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    Friday, February 23, 2018

    यूनिसेफ ने 'एवरी चाइल्ड अलाइव' रिपोर्ट जारी की: Babies born in poorest countries still face alarming risks: UNICEF करेंट अफेयर्स २३ फरवरी २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी

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    करेंट अफेयर्स २३ फरवरी २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी


    हिंदी

    यूनिसेफ ने 'एवरी चाइल्ड अलाइव' रिपोर्ट जारी की:


    यूनिसेफ की 20 फरवरी 2018 को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के सबसे गरीब देशों में पैदा हुए बच्चे, जिनमें से ज्यादातर अफ्रीका में हैं, अब भी मौत के "खतरनाक" जोखिमों का सामना कर रहे हैं। यह जोखिम सबसे अमीर देशों की तुलना में 50 गुना से अधिक हो सकते हैं।
    बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ के अनुसार, दुनिया में हर साल एक मिलियन यानी 10 लाख नवजात अपने जन्म के पहले दिन ही अपनी अंतिम सांस ले लेते हैं। यूनिसेफ ने मंगलवार को नवजात मृत्यु दर पर अपनी एक रिपोर्ट 'एवरी चाइल्ड अलाइव' (Every Child ALIVE) रिपोर्ट जारी की।
    रिपोर्ट से जुड़े प्रमुख तथ्य:
    यूनिसेफ बच्चों के कल्याण के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था है। 'एवरी चाइल्ड अलाइव' (द अर्जेंट नीड टू ऐंड न्यूबॉर्न डैथ्स) शीर्षक से जारी इस रिपोर्ट में जापान, आइसलैंड और सिंगापुर को जन्म के लिए सबसे सुरक्षित देश बताया गया है जहां जन्म लेने के पहले 28 दिन में प्रति हजार बच्चों पर मौत का केवल एक मामला सामने आता है।
    यूनिसेफ द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2016 में भारत में प्रति 1,000 जीवित जन्मों में नवजात मृत्युदर 25.4 रही। श्रीलंका में यह दर 127, बांग्लादेश में 54, नेपाल में 50, भूटान में 60 तथा पाकिस्तान में प्रति 1,000 जीवित जन्म में यह दर 45.6 रही। जापान, आइसलैंड और सिंगापुर में जन्मे बच्चों के बचने के अवसर अधिक रहते हैं जबकि पाकिस्तान, मध्य अफ्रीकी गणराज्य और अफगानिस्तान में स्थिति बिल्कुल उलट है।
    रिपोर्ट में बांग्लादेश, इथियोपिया, गिनी—बिसाउ, भारत, इंडोनेशिया, मालावी, माली, नाइजीरिया, पाकिस्तान और तंजानिया को सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित करने वाले देशों में रखा गया है। इन दस देशों में दुनियाभर में नवजात बच्चों की मौत के आधे से ज्यादा मामले आते हैं।
    184 देशों में हुए अध्ययन की इस रिपोर्ट के मुताबिक 80 फीसदी बच्चों की मौत का कारण कोई गंभीर बीमारी नहीं होती है। ज्यादातर बच्चों की मृत्यु का कारण समय से पहले जन्म, प्रसव के दौरान जटिलता, बीमारी की सही रोकथाम न होना और न्यूमोनिया होती है।
    हर मां और बच्चे को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देकर मृत्यु दर कम की जा सकती है। इसमें साफ पानी, जन्म के पहले घंटे में स्तनपान, मां बच्चे के बीच संपर्क जरूरी है। जन्म के पहले 28 दिन नवजात के जीवित रहने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    सर्वाधिक मृत्युदर वाले 10 देशों में आठ अफ्रीकी देश हैं और दो दक्षिण एशिया के हैं। इस सूची में दूसरे स्थान पर मध्य अफ्रीकी गणराज्य, तीसरे पर अफगानिस्तान और चौथे पर सोमालिया है।
