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    Saturday, February 24, 2018

    चुनावी बांड (इलेक्टोरल बांड्स) की पहली खेप की बिकी 1 मार्च 2018 से शुरू होगी: करेंट अफेयर्स २४ फरवरी २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी

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    करेंट अफेयर्स २४ फरवरी २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी


    हिंदी

    चुनावी बांड (इलेक्टोरल बांड्स) की पहली खेप की बिकी 1 मार्च 2018 से शुरू होगी:
    चुनावी बांड (इलेक्टोरल बांड्स) की पहली खेप की बिकी 1 से 10 मार्च तक की जाएगी। वित्त मंत्रालय ने यह जानकारी दी। मंत्रालय ने कहा कि इन बांडों को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की प्राधिकृत शाखाओं से खरीदा जा सकेगा।
    सरकार ने इस साल 02 जनवरी 2018 को चुनावी बांड योजना को अधिसूचित किया था। इस योजना के प्रावधानों के तहत कोई भी व्यक्ति जो भारत का नागरिक है या कोई भी ऐसी इकाई जिसकी स्थापना देश में हुई है, चुनावी बांड खरीद सकती है।
    प्रमुख तथ्य:
    एसबीआई को शुरूआत में अपनी चार प्राधिकृत शाखाओं पर चुनावी बांड जारी करने या उसे भुनाने की अनुमति दी गई है। चार महानगरों नयी दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई स्थित स्टेट बैंक की चार प्रमुख शाखाओं में इस बांडों की बिक्री की जाएगी।
    एसबीआई की इन 4 ब्रांच से इंटरेस्‍ट फ्री बॉन्‍ड्स खरीदे जा सकेंगे। ये इलेक्टोरल बॉन्ड 1000, 10000, 1 लाख, 10 लाख और 1 करोड़ रुपये के होंगे। इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड में डोनेशन देने वाले का नाम नहीं होगा।
    वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017-18 के बजट में योजना की घोषणा की थी। इसके तहत सिर्फ ऐसे पंजीकृत राजनीतिक दल जिन्हें पिछले लोकसभा चुनाव या राज्यों के विधानसभा चुनाव में कम से कम एक प्रतिशत मत मिला है, वही चुनावी बांड पाने के पात्र होंगे।
    कोई भी पात्र राजनीतिक दल किसी अधिकृत बैंक की शाखा में बैंक खाते के जरिये इसे भुना सकेगा। कोई भी एक व्यक्ति अकेले या संयुक्त रूप से या अन्य लोगों के साथ मिलकर चुनावी बांड खरीद सकता है। चुनावी बांड को राजनीतिक दलों को मिलने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
    इससे राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता आने की उम्मीद है। जारी किए जाने की तारीख से 15 दिन तक चुनावी बांड वैध होगा। वैधता की अवधि समाप्त होने के बाद किसी राजनीतिक दल को इसके लिए भुगतान नहीं किया जाएगा। राजनीतिक दल जिस दिन अपने खाते में बांड जमा करायेगा उसी दिन ही राशि उनके खाते में डाल दी जाएगी।
    पॉलिटिकल फंडिग और राजनीति में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के उद्देश्य के साथ भारत पहला देश होगा, जो इस तरह का बॉन्ड जारी करेगा। कुछ देशों में राजनीतिक पार्टियों का पूरा खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता है जिससे राजनीतिक दलों में भ्रष्टाचार न पनपने पाए।


    इंग्लिश


    The first sale of electoral bonds will start from March 1, 2018:

    The first sale of electoral bonds will be sold from 1 to 10 March. This information was given by the Finance Ministry. The Ministry said that these bonds can be bought from the authorized branches of State Bank of India (SBI).

    The government had notified the election bond scheme on January 02, 2018 this year. Under the provisions of this scheme, any person who is a citizen of India or any entity whose establishment has been born in the country can buy electoral bonds.


     facts:

    • SBI has been allowed initially to issue or issue election bonds on its four authorized branches. These bonds will be sold in four major branches of State Bank of New Delhi, Mumbai, Kolkata and Chennai in four metros.

    • Interest free bonds can be bought from these 4 branches of SBI. These electronic bonds will be of 1000, 10000, 1 lakh, 10 lakh and 1 million rupees. The donor's name will not be named in the electoral bond.

    • Finance Minister Arun Jaitley had announced the plan in 2017-18 budget. Under this, only registered political parties who have got at least one percent votes in the last Lok Sabha or assembly elections in the states, will be eligible to get the election bonds.

