Current affairs 11 January 2018 - Hindi / English / Marathi
खाद्य जनित बीमारियों से भारत को सालाना 28 अरब डॉलर का नुकसान: विश्व बैंक अध्ययन
विश्व बैंक समूह और नीदरलैंड सरकार की 'फूड फॉर ऑल' साझेदारी के एक अध्ययन से पता चला है कि खाद्य जनित बीमारियों से भारत को हर साल 28 अरब डॉलर (1,78,100 करोड़ रुपये) या देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के करीब 0.5% का नुकसान हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, आर्थिक बोझ को कम करने के लिए, भारत को देश के लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु निवेश की जरूरत है। भारतीय अब साधारण स्टेपल फ़ूड से अधिक पौष्टिक भोजन की ओर आगे बढ़ रहे हैं। इस अध्ययन के अनुसार, हालांकि यह प्रभाव सकारात्मक होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में यह परिवर्तन "जोखिम भरे खाद्य पदार्थ" की ओर ले जा रहा है।
डेला ग्रेस, प्रोग्राम मैनेजर ने कहा कि, "अगर खाद्य सुरक्षा में कोई निवेश नहीं किया जाता है, तो गरीबी और कुपोषण में वृद्धि के कारण इसे कम करने की संभावित लागत में बढ़ोत्तरी हो सकती है।"
यह अध्ययन वागेनिंगन इकोनॉमिक रिसर्च की शोधकर्ता ग्रेस, ज़ुजाना स्मेट्स क्रिस्टकोवा और मारिके कुईपर, वरिष्ठ शोधकर्ता, वागेनिंगन इकोनॉमिक रिसर्च, वागेनिंगन युनिवर्सिटी, नीदरलैंड्स के द्वारा किया गया।
भारत सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदम:
केंद्र सरकार खाद्य पदार्थों की मैन्युफैक्चरिंग, बिक्री या सर्विस से जुड़ी फर्मों की खाद्य सुरक्षा के कई मानकों पर मार्किंग के बाद उनकी ग्रेडिंग तैयार करेगी। सभी मानकों पर खरी और रेगुलेशंस का लगातार पालन करने वालों को टॉप ग्रेड जारी किए जाएंगे, जिन्हें वे अपनी पहचान या प्रमोशन के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
टॉप ग्रेडेड फर्मों को न सिर्फ फूड सेफ्टी रेगुलेशंस से जुड़ी सुविधाओं और प्रक्रियाओं में वरीयता दी जाएगी, बल्कि वे दूसरे क्षेत्रों और विभागों में भी इसका फायदा उठा सकती हैं। प्रॉडक्ट की स्वास्थ्य संबंधी संवेदनशीलता के हिसाब से भी मानकों और ग्रेड में बदलाव पर विचार किया जा रहा है।
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) की ओर से राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों और फूड सेफ्टी कमिश्नरों के राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान अथॉरिटी यह जानकारी दी गयी।
सरकार राज्यों और स्टेकहोल्डर्स के सुझाव के आधार पर एक ग्रेडिंग सिस्टम पर विचार कर रही है, जो दो स्तरों पर होगा। एक तो टर्नओवर और स्वास्थ्य संवेदनशीलता के आधार पर फूड बिजनस ऑपरेटर्स (एफबीओ) को कई और वर्गों में बांटने की मांग आई है, दूसरा फूड सेफ्टी के सभी मानकों पर लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वालों को प्रोत्साहन और पहचान दिलाने की जरूरत महसूस की जा रही है।
दूसरे तरह की ग्रेडिंग के लिए जनरल मैन्युफैक्चरर्स, प्रोसेसर्स, रिटेलर्स की पांच पैमानों -डिजाइन एंड फैसिलिटीज, ऑपरेशनल कंट्रोल, सैनिटेशन, पर्सनल हाइजीन और ट्रेनिंग पर मार्किंग की जाएगी। इसके तहत कंप्लायंट, नॉन-कंप्लायंट और पार्शियल कंप्लायंट टैग के साथ ही मार्क्स और ग्रेड दिए जाएंगे। लगातार बेहतर कंप्लायंस करने वालों को एक ग्रेडिंग सिंबल अलॉट किया जा सकता है।
इस सम्मेलन के दौरान फूड सेफ्टी से जुड़ा सात सूत्री चार्टर जारी करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने बताया कि भारत सरकार ने फूड सेफ्टी के अनुपालन और प्रशासनिक ढांचा खड़ा करने के लिए राज्यों को मदद के तौर पर 480 करोड़ रुपये के आवंटन को मंजूरी दी है। उन्होंने सभी राज्यों में फूड सेफ्टी कमिश्नर की नियुक्ति, अपीली ट्राइब्यूनल के गठन और इंस्पेक्टर राज घटाने पर भी जोर दिया।
Food borne diseases cost India $28 billion a year: World Bank study
The World Bank Group in partnership with The Netherlands government released a study by ‘Food for All’ partnership. The study has revealed that food borne diseases cost India about US $28 billion (Rs 1,78,100 crore). It is around 0.5% of the country’s GDP every year.
