करेंट अफेयर्स -१८जनवरी २०१८ हिन्दी/इंग्लिश/मराठ
एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट 2017 (एएसईआर) जारी की गयी:
देश के 14 से 16 आयु वर्ग के बच्चों में से करीब एक चौथाई अपनी भाषा को बिना रुके फ्लुएंटली नहीं पढ़ सकते हैं। जबकि, 57 प्रतिशत बच्चे साधारण गुणा भाग भी ठीक से करने में सक्षम नहीं हैं। 'द सर्वे फॉर एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट फॉर रूरल इंडिया' की ये सर्वे रिपोर्ट काफी चौकाने वाली है। ये रिपोर्ट 24 राज्यों के 28 जिलों में किए गए सर्वे के आधार पर तैयार किया गया है।
रिपोर्ट से जुड़े प्रमुख तथ्य:
इसके अलावा उन्होंने बताया कि 14 की आयु तक लड़का और लड़की के एडमिशन में किसी तरह का कोई अंतर नहीं है लेकिन 18 वर्ष तक आते ही 32 फीसदी लड़कियां आगे की पढ़ाई छोड़ रही हैं जबकि उसकी तुलना में 28 फीसदी लड़के आगे की पढ़ाई नहीं कर रहे।
इस सर्वे में दो हजार वॉलिंटियर्स ने 35 पार्टनर संस्थानों के साथ मिलकर काम किया है। इनकी टीम 1641 गांवों के 25 हजार घरों में गए। जहां उन्होंने ने 30 हजार युवा से सवाल किए गए हैं। बच्चों से बहुत ही सिंपल सवाल किए गए थे। जैसे- पैसे की गिनती, वजन और समय की जानकारी वगैरह। एक चौथाई बच्चे पैसों की गिनती नहीं बता पाए।
रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में लगभग 12 करोड़ युवा 14-18 वर्ष की उम्र के हैं। यह सर्वेक्षण 24 राज्यों के 26 ग्रामीण जिलों में 28,000 से अधिक युवाओं पर कराया गया था। एएसईआर सर्वे का यह 13वां वर्ष था, जो देश में शिक्षा के स्तर की जमीनी हकीकत से रूबरू कराता है। लेकिन इस सर्वे में पहली बार बच्चों के बजाय 14-18 वर्ष के युवाओं पर यह सर्वे कराया गया।
प्रथम एजुकेशन फाउंडेशनद्वारा 14 ते 18 वर्ष वयोगटातल्या युवांमध्ये एक सर्व्हेक्षण चालवले गेले होते. त्यात खालील बाबी आढळून आल्या आहेत -
वर्तमानात, भारतात 14-18 वर्ष वयोगटातले जवळपास 12 कोटी युवा आहेत. हे सर्व्हेक्षण 24 राज्यांच्या 26 ग्रामीण जिल्ह्यांमध्ये 28,000 हून अधिक युवांसाठी केले गेले होते. ASER चे हे 13 वे वर्ष आहे. यावेळी प्रथमच मुलांच्या ऐवजी 14-18 वर्ष वयोगटातल्या युवांचे सर्व्हेक्षण केले गेले.
शिक्षणाचा अधिकार कायदा भारतात 2009 साली लागू केला गेला आणि आता आठ वर्षांनंतर 2017 साली प्रथमच अशी स्थिती आली आहे की, शाळेत नाव नोंदवलेल्या विद्यार्थ्यांनी इयत्ता आठवी उत्तीर्ण केले. इयत्ता आठवी उत्तीर्ण करणार्या विद्यार्थ्यांची संख्या 2004 सालच्या 1.1 कोटीच्या तुलनेत 2014 साली दुप्पट (2.2 कोटी) झाली.
सर्व्हेक्षणात मूलभूत स्वरुपात नाव नोंदणी, गणित विषयातले प्रश्न सोडवणे, वाचण्याची क्षमता, कंप्यूटरचा वापर, महत्त्वकांक्षा आदी घटक सामील करण्यात आले.
