करेंट अफेयर्स १५ मार्च २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी
हिंदी
'दिल्ली एंड टीबी समिट स्टेटमेंट ऑफ़ एक्शन' जारी किया गया:
14 मार्च 2018 को दिल्ली एंड ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन - दक्षिण पूर्व एशिया हेतु क्षेत्रीय कार्यालय (डब्ल्यूएचओ-सीईएआरओ), के सदस्य देशों ने 'दिल्ली एंड टीबी समिट स्टेटमेंट ऑफ़ एक्शन' अपनाया।
इस शिखर सम्मेलन का आयोजन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, डब्ल्यूएचओ-सीईएआरओ और स्टॉप टीबी पार्टनरशिप द्वारा संयुक्त रूप से नई दिल्ली में किया गया था। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था और इस अवसर पर टीबी मुक्त भारत अभियान भी शुरू किया गया।
प्रमुख तथ्य:
भारत 2025 तक टीबी मुक्त देश की अपनी प्रतिबद्धता पर अडि़ग है। वह डब्ल्यूएचओ सीईएआरओ क्षेत्र के सदस्य देशों को तपेदिक मुक्त बनाने के उनके उद्देश्यों को पूरा करने के लिए हर संभव सहायता देगा। केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने दिल्ली में तपेदिक उन्मूलन शिखर सम्मेलन में यह बात कही।
सम्मेलन की समाप्ति पर कार्य विवरण पर हस्ताक्षर किए गए और इसे स्वीकार कर लिया गया। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि भारत को दिल्ली शिखर सम्मेलन की सह-मेजबानी का अवसर मिला है, जब विश्व 2030 तक तपेदिक समाप्त करने के प्रयासों के लिए प्रेरित हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत को 2025 तक तपेदिक समाप्त करके अन्य देशों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए।
इस शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कल सर्वोच्च राजनीतिक प्रतिबद्धता दिखाई और 2025 तक भारत को तपेदिक मुक्त बनाने की सरकार की इच्छा को दोहराया। यह समय विश्व द्वारा निर्धारित लक्ष्य से पांच वर्ष पूर्व है।
दिल्ली तपेदिक उन्मूलन शिखर सम्मेलन के कार्य विवरण में डब्ल्यूएचओ सीईएआरओ क्षेत्र के सदस्य देशों की भूमिका, जिम्मेदारियां और दिशा बताई गई हैं, ताकि वे अपने देशों को इस बीमारी से मुक्त कर सकें। इसमें बीमारी की तरफ अधिक ध्यान देने, निवेश और तपेदिक से निपटने के प्रयासों की सिफारिश की गई है।
इसमें कहा गया है कि क्षेत्र के सदस्य देशों ने 16 मार्च, 2017 को एक रणनीतिक कार्य उन्मुख रोडमैप तैयार किया। वक्तव्य में इस बात पर चिंता व्यक्त की गई कि कम बोझ वाले अधिकतर देशों को तपेदिक जल्द समाप्त करने के लिए कार्यक्रम शुरू करना है। तपेदिक समाप्त करने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए सदस्य देशों ने कहा कि 2030 तक तपेदिक को समाप्त करने के लिए प्रत्येक देश प्रमाणित रूप से सक्षम है।
लीड-इंक्रीज-एनेबल-सप्लिमेंट प्राथमिकताएं:
लीड (LEAD): सशक्त राष्ट्रीय पहल के द्वारा देशों में राष्ट्रीय टीबी प्रतिक्रियाओं का कार्यान्वयन करना जोकि सदस्य देशों में सरकार के उच्चतम स्तर तक 'एंड टीबी' लक्ष्य तक पहुंचने की प्रगति पर नज़र रखता है।
इंक्रीज (INCREASE): सरकारों द्वारा बजटीय और मानव संसाधन आवंटन करना साथ ही साथ अपने वैश्विक, घरेलू और अन्य भागीदारों द्वारा यह सुनिश्चित करना कि राष्ट्रीय टीबी योजनाएं पूरी तरह से वित्त पोषित हैं।
एनेबल (ENABLE): टीबी / एचआईवी सह-संक्रमणों सहित टीबी के किसी भी रूप से पीड़ित प्रवासियों, वृद्ध और अन्य उच्च जोखिम वाली आबादी सहित प्रत्येक व्यक्ति को सर्वोत्तम संभव देखभाल देना।
सप्लिमेंट (SUPPLEMENT): समग्र रूप से सामाजिक और वित्तीय सुरक्षा के साथ टीबी की चिकित्सा देखभाल।
14 मार्च 2018 को दिल्ली एंड ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन - दक्षिण पूर्व एशिया हेतु क्षेत्रीय कार्यालय (डब्ल्यूएचओ-सीईएआरओ), के सदस्य देशों ने 'दिल्ली एंड टीबी समिट स्टेटमेंट ऑफ़ एक्शन' अपनाया।
