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    Thursday, June 7, 2018

    Evening News 7 June 2018 Hindi/English/Marathi इवनिंग न्यूज़ 7 जून 2018 हिंदी/ इंग्लिश/मराठी

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    Evening News 7 June 2018 Hindi/English/Marathi


    इवनिंग न्यूज़ 7 जून 2018 हिंदी/ इंग्लिश/मराठी



    Mountain View

    Hindi | हिंदी



    मंत्रिमंडल की पीएसएलवी मार्क-3 जारी रखने के कार्यक्रम के छठे चरण को मंजूरी:
    • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पोलर सेटेलाइट प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) जारी रखने के कार्यक्रम (छठें चरण) और इस कार्यक्रम के अंतर्गत 30 पीएसएलवी परिचालन प्रक्षेपण को वित्‍तीय सहायता प्रदान करने की मंजूरी दी है।
    • यह कार्यक्रम पृथ्‍वी अवलोकन, दिशा सूचक और अंतरिक्ष विज्ञान के लिए सेटेलाइट के प्रक्षेपण की आवश्‍यकता को भी पूरा करेगा। इससे भारतीय उद्योग में उत्‍पादन भी जारी रहेगा। कुल 6,131 करोड़ रुपये के कोष की आवश्‍यकता है और इसमें 30 पीएसएलवी यान, आवश्‍यक सुविधा बढ़ाने, कार्यक्रम प्रबंधन और प्रक्षेपण अभियान की लागत शामिल है।
    • पीएसएलवी के परिचालन से देश पृथ्‍वी अवलोकन, आपदा प्रबंधन, दिशा सूचक और अंतरिक्ष विज्ञान के लिए सेटेलाइट प्रक्षेपण क्षमता में आत्‍मनिर्भर बना है। पीएसएलवी जारी रखने के कार्यक्रम से राष्‍ट्रीय जरूरतों के अधिक सेटेलाइट प्रक्षेपण में क्षमता और आत्‍मनिर्भरता बढ़ेगी।
    • पृष्‍ठभूमि: पीएसएलवी सन सिंक्रोनस पोलर ऑर्बिट (एसएसपीओ), जीओ सिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट(जीटीओ) और लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) प्रक्षेपण अभियान में बहुपयोगी प्रक्षेपणयान के रूप में उभरा है।
    कैबिनेट ने जीएसएलवी मार्क-III के लिए निरंतरता कार्यक्रम को मंजूरी दी:
    • केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने जिओसिंक्रोनस (भू-समकालिक) उपग्रह प्रक्षेपण वाहन मार्क-III (जीएसएलवी एमके-III) निरंतरता कार्यक्रम (चरण -1) के लिए वित्तीय सहायता की मंजूरी दे दी है जिसमें दस जीएसएलवी (एमके-III) उड़ानें शामिल हैं तथा जिसकी कुल अनुमानित लागत 4338.20 करोड़ रु है।
    • जीएसएलवी एमके–III निरंतरता कार्यक्रम-चरण 1 परिचालन उड़ानों का पहला चरण है जो देश की उपग्रह संचार आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु 4 टन वर्ग के संचार उपग्रहों को प्रक्षेपित करने में सक्षमता प्रदान करेगा।
    • जीएसएलवी एमके–IIIनिरंतरता कार्यक्रम-चरण 1 जीएसएलवी एमके–III प्रक्षेपण वाहन की परिचालन उड़ानों का पहला चरण होगा और इसकी मंजूरी से 2019-2024 की अवधि के दौरान उपग्रहों के प्रक्षेपण को पूरा करने में सहायक सिद्ध होगा।
    • पृष्ठभूमि: जिओसिंक्रोनस (भू-समकालिक) उपग्रह प्रक्षेपण वाहन मार्क-III (जीएसएलवी एमके–III) को जिओसिंक्रोनस (भू-समकालिक) स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में उपग्रहों के 4 टन वर्ग में प्रक्षेपित करने के लिए विकसित किया गया है।
    • इसने 2014 में एक प्रयोगात्मक उड़ान (एलवीएम 3-एक्स) और 2017 में एक विकास उड़ान (जीएसएलवी एमकेIII-डी 1) पूरा कर लिया है। दूसरा विकास उड़ान इस वर्ष 2018-19 के दूसरे क्वाटर (जुलाई-सितम्बर) में पूरा कर लिया जाएगा।
    कैबिनेट ने ऑफ-ग्रिड और विकेंद्रीयकृत सौर पीवी अनुप्रयोग कार्यक्रम के चरण-3 को जारी रखने के लिए स्‍वीकृति दी:
    • आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने 2020 तक अतिरिक्‍त 118 एमडब्‍ल्‍यूपी (मेगा वाट पीक) ऑफ-ग्रिड सौर पीवी क्षमता हासिल करने के लिए ऑफ-ग्रिड और विकेंद्रीयकृत सौर पीवी (फोटो वोल्टिक) अनुप्रयोग कार्यक्रम के तीसरे चरण को लागू किए जाने के लिए अपनी स्‍वीकृति दे दी। ऑफ-ग्रिड और विकेंद्रीयकृत सौर पीवी (फोटो वोल्टिक) अनुप्रयोग कार्यक्रम के तीसरे चरण में निम्‍नलिखित भाग हैं:
    • सौर स्‍ट्रीट लाइट: ग्रिड पावर के माध्‍यम से देश भर में 3 लाख सौर स्‍ट्रीट लाइट्स लगायी जाएंगी, जिसमें मुख्‍य जोर ऐसे क्षेत्रों पर होगा जहां स्‍ट्रीट लाइटिंग सिस्‍टम की सुविधा नहीं है। इनमें मुख्‍य रूप से पूर्वोत्‍तर राज्‍य और वामपंथी चरमपंथ (एलडब्‍ल्‍यूई) प्रभावित जिले शामिल हैं।
    • एकल सौर ऊर्जा संयंत्र: ऐसे क्षेत्रों में 25 केडब्‍ल्‍यूपी (किलो वाट पीक) क्षमता तक के सौर ऊर्जा संयंत्रों को बढ़ावा दिया जाएगा, जहां ग्रिड विद्युत की पहुंच नहीं है या विश्‍वसनीय नहीं है। इस भाग का मुख्‍य उद्देश्‍य विद्यालयों, छात्रावासों, पंचायतों, पुलिस थानों और अन्‍य सरकारी संस्‍थानों को बिजली उपलब्‍ध कराना है। इन सौर ऊर्जा संयंत्रों की कुल क्षमता 100 एमडब्‍ल्‍यूपी होगी।
    • सौर स्‍टडी लैंप –पूर्वोत्‍तर राज्‍यों और एलडब्‍ल्‍यूई प्रभावित जिलों को 25,00,000 सौर स्‍टडी लैंप उपलब्‍ध कराए जाएंगे।
    बाबा कल्याणी, सेज नीति का अध्ययन करने वाले समूह के प्रमुख होंगे:
    • भारत सरकार ने विशेष आर्थिक जोन (सेज) नीति का अध्ययन करने के लिए प्रतिष्ठित व्यक्तियों के एक समूह का गठन किया है। बाबा कल्याणी इस सेज नीति का अध्ययन करने वाले समूह के प्रमुख होंगे।
    • सेज नीति 1 अप्रैल, 2000 से लागू है। इसके बाद मई, 2005 में संसद ने विशेष आर्थिक जोन अधिनियम, 2005 पारित किया और इसे 23 जून, 2005 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली। सेज अधिनियम, 2005 को 10 फरवरी, 2006 से लागू किया गया है।
    • यह समूह सेज नीति का अध्ययन करेगा, वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में निर्यातकों की जरूरतों के मुताबिक सुझाव देगा, सेज नीति को डब्ल्यूटीओ के अनुकूल बनायेगा, सेज नीति में सुधार का सुझाव देगा, सेज योजनाओं का तुलनात्मक विश्लेषण करेगा और सेज नीति को अन्य समान योजनाओं के अनुरूप संगत बनाने के लिए सुझाव देगा। यह समूह तीन महीने में अपनी अनुशंसाएं प्रदान करेगा।
    31वां भारत – इंडोनेशिया समन्वित निगरानी (इंड-इंडो कॉर्पेट) अभियान:
    • 31वें भारत – इंडोनेशिया समन्वित निगरानी (इंड-इंडो कॉर्पेट) अभियान के समापन समारोह के लिए आईएनएस कुलीश और अंडमान तथा निकोबार कमान का एक डोर्नियर समुद्री गश्‍ती विमान बेलावन, इंडोनेशिया पहुंचा।
    • समापन समारोह 6 से 9 जून 2018 तक आयोजित किया जाएगा। इंड-इंडो कॉर्पेट का शुरूआती समारोह 24 से 25 मई 2018 को पोर्ट ब्‍लेयर में आयोजित किया गया था, जिसके बाद 26 मई से 2 जून 2018 तक समन्वित निगरानी की गई।
    भारत में वर्ष 2013 से मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में रिकॉर्ड 22% की कमी हुई:
    • भारत में वर्ष 2013 से मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में 22% की महत्वपूर्ण कमी दर्ज की गई है। यह जानकारी 'सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम' (एसआरएस) बुलेटिन में दी गई।
    • यह मृत्युदर वर्ष 2011-13 में 167 से घटकर 2014-16 में 130 हो गई। एमएमआर को प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों के अनुपात के तौर पर परिभाषित किया जाता है। इसमें कहा गया है कि यह गिरावट ‘एम्पॉवर्ड एक्शन ग्रुप’ (ईएजी) राज्यों (246 से घटकर 188) में सबसे महत्वपूर्ण है।
    • मातृ मृत्यु दर पर विशेष बुलेटिन में कहा गया कि दक्षिणी राज्यों में यह 93 से घटकर 77 और ‘‘अन्य’’ राज्यों में 115 से घटकर 93 रह गई है।
