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    Monday, January 22, 2018

    आइये लाभ के पद (ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट) को समझें: Understanding Office of Profit in Indian context

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    करेंट अफेयर्स २२ जनवरी २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी


    हिंदी

    आइये लाभ के पद (ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट) को समझें:
    जनवरी 2018 के तीसरे सप्ताह में दिल्ली में लाभ के पद से जुड़े मामले में केजरीवाल सरकार के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी गई है। चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से इन विधायकों को 13 मार्च, 2015 से आठ सितंबर, 2016 के बीच 'लाभ के पद' के मामले में अयोग्य घोषित करने के लिए कहा था।
    ऐसा नहीं है कि जनप्रतिनिधियों पर इस तरह की कोई पहली कार्रवाई हुई है। यूपीए-1 के समय 2006 में 'लाभ के पद' का विवाद शुरू होने की वजह से सोनिया गांधी को लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देकर रायबरेली से दोबारा चुनाव लड़ना पड़ा था। सांसद होने के साथ सोनिया को राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का चेयरमैन बनाए जाने से लाभ के पद का मामला बन गया था।
    लाभ के पद की संवैधानिकता:
    भारत के संविधान में लाभ के पद (ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट) की स्पष्ट व्याख्या है। संविधान के अनुच्छेद 102 (1) A के अंतर्गत सांसद या विधायक ऐसे किसी अन्य पद पर नहीं हो सकते जहां वेतन, भत्ते या अन्य दूसरी तरह के फायदे मिलते हों।
    इसके अतिरिक्त संविधान के अनुच्छेद 191 (1) (A) और जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 9 (A) के तहत भी सांसदों और विधायकों को अन्य पद लेने से रोकने का प्रावधान है।
    लाभ के पद की सरल परिभाषा:
    'लाभ के पद' का मतलब उस पद से है जिस पर रहते हुए कोई व्यक्ति सरकार की ओर से किसी भी तरह की सुविधा लेने का अधिकारी हो। सांसद या विधायक एक वित्तीय लाभ का पद है और इस पद में उसे तनख्वाह के साथ कार और अन्य चीजें भी उपलब्ध करवाई जा सकती है। इसके साथ ही वह सांसद या विधायक किसी भी ऐसे पद पर काम नहीं कर सकता जिससे उसे वेतन, भत्ता या अन्य कोई लाभ प्राप्त हो। ऐसा पद अन्य लाभ का माना जाएगा जो कानून में स्वीकार्य नहीं है।
    विशेषज्ञों के अनुसार, संविधान में ये धारा रखने का उद्देश्य विधानसभा को किसी भी तरह के सरकारी दबाव से मुक्त रखना था। क्योंकि अगर लाभ के पदों पर नियुक्त व्यक्ति विधानसभा का भी सदस्य होगा तो इससे प्रभाव डालने की कोशिश हो सकती है।
    पद के अनुसार देखें तो संसदीय सचिव का कद किसी राज्य के मंत्री के बराबर होता है। इसके साथ ही संसदीय सचिव को मंत्री जैसी सुविधाएं भी मिल सकती हैं।


    इंग्लिश


    Understanding Office of Profit in Indian context
    Office of Profit:
    If an MLA or an MP holds a government office and receives benefits from it, then that office is termed as an "office of profit". A person will be disqualified if he holds an office of profit under the central or state government, other than an office declared not to disqualify its holder by a law passed by Parliament or state legislature.
    Clause (a) of Article 102 of the Constitution of India says a person shall be disqualified for being chosen as, and for being, a member of either house of Parliament, if he holds any "office of profit" under the Government of India or the Government of any State other than an office declared by Parliament by law not to disqualify its holder.
    Objective:
    • The object of the provision is to secure independence of the MPs and to ensure that Parliament does not contain persons who have received favours or benefits from the executive and who consequently might be amenable to its influence.
    • This provision is thus designed to protect the democratic fabric of the country from being corrupted by executive patronage and also secures the independence of MPs from the influence of the Government so that they discharge their functions without fear or favour.
    The expression "office of profit" has not been defined in the Constitution or in the Representation of the People Act, 1951. It is for the courts to explain the significance and meaning of this concept. Over the years, courts have decided this issue in the context of specific factual situations.




    मराठी

    नफा कमवायचे कार्यालय - भारतीय दृष्टिकोन

    अलीकडेच राष्ट्रपतींनी आम आदमी पक्षाच्या 20 आमदारांना अपात्र घोषित करणारा आदेश अधिसूचित केला गेला असल्याचे कानी आले असेल.
    भारताच्या निवडणूक आयोगाकडून या 20 आमदारांची नावे राष्ट्रपतींकडे पाठविण्यात आली. त्यांनी दिल्ली शासनामधील मंत्र्यांचे संसदीय सचिव बनून 'नफा कामवायचे कार्यालय' सांभाळले असल्याचे निर्देशनास आणले गेले आणि दोषी ठरविण्यात आले.
    अधिसूचनेमधून राष्ट्रपतींनी विधी मंत्रालयाला सूचित केले गेले. आता पुढील सहा महिन्यांत 70 जागा असलेल्या विधानसभेत 20 रिकाम्या जागांसाठी छोट्या स्वरुपात निवडणुक घेतली जाणार.
    'नफा कामवायचे कार्यालय' म्हणजे नेमके काय?
    जर एखादा आमदार किंवा खासदार शासकीय कार्यालयाचा कार्यभार सांभाळत असेल आणि त्यातून काही फायदे प्राप्त करीत असेल तर त्या कार्यालयाला "नफा कमवायचे कार्यालय" म्हणून संबोधले जाते. मात्र, संविधानात वा कायद्यात "नफा कमवायचे कार्यालय" ही संज्ञा समाविष्ट नाही.
    भारतीय संविधानाच्या कलम 102 च्या खंड (अ) मध्ये असे म्हटले आहे की, संसदेने किंवा राज्य विधिमंडळामार्फत पारित केलेल्या कायद्याद्वारे कार्यालयाच्या प्रमुखाला पात्र न ठरवण्यास घोषित केलेल्या कार्यालयाव्यतिरिक्त, केंद्र किंवा राज्य शासन अखत्यारीत नफा कमवायच्या दृष्टीने कार्यालय सांभाळत असल्यास त्या व्यक्तीला अपात्र ठरविले जाईल.
    या संज्ञेचे महत्त्व
    लोकप्रतिनिधींचे स्वातंत्र्य सुरक्षित करण्यासाठी आणि कार्यकारी अधिकार्‍यांकडून लाभ प्राप्त होत असेल अशा व्यक्तींचा संसदेमध्ये समावेश नसावा यासाठी ही तरतूद आहे.
    ही तरतूद देशाच्या लोकशाहीला अहितकारक ठरणार्‍या भ्रष्ट प्रवृत्तींना दूर ठेवण्यासाठी तयार केली आहे आणि शासनाच्या प्रभावापासून लोकप्रतिनिधींना दूर ठेवण्याकरिता आहे, जेणेकरून ते कोणत्याही भय किंवा आवाहनाशिवाय त्यांची जबाबदारी सोडू शकतात.
    भारतीय संविधान किंवा लोकप्रतिनिधीत्व अधिनियम-1951 यांमध्ये "नफा कमवायचे कार्यालय" असे अभिव्यक्त केले गेलेले नाही. ही व्याख्या न्यायालयासाठी आहे, जेणेकरून ते या संकल्पनेचा अर्थ समजावून सांगू शकतात. वर्षानुवर्षे, विशिष्ट तथ्यात्मक परिस्थितीच्या संदर्भात न्यायालयाने हा घटक अंगिकारला आहे.



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