Currentaffairs 28 December 2017 - Hindi / English / Marathi
Hindi
वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क में आवाज़ की पहचान करने वाले हिस्से की खोज की:
वैज्ञानिकों ने मानव मस्तिष्क के एक अत्यंत छोटे हिस्से की पहचान की है, जो न सिर्फ आवाज को पहचानने में, बल्कि विभिन्न आवाजों के बीच में अंतर को पता करने में मदद करता है।
शोध से जुड़े प्रमुख तथ्य:
जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने यह खुलासा किया है कि हमारे मस्तिष्क में पोस्टीरियर सुपिरियर टेम्पोरल गाइरिस (एसटीजी) नामक हिस्सा आवाज की पहचान करने के लिए जिम्मेदार है।
यह दाहिने पोस्टीरियर टेम्पोरल लोब का एक भाग होता है, जो स्तनधारियों के मस्तिष्क के चार प्रमुख भागों में से एक है। शोध में पता चला है कि जिन लोगों में खास तौर से दाहिने पोस्टीरियर टेम्पोरल लोब में चोट लग जाती है, उन्हें आवाज पहचानने में मुश्किल होती है।
मैक्स प्लैक इंस्टीट्यूट की वैज्ञानिक क्लाउडिया रोसवाडोविट्ज ने बताया कि, “चोट वाले मरीजों की जांच से पता चला है कि दिमाग का कौन-सा भाग किस कार्य के लिए जिम्मेदार है। यदि दिमाग का एक निश्चित भाग चोटिल है और इस वजह से एक तय कार्य नहीं कर पाता है तो दोनों अवयवों को एक साथ जोड़ सकते हैं।” इस शोध का निष्कर्ष पत्रिका "ब्रेन" में किया गया था।
प्रयोग:
शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क में घाव वाले मरीजों खास तौर से स्ट्रोक से पीड़ितों का परीक्षण किया और उनकी सीखने व आवाज पहचाने की क्षमता की जांच की।
इसके अतिरिक्त, वैज्ञानिकों ने प्रतिभागियों के मस्तिष्क स्कैन पर उनके मस्तिष्क की संरचनाओं और चोटों की हाई रेजोल्यूशन इमेजेज को देखा।
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों को स्ट्रोक का सामना करना पड़ा था, उनमें आवाज को न पहचान पाने के मामले ज्यादा थे। जाँच किये गए लोगों में से, 9 प्रतिशत को एक आवाज को दूसरे से अलग करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
इन निष्कर्षों को पिछले अध्ययन द्वारा समर्थित किया गया था, जहां पर एक विशेष प्रकार की स्थिति जिसे आवाज का अंधापन (वॉइस ब्लाइंडनेस) - फोनागनोसिया - या आवाजों की पहचान करने में असमर्थता, की जांच की गई थी।
English
Scientists decode region in brain where voice recognition occurs
Scientists have identified a tiny region of our brain that not only allow us to recognise voices, but also helps us differentiate voices.
Superior temporal gyrus:
- The research, from Max Planck Institute in Germany, revealed that the posterior superior temporal gyrus (STG) in our brain is responsible for voice recognition. It is part of a section of the right posterior temporal lobe -- one of the four major lobes in a mammalian brain.
The study showed that especially persons with lesions in certain areas of the right posterior temporal lobe experienced difficulties recognising voices.
For the study, published in the journal Brain, the team tested patients with brain injuries and their capability to learn and recognise voices, especially those who had suffered a stroke. Additionally, the scientists looked at brain scans of the participants-high resolution images of their brain structures and injuries.
The researchers found that people who suffered a stroke were even more likely to not recognise a voice. Out of the people examined, 9 per cent had some sort of trouble distinguishing one voice from another.
The team also detected that changes in and to the right temporal lobe led to the corresponding deficits.
In comparison to the other patients with lesions, the causes did not lie in the failed brain structures but rather in their different brain activity.
Marathi
संशोधकांनी आवाजाची ओळख पटवणार्या मेंदूचा भाग ओळखला
संशोधकांनी मेंदूचा असा एक छोटासा भाग ओळखला आहे, जो मानवाला विविध आवाज ओळखण्यास मदत करतो.
जर्मनीमधील मॅक्स प्लांक्स इंस्टीट्यूटमधील संशोधकांनी हा खुलासा केला कि, मानवी मेंदूचा पुढील ‘सुपेरियर टेम्पोरल गायरस (STG)’ नावाचा भाग आवाज ओळखण्यास मदत करतो. असे आढळून आले आहे की ज्या लोकांच्या प्रामुख्याने उजवीकडील पुढील टेम्पोरल भागाला इजा झालेली असते, त्यांना आवाज ओळखण्यास अडचण होते.
मेंदूची विभागणी चार भागांमध्ये केली जाते – दोन पुढील मोठे टेम्पोरल अर्धभाग आणि दोन मागील छोटे अर्धभाग. ‘सुपेरियर टेम्पोरल गायरस (STG)’ हा उजव्या बाजूच्या पुढील टेम्पोरल भागाचा एक भाग असतो.
या शोधाचे निष्कर्ष ‘ब्रेन’ नियतकालिकेमध्ये प्रसिद्ध केले गेले आहे.
शोधाची प्रक्रिया
संशोधकांनी मेंदूमध्ये जखम असलेल्या रुग्णांची, त्यात प्रामुख्याने आघात (स्ट्रोक) ने प्रभावित रुग्णांचे परीक्षण केले आणि त्यांच्या शिकण्याच्या व आवाज ओळखण्याच्या क्षमतेची तपासणी केली. सोबतच, संशोधकांनी सहभागी रूग्णांच्या मेंदूचे स्कॅन करून त्यांच्या मेंदूच्या संरचनेच्या आणि त्यांना असलेल्या इजेच्या हाय-रिजोल्यूशन प्रतिमांचे विश्लेषण केले.
या अभ्यासात असे आढळून आले कि, ज्या लोकांना आघाताचा सामना करावा लागला, त्यांच्यात आवाज न ओळखणार्या रुग्णांची संख्या अधिक होती. अश्या लोकांपैकी 9% लोकांना आवाजामधील विविधता ओळखण्यास अडचण होत होती.
त्या निष्कर्षांना उपस्थित अभ्यासातून समर्थित केले गेले, ज्यामध्ये आवाजाचा अंधूपणा (वॉइस ब्लाइंडनेस) “फोनागनोसिया” या आवाज ओळखण्यात अक्षम अश्या आजाराची तपासणी केली गेली होती.
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