    • 2013 की तुलना में 2016 में प्रसव के समय मां की मुत्यु के मामलों में करीब 12 हजार की कमी आई है और ऐसी स्थिति में माताओं की मृत्यु का कुल आंकड़ा पहली बार घटकर 32 हजार पर आ गया है। इसका मतलब यह हुआ कि भारत में 2013 की तुलना में अब हर दिन 30 ज्यादा गर्भवती महिलाओं को बचाया जा रहा है।
    आरबीआई शहरी सहकारी बैंकों को लघु वित्तीय बैंकों में बदलने की अनुमति देगा:
    • भारतीय रिजर्व बैंक ने कई राज्यों में परिचालन करने वाले बड़े शहरी सहकारी बैंकों को लघु वित्तीय बैंक में बदलने की अनुमति दे दी है, यह प्रक्रिया स्वैच्छिक होगी लेकिन इन्हें कुछ निश्चित मानक पूरे करने होंगे।
    • शहरी सहकारी बैंकों पर तत्कालीन डिप्टी गवर्नर आर गांधी की अध्यक्षता वाली समिति ने इस तरह की सिफारिश अगस्त 2015 में की थी। इनकी सिफारिशों को स्वीकार करते हुए शहरी सहकारी बैंकों को स्वैच्छिक तौर पर लघु वित्तीय बैंक में तब्दील होने की अनुमति दी गई है।
    • सहकारी बैंक दोहरे नियंत्रण की व्यवस्था में काम करते हैं - आरबीआई और राज्य सरकार, दोनों की निगरानी होती है। सहकारी बैंकों के विनियमन पर आरबीआई के पास शक्ति का अभाव है और वाणिज्यिक बैंकों के हिसाब से आरबीआई इसकी निगरानी नहीं कर पाता है। ये चीजें शहरी सहकारी बैंकों के वाणिज्यिकरण में बाधा है।
    मंत्रिमंडल ने बीमारू केन्‍द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को समयबद्ध तरीके से बंद करने के लिए संशोधित दिशानिर्देशों को मंजूरी दी:
    • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने मंत्रिमंडल ने बीमारू/घाटे में चल रहे केन्‍द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (सीपीएसई) को समयबद्ध तरीके से बंद करने एवं उनकी चल एवं अंचल संपत्तियों के निपटारे के लिए सार्वजनिक उपक्रम विभाग (डीपीई) के संशोधित दिशानिर्देशों को मंजूरी दे दी है।
    • संशोधित दिशानिर्देशों से बीमारू/घाटे में चल रहे केन्‍द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को बंद करने की योजनाओं को लागू करने में हो रही देरी से निपटने में मदद मिलेगी। ये दिशानिर्देश डीपीई द्वारा सितम्‍बर 2016 में जारी दिशानिर्देश की जगह लेंगे।
    • इन दिशानिर्देशों से सीपीएसई को बंद करने के लिए विभिन्‍न प्रक्रियाओं को तेजी से पूरा करने के लिए एक व्‍यापक ढांचा उपलब्‍ध होगा।
    आरबीआई ने एमएसएमई क्षेत्र को बड़ी राहत दी:
    • आरबीआई ने एमएसएमई क्षेत्र के लिए एनपीए क्लॉसिफिकेशन नार्म्‍स में ढील दी है। इससे उन यूनिट्स को राहत मिलेगी जो इनपुट क्रेडिट और ऐसे ही अन्‍य मामलों में परेशानियों का सामना कर रही हैं।
    • इन यूनिटों के लोन को 180 दिनों के बाद ही एनपीए माना जाएगा, जिसके लिए अभी तक 90 दिनों का ही समय मिल रहा था। यह सुविधा जीएसटी और नाॅन जीएसटी वाली दोनों कंपनियों को मिलेगी।
    सी 18-माइका-4 शहरी अपशिष्ट जल से अधिकांश प्रदूषकों को हटा सकता है: स्पेनिश वैज्ञानिक
    • स्पेनिश वैज्ञानिकों ने एक विशेष प्रकार की अवशोषक सामग्री की पहचान की है जो 24 घंटों से भी कम समय में शहरी अपशिष्ट जल में पाए गए प्रदूषकों को सोखने में मदद कर सकती है।
    • सेविले विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने दो प्रकार के फाइलोसिलिकेट का मूल्यांकन किया है। ये सिलिकेट्स का एक उप-वर्ग हैं और बहुत ही अलग वातावरण में साधारण में खनिजों को शामिल करता है।
    • परिणाम बताते हैं कि पदार्थ 'सी 18-माइका-4' शहरी अपशिष्ट जल, सतही जल और पीने योग्य जल में पाए जाने वाले अधिकतर प्रदूषकों को समाप्त करने में सक्षम है।



