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    Monday, June 11, 2018

    India and SCO: Opportunities and Challenges भारत और एससीओ: अवसर एवं चुनौतियां भारत आणि SCO: संधी आणि आव्हाने

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    Current Affairs 11 June 2018
    करेंट अफेयर्स 11 जून 2018 हिंदी/ इंग्लिश/मराठी

    India and SCO: Opportunities and Challenges

    भारत और एससीओ: अवसर एवं चुनौतियां

    भारत आणि SCO: संधी आणि आव्हाने



    Hindi | हिंदी

    भारत और एससीओ: अवसर एवं चुनौतियां
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की 09 जून से शुरू दो दिवसीय बैठक में शामिल होने के लिए चीन में हैं। यह पहला मौका है जब भारत एससीओ की बैठक में बतौर सदस्य देश शिरकत कर रहा है।
    इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने 10 जून 2018 को शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए 'सिक्योर' (SECURE) का नया कॉन्सेप्ट दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डेढ़ महीने के भीतर दूसरी बार चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग से मुलाकात की है। दोनों नेताओं ने आपसी संबंधों में मजबूती लाने का संकल्प जाहिर किया है।
    भारत का एससीओ में आना कितना महत्वपूर्ण?
    शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में चीन, रूस के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा देश है। भारत का कद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रहा है। एससीओ को इस समय दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन माना जाता है। एससीओ से जुड़ने से भारत को लाभ होने की आशा है।
    भारतीय हितों की जो चुनौतियां हैं, चाहे वो आतंकवाद हों, ऊर्जा की आपूर्ति या प्रवासियों का मुद्दा है। ये मुद्दे भारत और एससीओ दोनों के लिए अहम हैं और इन चुनौतियों के समाधान की कोशिश हो रही है। ऐसे में भारत के जुड़ने से एससीओ और भारत दोनों को परस्पर फ़ायदा होगा।
    भारत की चिंताएं:
    भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के अतिरिक्त व्यापार घाटा भी एक बड़ा मुद्दा है। बीते साल भारत और चीन के बीच व्यापारिक घाटा 51 अरब डॉलर था। व्यापारिक घाटे के इस मुद्दे को सुलझाने की भी बात भारत और चीन के बीच हुई है।
    भारत की चिंताएं चीन से निकलने वाली ब्रह्मपुत्र एवं अन्य नदियों के जल प्रवाह से भी जुड़ी हुई हैं। इस सम्मेलन में शी जिनपिंग और नरेंद्र मोदी की मुलाक़ात के बाद ब्रह्मपुत्र से जुड़े हाइड्रोलॉजिकल डेटा को साझा करने को लेकर भी समझौता हुआ है।
    ब्रह्मपुत्र दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी नदी है जो चीन के बाद भारत और बांग्लादेश से होकर गुज़रती है। भारत और चीन के बीच साल 2005 में ब्रह्मपुत्र के पानी से जुड़े डेटा को साझा करने को लेकर सहमति बनी थी। लेकिन बीते साल डोकलाम में हुए तनाव के बाद चीन ने भारत को डेटा देना बंद कर दिया था।
    एससीओ में भारत के साथ पाकिस्तान को भी शामिल किया गया है जिससे भारत का चिंतित होना सर्वविदित है।
    सम्मेलन का उद्देश्य:
    आगामी शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन का उद्देश्य तेजी से बदलती क्षेत्रीय स्थिति द्वारा बनाई गई राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा चुनौतियों को दूर करने के लिए क्षेत्रीय सहयोग को गहरा बनाना है।
    लक्ष्य प्राप्त करने के लिए, एससीओ सदस्य देश लंबे समय तक अच्छे पड़ोसी का धर्म, मित्रता और सहयोग की संधि के कार्यान्वयन के लिए पांच वर्ष की रूपरेखा पर काम करेंगे और आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद की तीन बुरी ताकतों से लड़ने के लिए सहयोग के तीन-वर्षीय कार्यक्रम तैयार करेंगे।
    हाल के वर्षों में, एससीओ सदस्य देशों में सुरक्षा और आर्थिक जोखिम में वृद्धि देखी गई है, क्योंकि मध्य पूर्व देशों द्वारा सामना किये जाने वाली कुछ सुरक्षा समस्याएं पूर्व में फैल गई हैं।
    उदाहरण के लिए, सीरिया और इराक में इस्लामी राज्य के पतन के बाद, शेष इस्लामी आतंकवादी पूर्व की ओर भाग गए हैं। अन्य गैर-पांरपरिक सुरक्षा समस्याएं, जैसे कि स्थानीय चरमपंथ और नशीली दवाओं की तस्करी, साथ ही सामाजिक, पर्यावरण और साइबर सुरक्षा मुद्दें, एससीओ क्षेत्र की स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा पैदा करते हैं।
    भारत और पाकिस्तान जून 2017 में एससीओ के पूर्ण सदस्य बने। उनके समावेशन ने एससीओ में नए जीवन शक्ति को और अधिक वजन दिया। उन दोनों देशों को एससीओ के स्थापित सिद्धांतों को समझना और उनका पालन करना होगा। साथ ही, एससीओ को नए सदस्यों की जरूरतों को अनुकूलित करने के लिए मौजूदा नियमों में सुधार करना चाहिए, ताकि संगठन को और अधिक समेकित बनाया जा सके।
    और अधिक पारस्परिक लाभ के लिए, एससीओ चीन-प्रस्तावित बेल्ट और रोड पहल के साथ अपने कार्यक्रमों को एकजुट कर सकता है। एससीओ के कई सदस्य और पर्यवेक्षक पहले से ही बेल्ट और रोड पहल में विभिन्न स्तरों पर शामिल हैं और सहयोग के शुरुआती उपज का आनंद लिया है। ऐसा लगता है कि छिंगताओ शिखर सम्मेलन एससीओ इतिहास में एक नया मील का पत्थर बनने के लिए तैयार है क्योंकि यह लगभग सभी उपरोक्त लक्ष्यों को पाने में मदद करने की उम्मीद है।