    रिपोर्ट के अनुसार इन देशों में संघर्ष, प्राकृतिक आपदाएं, अस्थिरता और कुशासन जैसी समस्याओं का प्रभाव स्वास्थ्य प्रणाली पर अकसर पडता है और नीति निर्माता प्रभावी नीतियां नहीं बना सके हैं। हालांकि 2016 में संख्या के लिहाज से देखें तो नवजात की मौतों के मामले में भारत पहले नंबर पर रहा।
    भारत में पिछले साल 6,40,000 नवजातों के मारे जाने के मामले दर्ज किए गए। यहां नवजात मृत्यु दर 25.4 प्रति हजार रही। इस तरह से दुनियाभर में जन्म लेने के कुछ समय या दिनों के भीतर मौत के 24 प्रतिशत मामले भारत में दर्ज किए गए। संख्या के मामले में पाकिस्तान दूसरे नंबर पर है। यहां इस साल 2,48,000 शिशुओं की जन्म के कुछ समय बाद मौत हो गए।
    निम्न मध्य आय वाले देशों में नवजात मृत्युदर के लिहाज से पाकिस्तान पहले नंबर पर है। भारत इसमें 12वें नंबर पर आता है। लेकिन केन्या, बांग्लादेश, भूटान, मोरक्को और कांगो जैसे देश इस मामले में भारत और पाकिस्तान से अच्छी स्थिति में हैं।
    रिपोर्ट के अनुसार कम मृत्युदर की बात करें तो जन्म लेने के लिहाज से जापान, आइसलैंड और सिंगापुर सबसे सुरक्षित देश हैं जहां प्रति हजार जन्म पर मृत्युदर क्रमश: 0.9, 1 और 1.1 रही। अर्थात इन देशों में जन्म लेने के पहले 28 दिन में प्रति हजार बच्चों पर मौत का केवल एक मामला सामने आता है।
    इस सूची में उक्त तीन देशों के बाद फिनलैंड, एस्टोनिया, स्लोवेनिया, साइप्रस, बेलारूस, कोरिया गणराज्य, नार्वे और लक्जमबर्ग के नाम हैं। यहां प्रशिक्षित स्वास्थ्य पेशेवरों की संख्या भी अपेक्षाकृत अधिक है।
    रिपोर्ट के अनुसार उच्च आय वाले देशों में औसत नवजात मृत्युदर तीन है, वहीं कम आय वाली श्रेणी में आने वाले देशों में यह दर 27 प्रति हजार है। अगर हर देश अपने यहां नवजात मृत्युदर को उच्च आय वाले देशों के स्तर पर ले आये तो 2030 तक 1.6 करोड बच्चों को मरने से बचाया जा सकता है। इसके लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच को जरूरी बताया गया है।
    4 'P' पर ध्यान देने की जरूरत:
    नवजात मृत्यु दर को कम करने के लिए रिपोर्ट में 4 'पी' पर ध्यान देने की बात कही गयी है। इनमें प्लेस (जगह)—साफ सुथरे स्वास्थ्य केंद्र, पीपुल (लोग)—भलीभांति प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी, प्रोडक्टस (उत्पाद)—जीवनरक्षक दवा और उपकरण और पावर (अधिकार)—सम्मान, गरिमा तथा जवाबदेही का उल्लेख है।
    रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में रोजाना करीब 7000 नवजात बच्चे काल के गाल में समा जाते हैं। इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक मामलों में प्रशिक्षित डाक्टरों, नर्सों आदि के माध्यम से किफायती, गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करके, प्रसव से पहले मां और प्रसव के बाद जच्चा—बच्चा को पोषण, साफ जल जैसे बुनियादी समाधानों से बच्चों की जान बचाई जा सकती है।
    रिपोर्ट एक और महत्वपूर्ण तथ्य की ओर ध्यान दिलाती है कि दुनियाभर में करीब 26 लाख बच्चों की जन्म लेने के एक महीने के अंदर ही मौत हो जाती है। इसके अलावा करीब 26 लाख बच्चे प्रतिवर्ष मृत ही जन्म लेते हैं। ऐसे मामलों में सरकारी स्वास्थ्य तंत्र या नी​ति निर्माताओं की ओर से गणना का कोई निश्चित प्रावधान नहीं होता।