    • Any eligible political party will be able to redeem it through bank account at the branch of an authorized bank. Anyone can buy electoral bonds alone or jointly or with other people. Electoral bonds are being seen as an alternative to cash donations to political parties.

    • This is expected to bring transparency in political donations. Election bonds will be valid for 15 days from the date of issue. After the validity period expires, no political party will be paid for it. The amount will be credited to their account on the day the political party deposits the bond in their account.

    • With the aim of controlling corruption in political funding and politics, India will be the first country to issue such bond. In some countries the full expenditure of political parties is borne by the government, so that there is no corruption in political parties.



    मराठी


    1 मार्चपासून ‘निवडणूक बंध’ची विक्री सुरू होणार

    निवडणूक निधीच्या व्यवस्थेला पारदर्शी बनविण्याच्या उद्देशाने सादर करण्यात आलेल्या निवडणूक बं (Electoral Bonds) योजनेंतर्गत बंधच्या पहिल्या श्रृंखलेची विक्री 1 मार्चपासून सुरू करण्यात येणार आहे. सन 2018 च्या पहिल्या तिमाहीसाठी, निवडणूक बंधांची पहिली विक्री 1 मार्चपासून 10 मार्च 2018 पर्यंत सुरु राहणार.
    निवडणुकीसाठी जमा केल्या जाणार्‍या निधीत स्वच्छता आणि पारदर्शकता आणण्यासाठी भारत सरकारने एक पुढाकार घेतला आहे. वित्तमंत्रालयाने राजकीय पक्षांना निधी देण्यासाठी एक नवी ‘निवडणूक बंध’ योजना 2 जानेवारीला जाहीर केली होती.
    निधीदात्याला हे बंध भारतीय स्टेट बँकेच्या (SBI) शाखांमार्फत खरेदी करता येणार. यामार्फत प्राप्त होणारी रक्कम संबंधित पक्षाच्या अधिकृत बँक खात्यात जमा होणार. सुरुवातीला SBI ने नवी दिल्ली, मुंबई, कोलकाता आणि चेन्नई या चार महानगरांमधील मुख्य शाखांमध्ये निवडणूक बंध सुरू करण्याची परवानगी दिली आहे.
    ‘निवडणूक बंध’ बाबत
    • दात्याला बंध खरेदी करताना KYC नियमांचे पालन करावे लागणार, जेव्हा की बंधांवर दात्याचे नाव नसणार. हे बंध प्रॉमिसरी नोटप्रमाणेच एक बँकिंग दस्तऐवज असणार. मात्र यावर कोणत्याही प्रकारचे व्याज देय केले जाणार नाही.
    • बँकेत रु. 1000, रु. 10000, रु. 1 लक्ष, रु. 10 लक्ष आणि रु. 1 कोटी या मूल्याचे बंध खरेदी केले जाऊ शकतात. निवडणूक बंधांची वैधता फक्त 15 दिवसांची असणार.
    • जनप्रतिनिधित्व कायदा-1951 अन्वये मान्यताप्राप्त कोणत्याही पक्षाला दान केले जाऊ शकते.
    • बंधची विक्री वर्षातले चार महीने – जानेवारी, एप्रिल, जुलै आणि ऑक्टोबर – यांमध्ये 10 दिवसांसाठी होणार. या कालावधीतच बंध खरेदी केले जाऊ शकते.
    • सार्वत्रिक निवडणुकीच्या वर्षात बंधांच्या खरेदीची सुविधा 30 दिवसांसाठी असणार.
    • मागील लोकसभा किंवा विधानसभा निवडणुकीमध्ये 1% हून अधिक मते मिळवलेल्या नोंदणीकृत राजकीय पक्षचं बंधांमार्फत निधी प्राप्त करू शकतात.
    • बंध प्रदान करणारी बँक दात्याच्या निधीची तोपर्यंत कस्टडियन (जपून ठेवणारे) राहणार, जोपर्यंत संबंधित पक्षाच्या खात्यामधून दात्याला रक्कम वापस मिळत नाही.
    वर्तमान परिस्थितीत निवडणुकीसाठी लागणारा पैसा हा रोकड आणि गुप्तदानामार्फत प्राप्त होत होता. नव्या नियमांनुसार राजकीय पक्षाला दात्याकडून प्राप्त होणार्‍या रोख निधीची मर्यादा 20000 रुपयांवरून कमी करत 2000 रुपये केलेली आहे.


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