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    Tuesday, March 27, 2018

    इंटरनेशनल डिकेड फॉर एक्शन: वॉटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट 2018-2028 लॉन्च किया गया: | International Decade for Action: Water for Sustainable Development, 2018-2028

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    करेंट अफेयर्स २७ मार्च २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी




    हिंदी

    इंटरनेशनल डिकेड फॉर एक्शन: वॉटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट 2018-2028 लॉन्च किया गया:
    सतत विकास लक्ष्य 2030 को हासिल करने के लिए, हर किसी के लिए पानी उपलब्ध कराना सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक है, लेकिन यह पूरी दुनिया में मौजूद सरकारों के लिए एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य है।
    जल समस्या पर और अधिक ध्यान देने के लिए, संयुक्त राष्ट्र ने इंटरनेशनल डिकेड फॉर एक्शन: वॉटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट 2018-2028 लॉन्च किया है। यह जल संसाधनों के सतत विकास और एकीकृत प्रबंधन पर अधिक ध्यान देने की मांग करता है।
    भारत ने जल से जुड़ी चुनौतियों के मुकाबले के लिए संयुक्त राष्ट्र के 'जल दशक' की शुरुआत करने का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सम्मिलित प्रयासों से इस संबंध में चुनौतियों को पूरा करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा स्वच्छ जल की जरूरत का सतत समाधान सुनिश्चित होगा।
    संयुक्त राष्ट्र स्थित भारतीय दूतावास के उपस्थायी प्रतिनिधि तन्मय लाल ने कहा, 'हम विश्व जल दिवस पर सतत विकास के लिए जल चुनौतियों के लिए समर्पित दशक की शुरूआत किए जाने का स्वागत करते हैं।'
    उन्होंने उम्मीद जताई कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समुदायों के सम्मिलित कदमों के जरिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय स्वच्छ जल की जरूरत का स्थायी समाधान सुनिश्चित करने की चुनौतियों से निपट सकता है। लाल ने कहा कि आबादी में बेतहाशा वृद्धि, उद्योग और शहरी केंद्रों के अपर्याप्त योजनाबद्ध विकास, अनियंत्रित प्रदूषण और बदलती जलवायु से पानी की उपलब्धता में कमी आई है।
    भारत में जल समस्या:
    माना जा रहा है कि 2050 तक भारत में पानी की बेहद कमी हो जाएगी। ऐसा अनुमान है कि आने वाले दिनों में औसत वार्षिक पानी की उपलब्धता काफी कम होने वाली है। वहीं प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता का स्तर भी बेहद कम हो जाएगा।
    एक रिपोर्ट के मुतबिक 2001 में 1,820 प्रति व्यक्ति क्यूबिक मीटर प्रति व्यक्ति पानी था। जो घटकर 2011 में 1,545 रह गया। रिपोर्ट बताती है कि यह आने वाले सालों में इसका औसत और कम होता जाएगा। 2025 में यह 1,341 क्यूबिक मीटर रह जाएगा वहीं 2050 में यह घटकर सिर्फ 1,140 क्यूबिक मीटर हो जाएगा।
    बता दें कि हाल ही में यूनेस्को ने भी एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में भी कहा गया है कि 2050 तक भारी जल संकट पैदा हो जाएगा। ऐसा माना जा रहा है कि आगामी सालों में 40 फीसदी जल संसाधनों की कमी आ जाएगी, जिसके कारण देश में पानी की कमी हो जाएगी।


