Hindi
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 दिसंबर 2017 को मुंबई में आयोजित एक समारोह में नौसेना की पनडुब्बी आईएनएस कलवरी को राष्ट्र को समर्पित किया। इस अवसर पर देश के लोगों को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने आईएनएस कलवरी को ‘मेक इन इंडिया’ का प्रमुख उदाहरण बताया।
उन्होंने इस पनडुब्बी को भारत और फ्रांस के बीच तेजी से बढ़ रही रणनीतिक साझेदारी का उत्कृष्ट उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि आईएनएस कलवरी से भारतीय नौसेना की शक्ति और सुदृढ़ होगी।
प्रमुख तथ्य:
आईएनएस कलवरी करीब दो दशकों में भारत को मिला पहला नया डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन है। इससे नौसैना की ताकत बढ़ी है क्योंकि इस समय सेना के पास केवल 13 पारंपरिक सबमरीन हैं।
गहरे समंदर में पाई जाने वाली खतरनाक टाइगर शार्क के नाम पर सबमरीन का नाम आईएनएस कलवरी रखा गया है। दिसंबर 1967 में भारत को पहला सबमरीन रूस से मिला था।
यह स्कॉर्पिन श्रेणी की उन 6 पनडुब्बियों में से पहली पनडुब्बी है, जिसे भारतीय नौसेना में शामिल किया जाना है।
फ्रांस के सहयोग से सबमरीन प्रॉजेक्ट-75 के अंतर्गत इसे बनाया गया है। इसका वजन 1565 टन है। अब दूसरी INS खाण्डेरी 2018 के मध्य में भारतीय नौसेना में शामिल होगी। जबकि तीसरी INS करंज 2019 की शुरुआत में मिलेगी।
यह 20 नॉट्स की स्पीड वाली सबमरीन SM-39 Exocet ऐंटी-शिप मिसाइल और टॉरपीडो से लैस है। स्टील्थ तकनीक के कारण यह चकमा देकर दुश्मन पर गाइडेड हथियारों से हमला करने में भी सक्षम है।
इसका काम दुश्मन के व्यापार और ऊर्जा मार्गों पर नजर रखना, अपने क्षेत्र को ब्लॉक करना और युद्धक उपकरणों की रक्षा करना है। जरूरत पड़ने पर दूर तक मार कर सकने की क्षमता के कारण इसके जरिए दुश्मन पर अटैक भी किया जा सकता है।
पाकिस्तान और चीन दोनों मोर्चों से बढ़ती चुनौती को देखते हुए भारत को कम से कम 18 डीजल-इलेक्ट्रिक और 6 परमाणु न्यूक्लियर अटैक सबमरीन्स की जरूरत है। भारत के पास 1 परमाणु ऊर्जा से संचालित बलिस्टिक मिसाइल सबमरीन INS अरिहंत है, जो 750 किमी तक परमाणु मिसाइलें छोड़ सकता है।
एक ऐसी परमाणु संचालित अटैक सबमरीन INS चक्र भी भारत के पास है, जो नॉन-न्यूक्लियर क्रूज मिसाइलों से लैस है।
English
PM Narendra Modi inducts Scorpene-class Submarine Kalavari into Indian Navy
Prime Minister Narendra Modi will commission India's first Scorpene class submarine, Kalvari, into the Indian Navy in Mumbai on 14 December 2017. Modi will undertake a visit of the submarine after commissioning it at the Naval Dockyard, in the presence of defence minister Nirmala Sitharaman and senior naval officers.
Facts about Kalvari:
- Kalvari, named after a deep sea tiger shark, weighs about 1,600 tonnes and carries the sea skimming SM 39 Exocet missiles and the heavy weight wire guided Surface and Underwater Target (SUT) torpedoes.
- For self-defence it has mobile anti-torpedo decoys. Kalvari is an excellent example of ‘Make in India”.
- Kalvari is the first of the six Scorpene-class submarines handed over by shipbuilder Mazagon Dock Limited (MDL). The submarines, designed by French naval defence and energy company DCNS, are being built by MDL in Mumbai as part of Project-75 of the Indian Navy.
- Kalvari is a potent Man o’ War capable of undertaking offensive operations spanning across the entire spectrum of Maritime Warfare.
- Kalvari's 360 battery cells (each weighing 750 kg) power the extremely silent Permanently Magnetised Propulsion Motor and its stealth is further enhanced through the mounting of equipment inside the pressure hull on shock absorbing cradles.
