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    Friday, February 9, 2018

    रक्षा मंत्रालय ने सशस्‍त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए पूंजी अधिग्रहण परियोजना की निगरानी और इसमें तेजी लाने हेतु सलाहकार समिति गठित की:. करेंट अफेयर्स ९ फरवरी २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी

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    करेंट अफेयर्स ९ फरवरी २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी


    हिंदी

    रक्षा मंत्रालय ने सशस्‍त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए पूंजी अधिग्रहण परियोजना की निगरानी और इसमें तेजी लाने हेतु सलाहकार समिति गठित की:


    सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण से जुड़ी परियोजनाओं में तेजी और निगरानी के लिए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने 13 सदस्यीय परामर्शी समिति गठित की है। सरकार के पूर्व सचिव विनय शील ओबेराय इस समिति के अध्यक्ष होंगे। इनका कार्यकाल इस वर्ष अगस्त तक रहेगा।
    समिति के कार्य:
    रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस समिति पर स्वतंत्र रूप से समीक्षा करने की जिम्मेदारी है। साथ ही 500 करोड़ रुपये अधिक लागत वाली चल रही महत्वपूर्ण परियोजनाओं की स्थिति की जांच करेगी।
    समिति यह भी पता लगाएगी कि कहां बाधाएं आ रही हैं और देरी के लिए कौन से कारण जिम्मेदार हैं। समिति उन दुश्वारियों से निपटने के उपाय भी सुझाएगी। देरी के कारणों को खत्म करने के लिए क्या आधुनिक तरीके अपनाए जाएं, यह भी बताएगी।
    पैनल "खरीदें (Buy)" (भारतीय) और "खरीदें और बनायें (Buy and Make)" (भारतीय) सहित विभिन्न श्रेणियों की परियोजनाओं की समीक्षा करेगा।
    समिति परियोजनाओं की शुरुआती स्थिति रिपोर्ट मार्च तक रक्षा मंत्री को सौंप देगी। इस रिपोर्ट के आधार पर अप्रैल के अंत तक पहली और जुलाई के अंत तक दूसरी फॉलोअप रिपोर्ट सौंपी जाएगी। समिति इसके लिए मंत्रालय, रक्षा उपक्रमों के साथ-साथ रक्षा बलों के प्रमुखों से भी बातचीत करेगी।
    समिति के अन्य सदस्यों में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के पूर्व चेयरमैन आरके त्यागी, आर्डिनेंस फैक्ट्रीज बोर्ड के पूर्व सदस्य आरके जैन, केपीएमजी के एयरोस्पेस के पार्टनर हेड और रक्षा डिवीजन के अंबर दुबे और अर्नस्ट एंड यंग के विशेष सलाहकार एलएलपी आर आनंद भी हैं।
    पृष्ठभूमि:
    हाल ही में संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सेना के पास सैन्य साज सामान और गोलाबारूद की कमी है। जिसकी वजह उन्होंने रक्षा मंत्रालय को पर्याप्त फंड न मिलने को बताया।
    समीति ने सेना की ऑपरेशनल कमजोरियों को दूर करने और रक्षा खरीद को चुस्त न बनाने को लेकर तल्ख टिप्पणी की थी। फंड के कारण रक्षा तैयारियों पर व्यापक प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में सैन्य समाना और गोलाबारूद की कमी का खामियाजा युद्ध जैसी स्थिति में उठाना पड़ सकता है।
    सैन्य खरीद के लिए करीब 26 लाख रुपयों की आवश्यकता है। 13वें रक्षा प्लैन (2017-22) में पाकिस्तान और चीन से बढ़ते खतरों और भारत के भू -रणनीतिक हितों की रक्षा के लिए भारतीय सेनाओं ने सरकार से 26.84 लाख करोड़ रुपए आगामी पांच सालों के लिए मांगे हैं। जिसके बाद वित्त मंत्री ने आश्वस्त किया कि सेना के आधुनिकीकरण की आवश्यकता को प्राथमिकता मिलेगी।



    इंग्लिश

    MoD appoints Panel to Expedite Capital Acquisition for Armed Forces Modernization
    To monitor and expedite capital acquisition projects for the modernization of Armed Forces – Indian Defense Ministry has constituted a 13 member advisory committee. The committee will be called Raksha Mantri’s Advisory Committee on Ministry of Defense Capital Projects (RMCOMP). It is headed by former secretary of Indian government, Vinay Sheel Oberoi. It will submit its report in Aug 2018.
    The committee will look upon and recommend its findings for projects worth more than Rs. 500 Cr. The committee’s recommendations and advice won’t be binding on the respective department.
    The committee has been formed mainly to advise MoD on how to improve the capital acquisition process.
    RMCOMP:
    • The committee will identify the bottlenecks in implementing a project and also provide possible solutions for it.
    • The committee consists of: Ltd R K Tyagi (former chairman of Hindustan Aeronautics), R K Jain (former member of Ordnance Factories Board), Amber Dubey (partner head of KPMG's aerospace and defence division) , R Anand (special advisor of Ernst & Young).
    • The initial finding will be submitted by March 2018 to defense minister. The report will include status of the projects, the problematic areas and strategic solutions for it.
    • Based on the initial findings the committee will present two follow up reports, in Apr and July, respectively. The report will be consisting of what remedial measures have been taken to solve the problem and how it performed.
    • ‘Buy’ (Indian), and ‘Buy and Make (Indian) will also come in the consideration of the committee. The first will look upon the delays in buying equipment and arsenals recommended by armed forces. On the other hand, Buy and Make deals with purchasing.
    This is the timely measure taken by Ministry of Defense as Indian Army is constantly asking for up gradation of their arsenals and which has not been upgraded for a long time. Insufficient budget allocation for Armed forces, lack of upgraded weapons, bullet proof jackets, etc have been an issue which government is trying to solve.





