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    Friday, May 11, 2018

    Indian Pharmacopoeia Commission approves modern animal-free testing for drugs भारतीय फार्माकोपिया आयोग ने दवाओं के लिए आधुनिक पशु-मुक्त परीक्षण को मंजूरी दी:

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    करेंट अफेयर्स 11 मे 2018 हिंदी/ इंग्लिश/मराठी
    / currentaffairs


    Indian Pharmacopoeia Commission approves modern animal-free testing for drugs

    भारतीय फार्माकोपिया आयोग ने दवाओं के लिए आधुनिक पशु-मुक्त परीक्षण को मंजूरी दी:


    हिंदी


    भारतीय फार्माकोपिया आयोग ने दवाओं के लिए आधुनिक पशु-मुक्त परीक्षण को मंजूरी दी:
    भारतीय फार्माकोपिया आयोग ने अपने 2018 के भारतीय फार्माकोपिया संस्करण में दवा उत्पादनकर्ताओं को आधुनिक पशु-मुक्त परिक्षण करने की अनुमति प्रदान की है। आयोग के इस कदम से दवा परीक्षण के दौरान पशुओं द्वारा सही जाने वाली प्रताड़नाओं में काफी हद तक कमी आएगी।
    नए दिशा-निर्देश:
    • भारतीय फार्माकोपिया का 2018 का संस्करण उन दवाओं के परीक्षण पर दिशा-निर्देश जारी करता है, जिनका भारत में निर्माण और विपणन किया जाता है। इस संस्करण में आयोग ने कुछ संशोधन कर दिए हैं।
    • अब खरगोश पर किये जाने वाले पाइरोजन परीक्षण और गिनी पिग तथा चूहों पर किये जाने वाले असामान्य विषाक्तता परिक्षण को टेस्ट ट्यूब में संपन्न किया जा सकेगा। यह दिशानिर्देश 1जुलाई, 2018 से प्रभाव में आएंगे।
    • आयोग के अनुसार, दवा उत्पादन में मानव सुरक्षा के साथ-साथ पशु सुरक्षा से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
    • यदि वैकल्पिक तरीके उपलब्ध हैं, जिनके माध्यम से पशुओं को पीड़ित होने से बचाया जा सकता है तथा वे समान रूप से प्रभावी भी हैं, तो उन्हें प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिये।
    पाइरोजन टेस्ट:
    पाइरोजन टेस्ट को जीवाणुरोधी एंडोटॉक्सिन परीक्षण या एक मोनोसाइट सक्रियण परीक्षण द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा, जिसे टेस्ट ट्यूबों में संपन्न किया जा सकता है। वैक्सीन निर्माता, नेशनल कंट्रोल लेबोरेटरी से अनुपालन प्रमाण पत्र प्राप्त करके असामान्य विषाक्तता परीक्षण संबंधी छूट के लिये आवेदन कर सकते हैं।
    पेटा, पिछले कई वर्षों से जानवरों पर किये जाने वाले परीक्षण के क्रूर तरीकों को बंद करने के लिये दबाव डालता रहा है। इसने कई सुझावों के साथ 2015 में आईपीसी को इस समस्या के बारे में लिखा था। असामान्य विषाक्तता के लिये ऐसे परीक्षण अमेरिका और यूरोपीय फार्माकोपिया द्वारा भी बंद कर दिये गए हैं।
    इंडियन फार्माकोपिया कमीशन (आईपीसी):
    आईपीसी देश में दवाओं के मानकों को निर्धारित करने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का एक स्वायत्त संस्थान है। इंडियन ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के अनुसार 1945 में कार्यकारी आदेशों द्वारा आईपीसी की स्थापना हुई थी। इसका मुख्यालय गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश में है।




    इंग्लिश


    Indian Pharmacopoeia Commission approves modern animal-free testing for drugs

    In a step that would spare animals from suffering due to drug experiments, the Indian Pharmacopoeia Commission has approved modern, animal-free tests for drug manufacturers. It was declared during the 2018 edition of Indian Pharmacopoeia that provides guidelines on tests for drugs manufactured and marketed in India. (IPC) is an Autonomous Institution of the Ministry of Health and Family Welfare, Government of India.
    New Guidelines
    • The Commission has replaced the pyrogen test carried out on rabbits and the abnormal toxicity test carried out on guinea pigs and mice, with tests that can be done in test tubes.
    • The mandate has been listed in the eighth edition of the ‘Indian Pharmacopoeia’ and it will come into effect from July 1.
    • Animal testing helps the researchers to study numerous diseases. During the testing, animals are artificially induced with diseases and conduct experiments.
    • Various diseases are artificially produced in laboratories in an attempt to mimic the human disease; this allows researchers to develop a new drug by testing on animals and to obtain cues on how the disease develops in the human body.
    Types of Tests
    • Pyrogen Test: The Pyrogen Test is performed to check the presence or absence of pyrogens that can cause adverse side-effects. These tests are generally performed on Rabbits as their body temperature increases when pyrogen is introduced by the parenteral route.
    • Abnormal toxicity test: The abnormal toxicity test is a form of batch quality control and conducted to detect any potential hazardous biological contamination prior to approval for direct administration in humans. The test is conducted on mice or guinea pigs. This test is done before the product is approved for marketing.
    Government Regulations
    • Drugs and Cosmetics Act, 1940: This Act regulates the manufacture, distribution, imports of cosmetics and drugs in India. Its aim is to ensure that the drugs and cosmetics sold in the country are safe, effective, and meet standards of quality as established by the Act.
    • Committee for the Purpose of Supervision of Experiments on Animals (CPCSEA): The body is responsible for ensuring that the animals are not subjected to unnecessary pain or suffering before, during or after the experiments performed on them.








