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    Saturday, April 28, 2018

    भारत-चीन संबंध: डोकलाम वादानंतरची स्थिती

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    करेंट अफेयर्स २८ एप्रिल २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी
    India China Relations Post Doklam

    भारत-चीन संबंध: डोलाम वादानंतरची स्थिती

    डोकलाम मुद्दे के बाद भारत-चीन संबंधों का नया दौर:


    हिंदी


    डोकलाम मुद्दे के बाद भारत-चीन संबंधों का नया दौर:
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच दो दिवसीय अनौपचारिक शिखर वार्तांओं का दौर 27 अप्रैल 2018 से शुरू हुआ। यह शिखर वार्ता जिसे "हार्ट टू हार्ट समिट" कहा जा रहा है, मध्य चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान में आयोजित की जा रही है।
    शी और मोदी के बीच आखिरी बैठक नौवीं ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद पिछले सितंबर में हुई थी। डोकलाम में हुए गतिरोध और सीमा पर अप्रत्याशित तनाव के बीच दोनों देशों के आपसी संबंधों में सामान्य स्थिति बहाल करने में सितंबर में हुई वार्ता ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
    क्यों महत्वपूर्ण है ये सम्मेलन?
    नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग ने अपनी अनौपचारिक बैठकों की शुरुआत 2014 में की थी जब शी भारत आये और मोदी ने उनकी आगवानी गुजरात के साबरमती आश्रम में की। उसके बाद से दोनों नेता दर्जन भर अंतरराष्ट्रीय बैठकों में मिल चुके हैं।
    लेकिन यह इनके बीच दिल से दिल तक (हार्ट टू हार्ट) की बातचीत का अनौपचारिक शिखर सम्मेलन होगा। इस दौरान किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं होंगे और न ही कोई साझा बयान जारी किया जाएगा। यह शिखर सम्मेलन मुद्दों को सुलझाने पर सहमति बनाने का प्रयास है जो कि किसी समझौते की घोषणा के बजाय बाद की कार्रवाई पर होगा। दोनों नेताओं के बीच इस तरह का संवाद पहली बार हो रहा है।
    डोकलाम विवाद के कारण दोनों देशों के संबंधों में आई खटास को दूर करने के लिये हाल के समय में दोनों पक्ष लगातार कई कदम उठा रहे हैं।
    चीन के साथ संबंधों में संतुलन को प्राथमिकता:
    चीन के साथ संबंधों में मोदी सरकार ने बदलाव के स्पष्ट संकेत दिए हैं। जहां एक ओर संप्रभुता के मसले पर भारत सरकार ने अपनी स्पष्ट नीति को रेखांकित किया और भारतीय हितों की सुरक्षा की अपनी प्रतिबद्धता दिखाई, वहीं वीजा उदारीकरण और चीन के साथ बढ़ते आर्थिक एवं वाणिज्यिक संबंध के द्वारा आर्थिक विकास और सहयोग के प्रति अपना समर्थन दिखाया।
    चीन के साथ संबंधों में सही संतुलन बनाना इस सरकार की प्राथमिकता है। व्यापार और निवेश पर व्यापक चर्चा और प्रमुख चुनौतियों के हल की दृष्टि से भी यह वार्ता महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। हाल ही में दोनों देशों के बीच हुए संयुक्त आर्थिक मंच की बैठक में विभिन्न मुद्दों पर मतभेदों को दूर करने के उपायों पर चर्चा हुई।
    डोकलाम विवाद:
    2017 का डोकलाम विवाद, डोकलाम में एक सड़क निर्माण को लेकर, भारतीय सशस्त्र बलों और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के बीच जारी सैन्य सीमा गतिरोध को संदर्भित करता है। 18 जून, 2017 को इस गतिरोध की शुरुआत हुई, जब करीब 300 से 270 भारतीय सैनिक दो बुलडोज़र्स के साथ भारत-चीन सीमा पार कर पीएलए को डोकलाम में सड़क बनाने से रोक दिया।
    9 अगस्त, 2017 को, चीन ने दावा किया कि केवल 53 भारतीय सैनिक और एक बुलडोजर अभी भी डोकलाम में हैं। जबकि भारत ने इस दावे को नकारते हुये कहा है कि उसके अभी भी वहाँ करीब 300-350 सैनिक उपस्थित है। सितम्बर माह में प्रस्तावित ब्रिक्स शिख्स्र सम्मेलन से थोडा ही पहले 28 अगस्त 2017 को दोनों देशों ने अपनी सेनाएं पीछे हटाने का निर्णय लिया।
    टिप्पणी:
    चीन के साथ तमाम मतभेदों के बावजूद मोदी ने उच्चतम राजनीतिक स्तर पर संपर्क और संवाद के जरिये दोनों देशों के बीच भागीदारी और सहयोग को प्रगाढ़ करने का पुरजोर प्रयत्न किया है। चीन के साथ संबंधों को नई दिशा देने के लिए मोदी सरकार ने एक व्यापक राजनीतिक ढांचे का विकास किया है।
    यह अनौपचारिक बैठक दोनों नेताओं के बीच परस्पर विश्वास और आपसी समझ को गहरा बनाने में मदद करेगी। साथ ही बदलते वैश्विक परिवेश में दोनों देशों के मध्य उपजे मतभेदों को कम करने में यह वार्ता संजीवनी का काम करेगी। शीर्ष स्तर पर इस मन की बात का उद्देश्य घरेलू और विदेशी नीति के संदर्भ में एक दूसरे के दृष्टिकोण को समझना और मौजूदा तथा संभावित गलतफहमियों को दूर करना भी है।
    उम्मीद है कि मोदी और शी की शिखर वार्ता चीन-भारत संबंधों पर महत्वपूर्ण निर्णय लेगी और दोनों देशों को नए लक्ष्यों को स्थापित करने और द्विपक्षीय संबंधों के लिए नई संभावनाओं को खोलने के लिए एक नए प्रारूप से मार्गदर्शन करेगी।



