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    Sunday, March 4, 2018

    मंत्रिमंडल ने भगौड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 को मंजूरी दी: Cabinet approves Fugitive Economic Offenders Bill, 2018 करेंट अफेयर्स ४ मार्च २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी

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    करेंट अफेयर्स ४ मार्च २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी


    हिंदी


    मंत्रिमंडल ने भगौड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 को मंजूरी दी:
    प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में मंत्रिमंडल ने संसद में भगौड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 (फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर्स बिल, 2018) को प्रस्तुत करने के लिए वित्‍त मंत्रालय के प्रस्‍ताव को अनुमति प्रदान कर दी है।
    इस विधेयक में भारतीय न्‍यायालयों के कार्यक्षेत्र से बाहर रहकर भारतीय कानूनी प्रक्रिया से बचने वाले आर्थिक अपराधियों की प्रवृत्‍ति को रोकने के लिए कड़े उपाय करने में मदद मिलेगी।
    विधेयक के प्रभाव:
    • ऐसे अपराधों में कुल 100 करोड़ रुपए अथवा अधिक मूल्‍य के ऐसे अपराध इस विधेयक के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत आएंगे।
    • इस विधेयक से भगौड़ा आर्थिक अपराधियों के संबंध में कानून के राज की पुनर्स्‍थापना होने की संभावना है क्‍योंकि इससे उन्‍हें भारत वापस आने के लिए बाध्‍य किया जाएगा और वे सूचीबद्ध अपराधों का कानूनी सामना करने के लिए बाध्‍य होंगे।
    • इससे ऐसे भगौड़ा आर्थिक अपराधियों द्वारा की गई वित्‍तीय चूकों में अंतर्विष्‍ट रकम की उच्‍चतर वसूल करने में बैकों व अन्‍य वित्‍तीय संस्‍थओं को भी मदद मिलेगी और ऐसी संस्‍थाओं की वित्तीय स्‍थिति में सुधार होगा।
    विधेयक के मुख्‍य तथ्य:
    • किसी व्‍यक्‍ति के भगौड़ा आर्थिक अपराधी घोषित होने पर विशेष न्‍यायालय के समक्ष आवेदन करना।
    • अपराध के जरिए भगौड़ा आर्थिक के रूप में घोषित व्‍यक्‍ति की संपत्‍ति को जब्‍त करना।
    • भगौड़ा आर्थिक अपराधी होने के आरोपित व्‍यक्‍ति को विशेष न्‍यायालय द्वारा नोटिस जारी करना।
    • अपराध के फलस्‍वरूप व्‍युतपन्‍न संपत्‍ति के चलते भगौड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किए गए व्‍यक्‍ति की संपत्‍ति को जब्‍त करना।
    • ऐसे अपराधी की बेनामी संपत्‍ति सहित भारत और विदेशों में अन्‍य संपत्‍ति को जब्‍त करना।
    • भगौड़े आर्थिक अपराधी को किसी सिविल दावे का बचाव करने से अपात्र बनाना।
    • अधिनियम के अंतर्गत जब्‍त की गई संपत्‍ति के प्रबंधन व निपटान के लिए एक प्रशासन की नियुक्‍ति की जाएगी।
    तथापि, ऐसे मामले में जहां किसी व्‍यक्‍ति के भगौड़ा घोषित होने के पूर्व किसी भी समय कार्यवाही की प्रक्रिया के समानांतर भगौड़ा आर्थिक अपराधी भारत लौट आता है और सक्षम न्‍यायालय के समक्ष पेश होता है, तो उस स्‍थिति में प्रस्‍तावित अधिनियम के अंतर्गत कनूनन कार्यवाही रोक दी जाएगी।
    इस विधेयक में किसी व्‍यक्‍ति को भगौड़ा आर्थिक अपराधी के रूप में घोषित करने के लिए इस विधेयक में एक न्‍यायालय (धन-शोधन रोकथाम अधिनियम, 2002 के अंतर्गत विशेष न्‍यायालय) का प्रावधान किया गया है।
    भगौड़ा आर्थिक अपराधी से एक ऐसा व्‍यक्‍ति अभिप्रेत है, जिसके विरूद्ध किसी सूचीबद्ध अपराध के संबंध में गिरफ्तारी का वारंट जारी किया जा चुका है और जिसने आपराधिक कार्यवाही से बचने के लिए भारत छोड़ दिया है अथवा विदेश में रह रहा है और आपराधिक अभियोजन का समाना करने के लिए भारत लौटने से इंकार कर रहा है। आर्थिक अपराधों की सूची को इस विधेयक की तालिका में अंतर्विष्‍ट किया गया है।
    पृष्‍ठभूमि:
    आर्थिक अपराधियों के ऐसे अनेक मामले घटित हुए हैं जहां भारतीय न्‍यायालयों को न्‍याय क्षेत्र से भागने, आपराधिक मामलों के शुरूआत की प्रत्‍याशा अथवा मामले अथवा आपराधिक कार्यवाही को लंबित करने के दौरान आर्थक अपराधी भाग निकला है।
    भारतीय न्‍यायालयों के ऐसे अपराधियों की अनुपस्‍थिति का कारण अनेक विषय परिस्‍थितियां उत्‍पन्‍न हुई हो, जैसे प्रथमत: इससे आपराधिक मामलों में जांच रूक सी जाती है, दूसरे, इससे न्‍यायालयों का मूल्‍यवान समय बर्बाद होता है, तीसरे, इससे भारत में कानून के राज का अवमूल्‍यन होता है।
    इसके अलावा, आर्थिक अपराध के अधिकांश ऐसे मामलों में बैंक ऋणों की गैर-अदायगी शामिल होती है, जिससे भारत के बैंकिंग क्षेत्र की वित्तीय स्‍थिति बदतर हो जाती है। इस समस्‍या की गंभीरता से निपटने के लिए कानून के वर्तमान सिविल और आपराधिक प्रावधान पूर्णत: पर्याप्‍त नहीं हैं।
    अतएव, ऐसी कार्यवाहियों की रोकथाम सुनश्‍चित करने के लिए प्रभावी, तीव्रतम और संवैधानिक दृष्‍टि में मान्‍य प्रावधान किया जाना आवश्‍यक समझा गया है। यहां उल्‍लेखनीय है कि भ्रष्‍टाचार से संबंधित मामलों में गैर-दोषसिद्धि-आधारित संपत्‍ति के जब्‍त करने की प्रवृत्‍ति अपराध के प्रति यूनाइटेड नेशन्‍स कन्‍वेंशन (भारत द्वारा 2011 में मान्‍य) से अनुसमर्थित है।
    विधेयक में इसी सिद्धांत को अंगीकार किया गया है। उपरोक्‍त संदर्भ के मद्देनजर, सरकार द्वारा बजट 2017-18 में यह घोषणा की गई थी कि सरकार विधायी संशोधन लाने अथवा जब तक ऐसे अपराधी समुचित विधि न्‍यायालय मंच के समक्ष समर्पण नहीं करता, ऐसे अपराधियों की संपत्‍ति को जब्‍त करने के लिए नया कानून तक लाया जाएगा।