    इंग्लिश


    Babies born in poorest countries still face alarming risks: UNICEF
    According to a new report published by UNICEF; babies born in the world’s poorest countries face alarming risks to death that can be 50 times as high as those in the richest countries.
    Highlights:
    • The differences are stark. A baby born in Pakistan - the country with the worst newborn mortality rate - faced a one in 22 chance of death, while a newborn in Japan had only a one in 1,111 risk of dying, the report said.
    • Of the 10 highest-risk countries, eight are in sub-Saharan Africa, countries where "pregnant women are much less likely to receive assistance", due to poverty, conflict or weak institutions, according to the report.
    • More than 80 per cent of newborn deaths can be prevented, the report says, "with access to well-trained midwives, along with proven solutions like clean water, disinfectants, breastfeeding within the first hour, skin-to-skin contact and good nutrition".
    • Of the 10 highest-risk countries, eight are in sub-Saharan Africa, countries where "pregnant women are much less likely to receive assistance," due to poverty, conflict or weak institutions, according to the report.
    • Those eight countries are the Central African Republic (a one in 24 chance of death); Somalia, Lesotho, Guinea-Bissau and South Sudan (all with a one in 26 chance); Cote d'Ivoire (one in 27) and Mali and Chad (both with a one in 28 chance).
    • Rwanda among the low income countries has shown a great improvement.
    • Babies born to mothers with no education face nearly twice the risk of early death as babies whose mothers have at least a secondary education. 
    • The United States generally affluent, but with considerable income inequality and wide variations in access to health care was only the 41st safest country for newborns.