    English | इंग्लिश

    Cabinet approves PSLV Mark-III Continuation Programme – Phase 6
    • The Union Cabinet chaired by Prime Minister Shri Narendra Modi has approved the Polar Satellite Launch Vehicle (PSLV) Continuation Programme (Phase 6) and funding of thirty PSLV operational flights under the Programme.
    • The Programme will also meet the launch requirement of satellites for Earth observation, Navigation and Space Sciences. This will also ensure the continuity of production in Indian industry.
    • The total fund requirement is Rs. 6131.00 Crores and includes the cost of thirty PSLV vehicles, essential facility augmentation, Programme Management and Launch Campaign.
    • Major Impact:
    • The operationalisation of PSLV has made the country self-reliant in the launching capability of satellites for earth observation, disaster management, navigation and space sciences.
    • The PSLV Continuation Programme – Phase 6 will meet the demand for the launch of satellites at a frequency up to eight launches per year, with maximal participation by the Indian industry.
    • Background:
    • PSLV has emerged as a versatile launch vehicle to carry out Sun-Synchronous Polar Orbit (SSPO), Geo-synchronous Transfer Orbit (GTO) and low inclination Low Earth Orbit (LEO) missions.
    The Union Cabinet has approved funding for the for Geosynchronous Satellite Launch Vehicle
    • Mark-III (GSLV Mk-III) continuation programme (Phase-I) consisting of ten (10) GSLV (Mk-III) flights, at a total estimated cost of Rs. 4338.20  crores. This includes Rs. 4338.20 Crores and includes the cost of ten GSLV Mk-III vehicles, essential facility augmentation, Programme Management and Launch Campaign.
    • The GSLV Mk-III continuation Programme – Phase 1 is the first phase of operational flights that will enable the launch of 4 tonne class of communication satellites to meet the country’s satellite communication requirements.
    • GSLV Mk-III Continuation Programme – Phase 1 will be the first phase of operational flights of the GSLV Mk-III launch vehicle and the approval will cater to the launch of satellite missions during the period 2019-2024.
    • The Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Mark-III (GSLV Mk-III) has been developed towards achieving indigenous launch capability to launch 4 tonne class of satellites into Geosynchronous Transfer Orbit (GTO).
    Cabinet approves Continuation of Off-grid and Decentralised Solar PV Applications Programme - Phase III
    • The Cabinet Committee on Economic Affairs, has given its approval for implementation of Phase-Ill of Off-grid and Decentralised Solar PV (Photo Voltaic) Application Programme to achieve additional 118 MWp(Mega Watt peak) off-grid solar PV capacity by 2020.
    • Phase-Ill of Off-grid and Decentralised Solar PV Application Programme covers following components:
    • Solar Street Lights: 3,00,000 numbers of solar street lights will be installed throughout the country with special emphasis on areas where there is no facility for street lighting systems through grid power, North Eastern States and Left Wing Extremism (LWE) affected districts.
    • Stand-alone Solar Power Plants: Solar power plants of individual size up to 25 kWp(kilo Watt peak) will be promoted in areas where grid power has not reached or is not reliable. This component is mainly aimed at providing electricity to schools, hostels, panchayats, police stations and other public service institutions. The aggregated capacity of solar power plants would be 100 MWp.
    • Solar Study Lamps: 25,00,000 numbers of solar study lamps will be provided in North Eastern States and LWE affected districts.
    • For solar street lights and solar power plants, financial support up to 30% of the benchmark cost of the system will be provided except for NE States, Hill States and Island UTs where up to 90% of the benchmark cost will be provided. 
    Baba Kalyani heads group to study SEZ Policy
    • Government of India has constituted a group of eminent persons to study the Special Economic Zones (SEZ) Policy of India.
    • The SEZ Policy was implemented from 01st April, 2000. Subsequently the Special Economic Zones Act, 2005 was passed by Parliament in May, 2005 and received Presidential assent on the 23rd of June, 2005 and the SEZ Act was enacted. The SEZ Act, 2005, supported by SEZ Rules, came into effect on 10th February, 2006.
    • The group will evaluate the SEZ policy, suggest measures to cater to the needs of exporters in the present economic scenario and make the SEZ policy WTO compatible, suggest course correction in SEZ policy, make comparative analysis of the SEZ scheme.
    • Shri Baba Kalyani will be the head of SEZ policy group.He is Chairman of Bharat Forge.