The report was unveiled by researchers from Denmark at the two-day ‘National Conclave on Food Safety and Nutrition’ held in New Delhi.
Main Highlights of Study
National Conclave on Food Safety and Nutrition was organised by the Union Ministry of Health and the Family, and the Food Safety and Standards Authority of India (FSSAI). The conclave saw adoption of joint resolution with seven charter by the health ministers of different states.
Recognizing that safe, hygienic and healthy diet is key to preventive healthcare which is part of the first pillar of National Health Policy, 2017, the state health ministers agreed to improved convergence between National Health Mission and Safe and Nutritious Food campaigns initiated by FSSAI.
This would include using funds from the National Health Policy for strengthening of food safety systems in the states, integration of emergency response system under National Food Mission.
Healthy India Food Calendar
Besides, during the conclave FSSAI’s ‘Healthy India Food Calendar’ was also released. The first-of-its-kind calendar covers India’s main festivals, the food associated with them and their nutritional benefits. The FSSAI’s revamped website was also launched during the conclave.
Campaign launched to limit intake of fatty food
During the conclave, State health Ministers decided to launch a campaign, with special focus on youth and school children, for limiting energy intake from fatty food.
The campaign aims to get people to reduce their daily caloric intake from fatty foods to less than 30% and eliminate trans-fats completely (i.e., bring down consumption of trans-fat to less than 1% of total caloric intake, reducing salt consumption to less than 5 gm per day and limiting intake of free added sugar to less than 10% of daily caloric intake) by 2022.
The Ministers also decided to promote organic food and dietary diversification to integrate local and regional cuisines.
It was further decided that efforts would be made to encourage people to eat more fruits and vegetables — at least 450-500 gm/day — and moderate the intake of refined carbohydrates.
भारतीय साध्या अन्नापासून अधिक पोषक अन्नाकडे वळत आहेत आणि याचे सकारात्मक परिणाम असायला पाहिजेत. मात्र, तरीही हा आर्थिक भार कमी करण्यासाठी, जनतेसाठी अन्न सुरक्षिततेसाठी भारताने आणखी गुंतवणूक करणे आवश्यक आहे, जेणेकरून दारिद्र्य आणि कुपोषण वाढणार नाही. अन्न सुरक्षेची खात्री बाळगल्यास बाल मृत्युदरात कमतरता येईल.
मूल्यवर्धन शृंखला, प्रमुख पायाभूत सुविधा विकसित करणे, साठवणुकीची सुविधा, उत्तम तपास क्षमता, पीक संरक्षण आणि पशु आरोग्य यांचा समावेश असलेले अन्न सुरक्षा धोरण तयार करणे आवश्यक आहे.
भारताचे प्रयत्न
चरबीयुक्त अन्नामधून प्राप्त होणार्या ऊर्जेला मर्यादित करण्यासाठी, भारताच्या आरोग्य मंत्रालयाने युवा आणि शालेय विद्यार्थ्यांवर विशेष भर देत एक मोहीम सुरू करण्याचे योजिले आहे.
