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    Wednesday, July 11, 2018

    India-Iran Oil Trade :भारत-ईरान तेल व्यापार भारत-इराण तेल व्यापार

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    Current Affairs 11 July 2018
    करेंट अफेयर्स 11 जुलै 2018 हिंदी/ इंग्लिश/मराठी


    India-Iran Oil Trade :भारत-ईरान तेल व्यापार

    भारत-इराण तेल व्यापार

    Hindi | हिंदी

    भारत-ईरान तेल व्यापार

    क्या है मुद्दा
    अमेरिकी अधिकारियों ने दुनिया के सभी देशों को यह सूचना दी थी कि वे 4 नवंबर तक ईरान से आयात किए जाने वाले तेल को पूरी तरह बंद कर दें और आगर ऐसा नहीं किया तो अमेरिका उनके ख़िलाफ़ आर्थिक प्रतिबंध लगा देगा।
    भारत ने पहले ही संकेत दे दिया था कि वह ईरान से तेल खरीद में भारी कटौती करने को तैयार है, लेकिन भारत की अब यह कोशिश है कि चाबहार बंदरगाह के मुद्दे पर अमेरिका को समझाने की कोशिश की जाए कि यह बंदरगाह अमेरिका की अफगान नीति और एशिया में लंबी अवधि की रणनीतिक जरुरत को देखते हुए जरुरी है।
    इस मुद्दे पर सउदी अरब और ईराक ने भारत को आश्वासन दिया है कि वे उसके तेल की मांग को पूरा करने को तैयार है। इन देशों के अलावा नाइजीरिया, कुवैत भी भारत के दूसरे विकल्प हो सकते हैं। साथ ही अमेरिका भी एक संभावित तेल विक्रेता देश हो सकता है ।
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    भारत ने पिछले वर्ष पहली बार अमेरिका से तेल की खरीद की थी। पेट्रोलियम मंत्रालय का कहना है कि अमेरिका से तेल खरीदने की रणनीति हमारी पहले से थी क्योंकि इससे ओपेक देशों पर हमारी निर्भरता कम होगी। साथ ही अमेरिका के साथ व्यापार घाटे को पाटने में भी मदद मिलेगी, जिसे मौजूदा ट्रंप प्रशासन एक बड़ा मुद्दा बना रहा है।
    ईरान पर भी होगा असर
    अमेरिका की तरफ से ईरान के साथ हर तरह के कारोबार पर प्रतिबंध लगने से सिर्फ भारत के तेल आयात पर ही असर नहीं होगा, बल्कि ईरान को भारतीय निर्यात पर ही असर होगा। अमेरिकी सरकार की तरफ से घोषणा की गई है कि एक महीने के भीतर ईरान के साथ सोना, आटोमोबाइल, लौह अयस्क आदि के अंतरराष्ट्रीय कारोबार पर प्रतिबंध लग जाएगा।
    सरकार के आंकड़ों के मुताबिक ईरान भारत से बड़े पैमाने पर लौह अयस्क आदि खरीदता है। वर्ष 2017-18 में ईरान ने भारत से 13.8 करोड़ डॉलर के स्टील का आयात किया था। इस वर्ष के पहले दो महीनों में 80 लाख डॉलर का आयात किया है। इसी तरह से भारतीय वाहनों की मांग भी हाल के वर्षो में ईरान में बढ़ रही थी।
    पिछले वर्ष भारत ने ईरान को 4.32 करोड़ डॉलर के वाहन निर्यात किये थे जो इस वर्ष अभी तक 20 लाख डॉलर के हैं। जाहिर है कि अमेरिका के प्रतिबंध के बाद अगर ईरान से तेल खरीदना भारत के लिए मुश्किल हो जाएगा, तो भारतीय निर्यातकों के लिए ईरान का बाजार भी बंद हो जाएगा।
    मजबूत रिश्ते हैं भारत और ईरान के बीच
    वर्तमान में  भारत और ईरान के बीच 12 अरब 80 करोड़ डॉलर का व्यापार है, जिसका अधिकतर भाग तेल है। दूसरी ओर भारत से ईरान को निर्यात होने वाली चीज़ें, जिनमें ज़्यादातर खाद्य उत्पादन हैं लगभग 2.4 बिलयन डॉलर की हैं। ऐसा माना जाता है कि भारत, ईरानी तेल के अलावा चाबहार बंदरगाह में भी रूचि रखता है क्योंकि इससे पाकिस्तान के बिना अफ़ग़ानिस्तान सहित दुनिया भर के देशों से भारत को आयात और निर्यात करने में काफ़ी आसानी मिल सकती है।






    English | इंग्लिश

    India-Iran Oil Trade :

    Why it is part of Analysis :- In light of Trump’s diktat on stopping oil imports from Iran, India must craft its policy carefully, so that it protects its  interests with Iran.

    Background: In 2008–09, Iranian oil accounted for nearly 16.5% of India's crude oil imports. Indian oil imports from Iran increased by 9.5% in 2008–09 due to which Iran emerged as India's second largest oil supplier.About 40% of the refined oil consumed by India is imported from Iran.
    Present Scenario:-At present, the figures make India Iran’s biggest buyer after China, and as a result, a target for the U.S. which has declared a campaign to “isolate Iran” after the Trump administration withdrew from the multilateral nuclear deal.

    How India Dealt with this scenario in Past: India operationalized a ‘rupee-rial’ mechanism, under which half of what it owed Tehran for oil imports would be held in a UCO Bank account and made available to Iranian companies to use for any imports from India.