    India–Indonesia Coordinated Patrol (IND-INDO CORPAT) 
    • INS Kulish, a Kora class Missile Corvette and one Dornier Maritime Patrol Aircraft of the Andaman and Nicobar Command arrived at Belawan, Indonesia for the closing ceremony of the 31st edition of the India – Indonesia Coordinated Patrol (IND-INDO CORPAT) from 06 to 09 Jun 18.
    • The visit of the Indian Naval Ship seeks to underscore India’s peaceful presence and solidarity with friendly countries towards ensuring good order in the maritime domain and to strengthen existing bonds between India and Indonesia.
    • Indian Naval assets have been increasingly deployed in recent times to address the main maritime concerns of the region.
    India registered 22% decline in MMR since 2013
    • India registered a significant decline in Maternal Mortality Ratio.
    • According to the currently released SRS bulletin (2016), India has shown impressive gains in reduction of Maternal Mortality with 22% reduction in since 2013.
    • Nearly one thousand fewer women now die of pregnancy related complications each month in India. Maternal Mortality Ratio of India has declined from 167 in 2011-2013 to 130 in 2014-2016.
    • The decline has been most significant in EAG States and Assam from 246 to 188. Among the Southern States, the decline has been from 93 to 77 and in the Other States from 115 to 93.
    • Shri J P Nadda, is the Union Minister of Health and Family Welfare.
    • Amongst the States, Uttar Pradesh with 30% decline has topped the chart in the reduction of Maternal Deaths.
    RBI gives big relief to MSME sector
    • Providing major relief to the MSME sector, RBI  eased NPA classification norms for units facing input credit linkages and associated issues.
    • Removal of Credit Caps on MSME (Services) under Priority Sector
    • It has been decided to remove the currently applicable loan limits of ₹ 50 million and ₹ 100 million per borrower to Micro, Small and Medium Enterprises (Services) respectively, for classification under priority sector.
    • Banks and NBFCs were allowed to temporarily classify their exposures to the Goods and Services Tax (GST) registered Micro, Small and Medium Enterprises (MSMEs), having aggregate credit facilities from these lenders up to Rs 25 crore, as per a 180 day past due criterion.
    • CICs(Core Investment Companies) registered with the Reserve Bank as Non-Bank Financial Companies (NBFCs) primarily invest in group companies and do not carry out any other NBFC activity.
    RBI to allow transition of urban cooperative banks into Small Finance Banks
    • The Reserve Bank of India (RBI) has allowed for the voluntary transition of large multi-State urban cooperative banks (UCBs) into joint-stock companies. It has also allowed other UCBs that meet certain criteria to become Small Finance Banks (SFBs).
    • The High-Powered Committee on Urban Cooperative Banks (UCB), chaired by R Gandhi, the then Deputy Governor of Reserve Bank, had recommended the same in August 2015.
    • Taking these recommendations into consideration, it has been decided to allow the voluntary transition of UCBs meeting the prescribed criteria into SFBs.
    • Background:
    • The small finance banks are required to extend 75 per cent of their Adjusted Net Bank Credit (ANBC) to the priority sector lending (PSL).
    • What is priority sector lending- Priority Sector Lending is an important role given by the Reserve Bank of India (RBI) to the banks for providing a specified portion of the bank lending to few specific sectors like agriculture and allied activities, micro and small enterprises, poor people for housing, students for education and other low income groups and weaker sections.
    • This is essentially meant for an all round development of the economy as opposed to focusing only on the financial sector.
    Cabinet approves revised guidelines for time-bound closure of sick PSUs
    • The Union Cabinet approved the revised guidelines of the Department of Public Enterprises (DPE) on the time bound closure of sick or loss-making Central Public Sector Enterprises (CPSEs) and the disposal of movable and immovable assets.
    • According to the new guidelines, the surplus land obtained from the closure of such companies would prioritised to provide affordable housing.
    • They will apply to all sick or loss-making CPSEs, where approval for closure has been obtained by the administrative ministry or department from the Cabinet, or where the process for obtaining the approval is underway after the administrative ministry or department has decided in favour of the closure of the CPSE.
    C18-Mica-4 can remove majority of pollutants from urban waste water