    इंग्लिश


    India China Relations Post Doklam
    The summer 2017 standoff between hundreds of Chinese and Indian military personnel at the Bhutan-China-India tri-border area was an exceptional event. A standoff between Asia’s continental giants over a tract of disputed Himalayan territory is an all-too-common affair. The Doklam incident, however, was exceptional because it was so different, in so many ways, from the hundreds of other stare-downs at the China-India border that occur every year. The strategic significance of the Doklam dispute derives from the critical juncture at which it unfolded in the broad sweep of China-India relations and in India’s long-term, post-Cold War strategic maturation.
    It was perhaps the most highly-scrutinized border incident between China and India in modern times and the most volatile since a large military buildup in the Eastern Sector of the border dispute in the late 1980s.
    Post Doklam
    There is no denying that the world is an anarchic place and every state is for himself. Indian policymakers understand that the world has changed and it’s not a bipolar world where they needed to balance only two powers US and USSR. The sudden and unscheduled visit of Indian PM Modi to China in this week can be understood as a pragmatic approach can be understood in this regard. India has officially not accepted the Chinese One Belt One Road initiative while other South Asian neighbors have already become part of it. India can bargain over it and can also get benefitted.
    India is looking to enhance its position in World and it can’t be denied that the next big power to USA is China. India needs investment and a better connected Asia which will be beneficial not only to China but India as well.







