब तक का दूसरा सबसे घाटा है।
इसके विपरीत, गैर एलडीसी विकासशील देशों ने चालू खाते में वृद्धि को परिलक्षित किया। 2018 के अनुमानों से पता चलता है कि एलडीसी के चालू खाते के घाटे के आगे बढ़ने की उम्मीद है, जोकि बैलेंस ऑफ पेमेंट को बुरी तरह प्रभावित करेगी।
एलडीसी के लिए विशेष विदेशी सहायता प्रतिबद्धताओं की राशि 43.2 अरब डॉलर थी। जोकि सभी विकासशील देशों को मिलने वाली निवल सहायता का अनुमानित 27 प्रतिशत ही प्रदर्शित करता है। रियल टर्म्स में वर्ष दर वर्ष (ईयर ऑन ईयर) सहायता में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
यह प्रवृत्ति वैश्विक मंदी के मद्देनजर एलडीसी को सहायता के स्तर के समर्थन में कमी की आशंकाओं को समर्थन देती है। 2016 में, दानकर्ता देशों में से केवल कुछ ही देशों ने सतत विकास लक्ष्य 17 के लक्ष्य दो के तहत प्रतिबद्धताओं को पूरा किया है।
संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (अंकटाड) ने 5 फरवरी, 2018 को जिनेवा, स्विट्जरलैंड में अपने शासी निकाय की बैठक में अपने सदस्य देशों के समक्ष अल्प विकसित देशों (एलडीसी) के संबंध में एक विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया है।
विश्लेषण के अनुसार, एलडीसीज (LDCs) राष्ट्रों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से विशेष ध्यान प्राप्त करने की आवश्यकता के अनुसार वर्गीकृत किया गया है। यह एलडीसी देश सस्टेनेबल डेवलपमेंट 2030 के लिए तय किये एजेंडे के लक्ष्यों को पूरा करने में समर्थ नहीं होंगे, जब तक कि इन पर विशेष ध्यान न दिया जाय।
विश्लेषण में यह भी पता चला है कि 2017 में एलडीसी की वृद्धि दर पांच फीसदी रही और 2018 में 5.4 फीसदी तक पहुंच जाएगी। यह निरंतर, समावेशी और सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने पर बने सतत विकास लक्ष्य 8 के टारगेट 1 द्वारा परिकल्पित 7 प्रतिशत वृद्धि से कम है।
2017 में, केवल पांच एलडीसी ने सात प्रतिशत या उससे अधिक की आर्थिक वृद्धि हासिल की: इथियोपिया 8.5 प्रतिशत, नेपाल 7.5 प्रतिशत, म्यांमार 7.2 प्रतिशत, बांग्लादेश में 7.1 प्रतिशत और जिबूती 7 प्रतिशत पर हैं।
प्रमुख तथ्य:
विश्लेषण का तर्क है कि बहुत सारे एलडीसी प्राथमिक वस्तु (कमोडिटी) निर्यात पर निर्भर रहते हैं। वर्ष 2017 में, एक समूह के रूप में एलडीसी देशों का चालू खाता घाटा 50 अरब डॉलर दर्ज करने का अनुमान लगाया गया था। जोकि नॉमिनल टर्म्स में अब तक का दूसरा सबसे घाटा है।
इसके विपरीत, गैर एलडीसी विकासशील देशों ने चालू खाते में वृद्धि को परिलक्षित किया। 2018 के अनुमानों से पता चलता है कि एलडीसी के चालू खाते के घाटे के आगे बढ़ने की उम्मीद है, जोकि बैलेंस ऑफ पेमेंट को बुरी तरह प्रभावित करेगी।
एलडीसी के लिए विशेष विदेशी सहायता प्रतिबद्धताओं की राशि 43.2 अरब डॉलर थी। जोकि सभी विकासशील देशों को मिलने वाली निवल सहायता का अनुमानित 27 प्रतिशत ही प्रदर्शित करता है। रियल टर्म्स में वर्ष दर वर्ष (ईयर ऑन ईयर) सहायता में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
यह प्रवृत्ति वैश्विक मंदी के मद्देनजर एलडीसी को सहायता के स्तर के समर्थन में कमी की आशंकाओं को समर्थन देती है। 2016 में, दानकर्ता देशों में से केवल कुछ ही देशों ने सतत विकास लक्ष्य 17 के लक्ष्य दो के तहत प्रतिबद्धताओं को पूरा किया है।
इंग्लिश
Development indicators trending downward for world's poorest countries: UNCTAD
The UN Conference on Trade and Development (UNCTAD) on February 5, 2018 presented an analysis to with respect to Least Developed Countries (LDCs) to its member States at a meeting of its governing body in Geneva, Switzerland.
According to the analysis, the LDCs – nations categorized as requiring special attention from the international community – will fall short of goals set out in the 2030 Agenda for Sustainable Development unless urgent action is taken.
The analysis also highlights that LDC growth averaged five per cent in 2017 and will reach 5.4 per cent in 2018, below the 7 per cent growth envisaged by Target One of Sustainable Development Goal 8 on promoting sustained, inclusive and sustainable economic growth.
