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    Tuesday, March 6, 2018

    करेंट अफेयर्स ६ मार्च २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी

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    करेंट अफेयर्स ६ मार्च २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी


    हिंदी

    दो नहीं, पांच प्रकार का हो सकता है मधुमेह: अध्ययन
    वैज्ञानिकों के अनुसार, मधुमेह (डायबिटीज़) वास्तव में दो नहीं बल्कि पांच अलग-अलग बीमारियां हैं और इन सभी का उपचार भी अलग-अलग होना चाहिए। फिनलैंड और स्वीडन में हुए शोध में विशेषज्ञों ने पांच तरह के डायबिटीज की पहचान की है।
    इस अध्ययन के बाद डायबिटीज के इलाज में बड़े पैमाने पर बदलाव की उम्मीद की जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में सात करोड़ से अधिक डायबिटीज के मरीज हैं। दशकों से डायबिटीज के दो प्रकार टाइप 1 और टाइप 2 की ही जानकारी रही है।
    टाइप 1 डायबिटीज प्रतिरक्षा तंत्र से संबंधित बीमारी है, जिसमें शरीर में इनसुलिन बनना बंद हो जाता है। टाइप 2 डायबिटीज में शरीर इनसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है।
    विशेषज्ञों का कहना है कि टाइप 1 डायबिटीज को प्रतिरक्षा तंत्र से संबंधित गंभीर बीमारी की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। टाइप 2 डायबिटीज को चार श्रेणियों में बांटा जाना चाहिए। इसमें दो गंभीर और दो साधारण डायबिटीज की श्रेणी में बांटा जाना चाहिए।
    इनमें से पहली श्रेणी में गंभीर रूप कम इनसुलिन वाली डायबिटीज, इसमें हाई ब्लड शुगर के मरीजों, कम इनसुलिन उत्पादन वाले और सामान्य रूप से इनसुलिन के प्रति प्रतिरोधी वाले मरीजों को रखा जाना चाहिए।
    दूसरे गंभीर इनसुलिन के प्रति प्रतिरोधी डायबिटीज का संबंध मोटापे से है। हल्के मोटापे से संबंधित डायबिटीज में मोटापे के शिकार लोगों को रखा जा सकता है। हालांकि यह कम गंभीर बीमारी है और इसमें ऐसे लोगों को रखा जा सकता है, जो कम उम्र में इसका शिकार हो जाते हैं।
    अंतिम समूह में उम्र से संबंधित हल्की डायबिटीज को रखा जा सकता है। हालांकि यह सबसे बड़ा समूह होगा, जिसमें डायबिटीज के 40 फीसदी मरीज होंगे और ज्यादातर उम्रदराज होंगे।
    शोधकर्ताओं ने 14,775 मधुमेह के मरीजों के खून की जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। यह नतीजे लैंसेट डायबिटीज़ एंड एंटोक्रिनोलोजी में प्रकाशित हुए हैं, इसमें बताया गया है कि मधुमेह के मरीज को पांच अलग-अलग क्लस्टर में बांटा जा सकता है।
    डायबिटीज के प्रकार:
    • क्लस्टर 1: गंभीर प्रकार का ऑटो इम्यून मधुमेह, यह टाइप-1 मधुमेह जैसा ही है। इसके शिकार लोगों के शरीर में कम मात्रा में इनसुलिन बनने लगता है।
    • क्लस्टर 2: यह गंभीर प्रकार से इनसुलिन की कमी वाला मधुमेह है। इसके पीड़ित युवा होते हैं, जिनका ब्लड शुगर स्तर अधिक होता है लेकिन इनसुलिन का उत्पादन कम कम जाता है। यह इनसुलिन के प्रति सामान्य रूप से प्रतिरोधी होते हैं।
    • क्लस्टर 3: गंभीर रूप से इंसुलिन प्रतिरोधी मधुमेह के शिकार मरीज का वजन बढ़ा हुआ होता है।
    • क्लस्टर 4: हल्के मोटापे से जुड़े मधुमेह से पीड़ित लोग आमतौर अधिक वजन के होते हैं।
    • क्लस्टर 5: उम्र से जुड़े मधुमेह के मरीजों का सबसे बड़ा समूह होता है।
    डायबिटीज:
    डायबटीज़ शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ जाने पर होती है, और इसे सामान्यतः दो प्रकारों में बांटा गया है टाइप-1 और टाइप-2। दुनिया में प्रत्येक 11 में से एक वयस्क मधुमेह से पीड़ित है। डायबिटीज की वजह से दिल का दौरा, स्ट्रोक, अंधापन और किडनी खराब होने का खतरा हो सकता है।
    टाइप 1 डायबिटीज में मरीत की प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावित होती है। इसमें शरीर की इंसुलिन फैक्ट्री (बेटा-सेल) पर हमला होता है जिस वजह से हमारा शरीर शुगर की मात्रा नियंत्रित करने के लिए हार्मोन पर्याप्त मात्रा में नहीं बना पाता। टाइप 2 डायबिटीज का कारण आमतौर पर गलत जीवनशैली होता है जिसमें शरीर में वसा बढ़ने लगता है और वह इनसुलिन पर असर दिखाता है।