    • Researchers from University of Seville in Spain have identified absorbent materials that can help soak up pollutants found in urban waste water in less than 24 hours.
    • The material C18-Mica-4 is capable of eliminating the majority of pollutants that were evaluated in urban waste water, as well as surface water and potable water.
    • In total, 18 organic pollutants were studied, among which were industrial pollutants, personal care products, and the pharmacological active ingredients such as anti-inflammatories, antibiotics, anti-epileptics, central nervous system stimulants and lipid-lowering agents, among others.
    • C18-Mica-4 stands for cation exchange with an organo-functionalized mica .





    Marathi | मराठी


    राष्ट्रीय

    PSLV मार्क-3 निरंतर कार्यक्रमाच्या सहाव्या टप्प्याला मंजुरी
    • केंद्रीय मंत्रिमंडळाच्या बैठकीत PSLV मार्क-3 (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन) निरंतर कार्यक्रमाच्या सहाव्याटप्प्याला मंजुरी देण्यात आली आहे.
    • या टप्प्यात, दरवर्षी 8 उपग्रह अवकाशात सोडले जातील. या उपग्रहांची जवळपास संपूर्ण निर्मिती भारतात तयार केली जाईल. या कार्यक्रमाअंतर्गत, PSLV च्या 30 उड्डाणांसाठी निधीही मंजूर करण्यात आला. सर्व 30 उड्डाणे सन 2019-24 या कालावधीतपूर्ण केले जातील. या कार्यक्रमाअंतर्गत PSLV ची उड्डाणे, त्यासाठी पूर्वतयारी, व्यवस्थापन आणि उड्डाण या सर्वांसाठी 6131 कोटी रुपये निधी मंजूर करण्यात आला आहे.
    • या कार्यक्रमाला 2008 सालीच मंजुरी देण्यात आली असून त्याचे चार टप्पे पूर्ण झाले आहेत. पाचवा टप्पा सन 2019-20 च्या पहिल्या तिमाहीत पूर्ण होणे अपेक्षित आहे. त्यानंतर सहावा टप्पा सन 2019-20 च्या तिसऱ्या तिमाहीपासून सन वर्ष 2023-24 च्या पहिल्या तिमाहीत पूर्ण होईल.
    GSLV मार्क-3 साठी निरंतर कार्यक्रमास मंजुरी
    • केंद्रीय मंत्रिमंडळाने 10 GSLV Mk-3 उड्डाणांचासमावेश असलेल्या भौगोलिक उपग्रह प्रक्षेपण वाहक मार्क-3 (GSLV Mk-3) कार्यक्रमाच्या प्रथम टप्प्याला पुढे सुरु ठेवण्यासाठी 4338.20 कोटी रुपयांचा निधी  मंजुरी दिली आहे.
    • सर्व 10 उड्डाणे सन 2019-24 या कालावधीत पूर्ण केले जातील. कार्यक्रमाच्या पहिल्या टप्प्यात देशाच्या उपग्रह समर्थित दळणवळण गरजा पूर्ण करण्यासाठी 4 टन वजनाचे उपग्रह प्रक्षेपित करता येतील. GSLV Mk-3 कार्यान्वित झाल्यामुळे देश 4 टन वजनाचे उपग्रह प्रक्षेपित करण्यात स्वयंपूर्ण होईल.