या मोहिमेचा उद्देश असा आहे की, 2022 सालापर्यंत लोकांच्या आपल्या दैनंदिन चरबीयुक्त अन्नामधून मिळणार्या कॅलॉरिक सेवनात 30% हून अधिक घट करण्यासाठी आणि खाण्यातून ट्रान्स-फॅट पूर्णपणे बाद करणे. म्हणजेच एकूण कॅलरिक सेवनाच्या 1% हून कमी ट्रान्स-फॅटचे सेवन करणे, मिठाचा वापर दररोज 5 ग्रॅम पेक्षा कमी करणे आणि रोजच्या गरजेच्या सेवनापेक्षा साखरेचे सेवन 10% हून कमी करत मर्यादित करणे, हे लक्ष्य ठेवण्यात आले आहे.
याशिवाय, स्थानिक आणि प्रादेशिक पाककृतींचे एकत्रिकरण करण्यासाठी जैविक खाद्यपदार्थ व आहारातील विविधता वाढविण्यासंबंधी पावले उचलले जातील.
लोकांना दिवसाला 450-500 ग्रॅमपेक्षा अधिक फळे आणि भाज्या खाण्यास प्रोत्साहित करण्यासाठी आणि शुद्ध कार्बोहाइड्रेट्सचे सेवन कमी करण्यास प्रयत्न केले जातील.
भारतीय राष्ट्रीय अन्न सुरक्षा कायदा
केंद्र शासनाच्या राष्ट्रीय अन्न सुरक्षा कायद्यामधून देशातील जवळपास 81 कोटी लोकांना सवलतीच्या दरात अन्न-धान्य मिळत आहे. कायद्याची अंमलबजावणी 1 फेब्रुवारी 2014 पासून करण्यात आली आहे.
या कायद्यामुळे अंत्योदय (प्राधान्य) शिधापत्रिका धारकांना प्रती कुटुंब प्रती महिना 35 किलो धान्य वितरीत करण्यात येते. तर इतर (प्राधान्य) शिधापत्रिका धारकाला 5 किलो धान्य प्रत्येक महिन्याला कुटुंबातील प्रत्येक व्यक्तीनुसार देण्यात येते. या दोन्ही प्रकारात देण्यात येणाऱ्या धान्याचा दर गहू 2 रुपये प्रती किलो, तांदुळ 3 रुपये प्रती किलो तर भरडधान्य 1 रुपये प्रती किलो या दराने धान्याचे वितरण करण्यात येते.
या कायद्याच्या अंमलबजावणीमध्ये महिला व बाल विकास (एकात्मिक बाल विकास) आणि शालेय शिक्षण विभाग (शालेय पोषण आहार) यांचा देखील सहभाग आहे. त्यामधून अंगणवाडी केंद्रामार्फत (एकात्मिक बाल विकास) योजनेत गरोदर महिलांना प्रसुती लाभ 6,000 रुपये, महिला गरोदर असल्यापासून ते मूलं 6 महिन्याचे होईपर्यंत तसेच 6 महिने ते 6 वर्षे पर्यंतच्या बालकांना मोफत पोशाक आहार देण्यात येते.
या कायद्याच्या अंमलबजावणीकरीता प्रत्येक जिल्ह्यात जिल्हाधिकारी यांना जिल्हा तक्रार निवारण अधिकारी म्हणून नियुक्त करण्यात आले आहे. राज्य स्तरावर 5 सदस्यीय राज्य अन्न आयोगाची स्थापना करण्यात येते. राष्ट्रीय अन्न सुरक्षा कायद्याच्या प्रभावी अंमलबजावणीसाठी उपाय योजना करणे, तसेच जिल्हा तक्रार निवारण अधिकाऱ्यांच्याविरुद्ध अपिलांची सुनावणी घेऊन योग्य निर्णय घेणे इत्यादी कामे या आयोगामार्फत करण्यात येते.
