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    Monday, February 26, 2018

    हैदराबाद विश्वविद्यालय ने घातक मलेरिया परजीवी को मारने के लिए दवा विकसित की: करेंट अफेयर्स २६ फरवरी २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी

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    करेंट अफेयर्स २६ फरवरी २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी


    हिंदी

    हैदराबाद विश्वविद्यालय ने घातक मलेरिया परजीवी को मारने के लिए दवा विकसित की:


    हैदराबाद विश्वविद्यालय की एक शोध टीम ने एक दवा विकसित की है जो कि मैलेरिया के कारक प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम परजीवी को कुशलता से मारता है।
    विश्वविद्यालय से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि हैदराबाद विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रोफेसर प्रदीप पाइक के नेतृत्व में एक शोध समूह द्वारा बहुलक (पॉलीमर) आधारित इस नैनोमेडीसिन को विकसित किया गया है।
    प्रोफेसर पाइक ने कहा है कि नया फॉर्मूला लाल रक्त कोशिकाओं में प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम संक्रमण को मारने में कुशल था और साथ ही उन्होंने जोड़ा कि अब पशु परीक्षण के लिए अब दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है।
    प्रोफेसर पाइक वर्तमान में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू), वाराणसी में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग स्कूल के एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं।
    विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि मलेरिया, मानव जाति के खिलाफ सबसे घातक बीमारियों में से एक है जोकि प्रति वर्ष 212 मिलियन लोगों को संक्रमित करती है और सालाना 4,29,000 मौतों का कारण बनती है।
    मलेरिया:
    मलेरिया या दुर्वात एक वाहक-जनित संक्रामक रोग है जो प्रोटोज़ोआ परजीवी द्वारा फैलता है। यह मुख्य रूप से अमेरिका, एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधी क्षेत्रों में फैला हुआ है। मलेरिया को आमतौर पर गरीबी से जोड़ कर देखा जाता है किंतु यह खुद अपने आप में गरीबी का कारण है तथा आर्थिक विकास का प्रमुख अवरोधक है।
    मलेरिया सबसे प्रचलित संक्रामक रोगों में से एक है तथा भंयकर जन स्वास्थ्य समस्या है। यह रोग प्लाज्मोडियम गण के प्रोटोज़ोआ परजीवी के माध्यम से फैलता है।
    केवल चार प्रकार के प्लाज्मोडियम (Plasmodium) परजीवी मनुष्य को प्रभावित करते है जिनमें से सर्वाधिक खतरनाक प्लाज्मोडियम फैल्सीपैरम (Plasmodium falciparum) तथा प्लाज्मोडियम विवैक्स (Plasmodium vivax) माने जाते हैं, साथ ही प्लाज्मोडियम ओवेल (Plasmodium ovale) तथा प्लाज्मोडियम मलेरिये (Plasmodium malariae) भी मानव को प्रभावित करते हैं। इस सारे समूह को 'मलेरिया परजीवी' कहते हैं।


    इंग्लिश

    University of Hyderabad develops medicine to kill deadly malaria parasite
    A research team from the University of Hyderabad has developed a medicine that efficiently kills the plasmodium falciparum parasite that causes malaria. A release from the varsity said that the polymer-based Nano-medicine was developed by a research group led by Pradip Paik.
    Highlights:
    • According to Prof Paik,  the new formulation was efficient in killing plasmodium falciparum infection in red blood cells and added that the medicine could now be used for animal trials. 
    • The World Health Organisation estimates that malaria, one of the deadliest scourges of mankind, afflicts about 212 million people every year and causes 4,29,000 deaths annually.
    Malaria in India:
    • Malaria is a life-threatening disease caused by parasites that are transmitted to people through the bite of anopheles mosquitoes or infected mosquitoes.
    • WHO estimates that India accounts for 75% of all malaria cases in South-East Asia.
    • About 95% of the Indian population resides in malaria endemic areas; 80% of malaria reported in the country is confined to areas where 20% of population resides - in tribal, hilly, hard-to-reach or inaccessible areas. 
    • Malaria in India is particularly entrenched in low-income rural areas of eastern and north-eastern states, but important foci are also present in the central and more arid western parts of the country.
    • Despite many decades of intense research and development effort, there is no commercially available malaria vaccine at the present time.
    • RTS,S/AS01 is the most advanced vaccine candidate against the most deadly form of human malaria, P. falciparum





    मराठी


    हैदराबाद विद्यापीठामधील संशोधकांकडून प्राणघातक हिवतापाच्या कारकाला नष्ट करणारे औषध विकसित

    हैदराबाद विद्यापीठामधील संशोधकांच्या चमूने प्राणघातक मलेरियाला कारणीभूत ठरणार्‍या परजीवीला नष्ट करणारे एक औषध विकसित केले आहे. औषध मलेरियास कारणीभूत असलेल्या प्लास्मोडीयम फाल्सिपरम नामक परजीवीला नष्ट करण्यास सक्षम आहे.
    विद्यापीठातील अभियांत्रिकी विज्ञान व तंत्रज्ञान विभागाचे प्रा. प्रदीप पाइक यांच्या नेतृत्वाखाली संशोधकांनी पॉलिमर-आधारित एक नॅनोमेडिसीन विकसित केलेले आहे.
    हे औषध लाल रक्तपेशींमधील मलेरियाच्या परजीवीच्या संक्रमणाला नष्ट करण्यात कुशल आहे. पुढे औषध आता जनावरावरील चाचणीसाठी वापरले जाणार.
    मलेरिया आजाराबाबत
    मलेरिया आजार प्लास्मोडीयम फाल्सिपरम नामक परजीवीच्या संक्रमणाने होतो. परजीवांचे संक्रमण प्रभावित मच्छराच्या माध्यमातून होतो.
    जागतिक आरोग्य संघटनेचा असा अंदाज आहे की, मलेरिया हा मानवीय जीवनातील सर्वात भयंकर श्वासोच्छ्वासांसंबंधी आजारांपैकी एक आहे. दरवर्षी सुमारे 212 दशलक्ष लोकांना याचा प्रादुर्भाव होतो आणि दरवर्षी 4,29,000 जण मृत्यूमुखी पडतात.
    मानवाला प्रभावित करणार्‍या चार परजीवी प्रजातींपैकी ‘प्लास्मोडीयम फाल्सिपरम’ एक असलेले अधिक धोकादायक आहे. वर्तमान परिस्थितीत सर्व उपलब्ध औषधे नवीन औषध-विरोधी मलेरियावर प्रभावी नाहीत आणि त्यामुळे नवीन औषधे विकसित करण्याची त्वरित गरज भासत आहे. जगभरात याबाबत संशोधन चालू आहे.


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