    English | इंग्लिश


    India and SCO: Opportunities and Challenges

    Indian PM Narendra Modi is on a two day visit to Qingado (China) to attend the 18th summit of Shanghai Cooperation Organization (SCO). After nearly two decades, the international organization now boasts eight full members, four observers, and six “dialogue partners;” a permanent secretariat in Beijing; and a security outpost in Tashkent.
    The SCO presents itself as a multilateral organization of equal and diverse sovereign members, but China has been the driving force in its evolution, making the Qingdao summit an important moment to reflect on the organization’s trajectory, achievements, and enduring challenges.
    In the declaration issued in Qingdao, India was the only member of the SCO that declined to endorse China's Belt and Road Initiative (BRI).
    This formulation, which was expected, was seen as a pragmatic compromise acceptable to both: China was able to have the SCO endorse the BRI, which India could have protested as a member, while India made a point by not declaring its endorsement. Both sides, at the same time, have signalled their willingness to move beyond their differences, with Modi and Xi on June 9 agreeing to take forward a joint project in Afghanistan.

    What is SCO?

    • The SCO was founded by leaders of China, Kazakhstan, Kyrgyzstan, Russia and Tajikistan in 2001.
    • Uzbekistan joined the group later. India and Pakistan signed the memoranda for becoming a permanent member of the SCO in 2016.
    • The inclusion of India and Pakistan into the SCO would mean the addition of another 1.45 billion people which would make the grouping cover around 40 per cent of the global population.

    Opportunities and Challenges for India

    • The geographical and strategic space which the SCO entails is of great importance for India. India’s security, strategic, geopolitical, and economic interests are deeply intertwined with developments in the region. 
    • India’s participation in the SCO will be helpful for fighting against these problems.  That is why cooperation on counter-terrorism is expected to be a major point of India’s exchange with SCO.
    • The SCO opens India’s door for Central Asia which is a part of India’s extended neighbourhood. India’s relations with countries in the region have potential to realize the enormous potential for enhancing ties in areas such as policy, security, trade, economy, investment, connectivity, energy, and capacity development. 
    • Currently, India is one of the largest energy consuming countries in the world. The membership in the SCO is also likely to increase India’s access to major gas and oil exploration projects in Central Asia. 
    • The Central Asian region is richly endowed with natural resources and vital minerals.  The region is landlocked, and Uzbekistan is even doubly landlocked, which makes it difficult to access these resources for other countries. The SCO is expected to open India’s door for these resources which would of immense help for fulfilling India’s energy demands.