इस शिखर सम्मेलन का आयोजन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, डब्ल्यूएचओ-सीईएआरओ और स्टॉप टीबी पार्टनरशिप द्वारा संयुक्त रूप से नई दिल्ली में किया गया था। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था और इस अवसर पर टीबी मुक्त भारत अभियान भी शुरू किया गया।
प्रमुख तथ्य:
भारत 2025 तक टीबी मुक्त देश की अपनी प्रतिबद्धता पर अडि़ग है। वह डब्ल्यूएचओ सीईएआरओ क्षेत्र के सदस्य देशों को तपेदिक मुक्त बनाने के उनके उद्देश्यों को पूरा करने के लिए हर संभव सहायता देगा। केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने दिल्ली में तपेदिक उन्मूलन शिखर सम्मेलन में यह बात कही।
सम्मेलन की समाप्ति पर कार्य विवरण पर हस्ताक्षर किए गए और इसे स्वीकार कर लिया गया। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि भारत को दिल्ली शिखर सम्मेलन की सह-मेजबानी का अवसर मिला है, जब विश्व 2030 तक तपेदिक समाप्त करने के प्रयासों के लिए प्रेरित हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत को 2025 तक तपेदिक समाप्त करके अन्य देशों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए।
इस शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कल सर्वोच्च राजनीतिक प्रतिबद्धता दिखाई और 2025 तक भारत को तपेदिक मुक्त बनाने की सरकार की इच्छा को दोहराया। यह समय विश्व द्वारा निर्धारित लक्ष्य से पांच वर्ष पूर्व है।
दिल्ली तपेदिक उन्मूलन शिखर सम्मेलन के कार्य विवरण में डब्ल्यूएचओ सीईएआरओ क्षेत्र के सदस्य देशों की भूमिका, जिम्मेदारियां और दिशा बताई गई हैं, ताकि वे अपने देशों को इस बीमारी से मुक्त कर सकें। इसमें बीमारी की तरफ अधिक ध्यान देने, निवेश और तपेदिक से निपटने के प्रयासों की सिफारिश की गई है।
इसमें कहा गया है कि क्षेत्र के सदस्य देशों ने 16 मार्च, 2017 को एक रणनीतिक कार्य उन्मुख रोडमैप तैयार किया। वक्तव्य में इस बात पर चिंता व्यक्त की गई कि कम बोझ वाले अधिकतर देशों को तपेदिक जल्द समाप्त करने के लिए कार्यक्रम शुरू करना है। तपेदिक समाप्त करने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए सदस्य देशों ने कहा कि 2030 तक तपेदिक को समाप्त करने के लिए प्रत्येक देश प्रमाणित रूप से सक्षम है।
लीड-इंक्रीज-एनेबल-सप्लिमेंट प्राथमिकताएं:
लीड (LEAD): सशक्त राष्ट्रीय पहल के द्वारा देशों में राष्ट्रीय टीबी प्रतिक्रियाओं का कार्यान्वयन करना जोकि सदस्य देशों में सरकार के उच्चतम स्तर तक 'एंड टीबी' लक्ष्य तक पहुंचने की प्रगति पर नज़र रखता है।
इंक्रीज (INCREASE): सरकारों द्वारा बजटीय और मानव संसाधन आवंटन करना साथ ही साथ अपने वैश्विक, घरेलू और अन्य भागीदारों द्वारा यह सुनिश्चित करना कि राष्ट्रीय टीबी योजनाएं पूरी तरह से वित्त पोषित हैं।
एनेबल (ENABLE): टीबी / एचआईवी सह-संक्रमणों सहित टीबी के किसी भी रूप से पीड़ित प्रवासियों, वृद्ध और अन्य उच्च जोखिम वाली आबादी सहित प्रत्येक व्यक्ति को सर्वोत्तम संभव देखभाल देना।
सप्लिमेंट (SUPPLEMENT): समग्र रूप से सामाजिक और वित्तीय सुरक्षा के साथ टीबी की चिकित्सा देखभाल।
इंग्लिश
Delhi TB Summit: WHO
Member countries of WHO South East Asia Region on 14March have committed to further efforts to ensure rapid and concrete progress to End TB by 20130.
Major points:
Indian PM Narendra Modi inaugurated the event.
TB in South East Asia
The 2017 Kochon Prize was awarded to the Indian Council of Medical Research (ICMR) in New Delhi for building a tradition of excellence in TB research and development.
