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    Monday, May 21, 2018

    Understanding Iran Nuclear deal ईरान परमाणु समझौते को समझें: इराण अणुकरार: एक अहवाल

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    करेंट अफेयर्स 21 मे 2018 हिंदी/ इंग्लिश/मराठी
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    Understanding Iran Nuclear deal
    ईरान परमाणु समझौते को समझें:
    इराण अणुकरार: एक अहवाल


    हिंदी


    ईरान परमाणु समझौते को समझें:
    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 08 मई 2018 को ईरान के साथ हुए ऐतिहासिक परमाणु समझौते से अमेरिका के अलग होने की घोषणा की थी। पूर्व राष्ट्रपति ओबामा के समय के इस समझौते की ट्रंप पहले ही कई बार आलोचना कर चुके थे।
    ट्रंप ने इस बात की भी घोषणा की कि परमाणु समझौते से पहले ईरान पर जो प्रतिबंध लगाए गए थे, उसे दोबारा लागू कर दिया गया है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर कोई देश "ईरान की मदद करता है तो अमरीका उस पर भी प्रतिबंध लगाएगा।"
    हालाँकि यूरोपीय संघ ने ईरान को भरोसा दिलाया है कि वो ईरान के साथ हुए परमाणु करार पर कायम रहेगा। क्रियान्वयन संयुक्त व्यापक योजना (जेसीपीओए) के नाम से जाने जाने वाले परमाणु समझौते को बचाने के ईयू के प्रयास दर्शाते हैं कि यह समझौता इस क्षेत्र और पूरी दुनिया के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
    ईरान का परमाणु कार्यक्रम:
    ईरान का परमाणु कार्यक्रम 1950 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका की मदद से शांति के लिए परमाणु कार्यक्रम (Atoms for Peace program) के रूप में शुरू किया गया था। ईरान के परमाणु कार्यक्रम में संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिमी यूरोपीय देशों की भागीदारी 1979 ईरानी क्रांति (ईरान के शाह की विदाई) तक जारी रही।
    वर्ष 2002 में एक विपक्षी गुट द्वारा अघोषित परमाणु केन्द्रों के खुलासे के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय में ईरान के परमाणु कार्यक्रम के प्रति चिंता बढ़ने लगी। वर्ष 2006 से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने ईरान के विवादास्पद परमाणु कायक्रम के मद्देनजर उस पर कुल चार दौर के प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित किया। इसके अतिरिक्त संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ ने भी ईरान पर तेल निर्यात एवं व्यापार संबंधी कई प्रतिबंध लगाये।
    जून 2013 के राष्ट्रपति चुनावों के विजेता हसन रूहानी ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर लगे प्रतिबंधों को हटाने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ कूटनीतिक समझौते तक पहुंचने की आवश्यकता पर बल दिया। 15 अक्टूबर 2013 को ईरान और छह मध्यस्थ देशों के बीच वार्ता की शुरुआत हुई।
    क्रियान्वयन संयुक्त व्यापक योजना:
    ईरान और पी-5+1 देश (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, रूस और जर्मनी) ईरान के परमाणु कार्यक्रम समझौते पर 14 जुलाई 2015 को सहमत हुए। यह ऐतिहासक समझौता आस्ट्रिया की राजधानी वियना के रिजी पैलेस कोबर्ग होटल में हुआ।
    इस समझौते को ‘क्रियान्वयन संयुक्त व्यापक योजना’ (Joint Comprehensive Plan of Action, JCPA) या ‘वियना समझौता’ नाम दिया गया। यह समझौता वियना में करीब 17 दिनों तक चली सात देशों के विदेश मंत्रियों की चर्चा के बाद हुआ।
    ईरान का परमाणु समझौता:
    ईरान में दो जगहों, नाटांज और फोर्डो में यूरेनियम का संवर्धन किया जाता है। जिसका उपयोग परमाणु ऊर्जा के लिए किया जाता है। इसका उपयोग परमाणु हथियारों को विकसित करने के लिए किया जा सकता है। जुलाई 2015 में ईरान के पास 20 हज़ार ऐसे मशीनी केंद्र थे, जहां यूरेनियम के रासायनिक कणों को अलग किया जाता था।
    जेसीपीए के तहत इसकी संख्या 5,060 तक सीमित करने को कही गई थी। ईरान ने वादा किया था कि वो अपने यूरेनियम का भंडार 98 फीसदी तक घटाकर 300 किलोग्राम तक करेगा। जनवरी 2016 में ईरान ने यूरेनियम केंद्रों की संख्या कम की और सैंकड़ों किलोग्राम लो-ग्रेड यूरेनियम रूस भेजा था।
    समझौते के तहत शोध और विकास के कार्यक्रम सिर्फ नाटांज में अधिकतम आठ सालों तक किया जा सकेगा। वहीं, फोर्डो में अगले 15 सालों तक इस पर रोक लगाने की बात कही गई है।