Hindi
खाद्य जनित बीमारियों से भारत को सालाना 28 अरब डॉलर का नुकसान: विश्व बैंक अध्ययन
विश्व बैंक समूह और नीदरलैंड सरकार की 'फूड फॉर ऑल' साझेदारी के एक अध्ययन से पता चला है कि खाद्य जनित बीमारियों से भारत को हर साल 28 अरब डॉलर (1,78,100 करोड़ रुपये) या देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के करीब 0.5% का नुकसान हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, आर्थिक बोझ को कम करने के लिए, भारत को देश के लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु निवेश की जरूरत है। भारतीय अब साधारण स्टेपल फ़ूड से अधिक पौष्टिक भोजन की ओर आगे बढ़ रहे हैं। इस अध्ययन के अनुसार, हालांकि यह प्रभाव सकारात्मक होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में यह परिवर्तन "जोखिम भरे खाद्य पदार्थ" की ओर ले जा रहा है।
डेला ग्रेस, प्रोग्राम मैनेजर ने कहा कि, "अगर खाद्य सुरक्षा में कोई निवेश नहीं किया जाता है, तो गरीबी और कुपोषण में वृद्धि के कारण इसे कम करने की संभावित लागत में बढ़ोत्तरी हो सकती है।"
यह अध्ययन वागेनिंगन इकोनॉमिक रिसर्च की शोधकर्ता ग्रेस, ज़ुजाना स्मेट्स क्रिस्टकोवा और मारिके कुईपर, वरिष्ठ शोधकर्ता, वागेनिंगन इकोनॉमिक रिसर्च, वागेनिंगन युनिवर्सिटी, नीदरलैंड्स के द्वारा किया गया।
भारत सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदम:
केंद्र सरकार खाद्य पदार्थों की मैन्युफैक्चरिंग, बिक्री या सर्विस से जुड़ी फर्मों की खाद्य सुरक्षा के कई मानकों पर मार्किंग के बाद उनकी ग्रेडिंग तैयार करेगी। सभी मानकों पर खरी और रेगुलेशंस का लगातार पालन करने वालों को टॉप ग्रेड जारी किए जाएंगे, जिन्हें वे अपनी पहचान या प्रमोशन के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
टॉप ग्रेडेड फर्मों को न सिर्फ फूड सेफ्टी रेगुलेशंस से जुड़ी सुविधाओं और प्रक्रियाओं में वरीयता दी जाएगी, बल्कि वे दूसरे क्षेत्रों और विभागों में भी इसका फायदा उठा सकती हैं। प्रॉडक्ट की स्वास्थ्य संबंधी संवेदनशीलता के हिसाब से भी मानकों और ग्रेड में बदलाव पर विचार किया जा रहा है।
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) की ओर से राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों और फूड सेफ्टी कमिश्नरों के राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान अथॉरिटी यह जानकारी दी गयी।
सरकार राज्यों और स्टेकहोल्डर्स के सुझाव के आधार पर एक ग्रेडिंग सिस्टम पर विचार कर रही है, जो दो स्तरों पर होगा। एक तो टर्नओवर और स्वास्थ्य संवेदनशीलता के आधार पर फूड बिजनस ऑपरेटर्स (एफबीओ) को कई और वर्गों में बांटने की मांग आई है, दूसरा फूड सेफ्टी के सभी मानकों पर लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वालों को प्रोत्साहन और पहचान दिलाने की जरूरत महसूस की जा रही है।
दूसरे तरह की ग्रेडिंग के लिए जनरल मैन्युफैक्चरर्स, प्रोसेसर्स, रिटेलर्स की पांच पैमानों -डिजाइन एंड फैसिलिटीज, ऑपरेशनल कंट्रोल, सैनिटेशन, पर्सनल हाइजीन और ट्रेनिंग पर मार्किंग की जाएगी। इसके तहत कंप्लायंट, नॉन-कंप्लायंट और पार्शियल कंप्लायंट टैग के साथ ही मार्क्स और ग्रेड दिए जाएंगे। लगातार बेहतर कंप्लायंस करने वालों को एक ग्रेडिंग सिंबल अलॉट किया जा सकता है।
इस सम्मेलन के दौरान फूड सेफ्टी से जुड़ा सात सूत्री चार्टर जारी करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने बताया कि भारत सरकार ने फूड सेफ्टी के अनुपालन और प्रशासनिक ढांचा खड़ा करने के लिए राज्यों को मदद के तौर पर 480 करोड़ रुपये के आवंटन को मंजूरी दी है। उन्होंने सभी राज्यों में फूड सेफ्टी कमिश्नर की नियुक्ति, अपीली ट्राइब्यूनल के गठन और इंस्पेक्टर राज घटाने पर भी जोर दिया।
English
Food borne diseases cost India $28 billion a year: World Bank study
The World Bank Group in partnership with The Netherlands government released a study by ‘Food for All’ partnership. The study has revealed that food borne diseases cost India about US $28 billion (Rs 1,78,100 crore). It is around 0.5% of the country’s GDP every year.