    मराठी


    भारतीय औषधीकोश आयोगाने औषधांसाठी आधुनिक पशु-मुक्त चाचणी मंजूर केली

    भारतीय औषधीकोश आयोगाने (IPC) औषधांसाठी आधुनिक पशु-मुक्त चाचणी मंजूर केली आहे. या निर्णयामुळे औषधीनिर्माता उद्योग आता आधुनिक पशु-मुक्त चाचणी पद्धतीचा वापर करू शकतील. औषधनिर्मितीसाठी प्राण्यांवर होणार्‍या प्रयोगांपासून त्यांना संरक्षण देण्याच्या हेतूने हा निर्णय घेतला गेला आहे.
    आदेशानुसार, पायरोजन चाचणीला जिवाणू-रोधी एंडोटॉक्सिन चाचणी या एका मोनोसाइट सक्रियकरण चाचणीद्वारे (activation test) प्रस्थापित केले जाईल, ज्यांना टेस्ट ट्यूब पद्धतीने संपन्न केले जाऊ शकते. हा आदेश 1 जुलै 2018 पासून भारतात लागू होईल.
    ‘इंडियन फार्माकोपिया’च्या 2018 सालच्या आवृत्तीत भारतात उत्पादित आणि विक्री केल्या जाणार्‍या औषधांच्या चाचणीसंबंधी मार्गदर्शक तत्त्वे दिलेली आहेत.
    नवीन मार्गदर्शक तत्त्वे
    सश्यांवर होणार्‍या पायरोजेन चाचणीला आणि गिनी पीग (डुकर) व उंदरांवर होणार्‍या अब्नोर्मल टॉक्झिसिटी चाचणीला बदलून या चाचणींच्या जागी आता परीक्षण नळींमध्ये (टेस्ट ट्यूब) चाचण्या चालवल्या जाऊ शकतात.
    पशु-चाचण्या संशोधकांना असंख्य रोगांचा अभ्यास करण्यास मदत करतात. चाचणी दरम्यान, प्राण्यांमध्ये कृत्रिमरित्या रोग प्रेरित केले जातात आणि प्रयोग चालवले जातात.
    मानवी रोगांची नक्कल करण्याच्या प्रयत्नात प्रयोगशाळेत वेगवेगळे रोग कृत्रिमरित्या तयार केले जातात. यामुळे संशोधकांना मानवी शरीरात रोग कशा प्रकारे विकसित होतात यावरील संकेत मिळविण्याकरीता विविध पशु-चाचण्या करून नवीन औषधे विकसित केली जातात.
    भारतीय औषधीकोश आयोगाबाबत
    भारतीय औषधीकोश आयोगाने (Indian Pharmacopoeia Commission) आरोग्य आणि कुटुंब कल्याण मंत्रालयाची एक स्वायत्त संस्था आहे. याची 1945 साली स्थापना करण्यात आली. याचे मुख्यालय उत्तरप्रदेशाच्या गाजियाबाद शहरात आहे.
    भारताने IPC देशांमध्ये औषधींचे मानदंड तयार केलेले आहेत. ते मूलभूत कार्यांसाठी नियमितपणे या क्षेत्रात प्रचलित रोगांच्या उपचारांसाठी आवश्यक असलेल्या औषधांचे मानदंड नियमितपणे अद्ययावत करतात.
    भारतीय कायदा
    औषधे व सौंदर्य प्रसाधने अधिनियम-1940 हा कायदा भारतामधील सौंदर्य प्रसाधने व औषधांची निर्मिती, वितरण, आयात या प्रक्रियांवर नियंत्रण ठेवते. देशात या सामुग्रींची सुरक्षितता, प्रभावी आणि गुणवत्तेचे निकष पूर्ण करणे हे कायद्याने ध्येय आहे. पशू-प्रयोग निरीक्षणार्थ प्रयोजन समिती (CPCSEA) प्रयोगांदरम्यान पशूंच्या बाबतीत अधिक अत्याचार होऊ नयेत याची खात्री करण्यासाठी जबाबदार आहे.






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