करेंट अफेयर्स १४ फरवरी २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी
भारतामधील दळणवळण व्यवस्थेसंदर्भात मुख्य बुमिका बजावणार्या बंदरांच्या पायाभूत सुविधांमध्ये येणारे अडथळे आणि त्यांचे निवारण या बाबतीत केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्रालयाने आपले निष्कर्ष या अहवालात नोंदविलेले आहेत. या अहवालात धोरण आणि विनियमन सहित 60 हून अधिक मुद्द्यांवर शिफारसी प्रदान करण्यात आल्या आहेत.
ठळक बाबी
जागतिक निर्यातीमध्ये 5% चे भारतीय लक्ष्य साध्य करण्यासाठी, येणार्या पाच वर्षांमध्ये भारतीय निर्यातला वार्षिक 26% या दराने वाढविण्याची आवश्यकता आहे. यासाठी उत्पादनासंदर्भात स्पर्धात्मकतेत वाढ करणे आवश्यक आहे. अहवालात ‘पोर्ट परफॉर्मेंस निर्देशांक’ दिला आहे, जो विविध बंदरांच्या मानक चिन्हांकित कामगिरीत मदत करणार.
अहवालात 13 बंदरांची माहिती दिली आहे, जे भारताचा 67% सागरी व्यापार नियंत्रित करतात. केल्या गेलेल्या अभ्यासात बंदरांवर नियंत्रित कंटेनर आणि बल्क कार्गो एवढ्यापुरताच मर्यादित आहे आणि यामध्ये लिक्विड कार्गो सामील करण्यात आलेले नाही.
हिंदी
डन ऐंड ब्रैडस्ट्रीट (डीऐंडबी) ने 'पोर्ट लॉजिस्टिक्स: इश्यूज एंड चैलेंजेज इन इंडिया' रिपोर्ट जारी की:
एक निजी अनुसंधान फर्म, डन ऐंड ब्रैडस्ट्रीट (डीऐंडबी) ने भारत में बंदरगाह की बुनियादी सुविधाओं में आ रही बाधाओं और इनके निवारण के बारे में, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय को अपने निष्कर्ष प्रस्तुत किए हैं। इसमें नीति और विनियमन सहित 60 से अधिक मुद्दों पर सुझाव दिए गए हैं।
रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं:
एक आर्थिक महाशक्ति बनने की भारतीय आकांक्षा निर्यात में वृद्धि के बिना और बंदरगाह के बुनियादी ढांचे में सुधार के बिना पूरी नहीं की जा सकती। जिस प्रकार से वन बेल्ट और वन रोड के तहत चीन ने भारतीय महासागर में अपनी नौसैनिक उपस्थिति बढ़ाई है, भारत को यह सुनिश्चित करने के लिए बंदरगाहों में उन्नयन और निवेश की जरूरत है ताकि वह वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बन पाए।
एक निजी अनुसंधान फर्म, डन ऐंड ब्रैडस्ट्रीट (डीऐंडबी) ने भारत में बंदरगाह की बुनियादी सुविधाओं में आ रही बाधाओं और इनके निवारण के बारे में, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय को अपने निष्कर्ष प्रस्तुत किए हैं। इसमें नीति और विनियमन सहित 60 से अधिक मुद्दों पर सुझाव दिए गए हैं।
रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं:
- विश्व निर्यात में 5% का भारतीय लक्ष्य हासिल करने के लिए, अगले पांच वर्षों में भारतीय निर्यात को प्रति वर्ष 26% की दर से बढ़ने की जरूरत है। उत्पाद प्रतिस्पर्धा में वृद्धि इस लक्ष्य को प्राप्त करने की आवश्यक होगी।
- इस रिपोर्ट ने पोर्ट परफॉर्मेंस इंडेक्स पेश किया है जो विभिन्न बंदरगाहों के बेंचमार्किंग प्रदर्शन में मदद करेगा।
- रिपोर्ट में 13 बंदरगाहों को कवर किया गया है जो भारत के 67% समुद्री व्यापार को नियंत्रित करते हैं।
- अध्ययन का दायरा इन बंदरगाहों पर नियंत्रित कंटेनर और बल्क कार्गो तक सीमित है और इसमें लिक्विड कार्गो शामिल नहीं है।
- 13 बंदरगाहों में से 3 बंदरगाहों (जेएनपीटी, कामराज, वाइजैग) ने अच्छा स्कोर बनाया है; 7 ने औसत स्कोर (कोचीन, कांडला, परादीप, चेन्नई, मर्मुगोआ, न्यू मैंगलोर और वीओसी) हासिल किया है; और 3 बंदरगाहों को (हल्दिया, कोलकाता और एमबीपीटी) को बहुत खराब स्कोर मिला है।
- पश्चिम तट की तुलना में पूर्वी तट पर औसत बंदरगाह लागत थोड़ा अधिक थी।
- प्रक्रिया और संचालन मानकीकृत या एक समान नहीं हैं।
- रिपोर्ट के अनुसार, पांच प्रमुख बाधाएं पाई गईं हैं जोकि सभी बंदरगाहों में समान समस्याएं हैं; कंजेस्शन (जमाव), सीमा शुल्क निकासी, शिपिंग लाइन के मुद्दे और परिवर्तन, दस्तावेज़ीकरण और कागजी कार्रवाई, और विनियामक मंजूरी।
एक आर्थिक महाशक्ति बनने की भारतीय आकांक्षा निर्यात में वृद्धि के बिना और बंदरगाह के बुनियादी ढांचे में सुधार के बिना पूरी नहीं की जा सकती। जिस प्रकार से वन बेल्ट और वन रोड के तहत चीन ने भारतीय महासागर में अपनी नौसैनिक उपस्थिति बढ़ाई है, भारत को यह सुनिश्चित करने के लिए बंदरगाहों में उन्नयन और निवेश की जरूरत है ताकि वह वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बन पाए।
इंग्लिश
Dun & Bradstreet releases ‘Port Logistics: Issues & Challenges in India’ report
A private research firm, Dun & Bradstreet has submitted its findings about roadblocks and remedies for port infrastructure in India, to Ministry of Commerce & Industry. It has made suggestions over 60 issues including policy and regulation.