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एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट 2017 (एएसईआर) जारी की गयी:
देश के 14 से 16 आयु वर्ग के बच्चों में से करीब एक चौथाई अपनी भाषा को बिना रुके फ्लुएंटली नहीं पढ़ सकते हैं। जबकि, 57 प्रतिशत बच्चे साधारण गुणा भाग भी ठीक से करने में सक्षम नहीं हैं। 'द सर्वे फॉर एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट फॉर रूरल इंडिया' की ये सर्वे रिपोर्ट काफी चौकाने वाली है। ये रिपोर्ट 24 राज्यों के 28 जिलों में किए गए सर्वे के आधार पर तैयार किया गया है।
रिपोर्ट से जुड़े प्रमुख तथ्य:
- देश में 14 से 16 साल के बच्चों में करीब-करीब एक चौथाई बच्चे अपनी भाषा को धाराप्रवाह (फ्लुएंटली) नहीं पढ़ सकते हैं।
- 57 फीसदी बच्चे को आसान गुण-भाग भी नहीं आता।
- 14 फीसदी बच्चों को जब भारत का नक्शा दिखाया गया तो उन्हें नक्शे के बारे में कुछ पता ही नहीं है।
- 36 फीसदी बच्चों को अपने देश की राजधानी का नाम नहीं पता।
- 21 फीसदी बच्चों को अपने राज्य के बारे में कुछ भी नहीं पता है।
- 40 फीसदी बच्चों को घंटा और मिनट के बारे में नहीं पता।
- 44 फीसदी बच्चे किलोग्राम को वजन में नहीं बता पाए।
इसके अलावा उन्होंने बताया कि 14 की आयु तक लड़का और लड़की के एडमिशन में किसी तरह का कोई अंतर नहीं है लेकिन 18 वर्ष तक आते ही 32 फीसदी लड़कियां आगे की पढ़ाई छोड़ रही हैं जबकि उसकी तुलना में 28 फीसदी लड़के आगे की पढ़ाई नहीं कर रहे।
इस सर्वे में दो हजार वॉलिंटियर्स ने 35 पार्टनर संस्थानों के साथ मिलकर काम किया है। इनकी टीम 1641 गांवों के 25 हजार घरों में गए। जहां उन्होंने ने 30 हजार युवा से सवाल किए गए हैं। बच्चों से बहुत ही सिंपल सवाल किए गए थे। जैसे- पैसे की गिनती, वजन और समय की जानकारी वगैरह। एक चौथाई बच्चे पैसों की गिनती नहीं बता पाए।
रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में लगभग 12 करोड़ युवा 14-18 वर्ष की उम्र के हैं। यह सर्वेक्षण 24 राज्यों के 26 ग्रामीण जिलों में 28,000 से अधिक युवाओं पर कराया गया था। एएसईआर सर्वे का यह 13वां वर्ष था, जो देश में शिक्षा के स्तर की जमीनी हकीकत से रूबरू कराता है। लेकिन इस सर्वे में पहली बार बच्चों के बजाय 14-18 वर्ष के युवाओं पर यह सर्वे कराया गया।
English
2017 Annual Status of Education Report (ASER) released
It was shocking to find that, Fourteen per cent of rural youth in the age group of 14-18 failed to identify the map of India, and above this significantly, 36% of those surveyed did not know that Delhi is the capital of India.
Annual Status of Education Report 2017 highlights:
This is an annual survey that aims to provide reliable estimates of children's enrolment and basic learning levels for each district and state in India. It is the largest citizen-led survey in India. For the year 2017, ASER has focused on an older age group: youth who are 14 to 18 years old. The survey looks 'Beyond Basics', exploring a wider set of domains beyond foundational reading and arithmetic in an attempt to throw light on the status and abilities of youth in this age group.
It was shocking to find that, Fourteen per cent of rural youth in the age group of 14-18 failed to identify the map of India, and above this significantly, 36% of those surveyed did not know that Delhi is the capital of India.
Annual Status of Education Report 2017 highlights:
- The report underlines, that only 79% were able to answer the question ‘Which State do you live in?’ and 42 % failed to identify their home State on the map.
- The report also highlighted the gender aspect of enrolment, with the number of girls falling sharply with age. While the enrolment ratios for boys and girls are almost the same at 14, at 18 years 32% of girls are not enrolled, as against 28% for boys.
- It was also found that nearly 25% of this age group is still incapable of reading basic texts fluently in their own language. More than half struggle in division (3 digit by 1 digit) problems. Only 43% are able to do solve the problems correctly.
This is an annual survey that aims to provide reliable estimates of children's enrolment and basic learning levels for each district and state in India. It is the largest citizen-led survey in India. For the year 2017, ASER has focused on an older age group: youth who are 14 to 18 years old. The survey looks 'Beyond Basics', exploring a wider set of domains beyond foundational reading and arithmetic in an attempt to throw light on the status and abilities of youth in this age group.
