Current affairs 1 January 2018 - Hindi / English / Marathi
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने 'इलेक्टोरल बॉन्ड' योजना अधिसूचित की:
भारतीय राजनीति में कालेधन पर रोक, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने एवं चुनावी प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने इलेक्टोरल बांड स्कीम की अधिसूचना जारी की है। भारत पहला देश होगा जो चुनावी फंडिंग पारदर्शी बनाने के लिए इस तरह का बॉन्ड जारी करने जा रहा है।
अब इलेक्टोरल बांड के जारी होने के साथ, चंदा देने वाले दाता, विशिष्ट स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के शाखाओं से इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद सकते हैं, और राजनीतिक दल उसे प्राप्त करने के बाद एक नामित बैंक खाते के माध्यम से इस बांड को नकदी में बदल सकते हैं।
योजना से जुड़े प्रमुख तथ्य:
केन्द्र सरकार द्वारा बजट में दी गई जानकारी से पता चलता है कि प्रस्तावित इलेक्टोरल बॉन्ड का इस्तेमाल देश में पॉलिटिकल फंडिग के लिए किया जाएगा। दाता इस बांड को डिजीटल या चेक के माध्यम से भुगतान करके खरीद सकता है फिर, जो राजनीतिक दल जिसके लिए दाता ने दान किया है, इन बांडों को अपने बैंक खातों के माध्यम से नकद में वापस ले सकते हैं।
Union Finance Ministry notifies Scheme of Electoral Bonds
Union Finance Minister Arun Jaitley outlined the basic contours of the electoral bonds scheme announced during the 2017 Budget, including their denominations, validity, and eligibility of the purchasers.
Electoral Bonds:
What is electoral Bond?
Although called a bond, the banking instruments resembling promissory note will not carry any interest. The lender will remain the custodian of the donor's funds until the political parties are paid.Electoral bonds, can be given to registered political party which has secured at least 1 percent vote in last election. That party will have to give one bank account to the Election Commission and it will have to be encashed within 15 days.
The purchaser, whose name will not appear on the bonds, would have to make KYC (know your customer) disclosures to the SBI.
Every political party will file before Election Commission return as to how much money has come through electoral bonds. This will substantially help a lot of opposition parties because in case a disclosure is made it will always be in favour of ruling party.
Aim:
वित्तमंत्रालयाने राजकीय पक्षांना निधि देण्यासाठी एक नवी ‘निवडणूक बॉन्ड (Electoral Bonds)’ योजना जाहीर केली आहे.
निधीदात्याला हे बॉन्ड भारतीय स्टेट बँकेच्या (SBI) शाखांमार्फत खरेदी करता येणार. यामार्फत प्राप्त होणारी रक्कम संबंधित पक्षाच्या अधिकृत बँक खात्यात जमा होणार.
‘निवडणूक बॉन्ड’ बाबत
Hindi
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने 'इलेक्टोरल बॉन्ड' योजना अधिसूचित की:
भारतीय राजनीति में कालेधन पर रोक, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने एवं चुनावी प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने इलेक्टोरल बांड स्कीम की अधिसूचना जारी की है। भारत पहला देश होगा जो चुनावी फंडिंग पारदर्शी बनाने के लिए इस तरह का बॉन्ड जारी करने जा रहा है।
अब इलेक्टोरल बांड के जारी होने के साथ, चंदा देने वाले दाता, विशिष्ट स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के शाखाओं से इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद सकते हैं, और राजनीतिक दल उसे प्राप्त करने के बाद एक नामित बैंक खाते के माध्यम से इस बांड को नकदी में बदल सकते हैं।
योजना से जुड़े प्रमुख तथ्य:
- वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2017-18 के भाषण में इलेक्टोरल बॉन्ड लाने की घोषणा की थी।
- पिछले लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव में 1% से अधिक वोट पाने वाले पंजीकृत राजनीतिक दल ही इलेक्टोरल बॉन्ड से फंडिंग ले सकेंगे।
- भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से ये बांड खरीदे जा सकते हैं।
- इलेक्टोरल बॉन्ड एक प्रोमिसरी नोट (पी नोट्स) और एक ब्याज-मुक्त बैंकिंग उपकरण की प्रकृति में वाहक साधन होगा।
- कोई भी भारतीय नागरिक या भारत में स्थापित संस्था इसे खरीदने के हकदार होगा।
- बांड 1 हजार, 10 हजार, 1 लाख, 10 लाख और एक करोड़ रुपये कीमत के होंगे।
- इलेक्टोरल बॉण्ड के खरीददार को सभी केवाईसी नियमों को पूरा करना होगा।
- इलेक्टोरल बॉन्ड पर लेनदार या खरीददार का नाम नहीं होगा।
- इलेक्टोरल बॉन्ड सिर्फ 15 दिन के लिए वैध होगा, जिसके दौरान इसे राजनीतिक दलों को दान करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
- केवल वे राजनीतिक दल इलेक्टोरल बॉन्ड प्राप्त करने के पात्र होंगे जो आरपीए अधिनियम (Representation of the Peoples Act), 1951 की धारा 29-ए के तहत पंजीकृत हैं, और पिछले आम चुनाव या विधान सभा के मतदान में कम से कम 1% वोटों को हासिल कर पाए हों।
- इलेक्टोरल बॉण्ड योजना जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के महीनों में 10 दिनों की अवधि के लिए खरीदने के लिए उपलब्ध होगी।
- बांड का कागजी स्वरूप खास सुरक्षा चिह्न के साथ जारी होगा, ताकि उसका कोई दुरुपयोग नहीं कर सके। बांड पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा।
केन्द्र सरकार द्वारा बजट में दी गई जानकारी से पता चलता है कि प्रस्तावित इलेक्टोरल बॉन्ड का इस्तेमाल देश में पॉलिटिकल फंडिग के लिए किया जाएगा। दाता इस बांड को डिजीटल या चेक के माध्यम से भुगतान करके खरीद सकता है फिर, जो राजनीतिक दल जिसके लिए दाता ने दान किया है, इन बांडों को अपने बैंक खातों के माध्यम से नकद में वापस ले सकते हैं।
English
Union Finance Ministry notifies Scheme of Electoral Bonds
Union Finance Minister Arun Jaitley outlined the basic contours of the electoral bonds scheme announced during the 2017 Budget, including their denominations, validity, and eligibility of the purchasers.