    Why India Needs to balance:
    -          The stakes are higher for the government. Ties with the U.S. are under strain over several issues, including U.S. trade tariffs and India’s defence procurement from Russia, and a major divergence on Iran will exacerbate the problem with India’s biggest trading partner and fastest growing defence partnership.
    -          Any U.S. sanctions will make it hard for refiners, insurers and transport companies to facilitate oil trade, even if India wishes to continue it.
    -          India wants to buy oil Stakes in Fazad-B oil field.
    -          India has also committed itself to investing $500 million to build berths at Chabahar’s Shahid Beheshti Port.
    -          $2 billion to build a rail line through the Zahedan province to Afghanistan.
    -          North-South Transport Corridor to be connected from Iran for exporting goods in Central Asia and Russia.
               Why Iran needs India:
    1. Infracture: The Chabahar port has also been jointly financed by Iran and India. India alone plans to invest 20 Billion US dollars towards development of Chabahar port.
    2. A highway between Zaranj and Delaram (Zaranj-Delaram Highway) is being built with financial support from India.
    3. Education: There are about 8,000 Iranian students studying in India. India provides 67 scholarships every year to Iranian students.
    4. Religion: The world's largest population of Zoroastrians are the Parsi community in India.During the Arab conquest of Persia, many Zoroastrians migrated to the western coast of India and as a result the country has the largest population of Zoroastrians in the world.







    Marathi | मराठी

    भारत-इराण तेल व्यापार

    सद्यस्थितीत इराण चर्चेत आहे, याचे असे कारण की, जुलै 2015 मध्ये इराण आणि संयुक्त राष्ट्रसंघ सुरक्षा परिषदेचे पाच स्थायी सदस्य यांच्यात अणू करार झाला होता. अमेरिकेचे तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा यांनी कराराच्या अंतर्गत अणुकराराच्या बदल्यात इराणवरील निर्बंध हटवले होते. परंतु मे 2018 मध्ये इराणवर अतिरिक्त दबाव आणण्यासाठी अमेरिकेचे राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रंप यांनी हा करार मोडला.
    चला तर पाहूयात याचा भारतावर कसा परिणाम होऊ शकतो -
    भारत सरकारच्या आकडेवारीनुसार भारताला तेलाचा पुरवठा करणाऱ्यांमध्ये इराक आणि सौदी अरेबियानंतर इराणचा नंबर येतो. इराण सगळ्यांत जास्त तेलाची निर्यात चीनला करते आणि त्यानंतर भारताचा क्रमांक लागतो. भारताच्या तेलाच्या एकूण आयातीत इराणचा 10.4% वाटा आहे.
    2017-18 आर्थिक वर्षात 10 महिन्यात म्हणजे एप्रिल 2017 ते जानेवारी 2018 या काळात भारताने इराणकडून 1.84 कोटी टन तेल खरेदी केले होते. देशाची ऊर्जेची गरज भागविण्यासाठी इराण हा भारतासाठी एक महत्त्वाचा घटक ठरतो.
    आंतरराष्ट्रीय पातळीवर तेलाच्या किमतीत अनिश्चिततेमुळे भारतासमोर आव्हाने उभी आहेत. आकडेवारीनुसार चालू आर्थिक वर्षांत भारताने $47.56 प्रति बॅरल या सरासरी भावाने तेलाची खरेदी केली आहे. ताज्या आकडेवारीनुसार मे 2018 मध्ये भारताने $75.31 प्रती बॅरल या भावाने कच्च्या तेलाची आयात केली आहे.
    शिवाय इराण आणि भारतामधील राजकीय, सांस्कृतिक आणि व्यापार संबंध फार जुने आहेत. भारताने मुख्यत: तेलाच्या आयातीसाठी काही अटी देखील शिथिल केल्या आहेत. अश्याप्रकारच्या संबंधामध्ये खंड पडल्यास भारतासाठी धोरणात्मकदृष्ट्या महत्त्वाचे ठरणारे चाबहार बंदर आणि आंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण वाहतूक मार्गिका (INSTC) यामध्ये भारताच्या प्रवेशास अडचण निर्माण होऊ शकते.
    भारताच्या हालचाली
    अमेरिकेने लादलेल्या बंदीला आपण मानत नाही, केवळ संयुक्त राष्ट्राच्या निर्बंधांचे पालन करतो असे भारताने स्पष्ट केले आहे. चीननंतर भारतच इराणकडून सर्वाधिक प्रमाणात कच्च्या तेलाची खरेदी करतो. परंतु अमेरिकेच्या वित्तीय प्रणालीच्या संपर्कात येण्यासाठी भारताला आयातीचे प्रमाण कमी करणे भाग पडू शकते. नोव्हेंबरपासून इराणकडून होणार्‍या तेलाच्या आयातीत भारत घट करणार असल्याचे संकेत मिळाले आहेत.
    भारताकडे सद्यस्थितीत दोन, पण मर्यादित पर्याय आहेत. रशिया, सौदी अरेबिया आणि दुसऱ्या आखाती देशांकडून आयात वाढवण्याचा पर्याय भारतापुढे आहे.
    यापूर्वी ही इराणवर निर्बंध लादण्यात आले असताना भारताने त्याच्याकडून होणारी तेल आयात बंद केली नव्हती. परंतु युरोपीय आणि अमेरिकेच्या निर्बंधांमुळे  सागरी व्यापार, विमा आणि बँकिंगच्या क्षेत्राला अनेक समस्यांना तोंड द्यावे लागत होते.






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