Marathi
भारताचा ‘वार्षिक शैक्षणिक स्थिती अहवाल (ASER)-2017’ जाहीर
वार्षिक शैक्षणिक स्थिती अहवाल (ASER)-2017 चा ‘बियोंड बेसिक’ शीर्षक असलेला राष्ट्रीय अहवाल जाहीर झाला आहे.प्रथम एजुकेशन फाउंडेशनद्वारा 14 ते 18 वर्ष वयोगटातल्या युवांमध्ये एक सर्व्हेक्षण चालवले गेले होते. त्यात खालील बाबी आढळून आल्या आहेत -
- जवळपास 60% ग्रामीण युवांनी कधीही कंप्यूटर व इंटरनेटचा वापर केलेला नाही, तर 57% एक साधारण गणित सोडविण्यास असमर्थ आहे, 40% युवांना घड्याळात बघून तास आणि मिनटांमध्ये वेळ सांगण्यात अडचण येत आहे आणि जवळपास 14% मानकाचा वापर करून उंचीसुद्धा मापू शकत नाही.
- पात्रतेच्या साधारण परीक्षणात केवळ 54% खाण्याच्या पाकीटावर लिहिलेल्या चार निर्देशांपैकी तीनच वाचू शकले. त्यांच्या किंमतीत सूट लागू केल्यानंतर केवळ 38% नवी किंमत सांगू शकलेत. शिवाय फक्त 18% युवा कर्जासंबंधी प्रश्न सोडवू शकलेत.
- 8 वर्ष किंवा त्यापेक्षा अधिक काळ शिक्षण घेतलेले आणि (2) 8 वर्षापेक्षा कमी काळ शिक्षण घेतलेले, अश्या दोन गटात
- पहिल्या गटात 46% भागाकर संबंधी गणित सोडवू शकण्यास समर्थ आहेत, तर दुसर्या गटात हा टक्का केवळ 29% आहे.
- पहिल्या गटात 63% एक छोटे वाक्य चांगल्यापणे वाचण्यास समर्थ आहेत, तर दुसर्या गटात हे प्रमाण केवळ 36% आहे.
- 74% युवांचे बँकेत खाते आहे. 51% या खात्यांचा उपयोग पैसे जमा करण्यासाठी आणि काढण्यासाठी करतात. 15% ATM चा वापर करतात, तर 5% हून कमी इंटरनेट बँकिंग चा वापर करतात.
- 14% भारताच्या नकाशासंबंधित प्रश्न सोडवू शकले नाहीत. 36% युवांना देशाची राजधानी माहीत नाही. तर 21% युवांना आपल्या राज्याविषयी काहीही माहिती नाही.
- 49% युवकांनी कधीही इंटरनेटचा वापर केलेला नाही, तर युवतींमध्ये हे प्रमाण 76% च्या आसपास आहे.
वर्तमानात, भारतात 14-18 वर्ष वयोगटातले जवळपास 12 कोटी युवा आहेत. हे सर्व्हेक्षण 24 राज्यांच्या 26 ग्रामीण जिल्ह्यांमध्ये 28,000 हून अधिक युवांसाठी केले गेले होते. ASER चे हे 13 वे वर्ष आहे. यावेळी प्रथमच मुलांच्या ऐवजी 14-18 वर्ष वयोगटातल्या युवांचे सर्व्हेक्षण केले गेले.
शिक्षणाचा अधिकार कायदा भारतात 2009 साली लागू केला गेला आणि आता आठ वर्षांनंतर 2017 साली प्रथमच अशी स्थिती आली आहे की, शाळेत नाव नोंदवलेल्या विद्यार्थ्यांनी इयत्ता आठवी उत्तीर्ण केले. इयत्ता आठवी उत्तीर्ण करणार्या विद्यार्थ्यांची संख्या 2004 सालच्या 1.1 कोटीच्या तुलनेत 2014 साली दुप्पट (2.2 कोटी) झाली.
सर्व्हेक्षणात मूलभूत स्वरुपात नाव नोंदणी, गणित विषयातले प्रश्न सोडवणे, वाचण्याची क्षमता, कंप्यूटरचा वापर, महत्त्वकांक्षा आदी घटक सामील करण्यात आले.
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