- Equipped with cutting-edge technology, the submarine is compared to favourably with the best in the world. Its undersea warfare capability comprises a cluster of advanced weapons and sensors integrated into the Submarine Tactical Integrated Combat System (SUBTICS).
The first Kalvari, commissioned on December 8, 1967, was also the first submarine of the Indian Navy.
Marathi
स्कॉर्पियन श्रेणीतली पाणबुडी INS कलवारी भारतीय नौदलात सामील
आज 14 डिसेंबर 2017 रोजी मुंबईमध्ये भारतीय नौदलात ‘INS कलवारी’ ही स्कॉर्पियन श्रेणीतली पाणबुडी राष्ट्राच्या सेवेत रुजू करून घेण्यात आली आहे. आता भारतीय नौदलाकडे एकूण 14 पाणबुड्या आहेत.
1,564 टन वजनी ‘INS कलवारी’ ही एक डीजल-इलेक्ट्रिक युद्ध पाणबुडी आहे, ज्याला भारतीय नौदलासाठी मझगाव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड या जहाजबांधणी कंपनीने तयार केले आहे. ही त्या 6 पाणबुडींपैकी पहिली आहे, ज्यांना भारतीय नौदलात सामील करण्यात येणार आहे. भारत सरकारच्या ‘मेक इन इंडिया’ पुढाकारा अंतर्गत हा प्रकल्प फ्रांसच्या सहकार्याने चालवला जात आहे.
या पाणबुडीची संरचना फ्रांसची नौदल संरक्षण व ऊर्जा कंपनी ‘DCNS’ ने तयार केलेली आहे. याचे निर्माण भारतीय नौदलाच्या 'प्रोजेक्ट-75’ अंतर्गत MDL कडून करण्यात आले आहे.
INS कलवरीची वैशिष्ट्ये
- ही पाण्यामुळे पडणार्या उच्च तीव्रता हायड्रोस्टॅटिक दबावाखाली काम करण्यास सक्षम आहे आणि महासागरामध्ये खोलपर्यंत प्रवास करू शकते. डीजल आणि विद्युत अश्या दोन्ही इंधनावर ही पाणबुडी चालते.
- पाणबुडी 6 x 533 मि.मी. टॉर्पेडो ट्यूबने सज्ज आहे, ज्यामधून 18 व्हाइटहेड एलनिया सुस्तमी सुबॅक्की ब्लॅक शार्क हेवीवेट टॉर्पेडो किंवा SM-39 एक्सॉकेट अॅंटी-शिप क्षेपणास्त्र सोडले जाऊ शकते.
- कलवरीला केवळ MBDA च्या ट्यूब-लॉंच एक्सोकेट SM-39 अॅंटी-शिप क्षेपणास्त्रांनी सुसज्जित केले गेले आहे.
- पाणबुडी पाण्याखाली असताना कमाल 20 नॉट (ताशी 37 किमी) तर पाण्याच्या पृष्ठभागावर 12 नॉट (ताशी 22 किमी) गतीने पुढे जाऊ शकते.
- या पाणबुडीचे नाव हिंद महासागरात आढळणार्या 'टाइगर शार्क’ वरून ‘कलवरी’ असे ठेवण्यात आले आहे.
पाणबुडीच्या खोल पाण्यात 120 दिवस महत्त्वाच्या सागरी चाचण्या घेतल्या गेल्या. पाणबुडीत सज्ज केलेल्या विभिन्न उपकरणांसाठी देखील चाचण्या घेतल्या गेल्या.
पाणबुडीसंबंधी भारतीय इतिहास
पहिली कलवरी पाणबुडी 8 डिसेंबर 1967 रोजी नौदलात सामील केले गेली होती. ही भारतीय नौदलाची पहिली पाणबुडी होती. जवळपास तीन दशक भारतीय नौदलात सेवा दिल्यानंतर 31 मे 1996 रोजी याचे कार्य बंद करण्यात आले होते.
नव्या डीजल-इलेक्ट्रॉनिक स्कॉर्पियन पाणबुड्यांचे नाव 10 साला आधीच्या फॉक्सट्रॉट श्रेणीतील पाणबुड्यांच्या अनुसार ठेवण्यात आले आहे; फॉक्सट्रॉट श्रेणीतील पाणबुड्या भारतीय नौदलाची पहिल्या पाणबुड्या होत्या.
भारताला 7500 किलोमीटरहून अधिकाची सागरी तट लाभलेला आहे. याशिवाय भारतीय परिसरात जवळजवळ 1300 छोटे-मोठे बेटे आणि सुमारे 25 लाख चौ. किलोमीटरचा विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र आहे.
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