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    Saturday, February 10, 2018

    पहली बार प्रयोगशाला में मानव अंडे विकसित किए गए: करेंट अफेयर्स १० फरवरी २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी

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    करेंट अफेयर्स १० फरवरी २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी


    हिंदी

    पहली बार प्रयोगशाला में मानव अंडे विकसित किए गए:



    वैज्ञानिकों ने पहली बार प्रयोगशाला में मानव अंडाणु को पूरी तरह विकसित करने में सफलता हासिल की है। उन्होंने ओवरी (गर्भाशय) के टिश्यू की मदद से बनाए अंडाणुओं को प्रारंभिक अवस्था से लेकर पूर्ण अवस्था तक विकसित किया। अभी तक यह सिर्फ चूहों में ही संभव हो सका था।
    मोलेक्युलर ह्यूमन रीप्रोडक्शन जर्नल में प्रकाशित इस शोध में ब्रिटेन और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने कहा कि इससे बांझपन की समस्या को दूर करने के लिए नए उपचार के विकास का रास्ता खुल सकता है। इससे पहले वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में चूहों के अंडाणुओं को पूरी तरह विकसित करने में सफलता पाई था।
    प्रमुख तथ्य:
    नई कामयाबी एडिनबर्ग के दो शोध अस्पतालों और न्यूयॉर्क के सेंटर फॉर ह्यूमन रीप्रोडक्शन के वैज्ञानिकों ने पाई है। उन्होंने पहली बार मानव शरीर से बाहर प्रयोगशाला में प्रारंभ से पूर्ण अवस्था तक मानव अंडाणु विकसित किए।
    इस शोध से जुड़े एवलिन टेलफर ने कहा, "लैब में पूर्ण मानव अंडाणु के विकास से बांझपन दूर करने के मौजूदा उपचार का विस्तार हो सकता है। अब हम उन अनुकूल स्थितियों पर काम कर रहे हैं जिससे अंडाणु के विकास में मदद मिलती है।" प्रोफेसर टेलफर के मुताबिक यह मानव अंडों के विकास को बेहतर तरीके से समझने के लिए महत्वपूर्ण खोज है।
    इस शोध की सफलता के बाद कई विशेषज्ञों ने कहा कि इससे न सिर्फ मानव अंडाणु के विकास को समझने में मदद मिल सकती है बल्कि यह उन महिलाओं के लिए भी उम्मीद की नई किरण हो सकती है जिन्हें कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी के चलते मां बनने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
    कैंसर में कैसे मदद करेगी यह तकनीक?
    कैंसर के इलाज के दौरान की जाने वाली कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी से बांझ होने का ख़तरा रहता है। महिलाएं इलाज शुरू करने से पहले अपने अंडे फ़्रीज़ करा सकती हैं। यहां तक कि फ़र्टिलाइज़ किए गए भ्रूण भी लैब में सुरक्षित रखे जा सकते हैं।
    लेकिन कैंसर से जूझ रही बच्चियां (जो किशोर नहीं हुईं) ऐसा नहीं कर पातीं क्योंकि उनका मासिक धर्म शुरू ही नहीं हुआ होता। फ़िलहाल ऐसी बच्चियां इलाज शुरू करने से पहले ओवरी (अंडाशय) के टिश्यू को फ़्रीज़ करा सकती हैं जो बड़े होने पर शरीर में वापिस लगाया जा सकता है।
    लेकिन अगर इस सैंपल में कुछ गड़बड़ निकल जाए तो उनके आगे चलकर उनके मां बनने के आसार काफ़ी कम हो जाते हैं। ऐसे मरीज़ों के लिए लैब में अंडे विकसित करना सुरक्षित विकल्प हो सकता है।


    इंग्लिश


    In a first, human eggs completely grown in lab
    In a massive breakthrough, human eggs have been fully grown in a lab in a world first.
    Experts removed fledgling egg cells from ovary tissue and grew them to the point where they were ready for fertilisation.
    This could pave the way for a new era of fertility treatments offering hope to women in danger of being left infertile from treatments such as chemotherapy. While researchers have previously matured human eggs from a late stage of development, this is the first time a human egg has been developed in a lab from its earliest stage to full maturity.
    This latest work, by scientists at two research hospitals in Edinburgh and the Center for Human Reproduction in New York, is the first time human eggs have been developed outside the human body from their earliest stage to full maturity.
    Some cancer patients currently have a piece of their ovary removed before treatment and re-implanted later. However, there is a risk this re-introduces the disease.
    Women undergoing premature menopause – which can strike in their 20s – could also benefit. These women may still have egg cells that could be developed in the laboratory.
    Professor Telfer said it was unlikely that it would be of much benefit for women undergoing a menopause at the normal stage between 45-55 as they would no longer have egg cells that could be used. Experts said that much more work was needed to ensure the process was safe for humans.







    मराठी

    प्रयोगशाळेत मानवी अंड पूर्णता परिपक्व करण्यात प्रथमच शास्त्रज्ञ यशस्वी

    एडिनबर्गमधील दोन संशोधन रुग्णालये आणि न्युयॉर्कमधील सेंटर फॉर ह्यूमन रिप्रॉडक्शन येथील शास्त्रज्ञ अंडाशयाच्या उतकांमध्ये प्रारंभीक टप्प्यात प्रयोगशाळेत मानवी अंड पूर्णता परिपक्व होण्यात यशस्वी झाले आहेत.
    ‘मॉलीक्युलर ह्यूमन रिप्रॉडक्शन’ नियतकालिकेत या अभ्यासाचे निष्कर्ष प्रसिद्ध करण्यात आले आहे.
    अभ्यासादरम्यान, पहिल्यांदा उंदराच्या अंड्याचा विकास प्रयोगशाळेत करण्यात आला आणि त्यापासून पिल्लू जन्माला घालण्यात आलेत.
    या यशामुळे पुनर्नविणीकरण वैद्यकीय उपचार आणि वंध्यत्वसाठी नवी उपचार पद्धत विकसित करण्यास मदत होणार. तसेच मानवी जीवनाच्या प्रारंभिक टप्प्यांमधील जीवशास्त्रासंबंधी वैज्ञानिक समजूत बनविण्यास मदत होणार.
    काही कर्करोग पिडीतांना सध्या उपचारादरम्यान त्यांच्या अंडाशयाचा भाग काढून टाकवा लागतो आणि नंतर पुन्हा त्याचे प्रत्यारोपण केले जाते. मात्र, तरीही हा रोग पुन्हा उद्भवण्याचा धोका असतोच. या यशामुळे भविष्यात कर्करोग असलेल्या रोग्यांसाठी किमोथेरेपी उपचारादरम्यान प्रजननक्षमता राखण्यास मदत होणार.





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