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    Monday, December 25, 2017

    सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के अंत तक बढ़कर 7.34 लाख करोड़ रुपए हुआ:. State-run banks' NPAs touched Rs 7.34 lakh cr by Q2-end

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    Currentaffairs 25 December 2017 - Hindi / English / Marathi

    Hindi

    सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के अंत तक बढ़कर 7.34 लाख करोड़ रुपए हुआ:
    सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के अंत तक बढ़कर 7.34 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई है। इसका अधिकांश हिस्सा कॉरपोरेट डिफॉल्टरों के कारण बढ़ा है।
    भारतीय रिजर्व बैंक ने एनपीए से जुड़े ताजा आंकड़े जारी किए हैं। हालांकि, निजी बैंकों का एनपीए इस दौरान अपेक्षाकृत काफी कम 1.03 लाख करोड़ रुपए रहा।
    प्रमुख तथ्य:
    30 सितंबर 2017 तक सार्वजनिक बैंकों का समग्र एनपीए 7,33,974 करोड़ रुपए तथा निजी बैंकों का 1,02,808 करोड़ रुपए रहा। इसमें करीब 77 प्रतिशत हिस्सा शीर्ष औद्योगिक घरानों के पास फंसे कर्ज का है।
    भारतीय स्टेट बैंक का एनपीए सर्वाधिक 1.86 लाख करोड़ रुपए रहा। इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक (57,630 करोड़ रुपए), बैंक ऑफ इंडिया (49,307 करोड़ रुपए), बैंक ऑफ बड़ौदा (46,307 करोड़ रुपए), कैनरा बैंक (39,164 करोड़ रुपए) और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का (38,286 करोड़ रुपए) का नंबर रहा।निजी बैंकों में आईसीआईसीआई बैंक 44,237 करोड़ रुपए के एनपीए के साथ शीर्ष पर है। इसके बाद एक्सिस बैंक 22,136 करोड़ रुपए, एचडीएफसी बैंक 7,644 करोड़ रुपए और जम्मू एंड कश्मीर बैंक का एनपीए 5,983 करोड़ रुपए रहा।
    शिक्षा ऋण बन रहा एनपीए वृद्धि का नया कारण:
    बैंकों के लिए शिक्षा कर्ज भी अब समस्या बनती जा रही है। कर्ज लौटाने में चूक बढ़कर मार्च 2017 में कुल बकाए का 7.67 प्रतिशत हो गया जो दो साल पहले 5.7 प्रतिशत था। भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के आंकड़े के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 के अंत में कुल शिक्षा कर्ज 67,678.5 करोड़ रुपए पहुंच गया। इसमें 5,191.72 करोड़ रुपए एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) हो गया।
    आई.बी.ए. के आंकड़े के अनुसार क्षेत्र में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) कुल कर्ज के प्रतिशत के रूप में लगातार बढ़ रही है। वित्त वर्ष 2014-15 में एनपीए 5.7 प्रतिशत थी जो 2015-16 में 7.3 प्रतिशत तथा पिछले वित्त वर्ष में 7.67 प्रतिशत पहुंच गई।
    उल्लेखनीय है कि सरकार ने पूर्व में आई.बी.ए. की शिक्षा कर्ज योजना के माडल में संशोधन किया जिसका मकसद इस क्षेत्र में एनपीए के प्रभाव को कम करना था। योजना में जो बदलाव किये गये, उसमें भुगतान की अवधि बढ़ाकर 15 साल करना तथा 7.5 लाख रुपये तक के शिक्षा ऋण के लिये ‘क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम फार एजुकेशन लोन’ (सीजीएफईएल) की शुरूआत शामिल हैं।
    आईबीए के आंकड़े के अनुसार शिक्षा ऋण के मामले में सार्वजनिक क्षेत्र के इंडियन बैंक का एनपीए मार्च 2017 के अंत में सर्वाधक 671.37 करोड़ रुपये रहा। उसके बाद क्रमश: एसबीआई (538.17करोड़ रुपए) तथा पंजाब नेशनल बैंक (478.03 करोड़ रुपए) का स्थान रहा।
    संसदीय समिति द्वारा एनपीए वृद्धि को रोकने के लिए दिए गए सुझाव:
    संसद की याचिका समिति ने बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के बढ़ते स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए सरकार से कहा है कि वह बैंकिंग तंत्र में संकटग्रस्त परिसंपत्तियों का बोझ कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाए तथा निगरानी व्यवस्था और मजबूत बनाए।
    समिति ने सुझाव दिया कि सरकार रिजर्व बैंक से कहे कि वह बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों में नियमों और निर्देशों के अनुपालन की नियमित निगरानी करे। उसने मौजूदा सतर्कता व्यवस्था की समीक्षा करने तथा जरूरत होने पर इसे और सख्त बनाने के लिए संशोधन का भी सुझाव दिया।
    समिति ने ऋण डिफॉल्टरों के नाम को सार्वजनिक करने संबंधी मौजूदा प्रावधानों की वस्तुपरक जांच और विश्लेषण करने का सुझाव दिया है।