In 2017, only five LDCs achieved economic growth of seven per cent or higher: Ethiopia at 8.5 per cent, Nepal at 7.5 per cent, Myanmar at 7.2 per cent, Bangladesh at 7.1 per cent, and Djibouti at seven per cent.
Relying on commodities
- The analysis contends that too many LDCs remain dependent on primary commodity exports.
- While international prices for most primary commodity categories have trended upwards since late 2016, this modest recovery barely made a dent to the significant drop experienced since 2011, particularly in the cases of crude petroleum and minerals, ores and metals.
- In 2017, LDCs as a group were projected to register a current account deficit of $50 billion, the second-highest deficit posted so far, at least in nominal terms.
- In contrast, non-LDC developing countries registered current account surpluses, so did developing countries as a whole and developed countries.
- Projections for 2018 suggest that the current account deficits of the LDCs are expected to grow further, making worse possible balance-of-payments weaknesses.
- Special foreign aid commitments for LDCs amounted to $43.2 billion, representing only an estimated 27 per cent of net aid to all developing countries – a 0.5 per cent increase in aid in real terms year-on-year.
- This trend supports fears of a levelling-off of aid to LDCs in the wake of the global recession. In 2016, only a handful of donor countries appear to have met the commitments under Target Two of Sustainable Development Goal 17.
- Denmark, Luxembourg, Norway, Sweden, and the United Kingdom provided more than 0.20 per cent of their own gross national income to LDCs, while the Netherlands met the 0.15 per cent threshold.
मराठी
जगातील सर्वात गरीब देशांचा विकास अधोगतीचा आहे: UNCTAD
संयुक्त राष्ट्रसंघ व्यापार व विकास परिषद (UNCTAD) ने केलेल्या अभ्यासात असे आढळून आले आहे की, आंतरराष्ट्रीय समुदायाला कमी विकसित देशांकडे (LDCs) विशेष लक्ष देण्याची आवश्यकता आहे, कारण त्यांचा होणारा विकास हा अधोगतीने चाललेला आहे.अहवालातील ठळक बाबी
- वर्ष 2017 मध्ये LDC चा वृद्धीदर सरासरी 5% होता आणि तो वर्ष 2018 मध्ये 5.4% राहणार, जो शाश्वत विकास ध्येय 8 नुसार ठरविलेल्या निरंतर, समावेशक आणि सातत्यपूर्ण आर्थिक वाढीकरता लागणार्या 7% विकास दरापेक्षा कमी आहे.
- वर्ष 2017 मध्ये केवळ पाच LDC देशांनी 7% किंवा त्यापेक्षा जास्त वृद्धीदर दर्शविलेला आहे. त्यामध्ये इथिओपिया (8.5%), नेपाळ (7.5%), म्यानमार (7.2%), बांग्लादेश (7.1%) आणि जिबूती (7%) या देशांचा समावेश आहे.
- वर्ष 2017 मध्ये, LDC देशांच्या समुहात चालू खात्यात $50 अब्जची तूट नोंदवली गेली, जी आतापर्यंतची दुसर्या क्रमांकाची सर्वात उच्च तूट आहे. याउलट, LDC श्रेणीत नसलेल्या विकसनशील देशांच्या चालू खात्यात वाढीची नोंद केली गेली.
- LDC देशांसाठी विशेष विदेशी मदत म्हणून $43.2 अब्जच्या रकमेशी आंतरराष्ट्रीय समुदाय वचनबद्ध आहे. ही रक्कम सर्व विकसनशील देशांन दिल्या जाणार्या निव्वळ मदतीच्या केवळ 27% आहे आणि प्रत्यक्षात वर्षागणीक या मदतीत 0.5% वाढ केली जाते.
- डेन्मार्क, लक्झेंबर्ग, नॉर्वे, स्वीडन आणि ब्रिटन त्यांच्या एकूण सकल राष्ट्रीय उत्पन्नाच्या 0.20% पेक्षा अधिकची मदत LDC देशांना पुरवितात. तर नेदरलँड्सकडून हा वाटा सरासरी 0.15% इतका आहे.
वर्ष 2018 च्या अंदाजानुसार, LDC देशांची चालू खात्यातील तूट आणखी वाढण्याची अपेक्षा आहे. अश्या परिस्थितीत LDC आणि इतर विकसनशील देशांमधील असमानता वाढण्याचा धोका निर्माण झाला आहे.
UNCTAD बाबत
संयुक्त राष्ट्रसंघ व्यापार व विकास परिषद (UNCTAD) याची स्थापना 1964 साली करण्यात आली. संघटनेला 16 एप्रिल 1985 रोजी संयुक्त राष्ट्रसंघाच्या महासभेने स्वीकारले आणि 22 डिसेंबर 2015 रोजी त्याला सुधारित केले गेले.
ही संघटना व्यापार, गुंतवणूक आणि विकास मुद्दे संबंधित क्षेत्रात एक प्रमुख म्हणून कार्य करते. सध्या, UNCTAD चे 194 सदस्य राज्ये आणि देश आहेत. याचे मुख्यालय जिनेव्हा (स्वित्झर्लंड) येथे आहे.
No comments:
Post a Comment