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    Tuesday, March 13, 2018

    नासा के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में तारों के बीच पानी की खोज की: NASA probe to search for interstellar water

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    करेंट अफेयर्स १३ मार्च २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी


    हिंदी

    नासा के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में तारों के बीच पानी की खोज की:
    नासा के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में तारों के बीच पानी की खोज की है। इसे जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप की मदद से देखा गया है। यह एक ऐसे बादल है जिनमें पूरे ब्रम्हांड में सबसे अधिक पानी मौजूद रहता है। यह अणुओं से बना एक बादल है, जो धूल, गैस और छोटे-छोटे अणुओं से मिलकर बना है।
    प्रमुख तथ्य:
    चूंकि पानी जीवन के लिए सबसे अहम चीजों में शुमार है, इसलिए वैज्ञानिक अब वहां जीवन की संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं। दरअसल, टेलीस्कोप द्वारा देखा गया यह बादल ऐसा है, जिनमें पूरे ब्रह्मांड में सबसे अधिक पानी मौजूद रहता है। यह अणुओं से बना एक बादल है, जो धूल, गैस और छोटे-छोटे अणुओं से मिलकर बना है।
    यह पानी तारों के ग्रहों की छोटी कक्षा तक पहुंचाया जाता है। इन बादलों के भीतर, छोटे धूल कणों की सतहों पर पानी बनाने के लिए ऑक्सीजन के साथ हाइड्रोजन परमाणु जुड़े होते हैं। यह कार्बन मिथेन बनाने के लिए हाइड्रोजन के साथ जुड़ जाता है।
    नीदरलैंड स्थित यूनिवर्सिटी वैन एम्स्टर्डम के मेलिस्सा मैकक्लोर के मुताबिक, यदि हम आण्विक बादल में बर्फ के बनने की जटिल रासायनिक प्रक्रिया को पूरी तरह समझने में सफल हो जाते हैं तो हमें पता चल सकेगा कि एक तारे और उसके ग्रहों के निर्माण में ये बादल किस तरह से शामिल होता है।
    इसके जरिए स्टार सिस्टम को समझने में मदद मिलेगी। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इन प्रक्रियाओं को समझने के लिए विभिन्न जांचें की जाएंगी। इसके परिणामों से उम्मीद है कि हम ब्रह्मांड के कई रहस्यों पर से पर्दा उठाने में सफल होंगे।
    कैसे बनता है ये बादल?
    यह बादल हाइड्रोजन के साथ नाइट्रोजन बॉन्ड से अमोनिया बनाते हैं। यह अणु धूल के कणों की सतह पर चिपकते हैं, जिससे लाखों वषों में बर्फीली परतें जमा करते हैं।



    इंग्लिश


    NASA probe to search for interstellar water
    NASA’s James Webb Space Telescope will peer into interstellar reservoirs to gain new insights into the origin and evolution of water and other key building blocks for habitable planets.
    This exploration will help the scientists to understand what are the conditions required for formation of the new habitable planets. A molecular cloud is an interstellar cloud of dust, gas, and a variety of molecules ranging from molecular hydrogen (H2) to complex, carbon-containing organics. Molecular clouds hold most of the water in the universe, and serve as nurseries for new-born stars and their planets.
    Within these clouds, on the surfaces of tiny dust grains, hydrogen atoms link with oxygen to form water. Carbon joins with hydrogen to make methane. Nitrogen bonds with hydrogen to create ammonia. All of these molecules stick to the surface of dust specks, accumulating icy layers over millions of years. The result is a vast collection of "snowflakes" that are swept up by infant planets, delivering materials needed for life as we know it. To understand these processes, researchers will examine a nearby star-forming region to determine which ices are present where.
    It will help to understand the chemical complexity of these ices in the molecular cloud, and how they evolve during the formation of a star and its planets.
    NASA’s Project
    • The project will take advantage of Webb's high-resolution spectrographs to get the most sensitive and precise observations at wavelengths that specifically measure ices.
    • The team plans to target the Chamaeleon Complex, a star-forming region visible in the southern sky. It is located about 500 light-years from Earth and contains several hundred proto-stars, the oldest of which are about 1 million years old.


    मराठी

    NASA ने तार्‍यांमध्ये प्रथमच पाण्याचे ढग शोधले

    NASA च्या शास्त्रज्ञांना अवकाशात तार्‍यांच्यामध्ये पाण्याचा अंश असल्याचा नवीनच शोध लागला आहे.
    जेम्स वेब स्पेस दुर्बिणीच्या मदतीने केलेल्या शोधकार्यात असे आढळून आले की, एक असा ढग आहे ज्यामध्ये संपूर्ण विश्वात सर्वाधिक पाणी आहे. हा अणुंनी बनलेला एक ढग आहे, जो धूळ, वायु आणि छोट्या-छोट्या अणुंनी बनलेला आहे.
    हे पाणी तार्‍यांच्या ग्रहांच्या छोट्या कक्षेपर्यंत पोहचवल्या जाते. या ढगांच्या आतमध्ये छोट्या धुळीच्या कणांच्या पृष्ठभागावर पाणी बनण्यासाठी ऑक्सीजनसोबत हायड्रोजन अणु एकत्र येतात. हे कार्बन मिथेन बनविण्यासाठी हायड्रोजन सोबत जुळतात. हे हायड्रोजनसोबतच्या नायट्रोजन बंधपासून अमोनिया तयार करतात. हे अणु धुळीच्या कणांच्या पृष्ठभागावर चिकटतात, ज्यापासून लाखो वर्षांमध्ये बर्फाचे थर जमा होतात. आणि अश्या प्रकारे जीवनासाठी लागणारे साहित्य वितरित केले जातात.
    अश्या ढगांमधील या बर्फाची रासायनिक संरचना जाणून घेतल्यास, त्यांची कश्याप्रकारे एखाद्या तार्‍याच्या आणि त्याच्या ग्रहांच्या निर्मिती दरम्यान उत्क्रांती होते, हे समजून घेण्यास मदत होणार. यासाठी पुढे विस्तारीत स्वरुपात अभ्यास करण्याची संशोधकांची योजना आहे.

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