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    Wednesday, May 23, 2018

    Nipah Virus: Explained निपाह वायरस: इसकी उत्पत्ति, लक्षण और प्रकोप निपाह विषाणू: त्याची उत्पत्ती, लक्षणे आणि उद्रेक

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    करेंट अफेयर्स 23 मे 2018 हिंदी/ इंग्लिश/मराठी
    / currentaffairs
    Nipah Virus: Explained 
    निपाह वायरस: इसकी उत्पत्ति, लक्षण और प्रकोप

    निपाह विषाणू: त्याची उत्पत्ती, लक्षणे आणि उद्रेक

    हिंदी

    निपाह वायरस: इसकी उत्पत्ति, लक्षण और प्रकोप
    दक्षिण भारत में निपाह वायरस तेजी से फ़ैल रहा है। केरल के कोझीकोड में इस निपाह वायरस से कई लोगों की मौत हो चुकी है। पुणे वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट ने खून के तीन नमूनों में निपाह वायरस होने की पुष्टि की है। केरल सरकार के अनुरोध पर एनसीडीसी की टीम केरल पहुंच गई है। इस वायरस से 75% मामलों में मौत हो जाती है।
    इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने इस संबंध में एक कमेटी गठित की है। जो बीमारी की स्थिति जाने एवं लोगों का बचाव करने की कोशिश में जुटी है। इसके साथ वायरस की जद में ज्यादा लोग न आ सके इसके लिए उपाय किए जा रहे हैं।
    क्या है निपाह वायरस?
    विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, निपाह वायरस (एनआईवी) तेज़ी से उभरता वायरस है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है। एनआईवी के बारे में सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से पता चला था। वहीं से इस वायरस को ये नाम मिला। उस वक़्त इस बीमारी के वाहक सूअर बनते थे।
    लेकिन इसके बाद जहां-जहां NiV के बारे में पता चला, इस वायरस को लाने-ले जाने वाले कोई माध्यम नहीं थे। साल 2004 में बांग्लादेश में कुछ लोग इस वायरस की चपेट में आए। इन लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल को चखा था और इस तरल तक वायरस को लेने जानी वाली चमगादड़ थीं, जिन्हें फ्रूट बैट कहा जाता है।
    नए अध्ययन के अनुसार, निपाह वायरस चमगादड़ से फलों में और फलों से इंसानों और जानवरों में फैलता है। चमगादड़ और फ्लाइंग फॉक्स मुख्य रुप से निपाह और हेंड्रा वायरस के वाहक माने जाते हैं। यह वायरस चमगादड़ के मल, मूत्र और लार में पाया जाता है।
    आरएनए या रिबोन्यूक्लिक एसिड वायरस परमिक्सोविरिडे परिवार का वायरस है, जो कि हेंड्रा वायरस से मेल खता है। ये वायरस निपाह के लिए जिम्मेदार होता है। यह इंफेक्‍शन फ्रूट बैट्स के जरिए फैलता है। शुरुआती जांच के मुताबिक खजूर की खेती से जुड़े लोगों को ये इंफेक्‍शन जल्द ही अपनी चपेट में ले लेता है।
    लक्षण:
    इस वायरस से प्रभावित शख्स को सांस लेने की दिक्कत होती है फिर दिमाग में जलन महसूस होती है। तेज बुखार आता है। वक्त पर इलाज नहीं मिलने पर मौत भी सकती है। इंसानों में निपाह वायरस एन्सेफलाइटिस से जुड़ा हुआ है, जिसकी वजह से ब्रेन में सूजन आ जाती है। डॉक्टरों के मुताबिक कुछ मामलों में 24-28 घंटे के अंदर लक्षण बढ़ने पर मरीज कोमा में भी चला जाता है।
    उपचार:
    निपाह वायरस का इलाज खोजा नहीं जा सका है। इसी वजह से मलेशिया में निपाह वायरस से संक्रमित करीब 50 फीसद लोगों की मौत हो गई। हालांकि प्राथमिक तौर पर इसका कुछ इलाज संभव है। हालांकि रोग से ग्रस्त लोगों का इलाज मात्र रोकथाम है। इस वायरस से बचने के लिए फलों, खासकर खजूर खाने से बचना चाहिए। पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए। यह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है।