    इंग्लिश


    Not two, diabetes can be of five types: Study
    Recently a study has reported that, people suffering from Diabetes can be categorized in to 5 categories. Researchers in Scandinavia have proposed classifying diabetes as five types of disease, rather than two types.
    Diabetes:
    • Diabetes describes a group of metabolic diseases in which the person has high blood glucose (blood sugar), either because insulin production is inadequate, or because the body's cells do not respond properly to insulin, or both. Patients with high blood sugar will typically experience polyuria (frequent urination), they will become increasingly thirsty (polydipsia) and hungry (polyphagia).
    • Diabetes is a long-term condition that causes high blood sugar levels.
    In people with type 1 diabetes, which most often appears in childhood, the body cannot make insulin — a hormone that helps glucose get into cells. This condition occurs because the body's immune system attacks the cells in the pancreas that make insulin.
    In type 2 diabetes, the body does not make or use insulin well. Often, this condition begins with insulin resistance, which means cells aren't responding to insulin, even though the body is still making the hormone. The condition often occurs in middle-age or older adults and is thought to be related to lifestyle factors and obesity.
    But in the new study, which was published yesterday (March 1) in the journal The Lancet Diabetes & Endocrinologyl, researchers found that diabetes patients in Sweden and Finland fell into five clusters.
    The new classification could be very useful, but stressed that the researchers aren't suggesting getting rid of type 1 and type 2 diagnoses. Rather, they are suggesting that there are subtypes.
    The clusters are:
    Cluster 1: Called "severe autoimmune diabetes," this form is similar to type 1 diabetes. People in this cluster were relatively young when they were diagnosed, and they were not overweight. They had an immune system (autoimmune) disease that prevented them from producing inulin.
    Cluster 2: Called "severe insulin-deficient diabetes," this form was similar to cluster 1 — people were relatively young at diagnosis and were not overweight. They were also not producing much insulin. But, crucially, their immune system was not the cause of their disease. People in this cluster "looked for all the world like [they had] type 1" diabetes, but they didn't have "autoantibodies" that indicate type 1, Wyne said. Researchers aren't sure why this happens, but people in this group may have a deficiency in the cells that produce insulin.
    Cluster 3: Called "severe insulin-resistant diabetes," this form occurred in people who were overweight and had high insulin resistance, meaning their bodies were making insulin, but their cells were not responding to it.
    Cluster 4: Called "mild obesity-related diabetes," this form occurred in people who had a milder form of the disease, without as many metabolic problems as those in cluster 3, and they tended to be obese.
    Cluster 5: Called "mild age-related diabetes," this form was similar to cluster 4, but the people were older at their age of diagnosis. This was the most common form of diabetes, affecting about 40 percent of people in the study.
    The researchers noted that their study cannot confirm whether all five clusters of diabetes have different causes or whether people's classification might change over time, so future studies should look at these questions.