    ऑफ-ग्रीड आणि विकेंद्रित सौर PV अॅप्लिकेशन  कार्यक्रमाच्या तिसर्‍या टप्प्यास मंजुरी
    • अर्थविषयक केंद्रीय समितीने सन 2020 पर्यंत अतिरिक्त 118 MWp (मेगावॉट पीक) ऑफ-ग्रीड सौर फोटोव्होल्टिक क्षमता साध्य करण्यासाठी ऑफ-ग्रीड आणि विकेंद्रित सौर PV अॅप्लिकेशन  कार्यक्रमाचा तिसरा टप्पा राबविण्यास मंजुरी दिली आहे. कार्यक्रमाच्या तिसर्‍या टप्प्याचे सौर पथदिवे, एकल सौर ऊर्जा प्रकल्प, सौर स्टडी लॅम्प असे तीन भाग आहेत.
    • तिसऱ्या टप्प्यासाठी एकूण 1,895 कोटी रुपये खर्च येईल, त्यापैकी  637 कोटी रुपये केंद्राकडून अर्थसहाय्य म्हणून उपलब्ध केले जातील. पथदिवे आणि सौर ऊर्जा प्रकल्प उभारण्यासाठी एकूण खर्चाच्या 30% अर्थसहाय्य पुरवले जाईल, तर ईशान्येकडील राज्ये, डोंगराळ राज्ये आणि केंद्रशासित प्रदेशात एकूण खर्चाच्या 90% अर्थसहाय्य पुरवले जाईल. सौर स्टडी लॅम्पसाठी केवळ 15% खर्च सोसावा लागेल. 
    भारतात 2013 सालापासून MMR मध्ये 22% ची घट नोंदवली गेली
    • सॅंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) च्या अहवालानुसार, भारतात 2013 सालापासून नवजात मृत्युदर (MMR) यामध्ये 22% ची घट नोंदवली गेली आहे.
    • नवजात मृत्युदर (प्रत्येक 1 लक्ष जीवित जन्मांमधील मृत्यूंचे प्रमाण) सन 2011-2013 मधील 167 वरून सन 2014-2016 मध्ये 130 वर आला आहे. दक्षिणी राज्यांमध्ये ही घट 93 वरून 77 वर आणि अन्य राज्यांमध्ये 115 वरून 93 अशी पाहायला मिळाली.
    • उत्तर प्रदेशात MMR मधील घट सर्वाधिक 30%पर्यंत पाहायला मिळाली. केरळ, महाराष्ट्र आणि तामिळनाडू या तीन राज्यांनी नवजातांच्या दर 1 लक्ष जन्मामागे 70 मृत्यू हे SDG लक्ष्य गाठले.
    बुडीत PSU यांना बंद करण्याबाबत सुधारित मार्गदर्शक तत्वांना मंजुरी
    • केंद्रीय मंत्रिमंडळाने बुडीत/तोट्यात चाललेल्या केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमांना कालबद्धरीत्या बंद करण्यासंदर्भात आणि त्यांची चल-अचल मालमत्ता यांचा निपटारा करण्याबाबत प्रस्तावित सुधारित मार्गदर्शक तत्वांना मंजुरी दिली आहे.
    • ही मार्गदर्शक तत्वे सप्टेंबर 2016 मध्ये जारी करण्यात आलेल्या मार्गदर्शक तत्वांची जागा घेतील. या मार्गदर्शक तत्त्वांमुळे केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (CPSEs) बंद करण्यासाठी विविध प्रक्रिया वेगाने पूर्ण करण्यासाठी एक व्यापक चौकट उपलब्ध होईल. याअंतर्गत CPSE टप्प्याटप्प्याने बंद करण्याची जबाबदारी मंत्रालये/विभाग/CPSE यांची असेल.