The report was unveiled by researchers from Denmark at the two-day ‘National Conclave on Food Safety and Nutrition’ held in New Delhi.
Main Highlights of Study
- Reducing economic burden would require India to invest in ensuring food safety for the masses and in fact, Indians are moving from simple staples to more nutritious food.
- However, according to the study, this transformation is currently leading to “risky foods” instead of showing positive impact.
- India should improve its food safety policy through coordination across the value chain, develop key infrastructure, such as cold chains, storage facilities, better testing capacity, crop protection, and animal health to improve food safety.
- India also needs to strengthen training and education across all levels of the value chain, ensure “faster collaboration” between governments, producers and consumers and embed food safety in nutrition programs (government schemes).
National Conclave on Food Safety and Nutrition was organised by the Union Ministry of Health and the Family, and the Food Safety and Standards Authority of India (FSSAI). The conclave saw adoption of joint resolution with seven charter by the health ministers of different states.
Recognizing that safe, hygienic and healthy diet is key to preventive healthcare which is part of the first pillar of National Health Policy, 2017, the state health ministers agreed to improved convergence between National Health Mission and Safe and Nutritious Food campaigns initiated by FSSAI.
This would include using funds from the National Health Policy for strengthening of food safety systems in the states, integration of emergency response system under National Food Mission.
Healthy India Food Calendar
Besides, during the conclave FSSAI’s ‘Healthy India Food Calendar’ was also released. The first-of-its-kind calendar covers India’s main festivals, the food associated with them and their nutritional benefits. The FSSAI’s revamped website was also launched during the conclave.
Campaign launched to limit intake of fatty food
During the conclave, State health Ministers decided to launch a campaign, with special focus on youth and school children, for limiting energy intake from fatty food.
The campaign aims to get people to reduce their daily caloric intake from fatty foods to less than 30% and eliminate trans-fats completely (i.e., bring down consumption of trans-fat to less than 1% of total caloric intake, reducing salt consumption to less than 5 gm per day and limiting intake of free added sugar to less than 10% of daily caloric intake) by 2022.
The Ministers also decided to promote organic food and dietary diversification to integrate local and regional cuisines.
It was further decided that efforts would be made to encourage people to eat more fruits and vegetables — at least 450-500 gm/day — and moderate the intake of refined carbohydrates.
Marathi
दूषित अन्नपदार्थांमुळे उद्भवणार्या आजारांमुळे भारताचे वर्षाला $28 अब्जचे नुकसान झाले
जागतिक बँक समूह आणि नेदरलँड सरकार यांच्या 'फूड फॉर ऑल' भागीदारीकडून केल्या गेलेल्या अभ्यासात असे निर्देशनास आले की, दूषित अन्नपदार्थांमुळे उद्भवणार्या आजारांमुळे भारताला दरवर्षी $28 अब्जचा किंवा दरवर्षी सकल देशांतर्गत उत्पन्नाच्या (GDP) 0.5% ने खर्च येत आहे.भारतीय साध्या अन्नापासून अधिक पोषक अन्नाकडे वळत आहेत आणि याचे सकारात्मक परिणाम असायला पाहिजेत. मात्र, तरीही हा आर्थिक भार कमी करण्यासाठी, जनतेसाठी अन्न सुरक्षिततेसाठी भारताने आणखी गुंतवणूक करणे आवश्यक आहे, जेणेकरून दारिद्र्य आणि कुपोषण वाढणार नाही. अन्न सुरक्षेची खात्री बाळगल्यास बाल मृत्युदरात कमतरता येईल.
मूल्यवर्धन शृंखला, प्रमुख पायाभूत सुविधा विकसित करणे, साठवणुकीची सुविधा, उत्तम तपास क्षमता, पीक संरक्षण आणि पशु आरोग्य यांचा समावेश असलेले अन्न सुरक्षा धोरण तयार करणे आवश्यक आहे.