The $65,000 Prize is awarded annually by Stop TB Partnership to individuals and/or organizations that have made a significant contribution to combating TB. The ICMR emerged the winner from amongst 18 nominations.
Member countries of WHO South East Asia Region on 14March have committed to further efforts to ensure rapid and concrete progress to End TB by 20130.
Major points:
- South East Asia is home to 25% of the world population.
- This region is also the 46% of the TB burden.
- The Member countries of the Region stressed their firm intent to collectively reach out to 2 million missing TB cases and 150 000 multidrug-resistance cases by 2020 and implement a response that is demonstrably adequate for ending TB.
Indian PM Narendra Modi inaugurated the event.
TB in South East Asia
- A potentially serious infectious bacterial disease that mainly affects the lungs.
- According to WHO: One-third of the world’s burden of tuberculosis (TB), or about 4.9 million prevalent cases, is found in the World Health Organization (WHO) South-East Asia Region. The disease, which is most common among people in their productive years has a huge economic impact. For instance, in 2006, TB caused India to lose an estimated 23.7 billion United States dollars.
The 2017 Kochon Prize was awarded to the Indian Council of Medical Research (ICMR) in New Delhi for building a tradition of excellence in TB research and development.
The $65,000 Prize is awarded annually by Stop TB Partnership to individuals and/or organizations that have made a significant contribution to combating TB. The ICMR emerged the winner from amongst 18 nominations.
मराठी
'दिल्ली एंड टीबी’ शिखर परिषदेत 'कार्य विवरण' प्रसिद्ध
13 मार्च ते 14 मार्च 2018 रोजी नवी दिल्लीत ‘दिल्ली क्षयरोग निर्मूलन शिखर परिषद (Delhi End TB Summit) याचे आयोजन करण्यात आले होते. परिषदेच्या शेवटी एका कार्य विवरणावर स्वाक्षर्या करण्यात आल्या.परिषदेचे आयोजन आरोग्य व कुटुंब कल्याण मंत्रालय, WHO, दक्षिण पूर्व आशिया क्षेत्रीय कार्यालय (SEARO) आणि स्टॉप टीबी पार्टनरशिप यांच्यावतीने करण्यात आले होते. भारत WHO SEARO क्षेत्राच्या सदस्य देशांना क्षयरोगापासून मुक्त करण्यासाठीच्या त्यांच्या उद्देशपूर्तीसाठी प्रत्येक संभव मदत देणार आहे.
कार्य विवरणात समाविष्ट बाबी
- WHO SEARO क्षेत्राच्या सदस्य देशांची भूमिका, जबाबदार्या आणि दिशानिर्देशके स्पष्ट करण्यात आलेली आहे, जेणेकरून ते आपल्या देशांना क्षयरोगापासून मुक्त करू शकणार.
- यात आजाराकडे अधिक लक्ष केंद्रीत करणे, गुंतवणूक आणि क्षयरोगाच्या निवारणासाठी केल्या जाणार्या प्रयत्नांची शिफारस केली गेली आहे.
- यामध्ये हे म्हटले गेले आहे की, WHO SEARO क्षेत्राच्या सदस्य देशांकडून 16 मार्च 2017 रोजी अंमलात आणलेल्या ‘दिल्ली कॉल फॉर अॅक्शन’ नामक एक धोरणात्मक कृती योग्य मार्गदर्शकांमुळे या कार्याला आणखीन बळकटी प्राप्त झाली आहे.
- सक्षम राष्ट्रीय पुढाकाराद्वारे देशांमध्ये क्षयरोगासंबंधी राष्ट्रीय प्रतिसादांची अग्र अंमलबजावणी करणे.
- अंमलात आणल्या जाणार्या कार्याच्या प्रगतीच्या पर्यवेक्षणासाठी तसेच सामाजिक व नागरी संस्थांना येणार्या समस्यांना सोडविण्यासाठी सदस्य देशांमध्ये बहुविध आणि सक्षम राष्ट्रीय पुढाकार चालविण्यासाठी एक राष्ट्रीय जबाबदार कार्यचौकट तयार करणे.
- राष्ट्रीय क्षयरोग योजनेसाठी वाढीव अर्थसंकल्पीय आणि मनुष्यबळ उपलब्ध करून देणे.
- स्थलांतरितांसह रोगी व धोक्यात असलेल्या प्रत्येकाला सर्वोत्तम सुविधा प्रदान करणे.
- सामाजिक आणि आर्थिक संरक्षणासह सर्वंकष पद्धतीने क्षयरोगासाठी पर्यायी वैद्यकीय सुविधा देणे.
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