    आंतरराष्ट्रीय

    "इंड-इंडो कॉरपेट": भारत आणि इंडोनेशिया यांचा समन्वित गस्त सराव
    • इंडोनेशियाच्या बेलावन येथे 6 जून 2018 पासून 31 व्या ‘इंड-इंडो कॉरपेट’ (IND-INDO CORPAT) या भारत आणि इंडोनेशिया यांच्या समन्वित गस्त प्रक्रियेचा सराव सुरू झाला. हा सराव 9 जून 2018 पर्यंत चालणार आहे.
    • या सरावात भारताचे INS कुलीश हे कोरा श्रेणीचे क्षेपणास्त्र-सज्ज युद्धनौका आणि डॉर्नियर सागरी गस्त विमान सहभागी झाले आहे.

    व्यक्ती विशेष

    बाबा कल्याणी: विशेष आर्थिक क्षेत्र धोरणाविषयी अभ्यास करण्यासाठी गटाचे अध्यक्ष
    • देशातील विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) धोरणाविषयी अभ्यास करण्यासाठी केंद्र शासनाने बाबा कल्याणीयांच्या अध्यक्षतेखाली तज्ञ व्यक्तींचा एक गट स्थापन केला आहे.
    • बाबा कल्याणी हे भारत फोर्जचे अध्यक्ष आहेत. या गटात एकूण 10 सदस्य आहेत. SEZ धोरणाचे मूल्यांकन करणार असून, सध्याची आर्थिक स्थिती लक्षात घेत निर्यातदारांच्या गरजा पूर्ण करण्यासंदर्भात सूचना करणार आहे.
    • 1 एप्रिल 2000 रोजी देशात विशेष आर्थिक क्षेत्रविषयक धोरणाच्या अंमलबजावणीला सुरूवात झाली. यासंदर्भातील अधिनियमाला 23 जून 2005 रोजी राष्ट्रपतींनी स्वाक्षरी केली.

    विज्ञान आणि तंत्रज्ञान

    ‘C18-माईका-4’ शहरी सांडपाण्यामधून बहुतेक प्रदूषके बाद करू शकतो
    • ‘C18-माईका-4’ शहरी सांडपाण्यामधून बहुतेक प्रदूषके बाद करू शकतो, असा शोध स्पेनमधील सेव्हिले विद्यापीठातील शास्त्रज्ञांना लागला आहे.
    • C18-माईका-4’ हा पदार्थ बहुतेक प्रदूषक शोषून घेतो. हा पदार्थ ‘फिलोसिलिकेट’ म्हणून ओळखला जातो, जी सिलिकेट पदार्थाची उपश्रेणी आहे आणि अतिशय भिन्न वातावरणात सामान्यपने आढळणार्‍या खनिजात आढळून येतो.

    अर्थव्यवस्था आणि बँकिंग

    MSME क्षेत्राला RBI कडून मोठी सवलत
    • सूक्ष्म, लघु व मध्यम उपक्रम (MSME) क्षेत्रामधील प्रकल्पांसाठी भारतीय रिझर्व्ह बँकेने (RBI) त्यांच्या अकार्यक्षम मालमत्ता (NPA) वर्गीकरण संदर्भात नियम मोठ्या प्रमाणात सुलभ केले आहेत.
    • या सुधारणा पुढीलप्रमाणे आहेत -
      • 31 डिसेंबर 2018 पर्यंत थकबाकी देय करण्यासाठी GST आणि गैर-GST साठी NPA म्हणून मान्यता देण्यासाठीची मुदत आता 180 दिवसांची आहे. 1 जानेवारी 2019 पासून GST नोंदणीस प्रोत्साहन देण्यासाठी हा निर्णय घेण्यात आला आहे.
      • GST नोंदणीकृत MSME द्वारे देय केल्या जाणार्‍या थकबाकी संदर्भात, 1 जानेवारी 2019 पासून हा 180 दिवसांचा कालावधी टप्प्याटप्प्याने 90 दिवसांवर आणले जाईल.
      • 31 डिसेंबर, 2018 पर्यंत GST अंतर्गत नोंदणीकृत न झालेल्या उपक्रमांसाठी, 1 जानेवारी 201 9 पासून पुढे देय असलेल्या थकबाकी संबंधित मालमत्तेचे वर्गीकरण तत्काळ 90 दिवसांच्या नियमांमध्ये बदलले जाईल.
      • RBI कडे गैर-बँक वित्तीय कंपन्या (NBFC) म्हणून नोंदणीकृत कोअर इन्व्हेस्टमेंट कंपन्या (CIC) प्रामुख्याने समूह कंपन्यांमध्ये गुंतवणूक करतील आणि इतर कोणत्याही NBFC कार्यांमध्ये काम करणार नाहीत. त्यांना कंपन्यांच्या निव्वळ मालमत्तेच्या 90% पर्यंत इक्विटी समभाग, प्रिफरन्स समभाग, बंध, डिबेंचर, कर्ज अश्या स्वरूपात गुंतवणूक करणे आवश्यक आहे, तर समूह कंपन्यांमधील इक्विटी गुंतवणूक निव्वळ मालमत्तेच्या किमान 60% असावी.
    लघु वित्त बँकांमध्ये शहरी सहकारी बॅंकांना व्यवहार चालविण्यास RBI कडून परवानगी
    • भारतीय रिझर्व्ह बँकेने (RBI) संयुक्त स्टॉक कंपन्यांमध्ये मोठ्या बहुराज्यीय शहरी सहकारी बँकांना (UCB) स्वैच्छिक व्यवहार चालविण्यास परवानगी दिली आहे.
    • याशिवाय, RBI ने लघु वित्त बँका (SFB) बनण्यासाठी काही विशिष्ट निकषांची पूर्तता करणार्‍या अन्य शहरी सहकारी बॅंकांना परवानगी दिली आहे.






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