    इंग्लिश

    International Decade for Action: Water for Sustainable Development, 2018-2028 
    In order to achieve the Sustainable Development Goals 2030, making water available for everyone is one of the most important goals but it is also a herculean tasks for the governments all over the world. To give more focus on water, United Nations has launched International Decade for Action: Water for Sustainable Development 2018-28.
    It calls for a greater focus on the sustainable development and integrated management of the water resources of the achievement of social, economic and environmental objectives and on the implementation and promotion of related programms and projects.
    Water Problem in India:
    • In urban areas, where the demand of 135 litres per capita daily (lpcd) is more than three times the rural demand of 40 lpcd, the scarcity assumes menacing proportions. 
    • As much as 55% of India’s total water supply comes from groundwater resources, which is also a cause of concern.
    • Irrigation, of which over 60% comes from groundwater, takes up over 80% of total water usage in India.
    • The absence of rational water policies have led to the relentless exploitation of groundwater resources.
    Given the relentless usage of ground water and without a regulated water policy may hamper India’s water security in the future. The increasing population will put more pressure on the government to secure the water in coming times.
    Suggestions:
    • In order to match rapidly increasing demand, India needs to make judicious use of its two sources of fresh water — surface water and groundwater.
    • Green Revolution has probably is the reason behind increased usage of groundwater. Drip irrigation and other sustainable practices need to be increased.
    • Several scientific studies, including one by the United Nations Environment Programme in 2001, emphasize that dams have two main adverse effects on rivers. First, dams alter the chemical content and temperature of water. Water stored by dams has a temperature distinctly different from the rest of the river, and being stagnant, picks up unwanted things such as sand, besides encouraging algal bloom. Second, dams reduce the natural quantity of water flowing through downstream areas.




    मराठी

    UN चे ‘इंटरनॅशनल डिकेड फॉर अॅक्शन: वॉटर फॉर सस्टेनेबल डेव्हलपमेंट 2018-2028’

    शाश्वत विकास उद्दिष्टे 2030 साध्य करण्यासाठी, प्रत्येकाला पाण्याची उपलब्धता, हे सर्वात महत्त्वपूर्ण उद्दिष्टांपैकी एक आहे, परंतु संपूर्ण जगातील वर्तमान सरकारांसाठी हे एक अत्यंत आव्हानात्मक कार्य आहे.
    पाण्याची समस्येवर अधिक लक्ष देण्याकरिता, संयुक्त राष्ट्रसंघाने इंटरनॅशनलडिकेड फॉर अॅक्शनवॉटर फॉर सस्टेनेबल डेव्हलपमेंट2018-2028 कार्यक्रम अनावरीत केला आहे. हा जलस्त्रोतांच्या शाश्वत विकास आणि एकात्मिक व्यवस्थापनावर अधिक लक्ष देण्याची मागणी करतो.
    भारताला पाण्यासंबंधी आव्हानांना सामोरे जाण्यासाठी संयुक्त राष्ट्रसंघाचे हे 'जल दशक' कार्यक्रमाची मदत होणार.
    भारतामधील पाणी समस्या
    • 2050 सालापर्यंत भारतात पाण्याची मोठ्या प्रमाणात कमतरता भासणार. येणार्‍या दिवसांमध्ये सरासरी वार्षिक पाण्याच्या उपलब्धतेत कमतरता येणार.
    • शहरी भागात, जिथे दररोज 135 लिटर दरडोई (lpcd) एवढी मागणी आहे, जी की 40 lpcd एवढ्या ग्रामीण मागणीच्या तीन पट अधिक आहे, ती धोक्याच्या पातळीत मनाली जाते.
    • भारतातील सुमारे 55% पाणीपुरवठा भूजलाचा स्रोताच्या माध्यमातून होतो, जी चिंतेचा एक कारण आहे.
    • 60% भूजलच्या माध्यमातून होणारे सिंचन भारतातील एकूण पाण्याच्या वापराच्या 80% पेक्षा जास्त आहे.
    • तर्कसंगत पाण्याची धोरणे नसल्यामुळे भूजल स्त्रोतांचा अविरत वापर केला जातो.
    • भूजलाचा अविरत वापर आणि नियंत्रित पाण्यासंबंधी धोरण नसल्यामुळे भविष्यात भारतात पाणी सुरक्षेचा धोका संभवतो. वाढत्या लोकसंख्येमुळे सरकारला आगामी काळात पाणी सुरक्षित करण्यावर अधिक दबाव आणला जाईल.
    शिफारशी
    • वेगाने वाढती मागणी पूर्ण करण्यासाठी, भारताने आपल्या पृष्ठभागावरील पाणी आणि भूजल स्त्रोतांचे न्याय्य वापर करणे आवश्यक आहे.
    • भूजलाचा वाढीचा उपयोग होण्यामागे हरित क्रांती होणे कदाचित हे कारण आहे. ठिबक सिंचन आणि इतर शाश्वत पद्धती वाढवण्याची गरज आहे.



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