    इंग्लिश


    Understanding Iran Nuclear deal
    US President Donald Trump announced on May 8 that he will pull the United States out of the Iran nuclear deal, a 2015 agreement that capped over a decade of hostility between Tehran and the West over its atomic program.
    What is Iran and P5+1 Deal?
    The Iran nuclear deal was signed between Iran and the P5 (the five permanent members of the UN Security Council) plus Germany and the European Union in Vienna in July 2015. Under the 2015 nuclear deal struck by Iran and six major powers – Britain, China, France, Germany, Russia and the United States, Tehran agreed to limit its nuclear program in return for relief from the US and other economic sanctions.
    What Iran promised to do?
    The deal also limited the number of centrifuges Iran can run and restricted it to an older, slower model. Iran also reconfigured a heavy-water reactor so it couldn’t produce plutonium and agreed to convert its Fordo enrichment site into a research centre. It granted more access to International Atomic Energy Agency inspectors and allowed it to inspect other sites.
    In exchange, world powers lifted the economic sanctions that had kept Iran away from international banking and the global oil trade. It allowed Iran to make purchases of commercial aircraft and reach other business deals. It also unfroze billions of dollars Iran had overseas.
    What is the problem?
    Fifteen years after the deal, restrictions on Iran’s uranium enrichment and stockpile size will end. The deal’s opponents argue it allows Iran to build a bomb after it expires, something Iran had explicitly promised in the accord not to do. In theory, Iran could have an array of advanced centrifuges ready for use, the limits on its stockpile would be gone, and it could then throw itself wholeheartedly into producing highly enriched uranium.







    मराठी


    इराण अणुकरार: एक अहवाल

    युरोपीय संघाचे वरिष्ठ राजनैतिक हेल्गा स्कीम यांच्या नेतृत्वाखालील जर्मनी, फ्रान्स आणि ब्रिटन तसेच रशिया व चीन यांच्या राजनैतिकांची मे-18 च्या पुढील आठवड्यात व्हिएन्नामध्ये 2015 च्या कराराप्रमाणेच इराणसोबत एक नवीन करार तयार करण्याच्या उद्देशाने बैठक होणार आहे.

    अलीकडेच अमेरिकेने इराण अणू करारामधून बाहेर पडण्याच घोषणा केली आहे आणि सोबतच पुन्हा एकदा इराणवर निर्बंध लादण्याची घोषणा केली आहे. इराणचा बॅलिस्टिक क्षेपणास्त्र कार्यक्रम किंवा मध्यपूर्वेतील संघर्षातील हस्तक्षेप रोखण्यासाठी अणू कराराद्वारे काहीही केले गेले नसल्याचे अमेरिकेचे म्हणणे आहे.

    अशी आशा आहे की सुधारित करार अमेरिकेला परत या भागीदारीत आणणार आणि इराणवरील निर्बंध उठविण्यास मदत होईल. शिवाय इराणला आर्थिक मदत देखील प्रदान करू शकता येणार.

    चला तर इराण अणुकराराबद्दल अधिक माहिती जाणून घेववूयात!

    इराण अण्वस्त्र बनवण्यासाठी अणुऊर्जा कार्यक्रम चालवत आहे असा आरोप होत होता. सन 2005 ते 2013 दरम्यान इराणचे राष्ट्रपती महमूद अहमदिनेजाद यांनी या कार्यक्रमाला आणखी वेग दिला. त्यानंतर जागतिक शांतता राखण्याच्या हेतूने अमेरिका आणि इतर राष्ट्रांनी इराणवर कडक आर्थिक निर्बंध घातले.

    2013 साली तत्कालीन राष्ट्रपती हसन रौहानी यांनी या देशांबरोबर वाटाघाटी करून इराण अणू करार केला आणि तो करार 2016 साली लागू केला.  

    इराण अणू करार जॉइंट कॉमप्रिहेंसिव प्लान ऑफ अॅक्शन (JCPOA) या नावाने देखील ओळखला जातो. हा करार संयुक्त राष्ट्रसंघ सुरक्षा परिषदेचे पाच स्थायी सदस्य अमेरिका, फ्रान्स, ब्रिटन, रशिया आणि चीन आणि जर्मनी यांच्यासोबत तेहरानचा 14 जुलै 2015 रोजी झाला, ज्यामधून आर्थिक मदतीच्या बदल्यात इराणच्या आण्विक कार्यक्रमावर कडक बंधने लादली जातात.

    या करारांतर्गत इराणने आपल्या सुमारे 9 टन अल्प संवर्धित युरेनियम साठ्याला कमी करून 300 किलोग्रामपर्यंत करण्याची अट स्वीकारली. इराण आपले आपले अल्प संवर्धित युरेनियम रशियाला देणार आणि सेंट्रीफ्यूजांची संख्या कमी करणार. त्याबदल्यात रशिया इराणला जवळजवळ 140 टन नैसर्गिक युरेनियम येलो-केकच्या रूपात देणार, ज्याचा वापर अणुऊर्जा केंद्रांमध्ये अणु-इंधन बनविण्यासाठी होतो.

    या करारांतर्गत इराणने आश्वासन दिले की ते अणुशस्त्र बनविणार नाहीत. इराणने 10 ते 25 वर्षापर्यंत आंतरराष्ट्रीय निरीक्षकांना पाहणी करण्याची परवानगी देखील दिली. त्याबदल्यात इराणवरचे आर्थिक निर्बंध हटवण्यात आले होते.






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