    मराठी

    मधुमेह दोन नाही तर पाच प्रकारांचा असू शकतो: एक अभ्यास

    संशोधकांनी केलेल्या एका अभ्यासात असे आढळून आले आहे की, मधुमेह दोन नाही तर पाच प्रकारांचा असू शकतो आणि या सर्वांवर उपचार देखील वेगवेगळ्या पद्धतीने व्हायला हवा.
    स्विडनच्या ल्युंड युनिवर्सिटी डायबटीज सेंटर आणि फिनलँडच्या इंस्टिट्यूट फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसिन येथील संशोधकांनी 14,775 मधुमेह रोगींच्या रक्ताची तपासणी केल्यानंतर हे निष्कर्ष काढलेत.
    मधुमेहाचे सामान्य स्वरूप
    शरीरात शर्करेचे प्रमाण वाढल्यामुळे मधुमेह रोग उद्भवण्याचा धोका असतो. आतापर्यंत मधुमेह दोन प्रकारचे असतात असेच मानले जात होते, ते म्हणजे - टाइप-1 आणि टाइप-2.
    • टाइप-1 प्रकार – या मधुमेहामुळे मानसाच्या प्रतिकार क्षमतेवर सरळ प्रभाव पडतो. याचा शरीरातील इंसुलिन फॅक्ट्री (बीटा-पेशी) वर प्रतिकूल परिणाम होतो, त्यामुळे शरीरातली शर्करा नियंत्रित करण्यासाठी इंसुलिन हार्मोन निश्चित प्रमाणात तयार होत नाही.
    • टाइप-2 प्रकार – चुकीची जीवनशैली या मधुमेहासाठी कारक ठरते, ज्यामध्ये शरीरात चरबीचे प्रमाण वाढते आणि याचा परिणाम इंसुलिनवर दिसून पडतो.
    जगभरात प्रत्येक 11 व्यक्तींमध्ये एक वयस्क मधुमेहाने ग्रसित आहे. मधुमेहामुळे हृदयविकाराचा झटका, स्ट्रोक, अंधत्व आणि मूत्रपिंड बंद पडणे असे धोके नेहमीच असातात.
    शोधानुसार, मधुमेह रोगींना पाच वेगवेगळ्या गटात वाटता येऊ शकते.
    • गट 1 - गंभीर स्वरुपात ऑटो इम्यून मधुमेह मोठ्या प्रमाणात टाइप-1 मधुमेह सारखाच आहे, याचा प्रभाव युवा वयोगटात दिसून पडतो. सुरूवातीला रोगी निरोगी असतो आणि नंतर शरीरात इंसुलिन तयार होण्याचे प्रमाण कमी व्हायला लागते.
    • गट 2 - गंभीर स्वरुपात इंसुलिनची कमतरता असणार्‍या मधुमेहीला प्रारंभीक स्वरुपात गट-1 प्रमाणेच दिसून पडतो. याने युवा प्रभावित होतात. त्यांचे वजन देखील नियंत्रित असते, मात्र त्यांच्यात इंसुलिन तयार करण्याची क्षमता कमी-कमी होत जाते आणि त्यांची रोगप्रतिकारक क्षमता कमकुवत बनते.
    • गट 3 - गंभीर स्वरुपात इंसुलिन रोधक मधुमेह असलेल्या रोगींचे वजन वाढलेले असते, त्यांच्या शरीरात इंसुलिन तयार तर होत असते परंतु शरीरावर त्याचा प्रभाव पडत नाही.
    • गट 4 – कमी लठ्ठपणाशी संबंधित मधुमेहाने रोगी साधारणतः अधिक वजनाचे असतात, परंतु त्यांची पचन क्षमता गट-3 च्या रोगींप्रमाणेच असते.
    • गट 5 – वयाशी संबंधित मधुमेह असलेल्या रोगींमध्ये साधारणतः त्यांच्याच समान वयाच्या इतर लोकांपेक्षा बहुअधिक वयाचे दिसून येतात.
    अभ्यासाचे निष्कर्ष
    • शेवटच्या दोन गटांच्या तुलनेत सुरवातीच्या तीन गटांच्या मधुमेहावर उपचार लवकर सुरू केले जायला हवे.
    • गट 2 च्या रोगींना सध्या टाइप-2 मधुमेहच्या श्रेणीत ठेवले जाते, कारण ते ऑटोइम्यूनने प्रभावित नसतात.
    • गट 2 च्या रोगींना अंधत्व येण्याचा धोका असतो, जेव्हा की गट 3 मध्ये मूत्रपिंड बंद पडण्याचा धोका अधिक असतो.
    हा शोध अधिक महत्त्वपूर्ण ठरतो, कारण यामुळे मधुमेहावर अचूक औषधी शोधण्यासाठी नवे पाऊल पडलेले दिसून येते. आदर्श स्थितीत या उपचाराला मधुमेहाची ओळख झाल्यानंतर लगेच सुरू करावयास पाहिजे.
    शोधाचे निष्कर्ष ‘लॅनसेट डायबिटीज अँड अँटोक्रिनोलोजी’ या नियतकालिकेत प्रकाशित करण्यात आले आहे.

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