भारताचे प्रयत्न
चरबीयुक्त अन्नामधून प्राप्त होणार्या ऊर्जेला मर्यादित करण्यासाठी, भारताच्या आरोग्य मंत्रालयाने युवा आणि शालेय विद्यार्थ्यांवर विशेष भर देत एक मोहीम सुरू करण्याचे योजिले आहे.
या मोहिमेचा उद्देश असा आहे की, 2022 सालापर्यंत लोकांच्या आपल्या दैनंदिन चरबीयुक्त अन्नामधून मिळणार्या कॅलॉरिक सेवनात 30% हून अधिक घट करण्यासाठी आणि खाण्यातून ट्रान्स-फॅट पूर्णपणे बाद करणे. म्हणजेच एकूण कॅलरिक सेवनाच्या 1% हून कमी ट्रान्स-फॅटचे सेवन करणे, मिठाचा वापर दररोज 5 ग्रॅम पेक्षा कमी करणे आणि रोजच्या गरजेच्या सेवनापेक्षा साखरेचे सेवन 10% हून कमी करत मर्यादित करणे, हे लक्ष्य ठेवण्यात आले आहे.
याशिवाय, स्थानिक आणि प्रादेशिक पाककृतींचे एकत्रिकरण करण्यासाठी जैविक खाद्यपदार्थ व आहारातील विविधता वाढविण्यासंबंधी पावले उचलले जातील.
लोकांना दिवसाला 450-500 ग्रॅमपेक्षा अधिक फळे आणि भाज्या खाण्यास प्रोत्साहित करण्यासाठी आणि शुद्ध कार्बोहाइड्रेट्सचे सेवन कमी करण्यास प्रयत्न केले जातील.
भारतीय राष्ट्रीय अन्न सुरक्षा कायदा
केंद्र शासनाच्या राष्ट्रीय अन्न सुरक्षा कायद्यामधून देशातील जवळपास 81 कोटी लोकांना सवलतीच्या दरात अन्न-धान्य मिळत आहे. कायद्याची अंमलबजावणी 1 फेब्रुवारी 2014 पासून करण्यात आली आहे.
या कायद्यामुळे अंत्योदय (प्राधान्य) शिधापत्रिका धारकांना प्रती कुटुंब प्रती महिना 35 किलो धान्य वितरीत करण्यात येते. तर इतर (प्राधान्य) शिधापत्रिका धारकाला 5 किलो धान्य प्रत्येक महिन्याला कुटुंबातील प्रत्येक व्यक्तीनुसार देण्यात येते. या दोन्ही प्रकारात देण्यात येणाऱ्या धान्याचा दर गहू 2 रुपये प्रती किलो, तांदुळ 3 रुपये प्रती किलो तर भरडधान्य 1 रुपये प्रती किलो या दराने धान्याचे वितरण करण्यात येते.
या कायद्याच्या अंमलबजावणीमध्ये महिला व बाल विकास (एकात्मिक बाल विकास) आणि शालेय शिक्षण विभाग (शालेय पोषण आहार) यांचा देखील सहभाग आहे. त्यामधून अंगणवाडी केंद्रामार्फत (एकात्मिक बाल विकास) योजनेत गरोदर महिलांना प्रसुती लाभ 6,000 रुपये, महिला गरोदर असल्यापासून ते मूलं 6 महिन्याचे होईपर्यंत तसेच 6 महिने ते 6 वर्षे पर्यंतच्या बालकांना मोफत पोशाक आहार देण्यात येते.
या कायद्याच्या अंमलबजावणीकरीता प्रत्येक जिल्ह्यात जिल्हाधिकारी यांना जिल्हा तक्रार निवारण अधिकारी म्हणून नियुक्त करण्यात आले आहे. राज्य स्तरावर 5 सदस्यीय राज्य अन्न आयोगाची स्थापना करण्यात येते. राष्ट्रीय अन्न सुरक्षा कायद्याच्या प्रभावी अंमलबजावणीसाठी उपाय योजना करणे, तसेच जिल्हा तक्रार निवारण अधिकाऱ्यांच्याविरुद्ध अपिलांची सुनावणी घेऊन योग्य निर्णय घेणे इत्यादी कामे या आयोगामार्फत करण्यात येते.
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