    इंग्लिश


    Cabinet approves Fugitive Economic Offenders Bill, 2018
    The Union Cabinet chaired by Prime Minister Shri Narendra Modi, has approved the proposal of the Ministry of Finance to introduce the Fugitive Economic Offenders Bill, 2018 in Parliament.
    The Bill would help in laying down measures to deter economic offenders from evading the process of Indian law by remaining outside the jurisdiction of Indian courts.
    Features of the Bill:
    ·         Application before the Special Court for a declaration that an individual is a fugitive economic offender;
    ·         Attachment of the property of a fugitive economic offender;
    ·         Issue of a notice by the Special Court to the individual alleged to be a fugitive economic offender;
    ·         Confiscation of the property of an individual declared as a fugitive economic offender resulting from the proceeds of crime;
    ·         Confiscation of other  property belonging to such offender in India and abroad, including benami property;
    ·         Disentitlement of the fugitive economic offender from defending any civil claim; and
    ·         An Administrator will be appointed to manage and dispose of the confiscated property under the Act.
    Implementation Strategy:
    In order to address the lacunae in the present laws and lay down measures to deter economic offenders from evading the process of Indian law by remaining outside the jurisdiction of Indian courts, the Bill is being proposed. The Bill makes provisions for a Court ('Special Court' under the Prevention of Money-laundering Act, 2002) to declare a person as a Fugitive Economic Offender. A Fugitive Economic Offender is a person against whom an arrest warrant has been issued in respect of a scheduled offence and who has left India so as to avoid criminal prosecution, or being abroad, refuses to return to India to face criminal prosecution.
    The Bill adopts this principle. In view of the above context, a Budget announcement was made by the Government in the Budget 2017-18 that the Government was considering to introduce legislative changes or even a new law to confiscate the assets of such absconders till they submit to the jurisdiction of the appropriate legal forum.