    मराठी


    NITI आयोगाचा "हेल्दी स्टेट्‍स, प्रोग्रेसीव इंडिया" अहवाल प्रसिद्ध

    NITI आयोगाने "हेल्दी स्टेट्‍स, प्रोग्रेसीव इंडिया" (म्हणजेच - स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील भारत) असे शीर्षक असलेला एक अहवाल प्रसिद्ध केला आहे.
    या अहवालात सर्व राज्ये आणि केंद्रशासित प्रदेशांच्या आरोग्य व्यवस्थेचे विश्लेषण केले गेले आहे. अहवाल आरोग्य व कुटुंब कल्याण मंत्रालय आणि जागतिक बँकेच्या तांत्रिक सहकार्याने तयार केला गेला आहे. अहवालात प्रामाणिक परिणाम आणि धोरणात्मक पावलांच्या प्रभावावर दृष्टिक्षेप टाकण्यासाठी आरोग्यासंबंधी क्षेत्रामध्ये झालेल्या प्रगतीवर व्यापक प्रकाश टाकण्यात आला आहे.
    अहवालात राज्ये आणि केंद्रशासित प्रदेशांना आरोग्यासंबंधी श्रेणीनुसार गुण दिले गेले आहेत. राज्ये आणि केंद्रशासित प्रदेशांना तीन वर्गांमध्ये वर्गीकृत करण्यात आले आहे - मोठा राज्य, लहान राज्य आणि केंद्रशासित प्रदेश.
    अहवालामधील आरोग्य निर्देशांक हा मूल्यमापित संयुक्त निर्देशांक आहे आणि हा (i) आरोग्यासंबंधी परिणाम (ii) प्रशासन आणि माहिती आणि (iii) मुख्य प्रारंभीक गोष्टी आणि प्रक्रिया या तीन विभागांमध्ये निर्देशकांवर आधारित आहे. आरोग्य निर्देशांक आणि संमिश्र निर्देशांक गुणांची निर्मिती तसेच आधारभूत वर्ष (2014-15) आणि संदर्भांकीत वर्ष (2015-16) साठी एकूणच कामगिरी आधारित क्रमवारीता तयार करण्यासाठी आहे.
    ठळक बाबी
    • मोठे राज्य वर्गात, केरळ, पंजाब आणि तामिळनाडू एकूणच कामगिरीत अग्रस्थानी आहेत. छत्तीसगड (4) आणि झारखंड (5) या राज्यांनी याबाबतीत सर्वाधिक प्रगती केलेली आहे.
    • झारखंड, जम्मू-काश्मीर आणि उत्तरप्रदेश हे वार्षिक वाढीव कामगिरीनुसार शीर्ष तीन राज्ये आहेत. झारखंड, जम्मू-काश्मीर आणि उत्तरप्रदेश या राज्यांनी नवजात मृत्युदर (NMR), 5 वर्षाखालील बालकांचा मृत्युदर (U5MR), पूर्ण लसीकरणाची व्याप्ती, संस्थात्मक वितरण आणि अॅंटी-रिट्रोव्हायरल थेरपी (ART) घेणारे HIV रोगी अश्या निर्देशकांमध्ये चांगली कामगिरी दाखवलेली आहे.
    • लहान राज्यांमध्ये, एकूणच कामगिरीत मिझोरम प्रथम स्थानी आहे. त्यानंतर याबाबतीत मणिपूरचा क्रमांक लागतो. वार्षिक वाढीव कामगिरीनुसार गोवा अव्वल ठरले आहे. मणिपूरने सर्वाधिक प्रगती साधलेली आहे.
    • केंद्रशासित प्रदेशांमध्ये, एकूणच कामगिरी आणि उच्च वार्षिक वाढीव कामगिरी अश्या दोन्ही बाबतीत लक्षद्वीप पुढे आहे. त्यानंतर वार्षिक वाढीव कामगिरीमध्ये अंडमान-निकोबार बेटे आणि एकूणच कामगिरीत चंडिगड यांचा क्रमांक लागतो.
    • वर्ष 2015 च्या तुलनेत वर्ष 2016 मध्ये जवळजवळ एक तृतीयांश राज्यांनी त्यांच्या कामगिरीमध्ये घट नोंदवली आहे. जन्मदर सुधारण्यामध्ये, प्रजनन क्षमता कमी करण्यामध्ये, माता आणि बाल मृत्यू याबाबतीत चांगली प्रगती नोंदवली गेली आहे.
    निष्कर्ष
    बहुतांश राज्ये आणि केंद्रशासित प्रदेशांसमोर एकसमान आव्हाने आहेत. म्हणजेच रिक्त असलेली प्रमुख पदे, जिल्हा कार्डियक केयर युनिट (CCU) ची स्थापना, सार्वजनिक आरोग्य सुविधांच्या गुणवत्तेचे मूल्यमापन आणि मनुष्यबळ व्यवस्थापन माहिती प्रणाली (HRMIS) चे संस्थात्मककरण अश्याप्रकारची आव्हाने आहेत. याव्यतिरिक्त, जवळजवळ सर्व मोठ्या राज्यांना लिंगआधारित जन्मदर (SRB) सुधारण्यावर लक्ष केंद्रित करणे आवश्यक आहे.



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