    English

    State-run banks' NPAs touched Rs 7.34 lakh cr by Q2-end
    Non-performing assets (NPAs), or bad loans, of state-run banks amounted to a staggering Rs 7.34 lakh crore by the end of second quarter of the current fiscal ended September, most on account of corporate defaulters, as per the data by the RBI and the government.
    RBI Data:
    • Reserve Bank of India data earlier this week, however, showed that NPAs of private sector banks stood at a much lower level of around Rs 1.03 lakh crore by the end of the July-September quarter.
    • The gross non-performing assets of public sector and private sector banks as on September 30, 2017 were Rs 7,33,974 crore and Rs 1,02,808 crore, respectively.
    • Among the major government-owned banks, State Bank of India had the highest level of NPAs at over Rs 1.86 lakh crore, followed by Punjab National Bank (Rs 57,630 crore), Bank of India (Rs 49,307 crore), Bank of Baroda (Rs 46,307 crore), Canara Bank (Rs 39,164 crore) and the Union Bank of India (Rs 38,286 crore).
    • Up to end-September, among private banks, ICICI Bank had the most amount of NPAs at Rs 44,237 crore, followed by Axis Bank (Rs 22,136 crore), HDFC Bank (Rs 7,644 crore) and Jammu and Kashmir Bank (Rs 5,983 crore).
    Rising NPAs in education loan add to banks stress
    • Education loans too have started bleeding the banking sector with the default in repayment rising to 7.67 per cent of the outstanding amount at March- end, 2017 from 5.7 per cent two years ago. As per the data compiled by the Indian Banks Association (IBA), the total outstanding education loan at end of the fiscal 2016-17 was Rs 67,678.5 crore, of which Rs 5,191.72 crore was NPA.
    • The government is already struggling to deal with the problem of mounting NPA in the public sector banks and has drawn a mega recapitalisation plan to strengthen them.
    Maximum education sector bad loan:
    As per the IBA data, state-owned Indian Bank accounted for the maximum education sector bad loan, amounting to Rs 671.37 crore as on March 2017. It was followed by the SBI (Rs 538.17 crore) and Punjab National Bank (Rs 478.03 crore).

    Marathi

    सार्वजनिक क्षेत्रातील बँकांचे NPA चालू वित्त वर्षात 7.34 लाख कोटी रुपयांपर्यंत पोहचले

    भारतीय रिजर्व बँकेने प्रकाशित केलेल्या आकडेवारीनुसार, सार्वजनिक क्षेत्रातील बँकांचे अकार्यक्षम मालमत्ता (NPA) चालू वित्त वर्षाच्या दुसर्‍या तिमाहीच्या शेवटी वाढत 7.34 लाख कोटी रुपयांपर्यंत पोहचलेली आहे. याचा बहुतांश भाग कॉरपोरेट डिफॉल्टर यांमुळे वाढलेला आहे.
    तर खाजगी बँकांची NPA या दरम्यान अपेक्षेने कमी असून ते 1.03 लाख कोटी रुपये आहे.
    मुख्य तथ्ये
    30 डिसेंबर 2017 पर्यंत सार्वजनिक बँकांचे सकल NPA 7,33,974 कोटी रुपये तर खाजगी बँकांचे 1,02,808 कोटी रुपये आहे. यामधील सुमारे 77% भाग अग्रगण्य औद्योगिक समुहांकडे फसलेले आहे.
    • सार्वजनिक बँका -
      • भारतीय स्टेट बँक - 1.86 लाख कोटी रुपये (सर्वाधिक NPA)
      • पंजाब नॅशनल बँक - 57,630 कोटी रुपये
      • बँक ऑफ इंडिया - 49,307 कोटी रुपये
      • बँक ऑफ बडौदा - 46,307 कोटी रुपये
      • कॅनरा बँक  - 39,164 कोटी रुपये
      • यूनियन बँक ऑफ इंडिया - 38,286 कोटी रुपये
    • खाजगी बँका –
      • ICICI बँक - 44,237 कोटी रुपये
      • अॅक्सिस बँक - 22,136 कोटी रुपये
      • HDFC बँक - 7,644 कोटी रुपये
      • जम्मू अँड काश्मीर बँक - 5,983 कोटी रुपये
    शिक्षण कर्ज – एक नवी वाढती समस्या
    • बँकांसाठी शिक्षण कर्ज देखील आता एक समस्या बनत चालली आहे. कर्ज परत करण्यामध्ये टाळाटाळ करण्यात वाढ झालेली असून मार्च 2017 मध्ये एकूण थकीत कर्जाचे प्रमाण 7.67% झाले आहे, जे दोन वर्षांपूर्वी 5.7% होते.
    • भारतीय बँक संघ (IBA) च्या आकडेवारीनुसार, वित्त वर्ष 2016-17 च्या शेवटी एकूण शिक्षण कर्ज 67,678.5 कोटी रुपयांवर पोहचलेले आहे. यामध्ये 5,191.72 कोटी रुपये NPA निर्माण झाले आहे.
    • शिक्षण कर्जासंदर्भात, सार्वजनिक क्षेत्रातल्या इंडियन बँकेमधील NPA मार्च 2017 पर्यंतच्या शेवटी सर्वाधिक 671.37 कोटी रुपये होते. त्यानंतर SBI (538.17 कोटी रुपये) आणि पंजाब नॅशनल बँक (478.03 कोटी रुपये) यांचा क्रमांक लागतो.
    वर्ष 2016-17 मधील 33 च्या तुलनेत कर्ज परत मिळविणारे लवाद (Debt Recovery Tribunals -DRTs) चे जाळे सध्या 39 पर्यंत विस्तारण्यात आले आहे, ज्यामुळे प्रकरणांची थकीतता कमी करण्यात व वेळेवर निकाली काढण्यासाठी मदत होईल.

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