    मराठी


    ‘फरारी आर्थिक गुन्हेगार विधेयक 2018’ यास मंत्रिमंडळाची मंजूरी

    पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या अध्‍यक्षतेत केंद्रीय मंत्रिमंडळाने संसदेत ‘फरारी आर्थिक गुन्हेगार विधेयक 2018’ चर्चेसाठी मांडण्यासाठी वित्‍त मंत्रालयाला परवानगी दिली आहे.
    ठळक बाबी
    • अश्या प्रकारच्या अपराधांमध्ये एकूण 100 कोटी रुपये अथवा त्याहून अधिक रकमेसंबंधित गुन्हे या विधेयकाच्या कार्यक्षेत्रात आणले जातील.
    • विधेयकात एक न्‍यायालय (आर्थिक फसवणूक प्रतिबंधक अधिनियम-2002 अन्वये विशेष न्‍यायालय) ची तरतूद आहे.
    • कोणतीही व्यक्ती फरारी आर्थिक गुन्हेगार म्हणून घोषित झाल्यानंतर विशेष न्‍यायालयापुढे अर्ज करणे.
    • गुन्ह्यात फरारी आर्थिक गुन्हेगार म्हणून घोषित झालेल्या व्यक्तीची संपत्ती जप्त करणे.
    • फरारी आर्थिक गुन्हेगार म्हणून घोषित झालेल्या व्यक्तीला विशेष न्‍यायालयाकडून सूचनापत्र देणे.
    • गुन्ह्याच्या परिणामस्‍वरूप उद्भवलेल्या अकार्यक्षम मालमत्तेमुळे फरारी आर्थिक गुन्हेगार म्हणून घोषित झालेल्या व्यक्तीची संपत्ती जप्त करणे.
    • अश्या गुन्हेगारांची बेनामी संपत्ती सोबतच भारत आणि परदेशात असलेली अन्‍य संपत्ती जप्त करणे.
    • फरारी आर्थिक गुन्हेगाराला कोणत्याही नागरी दाव्यासंबंधी बचाव करण्यापासून अपात्र बनवणे.
    • कायद्यांतर्गत जप्त केलेल्या संपत्तीचे व्यवस्थापन व निवारणासाठी एक प्रशासन व्यवस्था नियुक्‍त केली जाईल.
    स्वत:हून कारवाईस सामोरे गेल्यास दोषीला दिल्या जाणार्‍या सवलती
    मात्र, अश्या प्रकरणात एखादी व्यक्ती फरारी घोषित होण्याआधीच कोणत्याही वेळी, ती व्यक्ती भारतात परत आली आणि सक्षम न्‍यायालयापुढे हजर होत असल्यास, त्या परिस्थितीत प्रस्‍तावित कायद्यांतर्गत कायदेशीर कारवाई थांबविण्यात येईल.
    विधेयकात अधिवक्‍ताच्या माध्यमातून व्यक्तीला सुनावनीची संधी, उत्‍तर दाखल करण्यासाठी वेळ प्रदान करणे, त्या व्यक्तीला भारत वा परदेशात बोलावणे पाठवणे आणि उच्‍च न्‍यायालयात याचिका दाखल करणे यासारख्या सर्व आवश्‍यक संवैधानिक संरक्षण उपाय तरतुदी आहेत. तसेच कायदेशीर तरतुदींच्या अनुपालनात संपत्तीचे व्यवस्थापन व निवारणासाठी प्रशासनाची नियुक्ती करण्यासंबंधी तरतूद आहे.
    विधेयकाचे परिणाम
    • विधेयकामुळे भारतीय न्‍यायालयांच्या कार्यक्षेत्रा बाहेर असणार्‍या भारतीय न्याय प्रक्रियेपासून बचावणार्‍या आर्थिक गुन्हेगारी प्रवृत्तीला प्रतिबंध करण्यासाठी कडक उपाययोजना करण्यामध्ये मदत मिळणार.
    • देश सोडून फरार झालेल्या अश्या गुन्हेगारांना देशात परत आणण्याकरिता प्रयत्न केले जाणार आणि ते निर्दिष्ट गुन्ह्यांसाठी असणार्‍या न्याय कारवाईला सामोरे जाण्यास बाध्‍य होतील.
    • विधेयकामुळे अश्या गुन्हेगाराकडून केलेल्या वित्‍तीय चुकांमध्ये समाविष्ट रक्कम वसूल करण्यामध्ये बँका व अन्‍य वित्‍तीय संस्थांना मदत होणार.


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