    मराठी


    भारत-चीन संबंध: डोलाम वादानंतरची स्थिती

    पंतप्रधान नरेंद्र मोदी सध्या चीनच्या दौर्‍यावर आहेत. या दरम्यान त्यांच्या आणि चीनी राष्ट्रपती शी चिनपींग यांच्यामध्ये एक अनौपचारिक शिखर बैठक पार पडली, ज्यात दोन्ही देशांच्या संबंधांना चालना देण्याकरिता विविध विषयांवर चर्चा झाली. तसेच दोन्ही देशांनी हळू-हळू सीमावाद सोडविण्यासाठी एकत्र येण्याचे आवाहन यावेळी केले गेले.
    भुटान आणि सिक्किम यांच्यामध्ये असलेल्या डोकलाममध्ये चीनी आणि भारतीय सैन्यांमध्ये जवळजवळ 70 दिवस चाललेल्या तनावानंतर ही पहिलीच वेळ आहे, जेव्हा दोन्ही देशांचे नेत्यांची भेट घडून आली. या भेटीमुळे दोन्ही देशांमधील संबंधामध्ये स्थिरता आणि शांतता प्रस्थापित होण्याचे संकेत आहेत.
    डोकलाम वाद कश्या संदर्भात होता?
    2012 साली भारत, भुटान आणि चीन यांच्यात एक करार झाला. ज्यामध्ये डोकलाम क्षेत्रामधील या दोन्ही देशांच्या क्षेत्राची स्थिती ही केवळ सर्व पक्षांच्या संयुक्त चर्चासत्रातूनच निश्चित केले जाईल असे निश्चित केले गेले. डोकलाम पठारपर्यंत रस्ता बांधण्याच्या चीनच्या योजनेमुळे या त्रिपक्षीय कराराचे उल्लंघन होत होते.
    भारत-चीन सीमाक्षेत्रामधील दशकापासून विवादित या प्रदेशात चीनने उंच पर्वतीय रस्ता बांधण्यासाठी आपल्या सैन्यांसह बुलडोजर आणि उत्खनन करणारी उपकरणे पाठवली होती. या क्षेत्राच्या डोकोला शहरापासून ते झोम्पेलरी येथील भुटानी सैन्याच्या छावणीपर्यंत रस्ता बांधण्याचा चीनी सरकारचा मानस आहे.
    भुटान, भारत आणि चीन यांच्या सीमेलगत असलेल्या डोकलाम पठार क्षेत्रातून चीनी लष्करी बांधकाम चमूला परत पाठविण्याकरिता गेल्या महिन्यात भारताने आपली सैन्य तुकडी पाठवली होती.
    भूटान, भारत आणि चीन यांच्या सीमेलगत डोकलाम पठार क्षेत्र आहे. हे क्षेत्र भूतपूर्व भूटानमध्ये 269 चौरस कि.मी. क्षेत्रफळात पसरलेले आहे. भारतासाठी हे डोकलाम पठार हे दुर्गम पूर्वोत्तर राज्यांना जोडणारा जमिनी मार्ग असल्याने त्या क्षेत्रावर नियंत्रण राखणे भारताला आवश्यक आहे.
    डोकलाम वादानंतरची स्थिती
    चीनने राजकारणामधील परस्पर विश्वास सुधारण्यासाठी शांतीपूर्ण सहकार्य देणारे तत्त्वांचा स्वीकार करत परस्पर लाभकारी सहकार्याच्या आधारावर भारताबरोबर काम करण्याचे वचनबद्धतेचा पुनरुच्चार केला.
    दोन्ही नेत्यांमध्ये झालेल्या या अनौपचारिक शिखर बैठकीत दोन्ही देशांनी हळू-हळू सीमावाद सोडविण्यासाठी एकत्र येण्याचे मान्य केले आणि दोन्ही देशांमधील संबंधामध्ये स्थिरता आणि शांतता प्रस्थापित करण्यास वचनबद्धता प्रदर्शित केली.
    भारत आणि चीन व्यापार संबंध
    भारत आणि चीन जवळजवळ 3,488 किलोमीटरची सीमा सामायिक करतात, ज्याबाबत वाद सुरू आहे. आतापर्यंत 20 टप्प्यांमध्ये याबाबत वार्ता झाल्या.
    आज चीन भारताचा सर्वात मोठा व्यापारी भागीदार बनला आहे. भारत-चीन द्वैपक्षीय व्यापार मागील वर्षात $84.44 अब्जपर्यंत पोहचलेला आहे. या संबंधांना अधिक वाढविण्यासाठी सीमेवरील तीन व्यापारी केंद्र महत्त्वाची भूमिका बजावतात. यामध्ये नाथू ला पास (सिक्किम), शिप्की ला पास (हिमाचल प्रदेश) आणि लिपुलेख पास (उत्तराखंड) यांचा समावेश आहे.






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