    मराठी

    बाळाचा जन्म अजूनही दरिद्री देशांमध्ये धोकादायक परिस्थितीत होतो: UNICEF

    UNICEF ने नवजाताचा मृत्युदर याविषयी प्रसिद्ध केलेल्या 'एव्हरी चाइल्ड अलाइव्ह' अहवालानुसार, जगातल्या सर्वाधिक दरिद्री देशांमध्ये जन्माला आलेले बाळ, त्यामध्ये सर्वाधिक आफ्रिकेत, आजही मृत्युच्या "अत्याधिक चिंताजनक" धोक्यांचा सामना करत आहे. हे धोके सर्वात श्रीमंत देशाच्या तुलनेत 50 पटीने अधिक असू शकते.
    जगभरात दरवर्षी 10 लाख नवजात बालकांचा त्याच्या जन्माच्या पाहिल्याच दिवशी मृत्युमुखी पडतो.
    ठळक बाबी
    • जपान, आइसलँड आणि सिंगापुर या देशांना जन्मासाठी सर्वात सुरक्षित देश ठरविण्यात आले आहे, जेथे जन्माला आलेल्या पहिल्या 28 दिवसांमध्ये प्रत्येक हजार बाळांमध्ये मृत्युचे केवळ एक प्रकरण समोर येते.
    • नवजात मृत्युदरात सर्वाधिक कमतरता जपानमध्ये आहे. त्यानंतर आइसलँड, सिंगापुर, फिनलँड, एस्टोनिया, स्लोवेनिया, सायप्रस, बेलारूस, दक्षिण कोरिया, नार्वे आणि लेक्समबर्ग या देशांचा क्रमांक लागतो. या देशांमध्ये प्रशिक्षित आरोग्य व्यावसायिकांची संख्या अपेक्षेत अधिक आहे.
    • उच्च उत्पन्न असलेल्या देशांमध्ये सरासरी नवजात मृत्युदर प्रत्येक हजार जन्मामध्ये 3 एवढा आहे, तर कमी उत्पन्न श्रेणीतील देशांमध्ये हे प्रमाण 27 एवढे आहे.
    • जपान, आइसलँड आणि सिंगापुर या देशांमध्ये जन्मलेल्या बाळांच्या वाचण्याच्या संधी अधिक असतात, जेव्हा की पाकिस्तान, मध्य आफ्रिका प्रजासत्ताक आणि अफगानिस्तान या देशांमधली परिस्थिती अगदी उलट आहे.
    • सन 2016 मध्ये भारतात प्रत्येक 1,000 जिवंत जन्मांमध्ये नवजात मृत्युदर 25.4 होता. श्रीलंकेत हा दर 127, बांग्लादेशात 54, नेपाळमध्ये 50, भुटानमध्ये 60 आणि पाकिस्तानमध्ये 45.6 असा होता.
    • बांग्लादेश, इथियोपिया, गिनी-बिसाऊ, भारत, इंडोनेशिया, मालावी, माली, नायजेरिया, पाकिस्तान आणि टांजानिया या देशांना बाळाच्या जन्मावर सर्वाधिक लक्ष केंद्रित करणार्‍या देशांमध्ये ठेवण्यात आले आहे. या दहा देशांमध्ये जगभरात नवजात बाळांच्या मृत्युची अर्ध्याहून अधिक प्रकरणे समोर येतात.
    • 184 देशांमध्ये झालेल्या अभ्यासानुसार, 80% बाळांच्या मृत्युचे कारण कोणतेही गंभीर बिमारी नसते. बहुतेक बाळांच्या मृत्युचे कारण म्हणजे वेळेआधी जन्म, प्रसव दरम्यान जटिलता, बिमारीला योग्यरित्या प्रतिबंध न झाल्यास आणि न्यूमोनिया होणे.
    • माता आणि बाळाला चांगल्या सुविधा देऊन मृत्युदर कमी करता येऊ शकतो. यामध्ये स्वच्छ पाणी, जन्माच्या पहिल्या तासात स्तनपान, माता-बाळ यांचा संपर्क अश्या बाबी आवश्यक ठरतात. जन्मानंतर 28 दिवस नवजाताच्या जिवंत राहण्यामध्ये महत्त्वपूर्ण भूमिका वठवतात.
    • सर्वाधिक मृत्युदर असणार्‍या 10 देशांमध्ये आफ्रिकेमधील आठ देश आणि दोन दक्षिण आशियामधील देशांचा समावेश आहे. या 10 देशांमध्ये दुसर्‍या क्रमांकावर मध्य आफ्रिका प्रजासत्ताक तर अफगानिस्तान आणि सोमालिया अनुक्रमे तिसर्‍या व चौथ्या क्रमांकावर आहेत. या देशांमध्ये संघर्ष, नैसर्गिक आपत्ती, अस्थिरता आणि कुशासन या सारख्या समस्यांचा प्रभाव आरोग्य प्रणालीवर नेहमीच पडतो आणि धोरण निर्माता प्रभावी धोरण तयार करण्यास अपयशी ठरलेत.
    • जगभरात जवळजवळ 26 लक्ष बाळांचा जन्म एका महीन्याच्या आत होतो. तर जवळजवळ 26 लक्ष बाळांचा जन्मच मृत होतो. जगभरात दररोज जवळजवळ 7000 नवजातांचा मृत्यू होतो. त्यामध्ये 80% प्रकरणे प्रशिक्षित डॉक्टर, परिचारक यांच्यामार्फत स्वस्त, गुणवत्तापूर्ण आरोग्य सुविधा प्रदान करून, प्रसवाआधी माता आणि प्रसवानंतर बाळाचे पोषण, स्वच्छ पाणी यासारख्या मूलभूत उपाययोजनांनी बाळाचे जीवन वाचवले जाऊ शकते.
    अहवालात भारत
    सन 2016 मधील आकड्यांचा तुलनेत पाहता नवजात मृत्युदरात भारत पहिल्या क्रमांकावर आहे.
    भारतात मागील वर्षात 6,40,000 नवजातांचा मृत्यू झाल्याचे नोंदविण्यात आले आहे. हा नवजात मृत्युदर प्रत्येक हजारामध्ये 25.4 एवढा होता. याप्रमाणे जगभरात जन्म झाल्यानंतरचा काही काळ किंवा दिवसांमध्ये मृत्युचे प्रमाण 24% एवढे होते. आकड्यांनुसार याबाबतीत पाकिस्तान दुसर्‍या क्रमांकावर आहे.
    कमी मध्यम उत्पन्न असलेल्या देशांमध्ये नवजात मृत्युदरात पाकिस्तान पहिल्या क्रमांकावर आहे. भारत यामध्ये 12 वा आहे. मात्र केनिया, बांग्लादेश, भुटान, मोरक्को आणि कांगो हे देश या बाबतीत भारत आणि पाकिस्तानहून अधिक चांगल्या स्थितीत आहेत.



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