Highlights of the report:
A private research firm, Dun & Bradstreet has submitted its findings about roadblocks and remedies for port infrastructure in India, to Ministry of Commerce & Industry. It has made suggestions over 60 issues including policy and regulation.
Highlights of the report:
- To achieve Indian target of 5% in world exports – Indian exports need to grow at 26% per year for the next five years. Increasing product competitiveness will be required to achieve this target.
- The study has introduced Port Performance Index which will help in benchmarking performance of various ports.
- The report has covered 13 ports which handle India’s 67% maritime trade. The scope of the study is limited to container and bulk cargo handled at these ports and doesn’t cover liquid cargo.
- Among the 13 ports, 3 ports have scored good score (JNPT, Kamaraj, Vizag); 7 have scored average (Cochin, Kandla, Paradip, Chennai, Mormugao, New Mangalore and VOC) and 3 ports (Haldia, Kolkata and MbPT) have received very poor score.
- The average port logistics cost at the east coast was slightly higher as compared towest coast.
- The process and operations are not standardized or uniform; unpredictable cost and time and unacceptable level of variation across ports as well within port.
- Five major hurdles were found as per the report which are common problems across ports; congestion, customs clearance, shipping line issues & changes, documentations & paperwork, and regulatory clearance.
मराठी
‘डन अँड ब्रॅडस्ट्रीट’चा 'पोर्ट लॉजिस्टिक्स: इश्यूज अँड चॅलेंजेस इन इंडिया' अहवाल
‘डन अँड ब्रॅडस्ट्रीट’ या खाजगी संशोधन संस्थेने त्याचा 'पोर्ट लॉजिस्टिक्स: इश्यूज अँड चॅलेंजेस इन इंडिया' अहवाल प्रसिद्ध केला आहे.भारतामधील दळणवळण व्यवस्थेसंदर्भात मुख्य बुमिका बजावणार्या बंदरांच्या पायाभूत सुविधांमध्ये येणारे अडथळे आणि त्यांचे निवारण या बाबतीत केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्रालयाने आपले निष्कर्ष या अहवालात नोंदविलेले आहेत. या अहवालात धोरण आणि विनियमन सहित 60 हून अधिक मुद्द्यांवर शिफारसी प्रदान करण्यात आल्या आहेत.
ठळक बाबी
- 13 बंदरांपैकी जवाहरलाल नेहरू फोर्ट ट्रस्ट (JNPT), कामराज, वीझाग या 3 बंदरांनी सर्वाधिक ‘उत्तम’ गुण मिळविलेली आहेत.
- कोचीन, कांडला, परादीप, चेन्नई, मोरमूगाव, नवा मेंगलोर आणि VOC या 7 बंदरांनी ‘सरासरी’ गुण तर हल्दिया, कोलकाता आणि MbPT या 3 बंदरांनी ‘खराब’ गुण मिळवलेले आहेत.
- पश्चिम सागरी किनार्याच्या तुलनेत पूर्व सागरी किनार्यावर सरासरी बंदरांमधील गुंतवणूक खर्च थोडा अधिक होता.
- सर्व बंदरांमध्ये एकसमान समस्या आहेत. अडथळ्यांमध्ये पाच बाबींना रेखांकीत करण्यात आले आहे. ते आहेत – दाटीकरण, सीमाशुल्क मंजूरी, शिपिंग लाइन संबंधी मुद्दे आणि बदल, कागदपत्रे आणि कागदी प्रक्रिया आणि नियामक मंजूरी.
- अहवालातील तीन महत्वाचे निष्कर्ष म्हणजे - बंदरांमध्ये चालविल्या जाणार्या प्रक्रिया आणि कार्य मानकीकृत किंवा एकसमान नाहीत; महत्त्वाच्या प्रक्रियांसाठी लागणारा खर्च आणि वेळ अनपेक्षित आहे तसेच बंदरांमध्ये आढळणारी भिन्नता ही स्वीकारण्याजोगी नाही; कार्य पूर्ण होण्याकरता अनेक शासकीय पुढाकार घेणे आवश्यक आहेत.
जागतिक निर्यातीमध्ये 5% चे भारतीय लक्ष्य साध्य करण्यासाठी, येणार्या पाच वर्षांमध्ये भारतीय निर्यातला वार्षिक 26% या दराने वाढविण्याची आवश्यकता आहे. यासाठी उत्पादनासंदर्भात स्पर्धात्मकतेत वाढ करणे आवश्यक आहे. अहवालात ‘पोर्ट परफॉर्मेंस निर्देशांक’ दिला आहे, जो विविध बंदरांच्या मानक चिन्हांकित कामगिरीत मदत करणार.
अहवालात 13 बंदरांची माहिती दिली आहे, जे भारताचा 67% सागरी व्यापार नियंत्रित करतात. केल्या गेलेल्या अभ्यासात बंदरांवर नियंत्रित कंटेनर आणि बल्क कार्गो एवढ्यापुरताच मर्यादित आहे आणि यामध्ये लिक्विड कार्गो सामील करण्यात आलेले नाही.
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