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    भारत आणि SCO: संधी आणि आव्हाने

    8-9 जून 2018 रोजी चीनच्या किंगदाओ शहरात शांघाय सहकार संघटना (SCO) याची वार्षिक शिखर परिषद संपन्न झाली. या परिषदेत चीन आणि भारत यांच्यातल्या संबंधांना चालना मिळणार्‍या अनेक विषयांवर चर्चा दोन्ही देशांनी केली आणि म्हणूनच अलीकडेच दोन्ही देशांमधील विवादपूर्ण परिस्थितीच्या पार्श्वभूमीवर ही चर्चा अधिक महत्त्वाची ठरते.  
    आधी आपण शांघाय सहकार संघटना (SCO) बाबत जाणून घेऊयात -
    शांघाय सहकार संघटना (Shanghai Cooperation Organisation -SCO) याची स्थापना 2001 साली करण्यात आली. याचे मुख्यालय बीजिंग, चीनमध्ये आहे. SCO मध्ये चीन, रशिया, कझाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत आणि पाकिस्तान या देशांचा समावेश आहे.  चीन हा SCO चा संस्थापक आहे. भारत 2017 साली SCO चा पूर्ण सदस्य बनला.
    परिषदेदरम्यान चर्चित मुद्दे
    • परिषदेत भारताने दहशतवादी जाळ्याच्या विरोधात एकत्रितपणे क्षेत्रीय आणि वैश्विक लढा देण्यासाठी प्रयत्न करण्यावर आणि व्यापार वाढविण्यावर भर दिला.
    • भारताकडून SCO च्या सदस्य देशांमध्ये व्यापार वाढवण्यासाठी प्रादेशिक संपर्क प्रकल्पाचे महत्त्व अधोरेखित केले गेले. भारताने इराणमधील चबाहर बंदर प्रकल्प आणि संसाधन-समृद्ध मध्य आशियाई देशांमध्ये प्रवेश मिळवून देण्यार्‍या 7200 किलोमीटरहून अधिक लांबीच्या आंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन मार्गिका यासारख्या संपर्क जोडणी प्रकल्पांवर भर दिला.
    • गेल्या वर्षी $51 अब्जपर्यंत पोहोचलेली व्यापारी तूट भरून काढण्यासाठी भारताने चीनला त्याचे माहिती तंत्रज्ञान आणि औषधीनिर्माण क्षेत्र खुले करण्यास विनंती केली आहे.
    • यावर्षी दहशतवाद, अतिरेकी आणि क्रांतिकारकतेविरुद्धच्या लढ्यात सहकार्य करण्यासंदर्भात मार्ग शोधण्याचा प्रयत्न केला गेला.
    • पाकिस्तानकडून शस्त्रसंधीच्या उल्लंघनाच्या वाढलेल्या घटनांच्या पार्श्वभूमीवर, पाकिस्तान आणि पाकिस्तान व्याप्त काश्मीर (PoK) येथून चालवलेल्या दहशतवादी संरचनेचे उच्चाटन करण्यासाठी पाकिस्तानवर दबाव निर्माण करण्याच्या हेतूने भारताने विविध बहुपक्षीय मंचांसमोर पाकिस्तान-प्रायोजित दहशतवादाचा मुद्दा मांडला आहे.
    SCO ला सर्वात मोठा क्षेत्रीय व्यापारी संघ मानल्या जात आहे. या संघामुळे आशियात आर्थिक वृद्धीला बळकटी प्राप्त होणार. याचा भारताला असा फायदा म्हणजे की, विकासासाठी राजकीय संबंध आणि सुरक्षा अधिक महत्त्वाची असते. त्यासाठी सामंजस्य असणे गरजेचे ठरते. SCO च्या माध्यमातून भारताला आपल्या शेजारी देशांसोबतचे संबंध सुधारण्यास मदत होईल आणि देशाच्या आर्थिक विकासाला चालना मिळणार. मात्र वाढती राजकीय अस्थिरता ही अजून एक मोठी समस्या निर्माण झालेली आहे. त्यासाठी यामार्गे प्रयत्न केले जाईल.







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