Electoral Bonds:
What is electoral Bond?
- Electoral Bond is a financial instrument for making donations to political parties. These are issued by Scheduled Commercial banks upon authorisation from the Central Government to intending donors, but only against cheque and digital payments (it cannot be purchased by paying cash).
Although called a bond, the banking instruments resembling promissory note will not carry any interest. The lender will remain the custodian of the donor's funds until the political parties are paid.Electoral bonds, can be given to registered political party which has secured at least 1 percent vote in last election. That party will have to give one bank account to the Election Commission and it will have to be encashed within 15 days.
The purchaser, whose name will not appear on the bonds, would have to make KYC (know your customer) disclosures to the SBI.
Every political party will file before Election Commission return as to how much money has come through electoral bonds. This will substantially help a lot of opposition parties because in case a disclosure is made it will always be in favour of ruling party.
Aim:
- The move is aimed at making political funding more transparent. Currently, almost all of the funding is done by anonymous cash donations. This step follows the audacious move to ban high currency notes in November 2016 in a bid to flush the system of black money.
- Electoral bonds will allow donors to pay political parties using banks as an intermediary.
- The idea is to move away from present system, which is cash.
Marathi
केंद्रीय वित्तमंत्रालयाने ‘निवडणूक बॉन्ड’ योजना जाहीर केली
निवडणुकीसाठी जमा केल्या जाणार्या निधीत स्वच्छता आणि पारदर्शकता आणण्यासाठी भारत सरकारने एक पुढाकार घेतला आहे.वित्तमंत्रालयाने राजकीय पक्षांना निधि देण्यासाठी एक नवी ‘निवडणूक बॉन्ड (Electoral Bonds)’ योजना जाहीर केली आहे.
निधीदात्याला हे बॉन्ड भारतीय स्टेट बँकेच्या (SBI) शाखांमार्फत खरेदी करता येणार. यामार्फत प्राप्त होणारी रक्कम संबंधित पक्षाच्या अधिकृत बँक खात्यात जमा होणार.
‘निवडणूक बॉन्ड’ बाबत
- दात्याला बॉन्ड खरेदी करताना KYC नियमांचे पालन करावे लागणार, जेव्हा की बॉन्डवर दात्याचे नाव नसणार. हे बॉन्ड प्रॉमिसरी नोटप्रमाणेच एक बँकिंग दस्तऐवज असणार. मात्र यावर कोणत्याही प्रकारचे व्याज देय केले जाणार नाही.
- बँकेत रु. 1000, रु. 10000, रु. 1 लक्ष, रु. 10 लक्ष आणि रु. 1 कोटी या मूल्याचे बॉन्ड खरेदी केले जाऊ शकतात. निवडणूक बॉन्डची वैधता फक्त 15 दिवसांची असणार.
- जनप्रतिनिधित्व कायदा-1951 अन्वये मान्यताप्राप्त कोणत्याही पक्षाला दान केले जाऊ शकते.
- बॉन्डची विक्री वर्षातले चार महीने – जानेवारी, एप्रिल, जुलै आणि ऑक्टोबर – यांमध्ये 10 दिवसांसाठी होणार. या कालावधीतच बॉन्ड खरेदी केले जाऊ शकते.
- सार्वत्रिक निवडणुकीच्या वर्षात बॉन्डच्या खरेदीची सुविधा 30 दिवसांसाठी असणार.
- मागील लोकसभा किंवा विधानसभा निवडणुकीमध्ये 1% हून अधिक मते मिळवलेल्या नोंदणीकृत राजकीय पक्षचं बॉन्डमार्फत निधी प्राप्त करू शकतात.
- बॉन्ड प्रदान करणारी बँक दात्याच्या निधीची तोपर्यंत कस्टडियन राहणार, जोपर्यंत संबंधित पक्षाच्या खात्यामधून दात्याला रक्कम वापस मिळत नाही.
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