    इंग्लिश

    Nipah Virus: Explained 
    Recently, 3 people died due to Nipah Virus in Kerala. This was third such outbreak in India. First was in Siliguri, West Bengal and Second in Nadia, West Bengal (with 100% fatality).According to WHO, Nipah virus (NiV) infection is a newly emerging zoonosis (where animal diseases can be transmitted to people ) that causes severe disease in both animals and humans.
    How it is Transmitted:-
    • Natural Host- Fruit bats of the Pteropodidae Family, Pteropus genus.
    • Intermediate host -Direct contact with infected Pigs or by consuming fruits eaten by infected bats and birds. Through contact with other NiV-Infected people.
    • First Outbreak - Kampong Sungai Nipah, Malaysia in 1998.
    Symptoms of Nipah Virus are:-
    • Fever,
    • Headache,
    • Drowsiness,
    • Disorientation,
    • Mental Confusion,
    • Coma,
    • Potentially death.
    Treatment:-No specific treatment though primary treatment is intensive supportive care.







    मराठी

    निपाह विषाणू: त्याची उत्पत्ती, लक्षणे आणि उद्रेक

    केरळमधील कोझिकोड शहरात 'निपाह' या भयानक विषाणूची लागण झाल्याने अलीकडेच तिघा जणांचा मृत्यू झाला आहे. दरम्यान, आणखी 25 जणांच्या रक्ताच्या तपासणीमध्ये हा विषाणू असल्याचे निष्पन्न झाले आहे.
    केरळमध्ये प्रथमच निपाह विषाणू पसरल्याची माहिती समोर आली आहे. केरळच्या कोझीकोड आणि मालापूरमध्ये या आजाराचा सर्वाधिक प्रार्दुभाव दिसतोय. अत्यंत दुर्मिळ अशा निपाहच्या विषाणूंच्या संसर्गामुळे हा आजार भारतात आपले पाय पसरत आहे.
    निपाहच्या विषाणूचा संसर्ग झाल्याचे पुण्यातील राष्ट्रीय संशोधन संस्थेने रक्ताच्या तपासणीनंतर पुष्टी केली आहे. दरम्यान, केरळमध्ये आरोग्य विभागाने हाय अलर्ट जाहीर केला आहे. केंद्रीय आरोग्य मंत्री जे. पी. नड्डा यांनी डॉक्टरांची एक उच्चस्तरीय समिती नेमली असून तात्काळ हे पथक केरळला रवाना करण्यात आले आहे.
    आजाराची लक्षणे
    निपाह विषाणूचा संसर्ग झाल्याने त्या व्यक्तीच्या मेंदूला सूज येते. ताप येणे, डोकेदुखी, उलट्या होणे आणि चक्कर येणे ही या आजाराची लक्षणे आहेत. योग्य वेळेत उपचार न झाल्यास रुग्णाचा मृत्यू होऊ शकतो.
    हा संसर्गजन्य रोग असल्यामुळे लागण झालेल्या व्यक्तीच्या संपर्कात आलेल्या व्यक्तींनाही होऊ शकतो. या विषाणूपासून बचाव करण्यासाठी ‘रिबावायरिन’ नावाच्या औषधाचा वापर करण्यात येत आहे. निपाह विषाणुवर अद्यापपर्यंत प्राणी किंवा मानवांसाठी प्रभावी लस उपलब्ध नाही.
    निपाह विषाणू बाबत
    जागतिक आरोग्य संघटनेनुसार (WHO) निपाह विषाणू हा वटवाघुळामुळे फळाफुलांच्या माध्यमातून मनुष्य आणि जनावरांमध्ये पसरतो. 1998 साली मलेशियातील कांपुंग सुंगई निपाह परिसरातून या विषाणुबाबतची प्रकरणे समोर आली होती. यामुळे या विषाणूला 'निपाह' असे नाव देण्यात आले. सर्वात आधी डुकरांमध्ये याचा परिणाम पाहायला मिळाला होता. 2004 साली बांग्लादेशात हा विषाणू मोठ्या प्रमाणात पसरला होता. त्यानंतर तो माणसांपर्यंत पोहोचला. 2004 साली देखील बांग्लादेशमध्ये या विषाणूच्या संसर्गाचा उद्रेक झाला होता.







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